खामोशियां – (भाग -2) – Love Story in Hindi | Best Love Story in Hindi

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हेलो दोस्तों ! कहानी की इस नई Series में हम लेकर आए हैं आपके लिए एक और नई कहानी। आज की कहानी का नाम है – ” खामोशियां “। यह इस कहानी का (भाग -2) है। यह एक Hindi Story है। कहानी को पूरा जरूर पढ़ें। तो चलिए शुरू करते हैं…
खामोशियां - (भाग -2) - Love Story in Hindi | Best Love Story in Hindi

Love Story in Hindi | Best Love Story in Hindi | New Love Story in Hindi

 खामोशी -भाग (2) 

रास्ते भर सभी शांत थे। रिया पीछे की सीट पर सर लगाए झपकियां ले रही थी। आलोक ड्राइविंग कर रहा था और बगल वाली सीट पर बैठा पुराने समय की यादों में उलझता जा रहा था। 

कॉलेज के दिनों में जब आरुष पीजी फाइनल का छात्र था तब उस समय इस लड़की ने पीजी फर्स्ट ईयर में एडमिशन लिया था। यूं तो सीनियर स्टूडेंट्स द्वारा जूनियर स्टूडेंट्स के साथ रैगिंग किया जाना आम बात है। हालांकि रैगिंग एक अपराध है।

सुन यार रिया बता रही है कि रूम नंबर 305 में कुछ स्टूडेंट्स मिलकर न्यू स्टूडेंट्स को परेशान कर रहे हैं, – रितिक ने कैंटीन से अंदर आते हुए आरुष ने फोन में ही झुके हुए कहा। 


रिया क्या कर रही है, – रितिक ने टेबल पर दोनों हाथ रखकर झुकते हुए कहा। मेरे शोना, वह हमारा असाइनमेंट कंप्लीट कर रही है। 

उसको शिवम ने बताया था और शिवम उनको रोकने भी गया था पर वह नहीं माने और तू तो जानता है; वैभव तो तुझ से पंगा लेने को उधार बैठा रहता है।



आरुष रितिक के साथ जाने लगता है तभी पीछे से कैंटीन में काम करने वाला टीटू हाथ में पकड़ी हुई ट्रे को टेबल पर रखते हुए कंधे उचका ते हुए बोला, – आज फिर से वैभव भैया चाय मंगाएंगे और चाय का गिलास फिर से तोड़ेंगे।

रितिक बिना पीछे मुड़े टीटू से माथा खुजाते हुए बोला, – बाबू इसीलिए तो कहता हूं; हर बार और इस बार भी कहूंगा कि बेटा गिलास स्टील के रखा कर। यह सब तो चलता ही रहता है।

आरुष और रितिक सीढ़ियों के रास्ते रूम नंबर 305 तक जाते हैं। टेबल पर पैर रखे हुए वैभव अपने सनग्लासेस हाथ में घुमाते हुए अपने दोस्तों के साथ हंस रहा था। 


यह बताओ तुम सब में से कौन-कौन सिंगल है और कौन-कौन मिंगल है, आई मीन किस किस के पास बाबू शोना है। बताओ रे जल्दी से, टाइम नहीं है मेरे पास, – वैभव ने चश्मे की डंडी से कान खुजाते हुए कहा। 

कुल मिलाकर 10-12 जूनियर थे जिनमें से 3-4 को छोड़कर सभी ने हाथ खड़ा कर दिया।

ए तू हां तू ही ब्लू टॉप वाली, चल इधर आ, – वैभव ने पीछे खड़ी एक लड़की को देखते हुए कहा। तेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है ना, चल उस वाइट शर्ट वाले लड़के को किस कर, – वैभव ने एक लड़की की तरफ इशारा करते हुए कहा।

सुना नहीं तूने वैभव मुट्ठी खींचते हुए लड़की की तरफ बढ़ा। लड़की भी घबराते हुए पीछे हटने लगी

अच्छा सीनियर्स से श्यानपट्टी, – वैभव ने मुस्कुराते हुए जैसे ही लड़की का हाथ पकड़ने की कोशिश की, लड़की एकदम से साइड होते हुए बोली, – देखिए आप सीनियर हैं इस नाते हम आपकी इज्जत करते हैं पर यह इज्जत भी जब तक ही की जाएगी जब तक आप अपनी हद में रहेंगे। 


पूरी क्लास में सन्नाटा छा गया क्योंकि किसी ने अभी तक इतनी हिम्मत नहीं की कि कोई वैभव या उसके ग्रुप से इस तरह ऊंची आवाज में बात कर सके।

वैभव इस बात से तिलमिला गया और चीखते हुए बोला, – तू इस तरह बात करेगी मुझसे, वैभव पाटील से।

