भ्रम | Bhram | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – भ्रम। यह एक Sachhi Horror Story है। तो अगर आपको भी Daravani Kahaniya, Bhutiya Kahani या Scary Stories in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

भ्रम | Bhram | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

Bhram | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

भ्रम

डर अपने आप में बहुत पेचीदा विषय है जिसे पूरी तरह से समझ पाना हर किसी के बस की बात नहीं। मेरी ये कहानी उन दिनों की है, जब मेरी पत्नी अस्पताल में अपनी आखिरी सांसें गिन रही थी।
मैं पल पल उसकी सलामती की दुआ करता और उसे खुश रखने के लिए अपने चेहरे पर झूठी मुस्कान सजाए घूमता। पर असलियत तो हम दोनों को पता थी, जिसे हम दोनों झुठला रहे थे। 
आरव,” प्राची, तुम्हें कुछ नहीं होगा। डॉक्टर लोगों को क्या मालूम ? 
ये कहानी सुनें 🙂
चार किताबें पढ़ ली और खुद को भगवान समझने लग गए। जब तक मैं हूँ तुम्हें मुझसे कोई जुदा नहीं कर सकता, समझी..? “
प्राची,” आरव, तुम कितना झूठ बोलोगे मुझसे ? मुझे भी पता है, मेरे इस कैंसर का कोई इलाज नहीं है।
मेरी सांसें किसी भी वक्त बंद हो सकती है। इसलिए मुझसे वादा करो। मेरे मरने के बाद भी तुम मुझसे प्यार करते रहोगे। “
अपनी पत्नी प्राची से ये सुन मेरी आंखें नम हो गईं। मैंने तुरंत ही उसे अपनी बांहों में भर लिया। 
आरव,” प्राची, मैंने सिर्फ तुमसे प्यार किया है और तुमसे ही करता रहूंगा। पर तुम ये सब क्यों बोल रही हो ? 
तुम मुझे ऐसे छोड़ के नहीं जा सकती, समझी..? मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा। “
प्राची,” मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ। तुम्हें छोड़कर नहीं जाना चाहती। मैं नहीं चाहती कि मेरे जाने के बाद तुम मुझे भुला दो और किसी दूसरी औरत से शादी कर लो। 
वादा करो कि मेरे मरने के बाद तुम किसी और से प्यार नहीं करोगे, वरना मेरी आत्मा तुम्हें चैन से जीने नहीं देगी। “
इतना कहकर प्राची मुझे छोड़ छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए चली गई। उसके जाने के कुछ महीनों तक मैंने किसी दूसरी औरत की तरफ देखा तक नहीं। 
पर जैसे जैसे वक्त बीतता गया, प्राची के ना रहने की मुझे आदत सी हो गई। वो कहते है ना… वक्त वो दवा है जो पहाड़ों पर भी फूल खिला देता है, बड़े से बड़ा जख्म भर देता है। 
