अनामिका | Anamika | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – अनामिका। यह एक Horror Story है। तो अगर आपको भी Daravani Kahaniya, Bhutiya Kahani या Haunted Story  पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

अनामिका | Anamika | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

Anamika | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

अनामिका

किलेनुमा चार दीवारी में क़ैद इस गांव का नाम बलदेवगढ़ है, जहाँ अब कोई नहीं आता है। क्योंकि आने वाले तो आ जाते हैं पर कभी यहाँ से अपनी दुनिया में वापस नहीं जा पाते हैं। 
कहते हैं कुछ साल पहले पास के गांव में एक आदमी बलदेवगढ़ के केंद्र में बसे राजा बलदेव की हवेली तक पहुँच गया था और वापस निकल अपने घर भी आ गया। 
उसकी हिम्मत को देख मन ही मन गाँव वालों ने भी मन बना लिया कि वह भी जाकर देखेंगे कि आखिर बलदेवगढ़ में क्या राज़ छिपा है ? क्या पता कहीं राजा महाराजाओं का खजाना ही मिल जाए ? 
लेकिन रात में उस आदमी के घर में कुछ ऐसा हुआ कि उसका पूरा परिवार खत्म हो गया और वो खुद ऐसे सदमे में गया कि सालों से उसके लिए एक मुख्य द्वार के पास बदहवास पड़ा है ताकि कोई और अंदर ना जाए।
पर काल को कौन रोक सकता है ? वो तो घटित होकर ही रहता है। 
जिस जगह के आस पास सदियों से कोई नहीं भटका, आज अचानक कोई शहर से आकर पुलिस स्टेशन में खुद को बलदेवगढ़ की संपत्ति का वारिस बता रहा है और वहाँ कंस्ट्रक्शन शुरू करने की बात कर रहा है। 
देखते ही देखते ये बात आसपास के सभी छोटे मोटे गांव में फैल गई। इधर दोपहर के सुर्ख उजाले में शाम के से बादल चढ़ने लगे थे। 
शहर से आया वीर प्रताप वहाँ के दरोगा के साथ अपनी प्लानिंग के बारे में डिस्कॅस कर रहा था और साथ में उसकी गर्लफ्रेंड भी थी। दरोगा ने भी उसे खूब समझाया। 
लेकिन वीर ये मानने को तैयार ही नहीं था कि प्रेत और आत्माओं जैसा कुछ भी होता है। उसने दरोगा को आड़े हाथ लेते हुए कहा।
वीर,” देखिए दरोगा जी, ये भूत प्रेत जैसी बातें तो आप कोर्ट में भी साबित नहीं कर पाएंगे। इसलिए बकवास की बात तो कीजिए मत। 
और सुना है मैंने कि रिटायर होने वाले आप आज़ भी सरकारी क्वार्टर के टपकते छत के नीचे ही रहते हैं। लगे हाथ आपके लिए भी एक डुप्लेक्स बनवा दूं, तो कैसा रहेगा ? “
दरोगा एक पैनी मुस्कान के साथ हामी भर देता है जिस पर वीर अपनी कुर्सी से उठते हुए कहता है।
वीर ,” तो तैयार..? इस बात का ख्याल रखिये की काम एक बार शुरू होने के बाद रुकना नहीं चाहिए। “
वीर और दारोगा अपनी बातें कर ही रहे थे। तब ये हवलदार बाहर से दौड़ता हुआ अंदर आया और घबराते हुए बोला। 
हवलदार,” साहब, गजब हो गया। गांव वाले इधर पुलिस स्टेशन की तरफ ही आ रहे हैं। लगता है उन्हें पता चल गया ये बात। “
सुन कर ही दरोगा के माथे पर पसीना चमकने लगता है और वो कहता है।
दरोगा,” सर आप यहीं बैठिए, हम लोगों को समझाकर आते हैं। “
पर वीर उसकी बात कहां मानने वाला था ? उसने कहा।
वीर ,” गांव वाले चाहते क्या हैं ? “
बाहर पहुंचते ही वो जो नजारा सामने था। उसे देखते हुए एक पल को दरोगा भी चक्कर खा जाता है। 
सामने सैकड़ों की संख्या में गांव वाले मौजूद थे और सभी के हाथ में मशाल देखकर ऐसा लग रहा था जैसे सब के सिर पर खून सवार है। 
इससे पहले कि दरोगा कुछ कहता और करता, वीर आगे बढ़ते हुए बोलता है।
वीर,” गांव वालों… मैं हूँ वीर प्रताप सिंह, बलदेवगढ़ का मौजूद वारिस। अगर आज डेमोक्रेसी ना होती तो मैं आप सभी का राजा होता और यकीन मानिए… एक अच्छा राजा होता। 

