हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” रहस्यमय द्वार ” यह एक Rahasyamay Kahani है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Achhi Achhi Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Rahashyamay Dwaar | Hindi Kahaniya | Moral Story In Hindi | Hindi Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories
रहस्यमय द्वार
सोमू नाम का एक किसान था। उसने अपनी जमीन पर महाजन से रुपये उधार लिए थे। पर फसल बर्बाद होने के कारण वह रुपये वापस नहीं दे पा रहा था। कर्ज चुकाने के लिए उसने अपने बैल तक बेच दिए थे।
सोमू,” भैया, मैंने अपने बैलों को बच्चों की तरह रखा है, इनका अच्छे से ध्यान रखना। “
बैल खरीदने वाला,” भैया, अभी मैं इनकी आधी कीमती दे पाऊंगा। आधे रुपये अगले महीने लेना। “
सोमू,” भैया मुझे अभी रुपयों की बहुत जरूरत है। इसीलिए तो बैल बेचे हैं। “
बैल खरीदने वाला,” अच्छा… तो ऐसा करो, तुम मेरी अंगूठी रख लो। ये मेरी माँ की आखिरी निशानी है पर तुम इसे रख लो। जब मैं रुपए वापस करूँ तो दे देना। “
सोमू,” नहीं नहीं भैया, रहने दो। तुम्हारी हालत तो मुझसे भी खराब है। अगर मैंने मजबूरी में तुम्हारी अंगूठी बेच दी तो ऊपर वाले को क्या मुँह दिखाऊंगा ?
तुम मुझे रुपया अगले महीने देना। वैसे भी इन रुपयों से महाजन के पूरे रुपये नहीं चुका पाऊंगा। ऐसे में दो आदमी का परेशान होना ठीक नहीं, तुम तो चैन की सांस लो। “
और ये बोलकर सोमू वहाँ से चला गया।
रास्ते में…
सोमू (खुद से),” महाजन ने बुलाया है। उसके रुपयों का इंतजाम तो हो नहीं पाया। समझ नहीं आ रहा कि उसे क्या कहूं ? “
महाजन,” तुमने इस बुधवार तक रुपये सूद समेत वापस करने के लिए कहा था। चलो लाओ मेरे रुपए, आज बुधवार है। “
सोमू,” आप तो जानते है, इस बार मेरी बेमौसम की बरसात के कारण फसल बर्बाद हो गई है। इसलिए मैं रुपयों का इंतजाम नहीं कर पाया। अभी बस इतना ही है मेरे पास। “
महाजन,” बस 2 हजार अभी तो पूरे 5 हजार बाकी हैं। मुझे मेरे रुपए हर हाल में चाहिए, समझे..? “
सोमू,” मुझे थोड़ा समय और दे दो। आप तो जानते हो कि मेरे इतने बुरे दिन पहले कभी नहीं आए। “
महाजन,” ठीक है ठीक है, तुम आदमी अच्छे हो तो तुमको एक सप्ताह और दे देता हूँ। पर अगर इस बार भी मेरे रुपए नहीं दिए तो ठीक नहीं होगा। “
सोमू सिर हिलाकर वहाँ से चला गया और बिल्कुल उदास मन से अपने घर की तरफ चलता गया।
4 दिन बाद…
सोमू के घर पर उसकी पत्नी आंगन में लगे नल के नीचे बर्तन साफ कर रही होती है। तभी महाजन के दो आदमी सोमू के घर आते हैं।
आदमी,” सुनो, क्या सोमू का घर यही है ? कहां है, बुलाओ उसे ?