तेरी हिम्मत कैसे हुई, भूल गई क्या कि यह वैभव पाटिल क्या-क्या कर सकता है, – कहते कहते वैभव जैसे ही उस पर हाथ उठाने को हुआ पीछे से आरुष ने आकर उसका कॉलर पकड़ लिया और अपने सामने करते हुए बोला, – मिस्टर वैभव, ज्यादा इज्जत तुझे पचती नहीं है क्या, क्यों हर बार तू यही दो कौड़ी की हरकतें दोहराता है।

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वैभव आरुष का हाथ झटकते हुए अपने साथियों से बोला, – Lets Go Guys. और मुड़ते – मुड़ते उसकी तरफ आंखों ही आंखों में i will see you later. का इशारा करते हुए चला गया।


आप सभी भी अपनी-अपनी क्लासेज में जाइए, – कहते हुए आरुष भी रितिक के साथ चला गया।

आरुष और रितिक की क्लास आज थी नहीं, इसलिए दोनों वापस आकर कैंटीन में बैठ गए। रितिक ने टीटू को चार चाय का आर्डर दिया और दोनों बातें करने लगे। यार इस वैभव का कुछ तो करना पड़ेगा।

हम क्या करें ? हम तो बस वही कर रहे हैं जो हमारा काम है। तुम दोनों ने ही मुझे फंसाया था, इस सो कॉल्ड एंटी रैगिंग कमेटी के चक्कर में।

चल कोई ना शोना ये लास्ट ईयर है, – रितिक ने टीटू के हाथ से चाय के कप टेबल पर रखते हुए कहा। तभी रिया भी हाथों में फाइल्स पकड़े हुए आई और ठंडी सांस छोड़ते हुए और उसके बगल वाली चेयर पर बैठ गई। 


और नीचे से रितिक के जोर से पैर मारते हुए मुंह बनाते हुए बोली, – कमीने अपना काम करना खुद सीख ले। कब से तेरा असाइनमेंट करने में लगी हूं। रिया आरुष की तरफ मुड़ते हुए बोली, क्या हुआ उस पाटिल के बच्चे का ?

आरुष – कुछ नहीं, बस वही रोज का।

रिया – मुझे ऐसा लगता है वह कुछ तेरी वजह से भी यह सब करता है।

रितिक – चल अब छोड़ वह सब। चाय पी, यह शिवम कहां रह गया ? – रिया चाय की चुस्कियां लेते हुए बोली आ रहा है। अभी बस पड़ा हुआ है अपनी रितु मैडम को मनाने के चक्कर में।

इतने में पीछे से शिवम और रितु आते हैं

रितु कुर्सी पर बैठते हुए बोली, – मनाना क्या इसका ? हम लोग तो बस दो-चार सॉरी बेबी, सॉरी स्वीटू बोलने पर ही मन जाते हैं अगले दिन फिर वही शुरू।

रिया – अरे यार अब बेचारे की नजर ही ऐसी है कि हर वक्त लड़कियों पर जाकर ही रुकती है। वैसे उस वैभव का क्या हुआ सुना है इस बार ज्यादा नहीं बोला, – शिवम ने आरुष के कंधे पर थपकी मारते हुए कहा।

अरे छोड़ो सब अब, चाय पियो – रितिक ने चाय का कप शिवम को देते हुए कहा। इसके लिए तो कॉफी मंगा दे, – रिया ने आरुष की तरफ इशारा करते हुए कहा।

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नहीं आज मन नहीं है, – आरुष ने जेब से फोन निकालते हुए कहा। सभी चाय पीते हुए बातों में खो गए पर आरुष के दिमाग में वही लड़की घूम रही थी जिसने वैभव को थप्पड़ मारा। दूध समान गोरी, माध्यम बाल, बड़ी-बड़ी आंखें पता नहीं क्यों आरूष के मन में बार-बार उसके ख्याल आ रहे थे ?

वर्तमान –


ब्रेक लगने और फोन की आवाज के साथ ही आरुष का ध्यान टूटा। वॉचमैन ने गेट खोला और गाड़ी एक बड़े से आलीशान बंगले के अंदर पहुंची। 

बड़ा मेन गेट खुलते ही बंगले तक जाने के लिए एक सीधा रास्ता, रास्ते की एक और बड़ा सा गार्डन जिसमें अनेक प्रकार के पेड़ पौधे, फुलवारी आदि और दूसरी और गैरेज वॉचमैन को चाबी देकर आलोक ने गाड़ी गैरेज में खड़ी करने को कहा और तीनों अंदर जाने लगे। 

