चतुर ठग | Hindi Kahaniya | Moral Story | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” चतुर ठग ” यह एक Hindi Fairy Tales है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Bed Time Story पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
चतुर ठग | Hindi Kahaniya | Moral Story | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales

Chatur Thug | Hindi Kahaniya| Moral Story | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales

 चतुर ठग 

मंगत लाल अपनी पत्नी शर्मीली और बेटी किरन के साथ उदयपुर गांव के गांव में रहता था। मंगत लाल बहुत ही लालची और बेईमान किस्म का आदमी था। 
पेशे से वह एक जमींदार था। वह हर वक्त लोगों से ठगई करता रहता और अपनी जेब भरता रहता।
पैसों से उसे इतना मोह था कि वह उन्हें खर्च करने से पहले सौ बार सोचता। एक दिन शर्मीली मंगत लाल से कुछ पैसे मांगते हुए बोली।
शर्मीली,” सुनिए जी… जरा मुझे कुछ पैसे और गहने दे दीजिए। मुझे अपने भाई की शादी में जाना है। “
मंगत लाल कहता है,” क्या तुम हर वक्त मेरे पैसे उड़ाने में लगी रहती हो ? और तुम्हें पैसे किस लिए चाहिए ? पैसे कितनी मुश्किल से कमाए जाते हैं, जानती भी हो ? “
शर्मीली,” हां, हां जानती हूं… कितनी मुश्किल से कमाए जाते हैं। (मन ही मन कहती है – लोगों से लूटते जो रहते हो।) पर मुझे कुछ पैसे दे दीजिए ना। “
मंगत लाल,” मेरे पास कोई पैसे वैसे नहीं है और तुम मत जाओ किसी शादी वादी में। “
शर्मीली के काफी मांगने पर भी मंगत लाल उसे पैसे नहीं देता है और शादी में जाने को भी मना कर देता है। इसके बाद मंगत लाल घर से बाहर ठगई करने के लिए निकल जाता है। उसके साथ हमेशा एक तोता रहता था जो उसके कंधे पर बैठा रहता था। 
मंगत लाल,” अरे ! इस तोते के खर्चे बहुत बढ़ गए हैं। दिन भर बस खाता ही रहता है, किसी काम का नहीं। चलो अभी इसे कुछ काम पर लगाता हूं। “
इतने में उसे सामने से बिरजू डाकिया बैंक से पैसे लाते हुए दिखाई देता है। मंगत लाल उसे अपनी ठगई के जाल में फासने के लिए जोर से बोलता है।
मंगत लाल,” तोते, जा और बस स्टैंड पर बस वाले से कहना कि मैं थोड़ी ही देर में वहां पहुंच रहा हूं, तब तक बस को रोके रखना। “
मंगत लाल के ऐसा कहने पर तोता तुरंत बस स्टैंड की तरफ उड़ जाता है। यह देखकर बिरजू डाकिया को लगता है कि सच में यह तोता अपने मालिक की बात मान रहा है।
बिरजू डाकिया,” वाह भाई साहब ! क्या यह तोता आपकी बात सच में मानता है ? “
मंगत लाल,” हां यह मेरा दुलारा और आज्ञाकारी होता है।
बिरजू डाकिया (मन ही मन सोचते हुए),” यह तो मेरे बहुत ही काम का है। वैसे भी मैं दिनभर साइकिल चलाते चलाते थक जाता हूं। यह मेरा काम बहुत ही आसान कर देगा। “
मंगत लाल,” अब आप क्या सोच रहे हैं ? देखो इस तोते को खरीदने के बारे में सोचना भी मत; क्योंकि यह मेरा आज्ञाकारी तोता है और मैं इसे नहीं बेचूंगा। “
बिरजू डाकिया,” अरे भाई साहब ! यह तोता मुझे दे दीजिए। मैं इसके अच्छे दाम आपको दे दूंगा। “
मंगत लाल साफ मना कर देता है। इससे बिरजू डाकिया को और भी यकीन हो जाता है कि यह एक आज्ञाकारी और होनहार तोता है, तभी तो मंगत लाल उसे नहीं देना चाहता।
बिरजू डाकिये को तोते की काबिलियत काफी पसंद आई और वह उसे हर कीमत में लेना चाहता था। इसीलिए उसने इस बार तोते की कीमत को बढ़ाकर कहा।