सोमू की पत्नी,” जी हाँ, ये उन्हीं का घर है। क्या बात हो गयी ? आप लोग कौन हैं ? “
आदमी,” हम महाजन के आदमी है, समझी..? बोल देना अपने पति को कि 3 दिन दिए हैं महाजन ने। पैसे लौटा दें या अपनी जमीन और घर, समझी ना..? “
उसके बाद बेचारी उदास मन से सोमू का इंतजार करने लगी। कुछ देर में सोमू घर आया।
सोमू की पत्नी,” सुनिये, महाजन का आदमी आया था। कहकर गया है कि अगर 3 दिन में रुपये वापस नहीं किये तो महाजन जमीन और घर पर कब्जा कर लेगा। “
सोमू,” 3 दिन में रुपए… यहाँ तो खाने के लाले पड़े ? “
सोमू की पत्नी,” सुनिए, आप उस आदमी से रुपये वापस मांग लो जिसे पिछले साल दिए थे। “
सोमू,” शमशेर से किस मुँह से रुपए मांगू ? उस आदमी ने अनजान होकर भी मुझे बिमारी में अपने घर में रखा, मेरी सेवा की, ध्यान रखा।
वो नहीं होता तो शायद आज मैं तुम्हारे सामने नहीं होता। तुम्हें पता भी नहीं चलता मेरे साथ क्या हुआ ? उसे रुपयों की जरूरत थी और मेरे पास थे तो दे दिए। “
सोमू की पत्नी,” पर उसने खुद ही कहा था ना कि 1 साल बाद वापस देगा। आप अभी ले आयें। देखिये, एक बार मांगने में क्या हर्ज है ? “
सोमू,” ठीक है, मैं कोशिश करता हूँ। पर अगर नहीं देगा तो जबरदस्ती नहीं करूँगा। “
सोमू दूसरे गांव में शमशेर के घर के लिए निकल पड़ा और कुछ देर चलने के बाद वहाँ जा पहुंचा। सोमू ने शमशेर के घर पहुँचकर दरवाजा खटखटाया। एक औरत ने आकर दरवाजा खोला।
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औरत,” हाँ भैया, बोलो क्या बात है ? कुछ मांगने आये हो तो बाद में आना, अभी मेरे पास बहुत काम है। “
उसने ज़ोर से दरवाजा बंद कर दिया।
सोमू,” मैं इस औरत को भिखारी लग रहा हूँ। हे राम ! मेरी हालत ऐसी हो गयी है ? “
फिर उसने खुद को देखा।
सोमू,” अरे ! मेरा तो कुर्ता फट गया है। “
फिर उसने दोनों हाथों से कुरते को थोड़ा नीचे किया।
सोमू,” दोबारा दरवाजा खटखटाता हूँ। “
औरत,” अरे ! तुम फिर आ गए। तुम लोग भी ना बिल्कुल चैन नहीं लेने देते। “
सोमू,” पर वो…।
औरत,” ये वो क्या..? अब रुको यहीं। “
औरत अंदर चली गयी।
सोमू,” अरे ! ये तो कुछ सुन ही नहीं रही। “
औरत एक रोटी लेकर आयी है।
औरत,” ये लो, अभी सब्जी नहीं है तो प्याज के साथ खा लेना और हाँ… अब पैसे मत मांगना। रोटी दे रही हूँ चुपचाप ले लो। “
सोमू,” आप मेरी बात तो सुनो। “
औरत,” अरे ! अभी भी कुछ कहना है ? “
सोमू,” शमशेर को बुला दो, उससे काम है। “
औरत,” कौन शमशेर ? “
सोमू,” इस घर का मालिक है ना शमशेर, मुझे उससे थोड़ा कम है। “
औरत,” शमशेर, कौन शमशेर ? इस घर के मालिक मेरे पति रमानाथ हैं, समझे..? “
सोमू,” मैं पिछले साल शमशेर के साथ इस घर में पूरे 15 दिन रहा था। “
औरत,” ओ भिखारी ! तुम पिछले साल की बात कर रहे हो, मेरी शादी को 10 साल हो गए हैं। मैं 10 साल से यहाँ रह रही हूँ। मेरे पति जनम से ही यहां रह रहे हैं। ये घर उनके पुरखों का है पुरखों का, समझे..? “
