हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “ मां बनी सौतन ” यह एक Maa Ki Kahani है। अगर आपको Hindi Kahani, Moral Story in Hindi या Bedtime Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Maa Bani Sautan | Maa Ki Kahani | Moral Stories | Maa Beti Ki Kahani | Bed Time Story | Family Story
मां बनी सौतन
शादी के कार्ड पर नताशा ने जब अपनी माँ सुष्मिता का नाम अपने प्रेमी (राजन) के साथ लिखा देखा तो वह शॉक्ड रह गई।
जिस राजन से वो जी जान से प्यार करती है, उससे उसकी माँ शादी कैसे कर सकती है ? यह सोच सोचकर उसका खून खोले जा रहा था।
नताशा (अपने आप से),” शर्मा री है… शर्म आ रही है मुझे। इन दोनों ने मेरे विश्वास का खून कर दिया है। भला एक माँ कैसे अपनी बेटी के प्रेमी से शादी कर सकती है ? “
नताशा ने उसी समय अपनी कार निकाली और शादी के कार्ड में दिए पते की ओर निकल पड़ी।
नताशा,” मैं ये शादी किसी भी कीमत पर नहीं होने दूंगी। इसके लिए चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े, किसी भी हद तक जाना पड़े। “
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आधे घंटे की ड्राइविंग के बाद नताशा उस पते पर पहुँच गई। वो भागी भागी अंदर गई और वहाँ उसने जो देखा, उसे देखकर उसका खून खौल उठा।
उसकी माँ सुष्मिता दुल्हन की ड्रेस में थी और राजन दूल्हे की ड्रेस में।
नताशा,” माँ, तुमने आज हद कर दी। भला कौन ऐसी माँ इस दुनिया में होगी, जो उसकी बेटी के बॉयफ्रेंड से शादी करेगी ? तुमने तो माँ और बेटी के रिश्ते को शर्मसार कर दिया। “
सुष्मिता,” मैं इस बारे में तुमसे कोई बात नहीं करना चाहती। “
नताशा,” बिल्कुल सही, आप किस मुँह से मुझसे बात करेंगी ? अरे ! शर्म आनी चाहिए माँ हो के सौतन बनने चली हैं। “
राजन,” नताशा, तुम जाओ यहाँ से। यहाँ तमाशा मत खड़ा करो। “
नताशा,” चुप… एकदम चुप, तमाशा मैंने खड़ा किया है या तुम दोनों ने ? लेकिन मैं छोडूंगी नहीं तुम दोनों को। “
ये कहकर नताशा अपने साथ ली हुई बंदूक उन दोनों की तरफ तान देती है। “
सुष्मिता ,” ये ये क्या कर रही हो तुम ? तुम अपनी माँ पर गोली चलाओगी ? “
तभी नताशा सुष्मिता पर गोली चला देती है। बंदूक से निकली गोली सीधे सुष्मिता के सीने पर लगती है और वह तड़पने लगती है।
उसे इस तरह तड़पता देख राजन नताशा के हाथ से बन्दूक छीनता है और उसकी तरफ तान कर गोली चला देता है। नताशा ज़ोर से चीखती है।
तभी नताशा एक चीख के साथ जाग जाती है। वो देखती है कि वो अपने बिस्तर पर है।