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बिरजू डाकिया,” भाई साहब, यह तोता मुझे दे दीजिए। मैं आपको इसके ₹200 दे दूंगा। “
मंगत लाल,” क्या ₹200..?? नहीं – नहीं, मैं इस चतुर तोते को इतने कम दाम में तो बिल्कुल भी नहीं दे सकता। “
बिरजू डाकिया,” अरे भाई साहब ! ऐसा ना कहो। अच्छा ठीक है, आप ही बताओ कि आप इसे कितने में बेचना चाहते हो ? “
मंगत लाल,” कम से कम ₹1000. हालांकि यह भी कम ही है लेकिन मैं ₹1000 में यह तोता तुम्हें दे सकता हूं। “
इतने में तोता वापस आ जाता है और मंगत लाल के कंधे पर बैठ जाता है।
मंगत लाल के ₹1000 मांगने पर बिरजू डाकिया थोड़ी देर तक सोचता है। लेकिन तोते की काबिलियत से बिरजू डाकिया बहुत प्रभावित हो चुका था।
इसलिए वह कहता है,” अच्छा, अच्छा ठीक है भाई साहब… मैं आपको इसके हजार रुपए दे सकता हूं। लेकिन क्या यह तोता मेरी बात मानेगा ? “
मंगत लाल,” हां, हां जरूर… अब तक यह मेरी बात मान रहा था लेकिन अब तुम इसके मालिक हो। मैं इसके कान में यह बात कह देता हूं। इसके बाद यह तुम्हारी ही बात मानेगा मेरी नहीं। “
मंगत लाल एक ठग था। इसलिए वह दिखावा करते हुए तोते के कान में हल्की सी फुसफुसाहट करने लगता है। इसके बाद बिरजू डाकिया उस तोते को कंधे पर बैठाकर वहां से जाने लगता है।
अगले दिन सुबह के समय बिरजू डाकिया उस तोते को एक खत देता है और उसे सही जगह पहुंचाने को कहता है। तोता खत को लेकर उड़ तो जाता है लेकिन शाम तक वापस नहीं आता है। 
सुबह से शाम तक बिरजू डाकिया उसका इंतजार करता है और अंत में बहुत क्रोधित होता है।
बिरजू डाकिया,” लगता है उस आदमी ने मुझे ठग लिया। रुको अभी मैं उसके पास जाता हूं, फिर मैं उसे बताऊंगा। “
इस बार फिर मंगत लाल उसी रास्ते से किसी दूसरे को ठगने के लिए जाता है। तभी उसे वह बिरजू डाकिया मिलता है।
बिरजू डाकिया,” क्यों भाई… तुमने मुझे ठग लिया है ना ? तुमने जो तोता मुझे दिया था, मैंने उसे खत भेजने को कहा था लेकिन वह अभी तक लौटा ही नहीं। “
मंगत लाल,” तुम क्या पागलों जैसी बातें कर रहे हो ? मैंने तो तुमको अपना तोता दे ही दिया तो फिर भला मैं तुम्हें कैसे ठग सकता हूं।
बिरजू डाकिया,” अच्छा तो वह तोता फिर वापस आया क्यों नहीं ? “
मंगत लाल,” तुमने उस तोते को जहां खत भेजने को कहा था वह जगह उसे दिखाई थी या नहीं ? “
बिरजू डाकिया,” नहीं नहीं, मैंने तो ऐसा नहीं किया था। “
मंगत लाल,” तो फिर वह वापस कैसे आएगा ? अरे ! अरे ! तुमने तो मेरा तोता ही घुमा दिया। मेरा प्यारा तोता… पता नहीं इस समय वह कहां होगा ? “
मंगत लाल के इन उदासी भरे शब्दों को सुनकर बिरजू डाकिया उसे निर्दोष समझता है और वहां से मुंह लटकाए हुए वापस चला जाता है।
मंगत लाल अपनी इस ठगई और चतुराई पर बहुत खुश होता है।
अगले दिन हरिया एक नौकरी की तलाश में इधर उधर भटक रहा होता है तभी मंगत लाल साधु का भेष बनाए उसी रास्ते से गुजरता है।