सोमू,” पर मैं शमशेर के साथ इसी घर में था। “
औरत,” तुम भिखारी होकर मेरा घर हड़पना चाहते हो ? देखो, सीधे सीधे यहाँ से निकल लो वरना ठीक नहीं होगा। “
सोमू,” मेरी बात तो सुनो। “
औरत,” चलो चलो निकलो यहाँ से। अगली बार दरवाजा खटखटाया तो मार खाओगे। “
औरत ने उसके मुँह पर दरवाजा बंद कर दिया।
सोमू तक हारकर एक पेड़ के नीचे बैठ गया।
सोमू,” क्या हाल हो गया है मेरा ? पहनने को ढंग का एक कपड़ा नहीं, खाने को दाना नहीं। “
तभी एक आदमी उसके सामने एक सिक्का फेंक कर चला गया।
सोमू,” शायद सच्ची में मैं भिखारी लग रहा हूँ। “
तभी उसकी नजर सामने एक घर के आंगन में घड़े बनाते कुम्हार पर पड़ी। उसे देखकर सोमू कुछ याद करने लगा।
फ्लैशबैक…
सोमू सड़क पर चक्कर खाकर गिर गया। उसे बहुत चोट लगी और खून बहने लगा। तभी वहाँ शमशेरा आ गया।
शमशेरा,” भैया संभल कर, लो मेरा हाथ पकड़ो। “
शमशेर ने उसे सहारा देकर खड़ा किया और घर ले गया।
शमशेर,” तुम तो चलने की हालत में नहीं हो। तुम्हें तो बहुत तेज बुखार भी है। ऐसा करो, कुछ दिन यहीं मेरे साथ इस घर में रहो। जब अच्छे हो जाओ तो चले जाना। “
सोमू खड़े होने की कोशिश करता है पर गिर जाता है।
शमशेर,” अरे भैया ! संभलकर, कहीं ऐसा ना हो की ज़िन्दगी भर ना चल पाओ। “
सोमू,” ना ना, ऐसा मत बोलो। “
शमशेर,” तो आराम करो। “
शमशेर ने उसकी बहुत सेवा की। सोमू अब थोड़ा बहुत चलने लगा।
सोमू,” यहाँ भीतर पड़े पड़े जी घबराने लगा है, थोड़ा बाहर हो आऊं ? “
शमशेर,” अकेले कहीं चक्कर खाकर गिर ना पड़ो ? अभी भी बहुत कमजोर लग रहे हो। चलो, मैं भी चलता हूँ। “
दोनों घर से बाहर निकले तो सामने वाले घर में घड़े बनाते हुए कुम्हार ने आवाज़ दी।
कुम्हार,” भैया, कहाँ जा रहे हो ? तुम तो जब से आये हो, घर में ही कैद हो। बाहर ही नहीं निकलते। “
दोनों उसके पास जाते हैं।
सोमू,” भाई, वो तबियत ठीक नहीं है तने दिनों से। कोई आज जाकर बुखार उतरा है। “
कुम्हार,” एकदम मुरझाए लग रहे हो। तभी मैं सोचूं पड़ोस में नया आदमी आया और कोई बातचीत नहीं। ये देखो तुमको तो ढंग से धोती तक नहीं आती है। “
सोमू,” ठीक तो है। “
कुम्हार,” नहीं, ठीक नहीं है। तुमको चलने में दिक्कत हो रही होगी। मैं बताता हूँ, ठीक कैसे होगी ? “
कुम्हार ने सोमू की धोती को थोड़ा पीछे से खींचा।
कुम्हार,” अब ठीक लग रही है। अब सही है। “
फ्लैशबैक समाप्त…
सोमू कुम्हार के पास गया।
सोमू,” भैया, ज़रा सुनो तो…। “
कुम्हार,” अरे ! तुम अंदर मत आओ, वही रहो। पता चले कुछ तोड़ दिया तो बिना बात के नुकसान हो जायेगा। वहीं से बोलो क्या चाहिए ? “
सोमू,” तुमसे कुछ पूछना है। “
कुम्हार,” अच्छा मैं आता हूँ। बोलो क्या बात है ? “
सोमू,” भैया ! मुझको पहचाना नहीं ? “
कुम्हार,” नहीं तो… कौन हो तुम ? “
सोमू,” मैं पिछले साल… वो सामने वाले घर में… तुमने मुझको धोती बांधना सिखाई थी। “
