बहन बनी देवरानी | Bahan Bani Devarani | Saas Bahu | Moral Stories | Saas Bahu Ki Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “ बहन बनी देवरानी ” यह एक Saas Bahu Ki Kahani है। अगर आपको Hindi Kahani, Moral Story in Hindi या Bedtime Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
बहन बनी देवरानी | Bahan Bani Devarani | Saas Bahu | Moral Stories | Saas Bahu Ki Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories

Bahan Bani Devarani | Saas Bahu| Moral Stories | Saas Bahu Ki Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories

 बहन बनी देवरानी 

प्रीती,” मम्मी, मैं आपको कितनी बार मना कर चुकी हूँ कि मैं जिस घर में किसी को जानती नहीं पहचानती नहीं, उस घर में मैं शादी कैसे कर सकती हूं ? मैं तो ससुराल में बिल्कुल अकेली पड़ जाऊंगी। “
मां,” पर प्रीती बिटिया, एक न एक दिन तो हर लड़की को अपने ससुराल जाना ही पड़ता है और ये तो हर लड़की के साथ होता है। 
ससुराल में जाकर एक दूसरे को पहचानना, सबके दिलों में जगह बनाना, सबसे प्यार बांटना… यही तो रीत है। “
कोमल (प्रीती की बड़ी बहन),” मम्मी, अगर इसे ऐसी जगह शादी नहीं करनी जहां इसे कोई नहीं जानता ना हो, तो ऐसी जगह तो कर सकती है ना जहाँ ये किसी को जानती हो, कोई इसका साथी हो। “
प्रीती,” अरे कोमल दीदी ! अच्छा हुआ आप आ गए। मम्मी को देखो ना… कब से शादी कर ले, शादी कर ले बोल रही है। 
जब मैंने बोल दिया कि मुझे अभी शादी नहीं करनी तो क्यों बार बार मम्मी जिद कर रही हैं ? “
कोमल,” ठीक ही तो कह रही है मम्मी, एक ना एक दिन तो शादी करनी है तो क्यों ना समय रहते खुशी का काम ठीक ठाक हो जाये ? 
वैसे अगर तुम कहो तो मैं तुम्हें एक सलाह दे सकती हूँ। मेरा इकलौता देवर, मोहित अभी नई नई नौकरी पर लगा है और माँ बाबूजी उसके लिए लड़की देख रहे हैं पर मोहित को अभी कोई लड़की पसंद नहीं आ रही है। 
अगर आप की रजामंदी हो तो मैं प्रीती के लिए अपने देवर से बात करूँ, मम्मी ? “
मां,” ये तो बहुत अच्छा रहेगा, कोमल बिटिया। अगर तेरे ससुराल वाले इस बात के लिए मान जाते है तो तेरे पापा और मुझे तो कोई ऐतराज नहीं। “
कोमल,” और प्रीति तू बता..? “
प्रीती,” मुझे क्या पता दीदी..? आपको जो ठीक लगे, वैसे करो। अच्छा मैं अभी आती हूँ। “
प्रीती शर्मा करो अपने कमरे में चली जाती है। प्रीती और कोमल दोनों सगी बहन थीं। कोमल की शादी शहर के एक बड़े ऊंचे घराने में हुई थी। 
कोमल प्रीती की शादी की बात अपने देवर से करती है। सब लोग इस रिश्ते के लिए मान जाते है क्योंकि प्रीति के स्वभाव को सब जानते थे।
सबकी रजामंदी से खुशी खुशी रिश्ता तय हो जाता है और प्रीती और मोहित की शादी हो जाती है। 
प्रीती नई नवेली दुल्हन बनी नये नये सपने संजोए अपने ससुराल आती है। सब कुछ बहुत अच्छे से चल रहा था। 
दोनों बहनें मिलकर खुशी खुशी घर का काम निपटाती। घर का माहौल बहुत ही शांतिपूर्ण था। 
पर कहते हैं ना… जहाँ चार बर्तन होते हैं वो कभी ना कभी बज ही जाते है। कोमल की सास प्रीती के स्वभाव से बहुत खुश थी। 
