मुर्दाघर | Murdaghar | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – मुर्दाघर। यह एक Bhoot Wali Kahani है। तो अगर आपको भी Daravani Kahaniya, Bhutiya Kahani या Horror Stories in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

मुर्दाघर | Murdaghar | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

Murdaghar | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi



वार्डबॉय,” इंस्पेक्टर साहब… इंस्पेक्टर साहब, जल्दी चलिए बहुत बड़ा कांड हो गया है। “

इंस्पेक्टर,” अरे ! पहले शांत हो जा। ऐसे चिल्ला रहा है जैसे कोई भूत देख लिया हो। “

वार्डबॉय,” उससे भी बुरा देखा है। जल्दी चलिए और अपनी आँखों से खुद देख लीजिये। “

वार्डबॉय इंस्पेक्टर को मुर्दाघर में ले जाता है जहां पर कई बदबूदार लाशें रखी गई थीं।

इंस्पेक्टर,” अरे ! तू क्या मुझे सड़ी हुई लाश की बदबू सुंघाने लाया है ? इसलिए तेरे पसीने छूट रहे थे ? “

वार्डबॉय,” इन्स्पेक्टर साहब, आप गुस्सा करने से पहले ज़रा इन लाशों को देख लो। “

इतना कहकर वार्डबॉय कोल्ड स्टोरेज से एक एक करके लाशों को निकालकर इन्स्पेक्टर को दिखाने लगता है।

इन्स्पेक्टर,” इन सभी लाशों की तो एक आंख नहीं है। इसका तो दिल ही गायब है। अरे ! इसका तो किसी ने दिमाग तक निकाल लिया। “

वार्डबॉय कोल्ड स्टोरेज से लाशों को निकालता जा रहा था जिसे देख इन्स्पेक्टर के पैरों तले जमीन खिसक गई।



इन्स्पेक्टर,” मरने के बाद किसी की लाश के साथ ऐसी हैवानियत कौन कर सकता है ? अरे ! ये मुर्दाघर नहीं बल्कि हैवानियत घर होना चाहिए और कब से चल रहा है ये ? तुमने पहले किसी को इसके बारे में कुछ बताया? “

वार्डबॉय,” जिसको भी बताता, वो लोग मेरा ही मजाक उड़ाने लगते हैं। पर इंस्पेक्टर साहब इन सबके अलावा एक बात और है। 
जिन जिन लाशों के अंग गायब किए गए हैं वो लाश रात 12 बजे निकल जाती हैं और 4 बजे वापस आती हैं। “

इन्स्पेक्टर,” ये क्या नई बकवास शुरू कर दी तुमने ? अब भला लाश कैसे चल सकती है। तुम ने शायद कोई बुरा सपना देखा होगा। “

वार्डबॉय,” तो अब आप भी मेरा मजाक उड़ाने लगे। लेकिन इंस्पेक्टर साहब ये सब सच है और अगर आपको यकीन नहीं आता तो आज रात आप खुद इस जगह पर रुककर देख लीजिएगा। “

इन्स्पेक्टर और वार्डबॉय मुर्दाघर के अंदर 12 बजने का इंतज़ार कर रहे है कि तभी 1 घंटे की आवाज़ से सारा माहौल सुनसान हो गया। 

घड़ी में 12 बज चुके थे जिसे देख वार्डबॉय और इन्स्पेक्टर की धड़कन थम सी गई थी। दोनों की नजर कोल्ड स्टोरेज पर थी कि तभी अचानक से एक एक करके कोल्ड स्टोरेज के बॉक्स खुलने लगे।

वार्डबॉय,” देखा ना सर…? मैंने कहा था ना, ये लाशें 12 बजे एक लाइन में कहीं जाती हैं। “

इन्स्पेक्टर,” पर ये सब जाती कहाँ हैं ? चल पता लगाते हैं। “

दोनों लाशों का पीछा करने लगते हैं।

इन्स्पेक्टर,” ये लाशें यहाँ इस तालाब में नहाने आती है, पर किस लिए ? और ये सब कौन करवाता है… वो अभी इन सभी से ? इसका पता लगाकर रहूंगा। “

वार्डबॉय,” चलिए इंस्पेक्टर साहब, अब इन लाशों के लौटने का वक्त हो गया है। हमें अब यहाँ से चलना चाहिए। “

अगले दिन इंस्पेक्टर एक हवलदार को अपने पास बुलाता है और उससे कहता है।



इंस्पेक्टर,” मांगेराम, पिछले एक महीने से अमरनाथ मुर्दाघर में जितनी भी लाशों को जमा किया है, मुझे उन सब की लिस्ट चाहिए। जल्दी लेकर आओ। “