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मंगत लाल हरिया से कहता है,” बेटा, मैं तुम्हारी परेशानी जानता हूं। तुम नौकरी की तलाश कर रहे हो, हैं ना ? “
हरिया (मन में),” अरे यह बाबा तो अंतर्यामी है। बिना कुछ कहे ही इन्होंने मेरी परेशानी का पता लगा लिया। “
मंगत लाल,” तुम परेशान मत हो। अगर तुम मेरी एक बात मानो तो तुम्हारी समस्या हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो सकती है। “
हरिया वैसे ही नौकरी की समस्या को लेकर बहुत परेशान था इसलिए वह बाबा की हर एक बात को सही मान लेता है और मन ही मन सोचता है कि क्यों ना इनकी बात को मान लिया जाए ?
हरिया,” हां हां बाबा… आप जो कहेंगे मैं वो सब करूंगा। “
मंगत लाल,” नौकरी पाने के लिए तुम्हें मुझ जैसे भिक्षुक को ₹500 दान करने होंगे। ऐसा करने पर मात्र 10 दिनों में तुम्हारी नौकरी लग जाएगी। “
मंगत लाल के ऐसा कहने पर हरिया थोड़ा सोचता है। लेकिन बाबा की बातों को सही मानते हुए वह ऐसा करने के लिए तैयार हो जाता है। 
घर से फॉर्म ऑनलाइन के लिए मिले ₹1000 में से ₹500 वह मंगत लाल को दे देता है।
हरिया,” बाबा मेरी नौकरी लग तो जाएगी ना ? “
मंगत लाल,” हां बेटा, 10 दिनों के बाद। “
इसके बाद हरिया अपने घर की ओर निकल जाता है और मंगत लाल इस तरह ठगई करके खुश होकर अपने घर चला जाता है।
10 दिन बीत चुके थे लेकिन हरिया की नौकरी का कोई ठिकाना ही नहीं था। वह बहुत क्रोधित होता है और उस बाबा को ढूंढने के लिए निकल जाता है। 
लेकिन वह असली बाबा हो तब ना मिले। वह दिन भर गांव में भटकता रहता है।
फिर एक दिन एक बिल्डर उसी गांव में आता है और सभी गांव वालों को अपना ऑफर बताता है।
बिल्डर,” आप सभी लोगों के लिए एक सुनहरा ऑफर है। आप लोग अगर मुझे 1 लाख रुपए दोगे तो मात्र 6 महीनों के अंदर मैं आपको 10 हज़र रुपए का ब्याज दूंगा।
मंगत लाल,” क्या तुम सच बोल रहे हो ? कोई धोखा तो नहीं दोगे ? “
बिल्डर,” नहीं नहीं साहब, मैं आपको कोई धोखा नहीं दूंगा। आप चाहें तो सबूत के तौर पर ममेरा चेक ले सकते हैं।
मंगत लाल के मुंह में पानी आ जाता है और वह इस सुनहरे ऑफर को मानते हुए बिल्डर को 5 लाख रुपए दे देता है।
फिर जब 6 महीने बीत जाते हैं तो मंगत लाल को काफी अच्छा रिटर्न मिलता है। उसे बदले में काफी पैसे मिलते हैं जिससे देख कर वो बहुत खुश होता है।
इसी मुनाफे को और बड़ा बनाने के लिए वह पास के गांव में जाता है और यही ऑफर उन्हें समझाता है। दूसरे गांव के लोग उस पर भरोसा करते हैं और उसे पैसा दे देते हैं। वह बदले में सबूत के तौर पर एक चेक साइन करके देता है।
जब मंगत लाल घर आकर पैसों को गिनने बैठ जाता है तो शर्मीली कहती है,” जब मैं आपसे पैसे मांगती हूं तब तो आपके पास पैसे होते नहीं है लेकिन अब इतने पैसे आपके पास कहां से आए ? “
मंगत लाल,” तुम मेरे पैसों को नजर क्यों लगा रही हो ? क्या और कोई काम नहीं है तुम्हारे पास ? जाओ यहां से और मुझे मेरा काम करने दो। “
जैसे ही मंगत लाल का दिया हुआ समय पूरा होता है तो मंगत लाल बैंक जाकर अपने खाते को बंद करवा देता है। उसके बाद दूसरे गांव के लोग उस खाते से पैसा नहीं निकाल पाते। 