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लेकिन अब राजतंत्र नहीं रहा, प्रजातंत्र है। लेकिन बलदेवगढ़ अभी भी मेरा ही है जिसके बीच में अगर आप दखल देंगे तो आप गिरफ्तार भी हो सकते है। “
वीर के इतना कहते ही गांव वाले शकपका गए। आपस में एक दूसरे से कानाफूसी करने लगे। अब हम क्या करेंगे ? अरे ! रोके कैसे नहीं, कहीं अनामिका जाग गई तो ? “
वीर की ये बात सुन गांव वाले ऐसे फुसफुसा रहे हैं जैसे वीर, सच में कोई राजा हो और उसने प्रजा को जान से खत्म करने का ऐलान कर दिया हो।
गांव वाले की इस भनभनाहट के बीच से एक बूढ़ी औरत छड़ी के सहारे चलते हुए आगे निकली और बोली।
बूढ़ी औरत,” देवगढ़ राज़ परिवार का वारिस है तो क्या अनामिका के बारे में नहीं जानता ? सोच क्या रहा है ? वही राजकुमारी अनामिका जिसके कहर से तेरा खानदान राजा से रंक बन गया। “
फ्लैशबैक…
बात आज से 150 साल पहले की है, जहाँ बलदेव प्रताप सिंह यहाँ का राजा हुआ करता था। उनकी दो संतानें थी पर अलग अलग रानियों से… राजकुमारी अनामिका और राजकुमार भैरव। 
भैरव शास्त्र से लेकर शस्त्र हर कला में माहिर था तो राजकुमारी अनामिका सुंदरता के साथ साथ हर विद्या में भैरव से एक कदम आगे थी। 
इसीलिए आगे चलकर महाराज बलदेव ने राज्य की बागडोर राजकुमारी अनामिका के हाथों में देने का तय किया। पर भैरव ये बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसने राजकुमारी के साथ साथ महाराज बलदेव को भी खत्म कर दिया और खुद महाराज बन बैठा। 
फिर बलदेव की प्रजा पर अपनी मनमानी करने लगा और ना जाने कितने ही प्रजा को मौत के घाट उतार दिया ?
पर राजकुमारी अनामिका की आत्मा ने ये सब कुछ ज्यादा दिन नहीं चलने दिया और उसके कहर से पूरा बलदेव गड कांप गया और भैरव पागल हो गया। 
अनामिका से उसकी जान बचाने के लिए भैरव की माँ ने तंत्र मंत्र की मदद से अनामिका की आत्मा कोई गुड़िया में कैदकर वहीं चौखट में ठोक दिया और राजमहल छोड़ कहीं दूर चली गई।
उसके बाद से पूरे बलदेवगढ़ पर उसका साया है। वहाँ जाने की हिम्मत किसी की नहीं हुई।
ऐसा नहीं कि ये सारी बातें वीर को पता नहीं, पर आज मॉडर्न ज़माने में रहकर वो ऐसी बातों पर विश्वास नहीं करता है। इसलिए पुलिस स्टेशन के बाहर गांव वालों के सामने खड़ा वीर उस बुढ़िया को कहता है।
वीर,” दादी अम्मा, अच्छे से जानता हूँ अनामिका की कहानी। ये सब कहने सुनने की बात हैं भूत, पिशाच और विक्रम बेताल। मुझे तो लगता हैं आप लोग मेरी संपत्ति पर कब्जा करना चाहते हैं। “
इस बात पर दरोगा चापलूसी करते हुए कहता है। 
दरोगा,” इसके लिए मैं आप सबको गिरफ्तार भी कर सकता हूँ। “
इस पर बुढ़िया ने कहा।
बुढ़िया,” चलो, सब वापस अपने अपने घरों में बंद हो जाओ। मरने दो इसे। विनाश काले विपरीत बुद्धि। “
उनके जाते ही वीर अपनी गर्लफ्रेंड और इंस्पेक्टर के साथ बलदेवगढ़ किले की तरफ निकल जाता है और पीछे से पुलिस बैकअप भी। 
किले के गेट पर उसे वही पागल आदमी दिखता है, जो उसे अंदर जाने से रोकने की कोशिश करता है। 
लेकिन वीर उसे उड़ाता हुआ अंदर चला जाता है और अपने बगल में बैठे दरोगा की तरफ एक भीगी मुस्कान देते हुए कहता है।
वीर,” अब इतनी छोटी सी बात तो आप संभाल ही लोगे आप। “
वीर का ये रवैया देख दारोगा के सर से पसीना टपकने लगता है। वीर की गाड़ी जैसे ही किले के अंदर जाती है वो बड़ा दरवाजा अपने आप बंद हो जाता है। 