गलियारे से अंदर जाकर एक बड़ा ही आलीशान बंगला जो दूधिया रोशनी से जगमग आ रहा था बड़े-बड़े झूमर, सुंदर पेंटिंग से सजे उस घर में तीनों को कोई दिखाई नहीं दिया। 



आरुष ने आवाज लगाई, – दादा ओ दादा, तभी ऊपर से एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति जो शर्ट और पायजामा पहने हुए था और एक हाथ में सफेद साफा पकड़े हुए धीरे-धीरे सीढ़ियों से उतरते हुए आया।

अरे लाला ! हम जगे ही थे पता है ना हमको थोड़ी चिंता होई रही। बहुते ही रात हुई गई ना। हमको बड़े लल्ला की तो पतो हती पर तुम्हारी ना, सो हमने तो कह दई के लल्ला आए गए, – दादा ने नीचे आते हुए कहा। आलोक अपने कमरे में चला गया।

यह मोहन दादा थे जो हमेशा से गौड़ परिवार के साथ ही रहे हैं वह अम्मा (आरुष के पिताजी की मां) के मायके के गांव के ही हैं। कहने को तो मोहन दादा इस घर के नौकर हैं पर इस घर के अहम सदस्य की तरह हैं। सब दादा को अपना ही समझते हैं।


अब दादा, आप वह सब छोड़ो यह बताओ कुछ रखा है खाने को, पार्टी का सारा खाना भागदौड़ में पच गया, – रिया पेट पर हाथ रखते हुए मुंह बनाकर कहती है।

अरे हां, हां लाली ! हमें छोटी लाली ने बताई दई। चलो तुम बैठि जाओ हम लाए रए हैं, – दादा किचिन की तरफ जाते हुए बोले। बस दादा बस आपका इतने प्यार से ” लाली ” बोलना ही आधा पेट भर देता है, – रिया ने नाटक की तरह एक्टिंग करते हुए कहा।

अरे लाली ! तुम सब हमारे अपने औ और फिर हमाई तो जैसी भाषा ए, – दादा ने रिया के सर पर हाथ फेरते हुए कहा।

छोटे लाला ! तुम को लगाए दें,- दादा ने मुड़ते हुए पूछा।

नहीं दादा बस इसी भुक्कड़ को दे दो , आरुषि ने प्रिया को सर पर चपत लगाते हुए कहा

तू जलता क्यों है रे शोना ! तू रोकना तेरी फैमिली को, बोल दे सब से कि कोई भी मुझसे और रितिक से प्यार ना करें, – रिया ने आरुष को चिढ़ाते हुए कहा।

बस बस लाली, अब लड़ाई ना करो। जल्दी खाई लेओ सब जग जाएंगे, – दादा ने कहा। आरुष अपने कमरे में सोने के लिए चला गया।

रिया – दादा, रितिक कहां सोया है ?

दादा – प्रेम लाला के कमरा में।

रिया – आयुषी के कमरे में कौन है ?

दादा – लाली अकेली सोई रही है। तुम पहले खाना खाए लो फिर हम दे जाएंगे चादर।

रिया – नहीं ,नहीं दादा आप परेशान मत होना। मुझे तो बस थोड़ा सा ही खाना है। एक काम करो आप चादर निकाल लाओ मैं प्लेट साफ कर देती हूं।

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दादा – अरे नहीं लाली, हम कर देंगे तुम पहुंचो कमरा में। हम लाए रहे हैं चादर। आज उषा बिटिया ने धुलवाए रहे कपड़ा तो कमरा में चादर ना रखी।


रिया – अरे मैं करती हूं ना, आप निकाल लो चादर।

दादा – नहीं मानोगी बेटा, चलो आओ जल्दी करके।

रिया काम करके आयुषी के कमरे में आ जाती है और सो जाती है
उधर आरुष अपने कमरे में करवटें बदल रहा था। नींद उसकी आंखों से कोसों दूर थी। बार-बार उस लड़की का ख्याल आ रहा था जो आज इन्हें मिली थी। 

क्या यह वही थी जो 2 साल पहले कॉलेज में मिली थी जिसको देखकर आरूष के लिए वक्त ठहर सा गया था। पर वह तो उस दिन के बाद कभी कॉलेज भी नहीं आई। 

क्या यह वही थी ? करवटें बदलते बदलते जाने कब आरुष को नींद आ गई। सुबह मोबाइल के अलार्म के साथ 5:00 बजे आरुष की नींद खुली।



और इसी के साथ इस कहानी का यह अध्याय समाप्त होता है। अगर आप इस कहानी को आगे भी पढ़ना चाहते हैं तो इस कहानी का अगला भाग जरूर पढ़ें।


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