नफ़रत – ए – इश्क : (भाग – 1) – Love Story in Hindi | Best Love Story in Hindi

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हेलो दोस्तों ! कहानी की इस नई Series में हम लेकर आए हैं आपके लिए एक और नई कहानी। आज की कहानी का नाम है – ” नफ़रत – ए – इश्क “। यह इस कहानी का (भाग -1) है। यह एक Hindi Kahani है। कहानी को पूरा जरूर पढ़ें। तो चलिए शुरू करते हैं…
नफ़रत - ए - इश्क : (भाग - 1) - Love Story in Hindi | Best Love Story in Hindi

New Hindi Love Story |Best Love Story in Hindi | Love Story 2022

 नफ़रत – ए – इश्क : 1 

जल्दी करो बेटा… तुम्हें यहां से निकलना होगा। अगर वो लोग आ गए… तो तुम्हें जान से मार देंगे।

लेकिन मौसी मैं कहां जाऊंगी। अभी तक मौसा जी भी घर नहीं आए हैं। सोनू भैया और सोनी जी वे दोनों दिखाई भी नहीं दे रहे। आप मुझसे जरूर कुछ छुपा रहे हैं।

मौसी – बातें करने का टाइम नहीं है। सोनू और सोनी दोनों को मैंने अपनी बुआ के पास भेज दिया है। तुम्हारे बैग में मैंने कुछ पैसे और डाक्यूमेंट्स रख दिए हैं। 

तुम्हारी फ्रेंड आज सेमिनार के लिए चंडीगढ़ जाने वाली है, तो उन्हीं लोगों के साथ तुम भी ट्रिप पर चली जाओ।

अपना फोन बंद करके रखना और किसी से भी अपना सही एड्रेस और नाम नहीं बताना। अपना सब आइडेंटिटी छिपाकर ही रखना। 

अगर तुम्हें मुझसे कांटेक्ट करना हो तो बगल वाली सरला आंटी के मोबाइल पर दोपहर के 12:00 बजे या शाम के 5:00 बजे कांटेक्ट करना। 
जब तक मैं ना कहूं तुम यहां लौट कर मत आना और हो सके तो तुम उधर से ही मुंबई चली जाना और एक अच्छी सी जॉब ढूंढ लेना लेकिन अपनी पहचान किसी को नहीं बताना।

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मौसी उसको पीछे के रास्ते से निकाल देती है और उसके माथे को चूम कर… अपना ख्याल रखना, रेशमा बेटा…।

रेशमा को रात के अंधेरे में पीछे से निकालकर उसकी मौसी दरवाजा बंद कर देती है और चुपचाप जाकर हॉल में बैठ जाती है।
इधर रेशमा अपने माथे को दुपट्टे से अच्छे से ओढ़ लेती है जैसे उसकी मौसी ने कहा था। और छुपती – छुपती रेलवे स्टेशन अपने फ्रेंड लोग के ग्रुप में शामिल हो जाती है। 
अभी वह अपनी फ्रेंड से कुछ नहीं बोलती। तभी ट्रेन आ जाती है और सारे लोग उसमें चढ़ जाते हैं।

दूसरी तरफ हरियाणा में राणा फैमिली जिसे अपनी शानो, शौकत, और प्रतिष्ठा के ऊपर बहुत ज्यादा घमंड था। उनके पास पैसे की कोई कमी नहीं थी। जो चीज बोली जाती थी वह चीज हाजिर हो जाती थी।

सतपाल राणा गांव का प्रधान है। गांव में कोई भी गलत काम हो या दुख दर्द, उसका फैसला सतपाल राणा जी करते थे। यहां की पुलिस और कानून व्यवस्था को अपनी मुट्ठी में करके रखी हुई थी। कोई उनके खिलाफ जाने के बारे में सोचता भी नहीं था।

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इनकी पर्सनालिटी कड़क स्वभाव की थी। अपने खानदान के नाम पर कोई आंच आने पर यह एक खूंखार आदमी भी बन जाते थे। उन्हें सही गलत का कोई होश नहीं रहता था। गलती कोई भी करे लेकिन छोड़ते नहीं थे चाहे वह उनका खुद का बेटा ही क्यों ना हो।

इस कहानी का यह अध्याय यहीं समाप्त होता है अगर आप इस कहानी को आगे भी पढ़ना चाहते हैं तो इस कहानी का अगला भाग जरूर पढ़ें।

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