नताशा,” इसका मतलब वो सब कुछ सपने में देख रही थी ? हे भगवान ! ये सपना तो कभी भी सच हो सकता है।
मुझे… मुझे कुछ करना होगा, जल्दी कुछ करना होगा नहीं तो कल को क्या पता मेरी माँ ही मेरी सौतन बन जाए ? “
21 साल पहले…
25 साल की गर्भवती सुष्मिता को जब फ़ोन पर उसके पति के एक्सीडेंट की खबर दी गई तो उसके हाथ पैर कांपने लगे।
सुष्मिता,” ये… ये क्या कह रहे हैं आप ? मैं… मैं तुरंत आती हूँ। आप मुझे हॉस्पिटल का एड्रेस दीजिये। “
फ़्लैशबैक…
सुष्मिता का पति राकेश एक मल्टी नैश्नल कंपनी में मैनेजर था। आज सुबह ही जब वो ऑफिस के लिए निकल रहा था।
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राकेश,” सुष्मिता, मैंने ऑफिस में छुट्टी के लिए अप्लाई कर दिया है। “
सुष्मिता,” अरे ! अभी से ही ? “
राकेश,” अभी से मतलब..? अब तो एक महीने से भी कम बचा है हमारी डेलिवरी में। मैं चाहता हूँ कि मैं अब हर पल तुम्हारे साथ रहूँ। तुम्हारा और हमारे आने वाले बच्चे का ज्यादा से ज्यादा ख्याल रखूं। “
सुष्मिता,” आइ लव यू राकेश। “
राकेश,” आई लव यू टू थ्री फोर फाइव सिक्स सेवन ऐंठ नाइन टेन। “
राकेश की बात सुनकर सुष्मिता खिलखिलाकर हंस पड़ीं। राकेश ने भी मुस्कुराते हुए अपनी पत्नी को गले से लगा लिया।
सुबह की बातें सोच सोचकर सुष्मिता की आँखों से आंसू निकले जा रहे थे। ऑटो में बैठी वो पूरे रास्ते यही सोचती जा रही थी कि हे भगवान ! राकेश को ज्यादा चोट ना लगी हो और वो जल्द से जल्द ठीक हो जायें।
वो हॉस्पिटल पहुंची, लेकिन उसका पति जो सुबह सुबह हंसता मुस्कुराता हुआ ऑफिस के लिए निकला था, वो सफेद कपड़ों में लिपटा लेटा हुआ था।
सुष्मिता अपने पति के निर्जीव शरीर को देख रही थी।
सुष्मिता,” राकेश… राकेश, आप तो मेरी डिलीवरी के लिए छुट्टी लेने वाले थे ताकि आप मेरा ख्याल रख सके। अब इस तरह आप रखेंगे मेरा ख्याल ? ये तो नाइंसाफी है राकेश… नाइंसाफी है। “
सुष्मिता लगातार रोए जा रही थी। तभी उसे गर्व पीड़ा शुरू हो गई। सुष्मिता की हालत देखकर उसे तुरंत एडमिट कर लिया गया।
अस्पताल में उसने एक बच्ची को जन्म दिया। अपनी छोटी सी बच्ची को जब उसने गले से लगाया तो उसे एक अलग तरह का ही सुकून मिला।
उस नन्ही सी बच्ची की नाक और आँखें बिल्कुल राकेश की तरह थीं। सुष्मिता उसे प्यार से देख रही थी और उससे बातें कर रही थी।
सुष्मिता,” बेटी… मेरी बेटी बिल्कुल राकेश की तरह हो तुम। राकेश कहा जाने वाला था मुझे छोड़कर ?