एक दिन सास का एकादशी का व्रत था। कोमल थोड़ी देर से सोकर उठी इसलिए प्रीती ने सास के लिए फलाहार की कई सारी चीजें बना डाली। ये देखकर सास बहुत खुश हुई। 
सास,” प्रीती बहू, मैं तो धन्य हो गई जो तुम जैसी बहू ऊपर वाले ने मुझे दी। मेरी दोनों बहुएं लाखों में एक है। वैसे तुमने तो फलाहार कितनी सारी चीजें बना डाली ? मेरा तो पेट अच्छे से भर गया। “
प्रीती,” मां जी, आपको फलाहार पसंद आया, यह मेरे लिए बहुत खुशी की बात है। “
अपनी सास की प्रशंसा की हकदार पहले अकेली कोमल हुआ करती थी पर अब सास का प्यार बंट गया था। 
प्रीति की तारीफ सुनकर कोमल को अपनी बहन से थोड़ी ईर्ष्या होने लगी। इसलिए उसके व्यवहार में बदलाव आने लगा। 
प्रीती,” कोमल दीदी, देखना… मैं कड़ी बना रही थी। पकौड़ों के लिए इतना बेसन काफी रहेगा ना ? “
कोमल,” देखो प्रीति… अब तुम मेरी छोटी बहन नहीं हो, तुम मेरी देवरानी हो इसलिए घर की जिम्मेदारियां सीख जाओ। 
अब हर समय मैं तुम्हे थोड़े ही बताती रहूंगी कि क्या सही है और क्या गलत है ? खुद भी तो बनाना सीखो और वैसे भी मुझे बहुत सारे काम है। “
आज से पहले कोमल ने प्रीति से कभी ऐसे बात नहीं की थी पर प्रीती इस बात पर ध्यान नहीं देती। 
अब तो कोमल अक्सर प्रीती को नीचा दिखाने की भी कोई कसर नहीं छोड़ती थी। 

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एक दिन प्रीती ने गलती से दाल में देसी घी के तड़के की जगह तेल का तड़का लगा दिया जिस पर कोमल उसे टोकने लगी। 
कोमल,” प्रीति, तुम्हें पता है ना कि मां जी को देसी घी के तड़के वाली दाल पसंद है ? फिर तुमने तेल का तड़का क्यों लगा दिया ? “
प्रीती,” दीदी, वो देसी घी मुझे मिली नहीं रहा था। मैंने पूरी रसोई में देखा इसलिए मैंने तेल का तड़का लगा दिया। “
कोमल,” छह महीने तुम्हारी शादी को हो गए हैं, कब तक मैं ही रसोई के सामान की देखभाल करती रहूंगी। तुम्हे भी तो देखना चाहिए। 
देसी घी हमेशा भंडार घर में रखा होता है। एक बार वहाँ जाकर देख लेती, कम से कम ये गलती तो नहीं होती। एक बात कान खोलकर सुन लो… यहाँ तुम मेरी बहन नहीं देवरानी हो। 
कभी ये सोचो कि दीदी – दीदी करके तुम मेरी मदद लेकर घर में सबकी तरफदारी बटोरती रहोगी और मैं चुपचाप देखती रहूँगी। “
सास,” कोई बात नहीं कोमल बहू, इस पर इतना गुस्सा होने वाली क्या बात है ? कभी कभी देसी घी ना हो तो तेल के तड़के वाली दाल खाने में मुझे कोई परेशानी नहीं है और वैसे भी तेल के तड़के में भी दाल बड़ी स्वादिष्ट लग रही है। 
मुझे प्रीती ने ऊपर से सफेद मक्खन डालकर दिया था और मखनी दाल तो मक्खन डालकर वैसे ही बहुत स्वादिष्ट हो जाती है। “
प्रीती की तरफदारी करती हुई अपनी सास को देखकर कोमल गुस्से से भर जाती है और पैर पटकती हुई अपने कमरे में चली जाती है। 
कोमल ने प्रीती से बात करना भी बंद कर दिया था। इस वजह से प्रीती का मन बहुत परेशान रहता था। कोमल की आँखों पर तो जलन की पट्टी बंधी हुई थी। 
एक दिन…
सास,” क्या हुआ कोमल..? तबियत तो ठीक है, आज सुबह से ही सो रही हो ? अरे ! तुम्हें तो बहुत तेज बुखार है। “
कोमल,” माँ जी, मेरा सिर दर्द से फट रहा है, बड़ी घबराहट भी हो रही है। “
