हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” चमत्कारी दोस्त ” यह Bedtime Story एक है। अगर आपको Hindi Stories, Moral Story in Hindi या Hindi Fairy Tales पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Chamatkari Dost | Hindi Kahaniya| Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales
चमत्कारी दोस्त
बसंतपुर के नजदीक निमहियां नामक गांव में जग्गी, कालू और गोलू नाम के तीन लड़के रहते थे।
शहर की भागदौड़ से कोसों दूर घनघोर जंगल को पार करते हुए गांव तक पहुंचने की पगडंडी जाती थी।
जग्गी गांव में एक कुम्हार का बेटा था। जबकि गोलू के पैदा होने के तीन साल बाद उसके माता – पिता बकरी चराते वक्त जानवर के हमले से गुजर गए थे।
तब अनाथ हो चुके तीन साल के गोलू को कालू के घरवालों ने पाला था। कालू गांव के ही जमींदार का बेटा था।
बड़ा होने पर गोलू बकरियों को संभालने लगा और अपने माता पिता के बनाए झोपडी में वापस रहने लगा।
गोलू,” अंधेरा होने से पहले ही खाना बनाकर रख लेता हूँ, वरना दिक्कत हो जाएगी। “
बचपन से ही जग्गी अपने पिता के साथ मिट्टी के बर्तन बनाने में उनका सहयोग करता आया था। साथ ही उसने अपने पिता से बर्तन बनाना भी सीख लिया।
जग्गी,” पिता जी, देखिये तो ज़रा… ये सही बनी है ना। “
जग्गी के पिता,” हाँ बेटा, इसमें पूछने वाली कौन सी बात है ? तू तो बहुत खूबसूरत बर्तन बनाता है। जग्गी तेरे हाथ में तो जादू है।
तेरे हाथ से बने हुए मिट्टी के बर्तन लोहे की तरह इतने सख्त बनते हैं कि कितनी भी ऊंचाई से गिर जाए पर टूटते नहीं है, हां। ये तो तुझे वरदान है भैया वरदाना। “
जग्गी के हाथ में ऐसा क्या जादू था ? ये तो जग्गी भी नहीं जानता था। पर उसके इस जादू से वो अच्छे खासे बर्तन का व्यापार कर लेता था।
आदमी,” और जग्गी बेटा, पता है ? कल मेरे मुन्ना ने गुस्से में मटकी को जमीन पर फेंक दिया। मुझे तो लगा मटकी टूट गयी होगी।
मगर मटकी तो एकदम सही सलामत थी भाई। फिर याद आया, ये मटकी तो तूने बनाई है। अरे भाई ! इतनी जल्दी कैसे टूटेगी ये ? ”
जग्गी,” धन्यवाद चाचा जी, वैसे कुछ और चाहिए होगा तो बताइयेगा। ”
आदमी,” हाँ हाँ, जरूर… जरूर भैया, जरूर बताएंगे। बहुत बढ़िया, बहुत बढ़िया। “
गांव में बेहद शांति रहती थी। गोलू अपने माता पिता की ही तरह जंगलों में अपनी बकरियों को चराने लेकर जाता था। गोलू जानवर की दहाड़ को कोसों दूर से सुनकर महसूस कर सकता था।
बकरियां चराते हुए गोलू को बहुत दूर से बाघ के दौड़ने की आवाज़ आ जाती।
गोलू,” अरे ! ये बाघ तो दौड़ता हुआ हमारी तरफ ही आ रहा है। जल्दी बकरियों को लेकर यहाँ से भागना होगा। ”
जल्दी गोलू अपनी बकरियों को लेकर घर वापस आता है। इस तरह गोलू ने अपनी बकरियों को उस बाघ के हमले से बचा लिया।
गोलू,” बाप रे ! आज तो बाल बाल बच गया। ”
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कालू गांव के जमींदार का बेटा था। इसलिए गांव में उसे हर कोई पहचान ता था और उसकी किसी भी शरारत पर उसे माफ़ कर दिया जाता था।
गोलू,” भाई तू भी आम तोड़ने आ गया। हमें कोई देख लेगा तो बहुत सुनाएगा, कह रहा हूँ। “
कालू,” अभी आ रहा हूँ। थोड़े आम तो तोड़ लूं। ”
बचपन से ही कालू के पैरों में एक ऐसी पकड़ बनी हुई थी जिसकी बदौलत वह मिनटों में ऊंचे से ऊंचे पेड़ पर चढ़कर फल तोड़ लाता था।