धीरे धीरे मेरा अकेलापन मुझे काटने को दौड़ता, जिससे बचने के लिए मैंने बाहर जाना शुरू किया। नये नये लोगों से मिला। 
इस दौरान मेरी मुलाकात दुर्गा से हुई। मुझे उससे बात करना अच्छा लगता। वो मुझे पसंद थी और मैं उसको। 
फिर हमने अपने रिश्ते को शादी का नाम दिया और अब दोनों पति पत्नी हो गए। पर मुझे इस बात की भनक भी नहीं थी कि मेरा बीता हुआ कल मेरे आज का भयानक सच बन जाएगा। 
मेरी शादी की पहली रात थी, मैं बड़ा एक्साइटेड था। मैंने दुर्गा का घूंघट उठाया। मेरे होश उड़ गए। 
मैं डर के मारे कांपने लगा क्योंकि मेरे सामने दुर्गा नहीं बल्कि प्राची बैठी थी। बेहद डरावनी और खूंखार…। 
प्राची (दुर्गा के शरीर में),” आरव, तुमने मुझसे वादा किया था कि मेरे मरने के बाद तुम मुझसे ही प्यार करते रहोगे। पर तुमने तो दूसरी शादी कर ली। 
मुझे धोखा दिया। मैं अब तुम्हें जिन्दा नहीं छोडूंगी। तुम्हें मरना होगा। आरव, अब तुम्हें मरना होगा। “
प्राची की बातें सुनकर डर के बारे में मेरे पसीने छूटने लगा। मैं अपनी सुहागरात पर ऐसे भागा जैसे मुझे मेरी मौत दिख गई हो। 
मैं कमरे के बाहर खड़ा किसी तरह खुद को शांत करने में लगा हुआ था। तभी दुर्गा मेरे पास आयी। 
दुर्गा,” क्या हुआ आरव ? तुम मुझे देख कर इतना डर क्यों गए ? क्या हुआ है तुम्हें ? भला सुहागरात पर अपनी पत्नी का चेहरा देखकर कौन भागता है ? “
दुर्गा मेरी इस हरकत के लिए मुझसे शिकायत कर रही थी। पर मेरी नजर तो अभी भी उसके चेहरे पर थी, जिसे देख मैं खुद को बस यही पूछ रहा था… क्या यह सचमुच दुर्गा है ? 
कहीं प्राची तो नहीं ? वो मुझे मार डालेगी। मुझे जब कुछ समझ नहीं आया तो मैंने दुर्गा को अपने से दूर झटक दिया और कमरे में जाकर सो गया। 
उस रात मुझे नींद नहीं आयी। मैं बस बेचैन ही बिस्तर पर किसी सिर कटे सांप की तरह लोटता रहा। मेरे मन में बस मेरी पहली पत्नी प्राची की बातें गूंजे जा रही थी। 
प्राची,” तुमने धोखा दिया है मुझे आरव, मैं तुम्हें जिन्दा नहीं छोडूंगी। मैं तुम्हें मार डालूंगी। आरव, मैं तुम्हें मार डालूंगी। “
मैं कभी इसे अपना भ्रम समझता तो कभी हकीकत। मेरी हालत को देख दुर्गा जैसे ही मेरे करीब आती, मैं खुद ही डरकर उससे दूर हो जाता। 

