चतुर बूढ़ा | Hindi Kahaniyan | Moral Stories | Gaon Ki Kahani| Village Stories | Stories in Hindi | Bed Time Story

व्हाट्सएप ग्रुप ज्वॉइन करें!

Join Now

टेलीग्राम ग्रुप ज्वॉइन करें!

Join Now

हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” चतुर बूढ़ा ” यह एक Moral Story in Hindi है। अगर आपको Hindi Kahani, Gaon Ki Kahani या Majedar Hindi Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
चतुर बूढ़ा | Hindi Kahaniyan | Moral Stories | Gaon Ki Kahani| Village Stories | Stories in Hindi | Bed Time Story

Hindi Kahaniyan | Moral Stories | Gaon Ki Kahani| Village Stories | Stories in Hindi | Bed Time Story

 चतुर बूढ़ा 

बहुत समय पहले की बात है, धनीपुर नाम का एक गांव था। वहां के लोग खेती करके अपने परिवार का गुजारा करते थे। अपनी-अपनी हरी भरी और लहराती फसलें देखकर लोग काफी खुश होते थे। 

उन सभी के खेत पहाड़ी चट्टानों के बीच में थे। अचानक उस गांव पर विपत्ति आ पड़ी। आसपास की चट्टानों से बड़े-बड़े पत्थर टूट कर नीचे खेतों में गिरने लगे जिससे उनकी हरी-भरी फसलें नष्ट होने लगीं। 
कुछ ही दिनों में उनकी सारी फसल नष्ट हो गई जिसे देखकर गांव के सभी लोग बहुत ज्यादा दुखी थे। 
उन्होंने इस समस्या को हल करने के लिए काफी प्रयास किया लेकिन सब बेकार रहा। फसल खराब होने के साथ-साथ उनकी जमीन भी पत्थरों के नीचे दब गई थी जिससे वे दोबारा फसल उगाने के काबिल भी नहीं थे। 
जब कोई समाधान नहीं निकला तो वे सब गांव के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति जिसे वे सब ‘ बूढ़े बाबा ‘ कहते थे, उनके पास गए। 
बूढ़े बाबा ने उनसे कहा,” रुको ! रुको… एक एक करके अपनी समस्या बताओ। ” 
तो सब ने कहा,” बाबा ! हम सब की समस्या एक ही है। हमारी हरी-भरी लहराती फसल चट्टानी पत्थरों के नीचे दबकर अपनी जान दे चुकी हैं।
खाने को तो हमारे पास अब कुछ रहा ही नहीं और पत्थरों ने हमारी जमीन को भी घेर लिया है जिससे हम दोबारा फसल भी नहीं उगा सकते। अगर ऐसा ही चलता रहा तो हमें आने वाले दिनों के लिए भोजन की व्यवस्था करने के बारे में भी सोचना पड़ेगा।
लोगों की बातें सुनकर बूढ़े बाबा थोड़ा सोचने लगे। लेकिन इसी बीच गांव के कुछ लोग बोले,” क्यों ना हम शहर चले जाएं ? 
वैसे भी गांव में इतनी कड़ी मेहनत करने के बाद भी हम केवल अपने परिवार का ही गुजारा कर पाते हैं। अगर शहर जाएंगे तो अच्छा पैसा कमा पाएंगे और एक आराम की जिंदगी भी जी पाएंगे। “

ये भी पढ़ें :-

Hindi Kahaniyan | Moral Stories | Gaon Ki Kahani| Village Stories | Stories in Hindi | Bed Time Story