सास,” प्रीती बहू, जल्दी आओ। देखो कोमल बहू बुखार से तप रही है और इसने किसी को कुछ नहीं बताया। सूरज भी शहर से बाहर गया हुआ है। “
प्रीती,” कोमल दीदी, आपने मुझे बताया क्यों नहीं ? घबराओ नहीं, मैं अभी मोहित को फ़ोन करती हूँ। वो ऑफिस नहीं पहुंचे होंगे, रास्ते में ही होंगे। “
प्रीती,” हैलो मोहित ! आप तुरंत घर आ जाओ, दीदी की तबियत ठीक नहीं है। वो वो बुखार से तप रही है। मुझे तो बहुत घबराहट हो रही है। “
मोहित (प्रीती का पति),” घबराओ नहीं प्रीति, मैं अभी आता हूँ। चिंता मत करो। “
प्रीती दीदी – दीदी करके रोना शुरू कर देती है। इतनी देर में मोहित घर आ जाता है। वो लोग कोमल को लेकर अस्पताल पहुंचते हैं। 
कोमल का बुखार सिर पर चढ़ गया था। प्रीती अपने मम्मी पापा को भी फ़ोन कर देती है। 
वो लोग भी अस्पताल पहुंचते हैं। प्रीती रो रोकर डॉक्टर से अपनी दीदी को ठीक करने की बात कह रही थी।
प्रीती (रोते हुए),” डॉक्टर साहब, डॉक्टर साहब… मेरी दीदी ठीक हो जाएगी ना ? प्लीज़… आप उनका अच्छे से इलाज कीजिए। मेरी दीदी को ठीक कर दीजिये डॉक्टर। “
एक हफ्ते बाद कोमल की तबियत में सुधार आता है और उसे हॉस्पिटल से छुट्टी मिल जाती है। 
प्रीती ने कोमल की अस्पताल में भी बहुत सेवा की और घर आने के बाद भी उसका बहुत ध्यान रखा। 
प्रीती अकेले ही घर का सारा काम निपटाती और साथ ही साथ कोमल की भी बहुत देख भाल करती थी। 
प्रीती की देखभाल से कोमल बहुत जल्दी ठीक हो गई। कोमल भी अपनी बहन प्रीती के सेवा भाव को देख रही थी। 
कोमल को अपनी गलती का अहसास कराने के लिए एक दिन उसकी सास बोली।
सास,” प्रीती ने तुम्हारी कितनी सेवा की है, बहु ? भगवान ! ऐसी देवरानी सबको दे। “
अपनी सास के मुँह से ये शब्द सुनकर कोमल की आंखें भर आईं। तभी प्रीति बोली।
प्रीती,” देवरानी नहीं बहन हूं, मां जी। बहनों में तो ऐसे मनमुटाव चलते ही रहते है। जब हम छोटे थे तब भी तो हम झगड़ा करते थे, तब क्या हमारा रिश्ता खत्म हो गया ? “
प्रीती,” और कोमल दीदी… अगर आपको लगता है थोड़ी बहुत लड़ाई झगड़े से हमारा रिश्ता खत्म हो जाएगा, तो आप गलत हैं।
मैं आज भी आपकी बहन हूं, मैं कल भी आपकी बहन थी और आगे भी मैं आपकी बहन ही रहूंगी। देवरानी मुझे कभी मत समझना और ना कभी बोलना। “
कोमल,” प्रीती, मेरी प्यारी बहन। “
प्रीति और कोमल एक दूसरे के गले लग जाती है। सांस की आंखें भी खुशी के आंसुओं से भर जाती है। अब दो देवरानी जेठानी नहीं बल्कि दो बहनों का मिलन हुआ था।

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 कामवाली बनी शौतन 

अंजली गांव की सीधी साधी लड़की है। उसकी शादी को 2 साल बीत चूके हैं। उसके पति का नाम राजीव है और वो दोनों शहर में रहते हैं। 
राजीव वैसे तो नेकदिल इंसान हैं लेकिन पराई औरतों के सामने वो पिघल जाता है। 
इसीलिए अंजली हमेशा चिंता में रहती है। ऑफिस से आने के बाद हर रोज़ अंजली राजीव का फ़ोन चेक करती है।
राजीव,” क्या अंजलि, तुम हमेशा मेरे ऊपर शक करती रहती हो ? “
अंजली,” मुझे तुम्हारे ऊपर कोई भरोसा नहीं है। पता नहीं बाहर क्या क्या करते रहते हो ? “
अंजली को हमेशा शक लगा रहता है। इसमें अंजली की कोई गलती नहीं है। ऐसे ही दिन बीतते रहते हैं। 