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मांगेराम अमरनाथ मुर्दाघर की सारी फाइलें ले आता है।

मांगेराम,” यह लीजिए सर, उन सारे लोगों की फाइल जिनको अमरनाथ मुर्दाघर में रखा गया है। “

इंस्पेक्टर फाइलों को देखता है और तुरंत मांगेराम के साथ वार्डबॉय के पास जाता है।

इंस्पेक्टर,” मांगेराम, हथकड़ी पहना इस मुजरिम को। इसने जो जुर्म किये हैं, उसके लिए इसको फांसी भी हो जाए वो भी कम है। “

वार्डबॉय,” इंस्पेक्टर साहब आप मुझे अरेस्ट क्यों कर रहे हैं ? आखिर मेरा जुर्म क्या है ?


इंस्पेक्टर,” जुर्म… एक तो लाशों के साथ बदसलूकी की है, उनके अंगों को काले बाजार में बेचता है और मुझसे पूछ रहा है कि मेरा क्या जुर्म है ? लॉकअप में चार डंडे लगेंगे तो तोते की तरह सब बोल पड़ेगा। “

हवलदार,” सर, गैंडे की खाल लेकर पैदा हुआ है। इसको मार मारकर मेरे पसीने छूट गए लेकिन मज़ाल है जो ये एक अक्षर भी बोल दे। मैं तो थक गया। अब आप ही करो इसके साथ जो करना है। “

इंस्पेक्टर खड़ा होता है और वार्डबॉय से सच उगलवाने के लिए जाता है।

इंस्पेक्टर,” देख मुझे पता है तेरा बाप इन सबके पीछे है। मैंने बहुत सी फ़ाइलों में तेरा और तेरे बाप का जिक्र पढ़ा है। 

इसलिए अब सीधे से अपने बाप का पता बता वरना मैं मरूंगा नहीं सीधे मार ही डालूँगा। “

वार्डबॉय,” हा हा हा… आखिर तुझे पता चल ही गया। लेकिन इन्स्पेक्टर जैसा तू सोच रहा है, ये खेल उससे बहुत बड़ा है। और हम पाप नहीं पुण्य का काम कर रहे हैं पुण्य का। हा हा हा…। “

इंस्पेक्टर,” कैसा खेल ? आखिर तुम कहना क्या चाहते हो, साफ साफ बोलो ? “

वार्डबॉय,” आज रात तुम उस काले तालाब के पास चले जाना, तुम्हें तुम्हारे सब सवालों के जवाब मिल जाएंगे। “



इतना कहते ही वार्डबॉय इंस्पेक्टर को कड़क स्माइल देता है और खुद ही रिवॉल्वर का ट्रिगर दबाकर अपना सर उडा लेता है। वार्डबॉय को खुदकुशी करता देख इंस्पेक्टर डर जाता है।

हवलदार,” सर, रात के 1 बजे हम झाड़ियों के पीछे किस गैंगस्टर का इंतजार कर रहे हैं ? “

इंस्पेक्टर,” मांगेराम, हम किसी गैंगस्टर का नहीं बल्कि हैवान का इंतजार कर रहे हैं जो यहाँ कभी भी आ सकता है। “

इंस्पेक्टर बोल ही रहा था कि तभी एक लाइन वाइज लाशें तालाब की ओर आती दिखीं जिसमें सबसे आगे वार्डबॉय की लाश चल रही थी।

हवलदार ने जब लाशों को एक लाइन से चलते देखा, डर के मारे उसके पसीने छूटने लगे।

हवलदार,” सर, ये मुर्दा लोग चल कैसे रहे हैं ? और इनमें सबसे आगे तो वार्डबॉय ही चल रहा है जिसने आपकी रिवॉल्वर से खुदकुशी की थी। “

इससे पहले कि इंस्पेक्टर हवलदार से कुछ कहता, उसने देखा कि एक बुड्ढा शख्स काले तालाब के अंदर से निकलता है और सामने से आ रही लाशों के मुँह पर काला रंग पोत देता है।

बुड्ढा,” मेरे बेटे अनिल, माना कि तू मेरा बेटा था पर पाप तो हर इंसान से होता है। लोग सोचते हैं कि मरने के बाद हिसाब चुकता हो जाता है।

लेकिन मेरी अदालत में मरने के बाद भी सजा मिलती है। हर उस जुर्म का हिसाब लिया जाता है जिससे कभी दूसरों को दुख पहुंचा हो। “