वो मुझे बहुत प्यार करता था न ? इसलिए तो उसने तुम्हें मेरी गोद में डाल दिया। “
25 साल की छोटी सी उम्र में सुष्मिता विधवा हो चुकी थी। उसकी गोद में एक नवजात बच्ची भी थी। रिश्तेदारों ने कहा कि वो दूसरी शादी कर ले लेकिन उसने सबसे यही कहा।
सुष्मिता,” मैं अपनी बेटी को खुद से पालूंगी। ये मेरे राकेश की निशानी है।
मैं नहीं चाहती कि मैं दूसरी शादी करूँ और मेरी बेटी को सौतेले पिता के साये में पालूं। “
सुष्मिता पढ़ी लिखी तो थी ही, उसे एक कंपनी में नौकरी भी मिल गई। वो अपनी बेटी नताशा का पालन पोषण ठीक से करने लगी।
समय अपने पंख लगाकर उड़ता गया। नताशा अब 21 साल की है। सुष्मिता ने उसे उसकी माँ की तरह कम एक दोस्त की तरह ज्यादा पाला है।
दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। एक दिन की बात है। सुष्मिता ऑफिस में थी। तभी नताशा का कॉल आया।
नताशा,” मां आज मैं कॉलेज से थोड़ा लेट आऊंगी। “
सुष्मिता,” क्या बात है, कही जाना है क्या ? “
नताशा,” वो मां आज कॉलेज के बाद मूवी का प्लान है तो कॉलेज के बाद वही जाउंगी। “
सुष्मिता,” दिस इज नॉट फेयर। तुम अकेली अकेली फ़िल्म देखने जाओगी ? “
नताशा,” अरे मॉम ! अकेली नहीं, किसी दोस्त के साथ जा रही हूँ। “
सुष्मिता,” दोस्त… कौन सा दोस्त ? दोस्त का कोई नाम तो होगा। “
नताशा ,” क्या मॉम तुम भी… उसका नाम राजन है। मेरे साथ ही पढता है। “
सुष्मिता,” ओके, ठीक है। एक काम करना, मूवी के बाद मैं वही सिनेमा हॉल में ही आ जाउंगी और तुम्हें पिक कर लूँगी।
उस दिन पहली बार राजन अपनी गर्लफ्रेंड नताशा की माँ से सिनेमा हॉल के बाहर मिला था। जब वो उनसे मिला तो वह कहीं से भी उसकी माँ नहीं लग रही थी।
राजन,” अरे आंटी ! आप तो कहीं से भी नताशा की माँ नहीं लगती है। आप तो इसकी बहन लगती हैं। “
सुष्मिता,” गुड जोक। वैसे तुम दोनों दोस्त हो या उससे कुछ ज्यादा ? “
सुष्मिता के मुँह से ये सुनकर राजन थोड़ा दें सा गया। तभी नताशा ने कहा।
नताशा,” क्या माँ…? ये क्या सवाल है ? देखो तो राजन तुम्हारे सवाल पर कैसे लड़कियों की तरह शर्माने लगा है ? “
राजन को सुष्मिता की माँ से मिलकर बहुत अच्छा लगा। उनका खुला व्यवहार और दोस्तों की तरह ट्रीट करने की उनकी आदत ने ही राजन के दिल में उनके लिए एक खास जगह बना ली।
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उस दिन के बाद जब भी वो नताशा से मिलता, उसकी माँ के बारे में जरूर पूछता।
नताशा,” अरे ! आज कल तुम मेरी कम मेरी माँ के बारे में ज्यादा पूछते हो। चलो तुम्हें घर ही ले चलती हूँ माँ से मिलाने के लिए। “
वह राजन को लेकर घर ले आयी। सुष्मिता उसे देखकर बहुत खुश हुई। फिर तो उन दोनों ने घंटों बातें की।
राजन को उनसे बात करना बहुत अच्छा लग रहा था। उसे पता ही नहीं चला कि नताशा की माँ से बातें करते करते कब रात हो गई।
नताशा,” ओए ! आज तुझे घर नहीं जाना क्या ? रात होने को आयी। “
राजन,” ओ तेरी 9 बज गए। असल में आंटी इतनी प्यारी बातें करती हैं कि समय का पता ही नहीं लगा। “
राजन को सुष्मिता का साथ अच्छा लगता था। उनसे बात कर वो कई नई चीजें भी जानता था। इसलिए उन्हें वो और भी पसंद थी।