गोलू,” भाई जल्दी नीचे आ। कोई आ रहा है ? ”
कालू फटाक से पेड़ के नीचे उतरता है और दोनों वहाँ से भाग जाते है। निमहियां गांव घनघोर जंगल के करीब था।
इस वजह से खतरनाक जंगली जानवर अक्सर गांव तक आ जाए करते थे। लेकिन काफी हफ़्तों से कोई भी जंगली जानवरों के दिखाई देने की खबर नहीं सुनाई दे रही थी।
गोलू – इन बकरियों को घुमाकर लाता हूँ। वरना ये चैन से बैठने भी नहीं देंगी।
गोलू,” चल अब चुप हो जा। लेकर चल रहा हूँ। “
बकरियां चराते हुए गोलू को एक मरे हुए हाथी का शव जंगल में नजर आया जिस पर काफी बड़े और धारदार पंजे के निशान थे।
गोलू,” अरे ! इतनी बेरहमी से किसने इस हाथी को मारा है ? इसके शरीर पर जैसे निशान हैं उससे तो यही लग रहा है की जैसे ये किसी जानवर के पंजे के निशान नहीं ? जरूर कोई और बात ? ”
गोलू ने आवाज़ महसूस करने की कोशिश की तो उसे दूर पहाड़ों के पास से रहस्यमय आवाज सुनाई दी। गोलू को होने वाली किसी अनहोनी का अहसास हो गया था।
वह दौड़कर वापस गांव की तरफ भागा और सीधा कालू के पास आया।
गोलू,” भाई, गजब की कयामत देख कर आ रहा हूँ। मरे हुए हाथी पर बड़े से पंजे के निशान है जो किसी जानवर के भी नहीं लग रहे।
ऐसा लग रहा है जैसे कोई पहाड़ जैसा इंसान उस हाथी की अंतडिया नोच दिया हो ? “
कालू,” क्या ? तुझे ये सब कैसे मालूम कि वो निशान किसी जंगली जानवर के नहीं है बल्कि इंसान के है ? “
गोलू,” भाई, मैंने अपने कानों से उस आवाज को सुनकर महसूस किया। ”
कालू जानता था कि गोलू के सुनने की शक्ति कभी धोखा नहीं खा सकती।
कालू,” अच्छा ऐसा है ? फिर चलो चलकर देखते है। “
गोलू,” अभी इस वक्त ? थोड़ी देर में सूरज डूब जाएगा। “
कालू,” कुछ नहीं होगा। चलो चलते हैं। देखकर आते हैं। डरने से कुछ नहीं होने वाला। ”
जंगल घना था। इस वजह से दूर तक देख पाना संभव नहीं था। पर नदी के पास ही एक ऊंचा शीशम का पेड़ था जो पहाड़ के उस तरफ चोटी से लगा हुआ था, जिसके ठीक दूसरी तरफ के पहाड़ों से वो रहस्यमयी आवाजें आ रही थी।
कालू,” इस पर चढ़कर देखेंगे तो समझ में आ जायेगा कि दूसरी तरफ वाली पहाड़ी पर क्या चल रहा है ? “
गोलू,” कालू भाई, आप ही हो हनुमान। हमने पेड़ों पर चढ़कर आम नहीं तोड़ा है। “
कालू,” ठीक है, मैं देखकर आता हूँ। “
कालू तुरंत ही पूरी फुर्ती से शीशम से होते हुए पहाड़ की चोटी पर चढ़ गया। चोटी पर चढ़ते ही कालू की आंखें भौचक्की रह गई।
कालू,” भाई सच में, कयामत आने वाली है। “
गोलू,” ऐसा क्या देख लिया ? “
कालू,” दूसरी तरफ एक पहाड़ जैसा वन राक्षस अजगर नोचकर खा रहा है। “
गोलू,” मैंने पहले ही बताया था उस आवाज़ के बारे में। चलो अब वापस चलो। गांव वालों को बताते हैं। “
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जंगल से गांव की तरफ वापस जाते वक्त पूरा अँधेरा हो चुका था । गांव तक ले जाने वाली पगडंडियां ठीक से दिखाई देना बंद हो गई थी। अचानक ही कालू और गोलू रास्ता भटक गए।
गोलू,” भाई अंधेरा हो गया है और रास्ता खत्म ही नहीं हो रहा है। “
कालू,” हाँ भाई, मुझे भी ये पगडंडी अनजानी सी लग रही है। लग रहा है हम रास्ता भटक गए हैं। ”
दोनों अपनी जगह पर रुककर इधर उधर देखने लगे। तभी अचानक उन्हें रौशनी दिखाई पड़ी।
