हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – नरभक्षी। यह एक Haunted Story है। तो अगर आपको भी Darawani Kahaniya, Bhutiya Kahani या Horror Story पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Narbhakshi | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Haunted Stories in Hindi
नरभक्षी
रात के करीब 1 बज रहा था। गाँव के शमशान घाट पर कुछ लोग जमा हुए थे। वैसे तो शमशान घाट पर औरतों का जाना मना होता है पर वहाँ कुछ औरतें भी मौजूद थी।
शायद किसी की मौत हो गई थी। लेकिन न जाने वो कौन अभागा था ? जिसकी मौत होने पर भी किसी की आँखों से एक बूँद आँसू भी नहीं टपक रहा था।
वो सब लोग शांत खड़े एक एक करके सामने रखी चिता पर लकड़ियाँ डालते जा रहे थे। लकड़ियाँ डालने के बाद सभी लोग पीछे हट गए।
आखिरी एक आदमी आगे आया। उसकी वेशभूषा से वो गाँव का कोई तांत्रिक लग रहा था। वो तांत्रिक चिता के सामने आकर खड़ा हो गया और कोई मंत्र पढ़ने लगा।
फिर उस तांत्रिक ने अपना सिर पीछे घुमाकर किसी को इशारा किया। पीछे खड़े लोगो में से एक आदमी सामने आया।
वो आदमी बहुत डरा हुआ था। आस पास तेज ठंडी हवाएं चल रही थी। फिर भी न जाने क्यों उसका चेहरा पसीने से तर बतर हुआ जा रहा था ?
तभी तांत्रिक ने अपने हाथ में रखी मशाल जला दी और उस आदमी के हाथों में थमा दी। मशाल पकड़ते ही डर के मारे उस आदमी के हाथ कांपने लगे।
फिर भी वो अपने कांपते हुए हाथों में मशाल लिए चिता की तरफ बढ़ने लगा। वो चिता को आग लगाने ही वाला था कि तभी उसे पुलिस की गाड़ी की साइरन सुनाई दी।
उस आदमी ने जल्दी चिता को आग लगा दी और जोर जोर से रोता हुआ वहाँ से हट गया। तभी पुलिस की गाड़ी वहाँ पहुँच गई।
चिता अभी जलनी शुरू हुई हुई थी कि दो पुलिस वाले गाड़ी से उतरे और गाड़ी पर रखे पानी के कंटेनर लेकर चिता की तरफ बढ़े। उन्होंने पानी डालकर चिता की आग बुझा दी।
फिर पुलिस की गाड़ी से एक औरत रोती हुई बाहर निकली। वो दौड़ती हुई चिता के पास आई और चिता से लकड़ियाँ हटाने लगी।
उसने चिता पर रखी सारी लकड़ियां हटा दीं। चिता पर एक लड़का था जिसके हाथ और पैर रस्सियों से बंधे हुए थे।
उसका मुंह एक काले कपड़े से ढका हुआ था। उस औरत ने जैसे ही लड़के के चेहरे से कपड़ा हटाया, उस लड़के ने गहरी सांस ली और एक शब्द कहा।
लड़का,” माँ, मुझे बचा लो माँ। “
पुलिस वाले यह देख कर दंग रह गए। तभी उस लड़के की माँ ने चिता जलाने वाले उस आदमी की तरफ इशारा करते हुए दरोगा से कहा।
औरत,” दरोगा जी, इस आदमी को छोड़ना नहीं। ये इंसान नहीं हैवान है। इसने अपने ही बेटे को जिंदा जलाने की कोशिश की है। “
यह सुनकर पुलिस वाले हैरान हो गए। उनके मन में कई सवाल उठ रहे थे कि आखिर ये कैसा बाप है जो अपने ही बेटे को जिंदा जलाने वाला था। तभी लड़के के पिता किशोर ने मिथिला से कहा।
किशोर,” मिथिला, ये तुमने क्या कर दिया ? तुम इसे बचाकर ठीक नहीं कर रही हो। हट जाओ हमारे रास्ते से। “
तभी गाँव की कुछ औरतें मिथिला को पकड़कर खींचती हुई वहाँ से ले जाने लगीं। मिथिला चीखने चिल्लाने लगी।