लेकिन तभी बूढ़े बाबा ने कहा,” रुको ! रुको ! थोड़ा सोचो। हमारे पूर्वजों ने इस जमीन और इस गांव के लिए कितनी कड़ी मेहनत की है 
और अगर हम इस जमीन और अपने घरों को छोड़कर चले जाएंगे तो यह हमारे पूर्वजों का अपमान होगा। और हम अपने जन्म भूमि को इस तरह नहीं छोड़ सकते।
गांव के लोगों ने बूढ़े बाबा की बात पर चिंता जताते हुए कहा,” लेकिन बाबा अगर हम यहां रहेंगे तो हमें खाना भी नसीब नहीं हो पाएगा। “
बूढ बाबा ने उन सभी लोगों को धैर्य बंधाते हुए कहा,” अगर भगवान ने मुंह दिया है तो भोजन भी जरूर नसीब होगा। “
कुछ देर सोचने के बाद बूढ़े बाबा ने कहा,” क्यों ना 
हम इन पूर्वी दिशा के सभी पत्थरों को पश्चिमी दिशा में फेंक दें ? इससे हमारी जमीन पहले की तरह ही स्वतंत्र हो जाएगी और हम दोबारा से इस पर फसल उगा पाएंगे। 
बूढ़े बाबा की बात सुनकर कुछ लोग सहमत हो गए लेकिन कुछ लोग कहने लगे कि हमसे इतनी मेहनत नहीं हो पाएगी। लेकिन बाद में सब लोग मान गए और पूर्वी दिशा के सभी पत्थरों को एक एक करके पश्चिमी दिशा में फेंकने लगे। 
लगभग 1 दिन में उन्होंने अपने खेतों को उन सभी पत्थरों के चंगुल से आजाद कर दिया। यह सब देख गांव के सभी लोग काफी प्रसन्न हुए। पूर्वी खेत ब्राह्मणों के थे और पश्चिमी जमीन पर शुद्र अपनी फसल उगाते थे। 
जब शूद्रों को पता चला कि उनकी जमीन पर ब्राह्मणों ने बड़े-बड़े पत्थरों को फेंक दिया है तो वो अत्यंत क्रोधित हुए और तुरंत ब्राह्मणों के पास जा पहुंचे। 
उन्होंने कहा,” क्या तुमने इन सभी बड़े बड़े पत्थरों को हमारे खेतों में फेंका है ? तुमने अपना उल्लू तो सीधा कर लिया लेकिन हमारी फसल का क्या ? “
ब्राह्मणों ने जवाब देते हुए कहा,” हमने तो अपना काम कर दिया अब तुम्हें जो ठीक लगे तुम करो। ” 
यह सुनकर शूद्र काफी गुस्सा हुए और उन्होंने तुरंत पश्चिमी दिशा के सभी पत्थरों को एक-एक करके पूर्वी दिशा में फेंक दिया। दिन भर यही सब चलता रहा। 
कभी पत्थर पूर्वी दिशा में तो कभी पश्चिमी दिशा में। कुछ देर बाद हारकर सभी लोग बूढ़े बाबा के पास गए। उन्होंने अपनी सभी समस्याओं को उन्हें ठीक से बताया।

Hindi Kahaniyan | Moral Stories | Gaon Ki Kahani| Village Stories | Stories in Hindi | Bed Time Story

बूढे बाबा ने हल बताते हुए कहा,” एक काम करो, तुम इन पत्थरों को पूरे खेत की बजाय खेत के कोने पर इकट्ठा कर दो। बाकी बची हुई जमीन पर तुम फसल उगा पाओगे। ” 
लेकिन इस बार बूढ़े बाबा की बात मानने से सभी लोगों ने इंकार कर दिया।
कुछ देर बाद बूढ़े बाबा ने कहा,” ठहरो ! एक काम करो… मैं आज रात अपने गांव देवता की पूजा करूंगा और उनका ध्यान करूंगा, साथ ही उनसे समस्या का हल भी पूछूंगा फिर अगली सुबह मैं तुम्हें इसका जवाब दूंगा। “
गांव के सभी लोग बूढ़े बाबा की बात से सहमत हुए और उन्होंने कहा कि गांव देवता जो भी कहेंगे हम उनके आदेश का पालन करेंगे। 
अगली सुबह बूढ़े बाबा के पास सभी लोग इकट्ठा हुए और अपनी समस्या का समाधान पूछने लगे। 
बूढ़े बाबा ने कहा,” गांव देवता ने कहा है कि हमारे यहां की सबसे ऊंची चट्टान पर उनका एक विशाल मंदिर बनवाया जाए और साथ ही यह भी कहा है कि हम सबके घर उस मंदिर के आस-पास ही होने चाहिए।
गांव के सभी लोग इस बात से सहमत हुए और मंदिर बनवाने का काम शुरू दिए। सभी लोगों ने मिलजुल कर एक एक पत्थर को ऊपर चट्टान पर ले जाना शुरू कर दिया। 
भारी पत्थरों को तोड़ लिया गया और छोटे छोटे पत्थरों में बदलकर उन्हें घर बनाने में इस्तेमाल कर लिया। कुछ ही दिनों में एक विशाल मंदिर और उसके आसपास घर भी बनकर तैयार हो गए।
यह देख कर गांव के सभी लोग काफी खुश हुए। अब ब्राह्मण और शुद्र दोनों के खेतों से पत्थरों का नामोनिशान भी मिट चुका था। क्योंकि सारे पत्थर मंदिर और घर बनाने में इस्तेमाल हो चुके थे। 

Hindi Kahaniyan | Moral Stories | Gaon Ki Kahani| Village Stories | Stories in Hindi | Bed Time Story

अब उनकी जमीन पहले की तरह स्वतंत्र हो चुकी थी और वे उस पर पहले की तरह फसल भी उगा सकते थे। अब उन्हें गांव छोड़कर जाने की भी कोई जरूरत नहीं थी। 
साथ ही चतुर बूढ़े बाबा ने अपने दिमाग का इस्तेमाल करके उन सभी लोगों की समस्या को भी सुलझा दिया। 
अब ब्राह्मण और शूद्र दोनों एक साथ उन्हीं घरों में रहते और उस मंदिर के सभी कार्यों को पूरा करते। गांव में पहले की तरह ही खुशहाली और भाईचारा बन गया।

इस कहानी से आपने क्या सीखा ? नीचे Comment में हमें जरूर बताएं।

Leave a Comment