गोलू,” भाई उस तरफ देखो, रौशनी सी नजर आ रही है। चलो वहाँ लग रहा है, कोई है ? उस से मदद मांगते हैं। “
कालू,” हाँ चलो, उस तरफ चलो। ”
रौशनी दोनों को जंगल में एक झोपड़ी तक ले गई। जहाँ उन्हें एक वृद्ध फकीर नज़र आया।
फकीर,” आओ बच्चों, मैंने ही तुम्हारा रास्ता बदला है यहाँ तक लाने के लिए। ”
कालू और गोल उस बूढ़े फ़कीर को देख हैरान रह गए।
फकीर,” घबराओ मत बच्चो। सब नियति का लिखा हुआ है। मेरा यहाँ आना और तुम दोनों को यहाँ बुलाना, बस मुझे इतना बताओ कि तुम ने पहाड़ी पर क्या देखा ? “
कालू और गोलू ये समझ चूके थे कि फकीर बाबा से उस वन राक्षस का जरूर कोई संबंध है। कालू और गोलू ने पूरी कहानी उस फकीर को बताई।
फकीर,” मुझे सब मालूम है बच्चो। वो मेरी ही शक्तिओं से बनाई हुई औलाद है और जल्दी ही उसे खत्म नहीं किया गया तो वो इस जंगल के जानवरों के साथ साथ आस पास के सारे गांव और शहरों का सर्वनाश कर देगा। “
कालू,” तो यहां, आपने हमें क्यों बुलाया है बाबा ? और हम क्या कर सकते हैं ? “
फकीर,” इसके लिए तुम दोनों नहीं, तुम तीनों ही इस वन राक्षस को खत्म कर सकते हो। “
कालू,” लेकिन बाबा हम तो दो है। ये तीसरा कौन है बाबा ? “
फकीर,” तीसरा तुम्हें तुम्हारे निमहियां गांव में ही मिल जाएगा। जाओ जाकर खोज करो। “
कालू,” लेकिन उस वन राक्षस को खत्म करने का उपाय क्या है ? ”
बाबा ने पोटली में मिट्टी उन्हें दी।
फकीर,” वो किसी भी खंजर या तलवार से नहीं मरने वाला। उस राक्षस के माथे पर एक छेद है जिसमें इस मिट्टी से बना हुआ खंजर घोपना होगा। उसके अंत का एकमात्र उपाय यही है। ”
बाबा ने कालू और गोलू को उनके गांव तक पहुंचने का रास्ता दिखाया और दोनों यही सोचते हुए अपने गांव पहुँच गए कि आखिर वो तीसरा कौन है
जो कुमार ने में हमारी मदद करेगा ? सोचते सोचते दोनों निमहियां गांव पहुँच गये।
गोलू,” भाई मुझे नींद नहीं आने वाली है आज रात। “
कालू,” हाँ भाई, चलो मंदिर पर बैठकर इस मसले का कुछ हल निकालने की कोशीश करते हैं। ”
रात काफी हो चुकी थी। मंदिर के पुजारी को मंदिर के पास किसी के होने की भनक लगी ? और नजदीक जाकर देखा तो गोलू और कालू उन्हें बैठे हुए मिले।
पुजारी,” बच्चो, यहाँ क्या कर रहे हो ? ”
गोलू ने पुजारी के आगे पहाड़ी से लेकर फकीर की बात बताई।साथ ही उस फकीर बाबा द्वारा दी गई मिट्टी को भी पुजारी के सामने रख दिया।
पुजारी,” गांव के कुम्हार का बेटा, जग्गी बड़े ही मजबूत बर्तन बनाता है। उसके बनाए हुए मटके ऊँचाई से गिरने पर भी नहीं टूटते। भगवान जाने कौन सी शक्ति है उसके हाथों में जो मिट्टी भी लोहे की तरह सख्त बना देता है। “
गोलू,” आप कहना क्या चाहते हैं पुजारी जी ? “
पुजारी,” जाओ उसको कुम्हार के बेटे जग्गी से इस मिट्टी का एक धारदार चाकू बनवा लो जिसकी नोक इतनी तेज हो की पहले ही वार में राक्षस अचेत हो जाये। “
कालू,” उस तक तो मैं पहाड़ी चढ़कर पहुँच जाऊंगा। पर अगर वो मुझ पर हमला कर देगा तो मैं खुद मारा जाऊंगा। “
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पुजारी,” अगर वो हाथी जैसे जानवर को मारकर खत्म कर रहा है, मतलब वो दिन में जागता है। इसलिए हम उम्मीद कर सकते हैं
कि वो रात में अपनी थकान मिटाने को सोता जरूर होगा। आधी रात में उस वन राक्षस को मारने की कोशीश की जा सकती है। “