मारिया,” दरोगा जी, मेरे बेटे को बचा लीजिये। ये दरिंदे उसे मार डालेंगे। “
किशोर,” दरोगा जी, यह हमारे गाँव का मामला है। आप इस मामले में न ही पड़े तो अच्छा होगा। आप लोग यहाँ से चले और हमें अपना काम करने दीजिये। “
पुलिस वाला,” आखिर ये कैसी दरिंदगी है जो एक मासूम लड़के को जिंदा जला रहे हो ? आखिर इसने तुम लोगों का क्या बिगाड़ा है ? “
किशोर,” दरोगा जी, ये कोई मासूम लड़का नहीं है, यह 1 नरभक्षी राक्षस है। इसने गाँव के मासूम लोगों का शिकार कर के उन्हें जिंदा ही खा लिया है। “
पुलिस वाला,” अब बस बहुत हुआ। ऐसी मनघड़न कहानियां मैं बहुत सुन चुका हूँ। यह बस तुम लोगों का अंविश्वास है और कुछ नहीं। सीधी तरह से उस लड़के को छोड़ दो वरना हमें सख्त कदम उठाने पड़ेंगे। “
पुलिस वाला,” हवलदार, जाओ लड़के को ले आओ। “
तभी गाँव का एक आदमी हीरा बोल पड़ा।
हीरा,” दरोगा जी, आपने इसे बचा तो लिया लेकिन हम इसे इस गाँव में नहीं रहने देंगे। इसे गाँव छोड़कर जाना होगा। “
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मिथिला,” ठीक है। अगर आप सब यही चाहते हैं तो मैं अपने बेटे को लेकर यहाँ से दूर चली जाऊंगी। “
इस शर्त पर गाँव वालों ने रघु को छोड़ दिया। मिथिला अपने बेटे को लेकर गांव से दूर जंगल में एक झोपड़ी बनाकर रहने लगी।
फिर एक रात हीरा अपने खेतों से काम करके घर लौट रहा था। अक्सर तो वो जल्दी घर लौट जाया करता था। लेकिन आज उसे घर लौटने में देरी हो गयी।
दिन ढल चुका था। वो हाथ में टोर्च लिए डरा सहमा बस चलता ही जा रहा था। रास्ता कच्चा और सूनसान था।
आस पास पेड़ पौधे और झाड़ियां थीं। तभी उन झाड़ियों में कुछ हलचल हुई।
हीरा घबरा कर वहीं रुक गया। उसने टोर्च की रोशनी झाड़ियों की तरफ की लेकिन वहां कोई नहीं था।
हीरा फिर अपने रास्ते चलने लगा। उसके कदमों के साथ किसी और के भी कदमों की आहट साफ सुनाई दे रही थी। मानो कोई हीरा का पीछा कर रहा हो।
हीरा मुडकर पीछे देखना चाहता था पर वो इतना डरा हुआ था कि उसके पीछे मुड़ने की हिम्मत नहीं हो रही थी। वो बस सामने देखता हुआ चलता ही जा रहा था कि तभी किसी ने उसकी पीठ पर तेज धारदार नाखून से हमला किया।
हीरा की पीठ खून से लतपत हो गई। लेकिन उसने अभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और वो जितनी तेज हो सके, भागने लगा।
पर वो अपनी मौत से ज्यादा दूर नहीं भाग पाया। क्योंकि अचानक उसके सामने एक शैतान आकर खड़ा हो गया।
वो शैतान अपनी बड़ी काली आँखों से हीरा की तरफ देखने लगा। शैतान के पंजे इतने बड़े और नुकीले थे कि किसी भी इंसान को एक बार में ही चीर के रख दे।
हीरा उसे देखकर बहुत डर गया। वो मदद के लिए जोर जोर से चिल्लाने लगा। उस दिन उसकी किस्मत अच्छी थी कि कुछ गाँव वाले आस पास ही थे।
वो हीरा की आवाज सुनकर तुरंत भागे चले आए। गाँव वालों को आता देख शैतान हीरा को छोड़कर वहाँ से भाग गया। हीरा बेहोश होकर वहीं गिर पड़ा।
लोग हीरा को पास के अस्पताल में ले आए। थोड़ी देर बाद उसे होश आ गया। लेकिन वो उठते ही बहुत चीखने चिल्लाने लगा।