वो इसलिए भी उनसे ज्यादा प्रभावित था कि उसने अकेले ही संघर्ष करके नताशा की परवरिश की थी। आंटी की ये बात उसे बहुत प्रेरणा देती थी।
जब कभी भी वो निराश महसूस करता था तो वो सुष्मिता के पास आ जाता। कभी कभी तो नताशा घर में नहीं होती, तब भी।
एक दिन की बात है। राजन और सुष्मिता हंस हंसकर बातें कर रहे थे। तभी नताशा बाहर से आयी।
उसने उन दोनों को इस तरह हंस हंसकर बातें करते देखा तो वह लगभग चीखती हुई बोली।
नताशा,” राजन, तुम यहाँ हो ? पता है तुम्हें मैंने कितने कॉल किये ? तुमने मेरा फ़ोन क्यों नहीं पिक किया ? “
राजन,” कब किया फोन तुमने ? “
ये कहते हुए उसने अपना फ़ोन निकाला। उसका फ़ोन साइलेंट मोड में था। ये लो मेरा फ़ोन तो साइलेंट मोड में था, कैसे पता चलता ? “
नताशा,” साइलेंट मोड में था या जानबूझकर कर दिया था ? “
राजन,” ये तुम क्या कह रही हो ? “
नताशा के मन में शक का बीज लग गया था और वो राजन और अपनी माँ के रिश्ते पर शक करने लगी। अब जब कभी राजन उससे उसकी माँ के बारे में पूछता तो वो उसकी बातों का कोई जवाब नहीं देती।
यहाँ तक कि वो हर पल अपनी माँ और राजन पर नजर रखने लगी थी। बहरहाल, कुछ दिनों के बाद की बात है।
उस दिन सुष्मिता की छुट्टी थी और राजन उनसे मिलने उनके घर पर आया हुआ था। नताशा उस समय कॉलेज में थी।
लेकिन जब उसे राजन कॉलेज में नहीं दिखा तो वो समझ गई कि वो उसकी माँ से मिलने ही गया होगा।
नताशा,” आज तो मैं इन दोनों के रिश्ते का भंडाफोड़ करके रहूंगी। “
नताशा भी अपने घर की ओर चल पड़ी। जब वो अपने घर पहुंची तो उसे राजन और अपनी माँ की बातचीत की आवाज सुनाई दी। उसे बहुत गुस्सा आया। वो दरवाजे पर ही उनकी बातें सुनने लगी।
सुष्मिता,” बेटा राजन, मैंने अपनी नताशा को बहुत प्यार से रखा है। तुम तो जानते हो ना, जब वो मेरे पेट में थी तभी उसके पापा गुजर गए ?
उस समय मैं सिर्फ 25 साल की थी। लोगों ने मुझे लाख कहा कि दूसरी शादी कर लो। लेकिन मैंने किसी की नहीं सुनी क्योंकि मैं नताशा पर सौतेले पिता का साया नहीं पड़ने देना चाहती थी।
हाँ, मैं अकेली थी। जिंदगी में बहुत परेशानियां भी आईं। लेकिन उन परेशानियों की आंच मेरी बच्ची तक मैंने कभी नहीं पहुंचने दी।
राजन बेटा, मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ कि कभी भी मेरी बच्ची को कोई तकलीफ मत देना। तुम जानते हो एक वही मेरे पति की निशानी है जिसे देख देखकर मैं जीती हूँ नहीं तो मैं कब का टूटकर बिखर गई होती ? “
राजन,” आंटी, आप बिल्कुल फिक्र ना करें। मैं अपनी नताशा का बहुत ख्याल रखूँगा। उसकी जिंदगी में कभी कोई प्रॉब्लम नहीं आने दूंगा, ये वादा है एक बेटे का अपनी माँ से। “
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बाहर खड़ी नताशा ने जब ये सब सुना तो उसकी आंखें भर आईं। वो क्या सोच रही थी और क्या निकला ? उसने जल्दी से दरवाजा खटखटाया और अपनी माँ के गले से लिपट गयी।
नताशा,” आई लव यू मॉम। “
सुष्मिता,” आई लव यू टू थ्री फोर फाइव सिक्स सेवन ऐंठ नाइन टेन।
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