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मौसम बदलने लगता है और तेज हवा भी चलने लगती है। वो गांव के अंदर महल की तरफ काफी अंदर तक जा चुके थे।
अचानक दरोगा ने देखा कि उनकी बेकअप टीम तो है ही नहीं। वो ज़ोर से चिल्लाता है। 
दरोगा,” वीर, गाड़ी रोको। “
इस बार दरोगा की आवाज में सचमुच के दरोगा जैसी बात थी। तीनों गाड़ी से नीचे उतरे। दरोगा पीछे की ओर देखता है पर उसे अब बेकअप टीम की गाड़ी नहीं दिख रही थी। 
भागता हुआ वो थोड़ा पीछे गया तो उसने देखा की गाड़ी पलटी हुई है और बेकअप टीम की सरकटी लाश पेड़ पर लटकी हुई हैं और उनका सिर गिद्ध अपने पंजो में फंसाए उड़ रहा था। 
ये नजारा देख वीर की गर्लफ्रेंड चीख पडती है।
वीर की गर्लफ्रेंड,” इन्हें इतनी बुरी तरीके से किसने मारा ? हो ना हो यहां लुटेरे छिपे बैठे हैं। “
इस बात पर इंस्पेक्टर बोलता है।
इंस्पेक्टर,” लुटेरे नहीं, अनामिका। हमें यहां नहीं आना चाहिए था। “
वीर उसे कुछ कहने ही वाला था, तभी अचानक से उसे चहल पहल की आवाज सुनाई दी। वीर आवाज का पीछाकर आगे बढ़ा ही था कि उसने जो देखा, उसे देख उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं। 
यहां तो पूरा बाजार लगा हुआ है। किसी पुराने ज़माने का बाजार… जैसे कि किसी राजा महाराजा के जमाने का हो।
वो उन्हें देख कहता है।
वीर,” मुझे तो लगा ही था कि यहाँ कोई कब्जा करके बैठा है। भूत की कहानी बनाके लोगों को यहाँ से दूर रखता है। “
इतने में दो आदमी सामने से बात करते हुए आते हैं। इससे पहले कि वीर उससे कुछ कहता, वो दोनों आदमी वीर के जिस्म से किसी आत्मा की तरह गुज़र जाते हैं। 
असल में ये सब उन्हीं की आत्मा हैं जिनकी जान आज से 150 साल पहले गई थी। आसमान में हर तरफ काले बादल उमड़े और ज़ोर ज़ोर से गरजने लगे।
दरोगा उलटे पांव वहाँ से भागने लगा तभी पास के घर से एक हाथ हवा में लहराता हुआ इंस्पेक्टर का पीछा करता और उसके पांव पकड़ते हुए अंदर खींच लेता है। 
ये देख अब वीर का गला भी सूखने लगा था। फिर भी वो उस घर की तरफ बढ़ता है। 
जैसे ही वह दरवाजे के पास पहुँचता है, उसने अंदर देखा तो गिद्ध इंस्पेक्टर के सिर पर अपने पंजे को फंसाए वीर के सामने ही उड़ गया। 
ये सब वीर के लिए इतना भयानक था कि वो लड़खड़ाते हुए गिर जाता है। तभी उसकी गर्लफ्रेंड की आवाज आती है। 
वीर की गर्लफ्रेंड,” वीर, बचाओ… वीर बचाओ मुझे। “
वीर देखता है कि एक हाथ उसकी गर्लफ्रेंड को बालों से घसीटते हुए महल की तरफ ले जा रहा है। जब तक वो खुद को संभाल पाता, वो काफी दूर चली गई थी। 
वीर वी अब महल की तरफ बढ़ने लगता है। महल में भटकते भटकते वो उसी चौखट पर पहुँच जाता है जहाँ गुड़िया के अंदर अनामिका की आत्मा क़ैद रहती है। 
वीर के मन में न जाने क्या चल रहा था ? चौखट से हवा तेज़ हो जाती है और चारों तरफ धूल ही धूल उड़ने लगती है। 
फिर वही गुड़िया एक लड़की का आकार ले लेती है और राजकुमारी अनामिका में बदलकर चीखने लगती है। 
अनामिका,” 150 साल इंतजार किया है इस दिन का मैंने और देखो आज कौन आया है… इस राज़घराने का वारिस ? 
150 साल से ही कुछ नहीं बदला, वो भी दरिंदा था वैसे तू भी दरिंदा है। अपने लालच के लिए किसी को भी रास्ते से हटा सकता है। ये सब कुछ आज ही खत्म होगा, यहीं तेरे साथ। “
इतना कहते ही अनामिका उसे गले से पकड़ के उठा लेती है। वीर चीखते रह जाता हैं।
वीर,” मुझे छोड़ दो, मुझे छोड़ दो। “
 अनामिका ने उसे ऐसे जकड़ा था कि उसका पूरा शरीर एक गुड्ढे में बदलने लगा, जिसे अनामिका ने वहाँ पर लगे एक कीलनुमे रोड में थसा दिया। 

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आज भी वीर गुड्डा बनकर उसी महल में लटका है और उसके बगल में उसकी माशूका। कहते हैं… आज भी प्रेत आत्मा वहाँ मौजूद हैं पर लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाती। 
सरकार ने भी इस जगह को अब टूरिस्ट प्लेस बना दिया है, जहाँ लोग अब घूमने आते हैं और उस चहल पहल की आवाज भी महसूस करते हैं। 
पर आज भी रात में आने की हिम्मत कोई नहीं करता है क्योंकि अनामिका आज भी यहीं है।
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