इतना कहते ही वो बाबा अपने होठ हिलाता हुआ मन्त्र पढने लगता है और वार्डबॉय के चेहरे पर लगी कालिख उसके चेहरे से उतरकर उसके दिल पर आ जाती है।

बुड्ढा,” मेरे बेटे, तूने हमेशा लोगों को धोखा दिया है। अपनी बातों से उनका दिल दुखाया है। तेरी जुबान हमेशा कड़वी रही है जिसकी सजा तू आज भुगत रहा है। “

वार्डबॉय के जाने के बाद बुड्ढा शख्स दूसरे शख्स के पास जाता है और उसके मुँह पर कालिख पोतकर कुछ मन्त्र पढने लगता है। लाश के मुँह पर लगी कालिख उसकी आंखें और दिल पर चली जाती है। 

अच्छा तू तो बहुत पापी इंसान है। तूने हमेशा दूसरों पर गंदी नजर रखी और दूसरों के बारे में गलत सोचा। ले अब उसकी सजा भुगत। “

बुड्ढा शख्स से अपने एक हाथ से उसका दिल और दूसरे हाथ से उसकी दोनों आंखें उसके जिस्म से निकाल लेता है और उसके बाद भी वह शख्स काले तालाब में नहाने के लिए चला जाता है।

इतनी में इंस्पेक्टर और हवलदार झाड़ियां के पीछे से निकलकर सामने आ जाते हैं।

इंस्पेक्टर,” बंद करो अपना घिनौना इंसाफ। अरे ! तू होता कौन है इसके कर्मों का फैसला करने वाला ? “

बुड्ढा,” इंस्पेक्टर विक्रम तुम..? लगता है तुमने मुझे पहचाना नहीं ? मैं वही हूँ जिसको तुमने पकड़ा था और 20 सालों की सजा दिलवाई थी। सिर्फ इस जुर्म में कि मैंने एक खूनी का खून किया था। “



अफसोस मुरारी, तुम सजा काटकर भी नहीं सुधरे। लेकिन इतना जान लो कि कानून की नजर में हर वो इंसान गुनेहगार है जो कानून को अपने हाथ में लेगा। समझा..? और लगता है तुझे फिर सजा मैं ही दिलवाऊंगा। “

बुड्ढा,” अरे ! सजा तो तब दिलवाएगा ना जब तू जिंदा बचेगा। “

बुड्ढा,” जाओ, इंस्पेक्टर को मार डालो। “

मुरारी के इशारा करते ही वार्डबॉय के साथ आयी और भी लाशें किसी भूखे भेड़िये की तरह इन्स्पेक्टर को मारने चलती हैं। 

विक्रम भी लाशों को अपनी तरफ आता देख सतर्क हो गया। उसने तुरंत ही अपनी रिवॉल्वर निकाल ली और उन सभी के सर पर एक गोली मार दी लेकिन उन लाशों को कुछ नहीं हुआ।

वो इंस्पेक्टर की तरफ बढ़ते जा रहे थे। उन सब ने विक्रम को दबोच लिया। विक्रम भी जान के डर से छटपटाने लगा। 

मांगेराम विक्रम की मदद के लिए दौड़ा ही था कि वार्डबॉय मांगेराम की तरफ आया और उसकी गर्दन को काटकर उसे मार डाला।

इंस्पेक्टर (मन में),” विक्रम कुछ सोच। अगर जल्दी ही तुने कुछ नहीं किया तो ये लाशें तुझे भी कच्चा चबा डालेंगी। “

विक्रम अभी बोल ही रहा था कि उसे लाशों पर वो काला रंग दिखा और अगले ही पल विक्रम ने वो काला रंग अपने चेहरे पर गोंथ लिया।

बुड्ढा,” यह क्या किया तूने ? तू तो जिंदा था, अभी मरा नहीं था। “


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विक्रम ने जैसे ही वो काला रंग अपने चेहरे पर गोंदा, सारी लाशें अपने आप ही पीछे हट गयी। लाशों के पीछे हटते ही विक्रम सीधा मुरारी के पास पहुंचा और मार मारकर उसका बुरा हाल कर दिया। विक्रम लात घूसों की बरसात कर देता है और मुरारी को लहूलुहान कर देता है।



जब मुरारी की हालत बद से बदतर हो जाती है तो विक्रम मुरारी को हथकड़ी लगाकर अपने साथ ले जाता हुआ कहता है।

इंस्पेक्टर,” अब जेल में अपने आप के साथ इन्साफ करता रहिओ। “


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