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बेचारी… इस डर से उसने मुझे हाथ तक नहीं लगाया। शादी के कुछ दिन मैं ऐसे ही बेचैन रहा। जैसे ही दुर्गा मेरे करीब आती, मुझे प्राची की बातें याद आने लगती। 
मुझे दुर्गा में प्राची का डरावना चेहरा दिखाई देता। दुर्गा भी मेरी इस हालत को देख परेशान रहने लगी। उसे लगने लगा था कि मैं एक पागल हूं और मैंने उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी है। 
दुर्गा,” अरे! तुम पागल हो गए हो क्या ? पता नहीं तुम्हे क्या हो गया है ? मैं जैसे ही तुम्हें छूने को होती हूँ, तुम मुझसे ऐसे दूर भागते हो जैसे मैं तुम्हें मार डालूंगी। 
अरे ! जब तुम्हारी दिमागी हालत ठीक नहीं है तो तुम मुझे पहले बता देते। मैं तुमसे शादी ही नहीं करती। 
कम से कम मुझे ये दिन तो नहीं देखना पड़ता। मुझे कुछ नहीं पता आरव, मुझे डिवोर्स चाहिए। तुम पागल होते जा रहे हो ? “
दुर्गा को जब मैंने डाइवोर्स का कहते सुना तो मेरे होश उड़ गए। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं अपने इस रिश्ते को कैसे बचाऊं ? 
क्योंकि मेरा घर बसने से पहले ही बिखरने को आ पड़ा था। बहुत सोचने के बाद मैंने ठाना कि मैं दुर्गा को सब कुछ सच सच बता दूंगा।
आरव,” नहीं दुर्गा, मुझे छोड़ के मत जाओ। मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकता। मैं तुम्हें सब सच बता देता हूँ। 
दरअसल जब जब मैं तुम्हारे करीब आने की कोशिश करता हूं तो मेरी पहली पत्नी प्राची की कही हुई बात याद आती है। “
दुर्गा,” कौन सी बात..? भला ऐसा क्या कहा था उसने जो तुम्हें मेरे करीब नहीं आने देता ? “
दुर्गा के पूछने पर एक पल को तो मैं सोच में पड़ गया और उसे सब सच बताते हुए कहा। 
आरव,” दुर्गा, मेरी पहली पत्नी प्राची ने मरते वक्त मुझसे वादा लिया था कि मरने के बाद मैं उससे ही प्यार करता रहूँ। और अगर मैंने किसी और को अपनाया तो वो मुझे जान से मार डालेगी। 
इसीलिए जब जब मैं तुम्हारे करीब आता हूँ, तुम्हारे अंदर मेरी पत्नी प्राची की आत्मा आ जाती है और मुझे मारने की धमकी देती है। 
यही कारण है कि सुहागरात वाली रात भी मैं इतना बेचैन था। और तब से लेकर आज तक तुम्हारे करीब नहीं आया और ना ही तुम्हें अपने करीब आने दिया। अब तुम ही बोलो, क्या मैं गलत हूं ? “
दुर्गा मेरी बात सुनकर दंग थी। क्योंकि उसके नजरिये से तो मैं खुद ही दुर्गा में प्राची को इमेजिन कर रहा था और खुद व खुद उससे दूर भाग रहा था। 
मेरे सच कहते ही दुर्गा को‌ वो सारे लम्हे याद आ गये। जब मैं उसके सामने पागलों जैसे बर्ताव कर रहा था। बस फ़र्क ये था कि वो जानती थी कि मैं ऐसा क्यों कर रहा था ? 
मेरी सारी बात सुनने के बाद दुर्गा ने मुझे गले से लगा लिया। शादी के बाद यह पहला लम्हा था जब हम दोनों एक दूसरे के इतने करीब आए थे। पर मेरे टर्न ने मेरे इस लम्हे को और भी खौफनाक बना दिया। 
क्योंकि जब दुर्गा मेरे गले लगी तब ठीक उसके पीछे मुझे प्राची दिखी, जो मुझे ऐसे देख रही थी मानो अभी वो मेरे जिस्म से खून का एक कतरा निचोड़ दे। 
पर इस वक्त मैंने अपने कल को आज पर हावी नहीं होने दिया। और दुर्गा को कस के पकड़कर बस इतना ही कहा। 
आरव,” दुर्गा, मुझे बहुत डर लग रहा है। प्राची ठीक तुम्हारे पीछे खड़ी है और मुझे ही देखे जा रही है। “
पर दुर्गा ने मुझे संभाला।
दुर्गा,” आरव… जब तक मैं जिंदा हूँ, तुम्हें मुझसे कोई जुदा नहीं कर सकता… कोई भी नहीं। मैं तुम्हें अभी अपने अंकल बंसल के पास ले जाती हूँ। वो बहुत बड़े साइकैट्रिस्ट है। “
आरव,” पर दुर्गा मैं पागल नहीं हूँ। मुझे तो लगता है शायद मुझे कोई भूत बाधा है इसलिए हमें किसी साइकायट्रिस्ट के पास नहीं बल्कि किसी तांत्रिक के पास जाना चाहिए। “