हीरा,” बचाओ, बचाओ मुझे वो मुझे मार डालेगा। बचाओ मुझे। वो नरभक्षी वापस आ गया है। उसने मुझे मारने की कोशिश की।
उस शैतान को हमें उसी दिन खत्म कर देना था। अब वो हम में से किसी को भी जिंदा नहीं छोड़ेगा। मुझे… मुझे किशोर के पास जाना है। मुझे… मुझे उसे सब कुछ बताना होगा। “
हीरा कुछ लोगों के साथ तुरंत किशोर के घर गया। लेकिन किशोर अपने घर पर नहीं था। उसके घर पर ताला लगा हुआ था।
हीरा किशोर के घर के सामने बैठ गया और उसका इंतज़ार करने लगा। इधर दूसरी तरफ किशोर जंगल में अपनी पत्नी और बेटे को ढूंढ रहा था।
तभी उसे लालटेन की रोशनी दिखाई दी। किशोर समझ गया की उसकी पत्नी और बेटा वही होंगे।
किशोर तुरंत भागकर गया और घर का दरवाजा जोर जोर से खटकाने लगा। फिर मिथिला वहाँ आई और दरवाजा खोली।
किशोर,” बता तूने उस दरिन्दे नरभक्षी को कहाँ छुपाकर रखा है ? आज मैं उसे खत्म कर दूंगा। उसने फिर से गाँव के लोगों को मारना शुरू कर दिया है। आज मैं उसे खत्म कर के ही रहूंगा। “
मिथिला,” किशोर, शांत हो जाओ। मेरे बेटे ने कुछ नहीं किया। वो हर पल मेरे साथ ही था, मेरी आँखों के सामने। फिर वो किसी की जान कैसे ले सकता है ? “
किशोर,” देखो मिथला, मुझे पता है कि तुम एक माँ होने का फर्ज निभा रही हो। तुम अपने बेटे को खोना नहीं चाहती।
इसलिए मुझसे झूठ बोल रही हो। लेकिन मिथिला उस नरभक्षी के लिए तुम भी बस एक शिकार की तरह हो।
अगर कल को उसे कोई शिकार नहीं मिला तो वो तुम्हे भी जिंदा खा जाएगा। अब हटो मेरे रास्ते से। “
किशोर मिथिला को धक्का मारता हुआ अंदर चला आया। उसे रघु कहीं नजर नहीं आ रहा था।
फिर उसे सामने एक कमरा दिखा। किशोर लालटेन लेकर तुरंत उस कमरे में गया। उस कमरे में जाते ही उसने कुछ ऐसा देखा कि जिससे उसके पैरों तले जमीन खिसक गई।
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उसने देखा की सामने रघु का कटा हुआ सिर जमीन पर पड़ा हुआ था। रघु का आधा खाया हुआ शरीर किशोर के कदमों के सामने पड़ा हुआ था।
वो घबराता हुआ कमरे से बाहर भागा। वो जैसे ही बाहर निकला, सामने मिथिला खड़ी थी। मिथिला के चेहरे पर एक हल्की मुसकान थी।
किशोर उसे देखकर चौंक गया। फिर देखते ही देखते मिथिला शैतान में बदलने लगी। उसका शरीर भयानक हो गया। उसके हाथों से धारदार पंजे बाहर निकल आये। अब वो पूरी तरह शैतान बन चुकी।
किशोर उसे देखकर थर थर कापने लगा। वो तुरंत वहाँ से भागा। भागते वक्त वो सिर्फ एक ही शब्द बोले जा रहा था।
किशोर,” बेटा, मुझे माफ कर देना। मैंने तुम्हे गलत समझा। “
किशोर गाँव की तरफ भागने लगा। लेकिन इससे पहले कि वो गाँव पहुँच पाता, नरभक्षी ने उसे सामने से घेर लिया।
उसने अपने धारदार पंजे किशोर के आर पार घुसा दिए और उसे खींचती हुई घने जंगल में ले गई। हीरा किशोर का इंतज़ार कर रहा था।
लेकिन किशोर का गाँव वालों को कभी पता नहीं चल पाया कि वो नरभक्षी रघु नहीं बल्कि उसकी माँ, मिथिला थी। वो हर रोज किसी न किसी गाँव वाले का शिकार करती रही।
फिर डर के कारण सारे गाँव वाले गाँव छोड़कर कहीं और चले गए।
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