गोलू को जंगल के फकीर बाबा के बताए तीसरे इंसान का भी पता चल चुका था। दोनों ने रात में ही जग्गी के पास पहुँचकर उसे पूरी बात बताई और उसे फकीर बाबा के दिए हुए मिट्टी का हथियार बनाने को राजी किया।
जग्गी,” भाई बना लूँगा मैं हथियार, पर इसे सूखने में कल दोपहर हो जाएगी। “
कालू,” ठीक है, कोई बात नहीं। वैसे भी हम दोनों कल रात में जाएंगे। “
जग्गी,” दोनों नहीं तीनों, मैं आप दोनों के साथ चलूंगा। ये गांव मेरा भी है। ”
दोनों ने दो से भले तीन बनकर जग्गी को भी अपनी इस मुहिम में साथ ले लिया।
अगली रात पहाड़ी के नजदीक पहुंचते ही गोलू ने वन राक्षस के खर्राटों की आवाज को महसूस कर लिया। चौबीस घंटे में सूखकर सख्त मिट्टी का हथियार भी तैयार हो चुका था।
कालू ने हिम्मत करके वन राक्षस की पहाड़ी पर पेड़ों के सहारे चढ़ाई कर दी।
जग्गी,” भाई, मैं चलूँगा पहाड़ी पर तुम अकेले मत जाओ। “
गोलू,” हाँ भाई, हम दोनों आ रहे हैं। “
कालू,” तुम दोनों चढ़ कैसे पाओगे ? पहाड़ी पर कहीं नीचे इंतज़ार करो। ”
गोलू,” तुम रास्ता दिखा दो, हम चढ़ जाएंगे। “
कालू,” ठीक है, मेरे पीछे पीछे आओ और आराम से वरना फिसल जाओगे। ”
तीनों किसी तरह कालू की मदद से पहाड़ी पर चढ़ गए।
वन राक्षस सो रहा था। पर अचानक उसके घर्राटों का शोर थम गया।
कालू,” छुप जाओ, वो जागने वाला है। इधर आ जाओ। इस पत्थर के पीछे से नहीं देख पाएगा वो। “
वन राक्षस को इंसानी महक आ गयी थी।
कालू,” सुनो… एक तरीका है मेरे पास। मैं वन राक्षस का ध्यान अपनी तरफ लाऊंगा, तुम दोनों पीछे से उस पर हमला कर देना। “
गोलू,” भाई खतरा है। “
कालू,” उस वन राक्षस से बड़ा और क्या खतरा हो सकता है ? जान बचानी है तो चलो कोशिश करो। ”
कालू अचानक से पहाड़ी के कोने में जाकर राक्षस के सामने खड़ा हो गया।
कालू,” ओ राक्षस ! इधर देख ज़रा…। ”
वन राक्षस भागते हुए कालू की तरफ झपटा। जैसे ही वन राक्षस कालू के नजदीक जाकर उस पर झपटा।
कालू पहाड़ी के कोने में लटकी पेड़ों की बेल के सहारे कूद कर दूसरे पेड़ पर चला गया। भारी शरीर के साथ वन राक्षस हवा में खुद को संभालने की कोशिश कर रहा था।
कालू,” गोलू राक्षस को धक्का दो, जग्गी राक्षस को धक्का दो। “
गोलू,” भाग जग्गी… राक्षस को धकेलना है तो। अभी वो खुद को संभाल रहा हैं। अच्छा मौका है। ”
गोलू जग्गी ने एक साथ पूरे जोर के साथ अपना दम लगाकर राक्षस के ऊपर कूद कर धक्का दिया। राक्षस पहाड़ी से गिरते हुए दो पेड़ों के बीच जाकर फंस गया।
अगल बगल पहाड़ी के बने गड्डे थे, जिसकी वजह से राक्षस हिल भी नहीं पा रहा था।
वन राक्षस,” हो हो, आई…। “
कालू,” ये लो जादुई मिट्टी का कंजर वन राक्षस के माथे में मार दो। जाओ जल्दी करो। ”
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उन दोनों ने फकीर बाबा के बताए अनुसार उस राक्षस के माथे पर बने छेद पर पूरी तेजी से हमला किया। वन राक्षस पेड़ों के बीच अचेत हो गया।
जोरदार बरसात शुरू हो गई। वन राक्षस के माथे पर गड़ा हुआ मिट्टी का हथियार वही धुल गया और वन राक्षस का अंत हुआ।
इस तरह जग्गी, गोलू और कालू को मिली प्राकृतिक शक्तियों की बदौलत निमहियां गांव और जंगल की रक्षा हुई।
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