इतने में अंजली गर्भवती हो जाती है और डॉक्टर साहब अंजली को घर का कामकाज करने से मना कर देते हैं। अंजली राजीव से कहती है। 
अंजली,” डॉक्टर साहब ने तो मुझे कोई काम करने से मना कर दिया है। अब क्या होगा ? “
राजीव,” एक काम वाली बाई रखनी होगी। तुम चिंता मत करो, मैं सब कुछ संभाल लूँगा। “
राजीव कामवाली बाई की खोज करता है और 2 दिन बाद रूपा नाम की एक औरत घर पर चली आती है और कहती हैं।
रूपा,” मैंने सुना है… आप लोग कामवाली की तलाश में हो ? मुझे रख लो, मैं बहुत अच्छा काम करती हूँ। “
रूपा की उम्र 30 के आस पास है और वो बहुत सुन्दर भी है। रूपा को देखकर राजीव पिघल जाता है और कहता है।
राजीव,” हां हां, हम तुम्हें रख सकते हैं बिलकुल रख सकते हैं। “
अंजली,” नहीं नहीं, रुको पहले जांच तो कर लेते हैं कि इसका घर कहाँ है ? ये आई कहाँ से है ? “
राजीव,” उसकी क्या जरूरत है, अंजली ? अभी हमें कामवाली की जरूरत है, हम इसे रख लेते हैं। “
राजीव अंजली की बात नहीं सुनता है और रूपा को काम पर रख लेता है। रूपा घर के कामो में लग जाती है।
मगर उसके काम से अंजली बिल्कुल खुश नहीं हैं। वो हर काम आधा अधूरा करती है और काम से ज्यादा समय सजने धजने में लगा देती है। राजीव तो बस रूपा को देखता ही रहता है। 
अंजली,” राजीव अभी तक तुम तैयार नहीं हुए हो, आज ऑफिस नहीं जाओगे ? “
राजीव,” नहीं अंजली, आज अच्छा नहीं लग रहा है। “
अंजली आराम करती रहती है और राजीव बैठकर पूरा दिन रूपा को देखता रहता है। 
रूपा,” अरे साहब ! क्या देख रहे हो ? “
राजीव,” तुम्हें देख रहा हूँ, रूपा। तुम कितनी सुन्दर हो ? “
ये सुनकर रूपा शर्मा जाती है और कहती है।
रूपा,” ऐसे ना बोलो साहब, मालकिन सुन लेगी तो बवाल हो जायेगा। “
राजीव,” तो फिर आज रात को जब तेरी मालकिन सो जाएगी तब घर के बाहर चली आना, हम दोनों बहुत गप्पे लड़ाएंगे। “
यहाँ राजीव रूपा का दिल बहलाने में लगा हुआ है और उधर कमरे के अंदर बैठकर अंजली सोच रही है।
अंजली,” आखिर राजीव को हुआ क्या है ? जो रोज़ ऑफिस जाने के लिए मरता था, वो आज ऐसे ही घर पर क्यों बैठा है ? कुछ तो गडबड है ? “
रात को अंजली खाना खाकर सो जाती है। राजीव इसी के इंतजार में था। अंजली के सोते ही राजीव घर के बाहर चला गया। रूपा भी चली आई और दोनों मिलकर बातें करने लगे।
राजीव,” रूपा, तुम्हें पता है तुम्हारे बाल बिलकुल रेशम जैसे हैं ? “
रूपा,” ऐसा ना बोलो साहब, मुझे शर्म आती है। “
राजीव,” मैं सच बोल रहा हूँ और तुम्हारी आंखें इतनी सुन्दर हैं, कि क्या बताऊँ ? “
और तभी अंजली आ जाती है और दोनों को रंगे हाथों पकड़ लेती है। 
अंजली,” अच्छा… तो ये चल रहा है यहाँ पर। मैं सो क्या गयी, तुम यहाँ कामवाली के साथ गप्पे लड़ा रहे हो ? “
अंजली को देखकर दोनों घबरा जाते हैं। रूपा डरी हुई आवाज में कहती हैं।
रूपा,” नहीं मालकिन, मेरा कोई दोष नहीं है। साहब ने ही मुझे बुलाया था। “
राजीव,” अरे ! हाँ अंजली, मैंने ही रूपा को बुलाया था। असल में रूपा के पिता की तबियत बहुत खराब है इसलिए सोचा था कि उसे कुछ पैसे दे दूं। “
राजीव,” ये लो रूपा ₹2000, अब जाओ यहाँ से। “