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गांव के लोग मंगत लाल पर बहुत गुस्सा करते हैं और उसे ढूंढने के लिए गांव में आते हैं लेकिन वह नहीं मिलता।
मंगत लाल,” मैं अब बहुत ही अमीर बन गया हूं। इससे आसान तरीका शायद पैसे कमाने का हो ही नहीं सकता। अब मैं एक रईस जीवन जी सकता हूं। “
इधर दूसरे गांव में वही बिल्डर जाता है और अपना ऑफर रखता है। गांव वाले पहले ही इस ऑफर के वजह से काफी नुकसान में डूब गए थे। बिल्डर के ऑफर रखते ही गांव वाले क्रोधित हो गए और बिल्डर को बुरी तरह से पीट दिया।
बिल्डर,” लेकिन मैंने तो ऐसा नहीं किया। मैं तो आपको एक सुनहरा ऑफर बताने आया था और मैंने तो इस गांव में पहली बार प्रवेश किया है। “
काफी समझाने के बाद भी गांव वाले उस पर भरोसा नहीं करते। बिल्डर को समझ आ चुका था कि उसके इस सुनहरे ऑफर का कोई गलत इस्तेमाल कर रहा है। और इन गांव वालों को ठग रहा है।
बिल्डर,” मैं एक काम करता हूं… मैं वापस उसी गांव जाता हूं और फिर से यही ऑफर रखता हूं और इस बार मैं उल्टा उसे ही ठग लूंगा। “
बिल्डर,” अपनी कार लेकर वापस उदयपुर में जाता है तो उसे सामने से मंगत लाल आता हुआ दिखाई देता है जिसके हाथों में एक लोन का चेक होता है।
बिल्डर,” अच्छा तो ये वही आदमी है जो इस सुनहरे ऑफर का गलत इस्तेमाल कर रहा है। “
बिल्डर,” रुकिए सर, इस बार हम आपके लिए एक और नया ऑफर लेकर आए हैं। “
मंगत लाल,” हां हां बताइए क्या है नया ऑफर ? “
बिल्डर,” इस बार हम केवल 1 महीने में आपको 20 हज़र  रुपए ब्याज देंगे।
मंगत लाल (मन में),” यह तो बहुत ही बंपर ऑफर है। चलो मैं अपनी जमीन और बचे हुए सभी पैसे एक साथ लगा देता हूं। इसके बाद मैं बहुत ही अमीर हो जाऊंगा और अपनी बेटी की बहुत अच्छे से शादी करूंगा। “
यह सोचते हुए वह अपने घर की तरफ जाता है और जमीन की सारे कागज और पैसे लेकर बिल्डर के पास आता है।
बिल्डर,” आपका इतना बड़ा इन्वेस्टमेंट करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। देखना… आपको बहुत बड़ा रिटर्न मिलेगा। इंतजार करिएगा। “
इसके बाद बिल्डर एक चेक साइन करता है और उसे मंगत लाल को दे देता है। 
बिल्डर अपनी कार लेकर चला जाता है और सीधा बैंक जाकर अपने उस खाते को बंद करा देता है।
इधर समय पूरा हो जाता है और मंगत लाल अपने घर में बैठकर खूब सारे पैसे आने का इंतजार कर रहा होता है।
10 दिन और बीत जाते हैं। इसके बाद वह बैंक जाकर पैसे निकालने की कोशिश करता है तो बैंक कर्मचारियों के द्वारा पता चलता है कि वह खाता 10 दिन पहले ही बंद हो चुका है।
यह सुनकर वह बैंक के बाहर सर पर हाथ रख कर बैठ जाता है।
मंगत लाल,” हे भगवान ! आज तो मैं ठग गया। इसने मुझे पूरी तरह से ठग लिया। लोगों को मैंने थोड़ा थोड़ा करके ठगा लेकिन इसने मुझे एक बार में पूरा ठग लिया।
रोते-रोते मंगत लाल घर चला जाता है। मंगत लाल का उदास चेहरा देखकर शर्मीली और किरन दोनों उसकी ओर देखती है। तभी शर्मीली पूछती है,” क्या हुआ ? ” 
मंगत लाल अपने साथ हुए सारे हादसे को विस्तार से समझाता है।

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शर्मीली,” अच्छा हुआ तुम्हारे साथ, तुम लोगों को ठगा करते थे और आज खुद ही ठग गए। अब मैं भी मायके जा रही हूं बेटी को साथ लेकर और तुम्हारे साथ अब कभी नहीं रहूंगी। “
शर्मीली और किरन को घर छोड़कर जाते हुए देख मंगत लाल उन्हें रोकने की कोशिश करता है लेकिन शर्मीली नहीं रुकती।
मंगत लाल इस बार अपने कारनामे पर पूरी तरह शर्मिंदा था और उसे अब समझ आ चुका था कि ठगई और बेईमानी व्यक्ति को पूरी तरह बर्बाद कर देती है।
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