कुम्हार,” सोमू तुम… ये क्या हाल बना रखा है भैया ? फिर से कहीं चक्कर खाकर गिर गए क्या ? “
सोनू ने मुँह लटका लिया।
कुम्हार,” शाम होने को आयी। चलो, अंदर आओ। पहले नहा धोकर कुछ खा पी लो, फिर बात करेंगे। “
रात को सोमू और कुम्हार खाना खाते हुए…
सोमू,” भैया, मैं सुबह से इस गांव में शमशेर को ढूंढ रहा हूँ। पर कोई आदमी सीधा जवाब नहीं दे रहा। “
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कुम्हार,” कौन शमशेर ? इस गांव में कोई शमशेर नाम का आदमी तो मैं भी नहीं जानता। “
सोमू,” कैसी बात करते हो भैया ? उस दिन जब तुमने मुझको धोती बांधना सिखायी, वो मेरे साथ खड़ा था। “
कुम्हार,” अरे ! नहीं, ऐसा कैसे हो सकता है ? मुझे अच्छे से याद है तुम अकेले थे। तभी मैं सोच रहा था कि अकेला आदमी घर के बाहर ही नहीं निकलता। “
सोमू,” भैया, याद करो ना…शमशेर, तुम्हारा पड़ोसी जो सामने वाले घर में रहता था। उसने मेरी बहुत सेवा की थी। जाते समय मुझसे पूरे 5 हजार रुपए उधार लिए थे। कहा था 1 साल बाद वापस करूँगा। “
कुम्हार,” अरे ! तुमको कोई भ्रम हुआ है भैया ? सामने वाले घर में तो रमानाथ रहता है। रमानाथ और उसका परिवार पिछले साल गंगा जी गए थे तो मुझे लगा तुमको घर की रखवाली के लिए बुलाया है। मैंने जब भी तुम्हें देखा, अकेले देखा था। “
सोमू,” मुझे इस गांव के बारे में कुछ नहीं पता भैया। मुझे तो यहाँ शमशेर लेकर आया था। 25 – 26 साल का लंबा चौड़ा लड़का, काला लंबी लंबी मूछें, आगे एक दांत टूटा। “
कुम्हार,” आगे का दांत टूटा हुआ ? ऐसा हुलिया और शमशेर… देखो भैया, ऐसा एक आदमी था तो। मतलब इस हुलिए का एक शमशेर था।
पर वो 3 साल पहले अचानक गायब हो गया था। धरती निगल गई या आसमान, किसी को नहीं पता। “
सोमू,” 3 साल पहले गायब हो गया ? अरे ! नहीं भैया, मैं तो पिछले साल ही मिला हूँ। “
कुम्हार,” भैया, लगता है शमशेर के नाम से किसी ने ठगी की है। मैंने तो यहाँ तक सुना है कि वो गलत काम करता था।
दो नंबर का धंधा और उसी के किसी दुश्मन ने… समझ रहे है ना ? मैं तो कहता हूँ तुम उसके चक्कर में मत पड़ो। सुबह को अपने गांव निकल जाओ। “
कुम्हार ने सोमू के फटे कपड़े देखकर उसे कुछ नए कपड़े दिए और उसे घर जाने की सलाह दी।
सोमू,” भैया, तुम्हारा बहुत एहसान। मेरे तो कपड़े भी फट गए थे। “
कुम्हार,” कोई बात नहीं भैया, बस अपना ध्यान रखना है। “
सोमू वहाँ से चला गया। चलते चलते दोपहर हो गई तो बाहर एक पेड़ के नीचे बैठकर रोटी खाने लगा।
खाते खाते अचानक उसे हिचकी आने लगी। उसने सामने की तरफ देखा। सामने पेड़ के पीछे से कोई झांक रहा था।
सोमू,” ये कौन है ? अरे ! ये तो शमशेर है। “
सोमू सब कुछ छोड़कर उसी ओर भागने लगा। दोनों भागने लगे। आगे आगे शमशेर और पीछे सोमू उसके पीछे भागते हुए जंगल में पहुँच गया कि अचानक वो पत्थर से टकरा गया।
सोमू (हांफते और चिल्लाते हुए),” रुक… मेरे रुपये वापस कर। “
शमशेर भाग गया।