रूपा पैसे लेकर चली जाती है, लेकिन अंजली का शक नहीं जाता। अगले दिन से अंजली ने रूपा की निगरानी करनी शुरू कर दी। 
अंजली,” ये रूपा मुझे कुछ ठीक नहीं लग रही है और राजीव का तो कोई भरोसा ही नहीं है। “
ऐसे ही कुछ महीने बीत गए। इन महीनों में राजीव रूपा पर पूरे तरीके से फिदा हो गया। उसने रूपा की तनख्वाह भी बढ़ा दी। रूपा भी काम चोरी करने लगी। 
एक दिन अंजली ने देखा कि उसके कमरे से उसकी घड़ी गायब है। अंजलि ने इधर उधर ढूंढा लेकिन घड़ी नहीं मिली। 
अंजलि,” घड़ी ऐसे तो गायब नहीं हो सकती। कल रूप आई थी यहाँ, जरूर उसी ने ली होगी। उसके ऊपर मुझे पहले से ही डाउट था। “
राजीव,” अरे ! नहीं अंजली, रूपा इतनी बुरी भी नहीं है। तुम्हारी घड़ी कहीं गिर गयी होगी ? “
राजीव मानने को राजी ही नहीं कि रूपा ऐसा कर सकती है। उसके बाद से हर 2 दिन में घर से कुछ ना कुछ गायब होने लगा। 
मगर राजीव ने रूपा को काम से नहीं निकाला; क्योंकि वो तो रूपा से प्यार कर बैठा था।
अंजली ने सोचा कि कुछ तो करना ही पड़ेगा और इसके कुछ ही दिनों बाद अंजली अपना पेट पकड़कर बैठ गई।
अंजली,” आह ! दर्द हो रहा है, पेट में बहुत दर्द हो रहा है। “
राजीव और रूपा दौड़कर आये। राजीव ने अंजली को अस्पताल ले जाने के लिए गाड़ी बुलाई और रूपा के हाथ में घर की चाबी देकर राजीव अंजली को लेकर निकल पड़ा, अस्पताल की तरह।
कुछ देर बाद अंजली ने चिल्लाना बंद कर दिया और कहा।
अंजली,” पेट दर्द ठीक हो गया, राजीव। चलो अब घर वापस चलते हैं। “
राजीव,” लेकिन अभी तो तुम दर्द से तड़प रही थी। “
अंजली,” हाँ, मगर अब मैं ठीक हूँ। अब चलो घर वापस। “
ड्राइवर ने गाड़ी घूमा ली। घर के सामने पहुंचते ही अंजली ने देखा कि घर का दरवाजा खुला हुआ है। 
अंजली राजीव के साथ घर के अंदर घुस गई और उसके बाद जो हुआ वो राजीव ने कभी सोचा भी नहीं था।
उन दोनों ने देखा कि रूपा घर का सारा सामान इकट्ठा करके एक पोटली में बांध रही है। दोनों को देखकर रूपा चौंक गयी। 
रूपा,” अरे ! आप दोनों… आप दोनों तो अस्पताल जाने वाले थे। “
अंजली,” मैंने पेट दर्द का नाटक किया था। मुझे पता था कि तुम एक चोर हो इसीलिए मुझे ये नाटक करना पड़ा। “
राजीव,” छी रूपा छी… मुझे तुमसे ये उम्मीद नहीं थी। “

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अंजली,” राजीव, पुलिस बुलाओ। “
रूपा अंजली के पैर पकड़कर रोने लगी। 
रूपा,” मुझे माफ़ कर दो मालकिन, मुझसे गलती हो गयी। “
मगर अंजली ने एक भी बात नहीं सुनी। कुछ देर बाद पुलिस आ गई और रूपा को अरेस्ट करके ले गयी।
अंजली ने राजीव से कहा।
अंजली,” देखो राजीव… बीवी के अलावा और कोई सगा नहीं होता। “
राजीव ने अंजली से माफी मांग ली।
राजीव,” मुझे माफ़ कर दो,अंजलि। आज मुझे समझ में आ गया है कि इस दुनिया में अगर कोई मुझसे सबसे ज्यादा प्यार करता है तो वो तुम हो। आज से मैं किसी भी औरत को आंख उठाकर भी नहीं देखूंगा। “
राजीव सुधर गया। इसके बाद से ही उसने और किसी औरत से बात भी नहीं की।  कुछ महीनों बाद दोनों को एक बेटा हुआ और सभी खुशी खुशी रहने लगे।
आज की ये ख़ास और मज़ेदार कहानी आपको कैसी लगी ? नीचे Cooment में जरूर बताएं।

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