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दुर्गा,” नहीं आरव, हर बार भूत हो, यह जरूरी नहीं। कभी कभी भूत भी हमारा भरम हो सकता है और किसने कहा की साइकायट्रिस्ट के पास सिर्फ पागल लोग जाते हैं। 
साइकायट्रिस्ट दिमाग का डॉक्टर होता है जो हमारी दिमागी स्थिति को समझता है और अगर कोई प्रॉब्लम हुई तो उससे निकालने में हमारी मदद भी करता है। इसलिए बिना किसी सवाल के तुम मेरे साथ चलो। “
दुर्गा का मुझ पर ये यकीन ही मेरे लिए प्यार था। इससे ज्यादा मुझे कुछ नहीं चाहिए था। मैं दुर्गा की बात मान साइकायट्रिस्ट के पास चला गया। 
साइकियाट्रिस्ट ने भी मुझसे मेरी पहली पत्नी प्राची के बारे में सब जाना फिर दुर्गा को मेरे सामने खड़ाकर मुझसे पूछा। 
साइकायट्रिस्ट,” क्या तुम्हें प्राची दिखाई दे रही है ? “
आर्,” हाँ सर, वो इस वक्त ठीक मेरे सामने दुर्गा के कंधे पर बैठी हुई मुझे ही देख रही है। “
मेरी बातों से दुर्गा और साइकैट्रिस्ट को मेरा डर साफ झलक रहा था। इसलिए साइकेट्रिस्ट बंसल ने मेरी मानसिक स्थिति को समझते हुए दुर्गा को मेरे सामने खड़ा कर दिया। और मुझे भरोसा दिलाते हुए कहा।
साइकैट्रिस्ट,” आरव, डरो नहीं। हम लोग तुम्हें कुछ नहीं होने देंगे। बस तुम मेरे सारे सवालों का ठीक ठीक जवाब देना। “
साइकैट्रिस्ट,” ठीक है सर। आप जो पूछोगे, मैं बिल्कुल सही सही जवाब दूंगा। “
साइकैट्रिस्ट,” अच्छा आरव, तुम्हारी पहली पत्नी का नाम क्या था ? “
आरव,” प्राची। “
साइकैट्रिस्ट,” तुम दोनों की शादी को कितना टाइम हुआ था ? “
आरव,” 3 साल। “
साइकेट्रिस्ट बंसल मुझसे सवाल पूछते जाते और मैं उनका जवाब देता जाता। पर इस बीच उन्होंने अपने हाथ में ढेर सारे छोटे पत्थर भर लिए और मुझसे पूछा। 
साइकैट्रिस्ट,” अब आप बताओ कि मेरे हाथ में कितने पत्थर होंगे ? “
साइकैट्रिस्ट बंसल का जवाब सुनकर मैं सोच में पड़ गया। मेरे पास उनके सवाल का कोई जवाब नहीं था। 
इसलिए इस कारण अगले पल मेरा सिर फटने लगा। मानो जैसे किसी ने मेरे सिर पर बड़ा सा पत्थर रख दिया हो। 
मेरे सिर का दर्द बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैं बेहोश हो गया। और मेरे सामने से मेरी पहली पत्नी प्राची की आत्मा भी गायब हो गई। 
आज मेरी शादी को 5 साल हो गया है और हमारा एक बच्चा भी है। बहुत सालों बाद मुझे एक बार फिर से मिलकर उनका शुक्रियादा करने का मौका मिला है। 
और मैं इस मौके को खाली नहीं जाने देने वाला था। आज मेरे पास भी साइकैट्रिस्ट बंसल के लिए भी एक सवाल था। 
आरव,” सर, आपने मेरी पहली पत्नी प्राची के भूत से मेरा पीछा छुड़ाकर मेरा जीवन संभाल दिया जिसके लिए मैं सदैव आपका आभारी रहूँगा। 
पर मेरी समझ नहीं आया कि आखिर उस प्रश्न में ऐसा क्या था कि एक झटके में ही भूत गायब हो गया ? मेरे सवाल पर साइकैट्रिस्ट बंसल मुस्कुराते हुए बोले। 
साइकैट्रिस्ट,” बेटा, दरअसल कोई भूत था ही नहीं। “
आरव,” मतलब..? “
साइकैट्रिस्ट,” कोई भूत था ही नहीं। दरअसल वो सिर्फ तुम्हारा भ्रम था और कुछ नहीं। दूसरी शादी करने की वजह से तुम्हें एक अपराध बोझ महसूस हो रहा था।
इसी वजह से तुम्हारा दिमाग एक भ्रम की स्थिति पैदा कर तुम्हे भूत का अनुभव करा रहा था। “
साइकैट्रिस्ट बंसल ने मुझे समझाते हुए कहा। ये सुनकर मेरे भी होश उड़ गए आये। 
आरव,” अगर ऐसा था तो मैंने आपके हर सवाल का जवाब कैसे दिया ? “
इस पर साइकैट्रिस्ट बंसल बोले।
साइकैट्रिस्ट,” क्योंकि वो तुम्हारा बनाया हुआ ही भूत था। इसलिए तुम जो कुछ जानते थे, वही वो भी जानती थी। 
और यही कारण था कि मेरे पत्थर वाले सवाल पर तुम चुप होकर बेहोश हो गए। क्योंकि मैं जानता था कि इसका उत्तर तुम्हें भी पता नहीं होगा। 

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इसीलिए तुम्हारी पत्नी का भूत भी इसका उत्तर नहीं दे पायेगा और तुम्हें तुम्हारे दिमाग में पल रहे भ्रम से मुक्ति मिल जाएगी। “
साइकैट्रिस्ट बंसल की बात मुझे समझ आ चुकी थी और ये भी कि हर भ्रम भूत नहीं होता और हर भूत भ्रम नहीं होता। 
कभी कभी ये सब हमारी भावनाओं को लगी ठेस या किसी बुरे दर्द या याद से बनी एक गांठ भी होती है जो हमें ये सब महसूस करने में मजबूर कर देती है। 
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