सोमू,” एक बार हाथ तो लग, छोडूंगा नहीं। “
सोमू आगे की ओर बढ़ गया। तभी उसे झील के पास शमशेर दिख गया। शमशेर उसे देखकर भागने लगा।
सोमू उसके पीछे भागने लगा। आगे केवल एक दरवाजा लगा हुआ था। शमशेर उसके गोल गोल भागने लगा और सोमू भी।
सोमू,” क्या फालतू दरवाजा खड़ा कर दिया यहाँ ? “
शमशेर को देखते ही उसने उसके पैरों की ओर डंडी फेंकी। वो शमशेर की धोती में फंस गई और शमशेर दरवाजे से टकरा गया।
सोमू,” अब आया हाथ में, सबको पागल बनाता है। उसने इधर उधर देखा, शमशेर कहीं नहीं दिखा। “
सोमू,” कहाँ गायब हो गया ? अरे ! अभी तो दरवाजे से टकराया है। अरे ! मेरे रुपए तो दे देता जाता। मैं बेघर हो जाऊंगा। हाय ! ये क्या हो रहा है मेरे साथ ? “
तभी दरवाज़ा ज़ोर से हिलने लगा और उसमें चिपका हुआ शमशेर दिखा और गायब हो गया। सोनू घबरा गया।
शमशेर,” भैया, मैंने तुम्हारी जान बचाई थी। आज तुम्हारी बारी है। इस दरवाजे को उठाकर नदी में बहा दो। “
सोमू,” क्यों..? “
शमशेर,” मैं सब बताऊँगा, पहले ये दरवाजे को पानी में बहाओ वरना मैं मर जाऊंगा। “
शमशेर की बात सुनकर सोमू सोच में पड़ जाता है।
सोमू,” अगर शमशेर उस समय मेरा ध्यान नहीं रखता तो मैं पिछले साल ही मर गया होता। मेरे रुपयों से बड़ा इसका अहसान है। “
सोमू ने दरवाजे को हाथ लगाया और हटा लिया।
सोमू,” अरे ! ये दरवाजे में से कुछ चुप रहा है। “
उसने फिर हिम्मत करके दरवाजे को उठाया और नदी में बहा दिया। जैसे ही दरवाजा नदी में डूबा, शमशेर सोमू के सामने प्रकट हो गया। “
शमशेर,” भैया, मैं तुमको सब बताता हूँ। पहले मैं बहुत लालची था। हमारे यहाँ एक बाबा जी आये थे। वो दरवाजे वाली जगह पर ध्यान लगाकर बैठे थे।
फ्लैशबैक…
शमशेर,” बाबा जी, मेरा एक काम कर दो। “
बाबा,” बोलो बेटा। “
शमशेर,” वो रमानाथ आपको बहुत मानता है। उसे समझाओ कि अपना पुश्तैनी मकान मुझे बेच दे। “
बाबा,” बेटा, मैं सन्यासी हूँ, इंसानी कामों में नहीं पड़ता। “
शमशेर,” देखो बाबा, मुझे वो घर हर कीमत पर चाहिए। मैं उसके साथ ज़ोर जबरदस्ती नहीं कर सकता क्योंकि पूरा गांव उसके साथ है। वो आपका कहा नहीं टालता तो ये काम आपको करना पड़ेगा वरना…। “
बाबा ,” वरना क्या..? “
शमशेर,” जहाँ बैठे हो वहां से कभी उठ नहीं पाओगे। आप मुझे जानते नहीं हो। “
बाबा,” बेटा, तुम स्वार्थ में अंधे हो गए हो। सुधर जाओ। “
शमशेर,” अरे ! मुझे सुधारने को कहता है। “
कहकर उसने बाबा को पकड़ना चाहा। परंतु बाबा ने एक फूंक मारी और शमशेर दरवाजे में परिवर्तित हो गया।
शमशेर,” अरे ये क्या हो गया ? मेरा दम घुट रहा है बाबा। बाबा माफी… बाबा, बाबा माफी। “
बाबा,” तुम्हारे पाप का घड़ा भर गया है। माफी इतनी आसानी से नहीं मिलती।
शमशेर,” माफ़ कर दो बाबा, माफ़ कर दो। “
बाबा,” ठीक है, आ जाओ बाहर। “
शमशेर दरवाजे से प्रकट हो गया।
बाबा,” तुम सापित हो। अब से तुम अदृश्य हो। कोई तुम्हें देख नहीं पाएगा। “
शमशेर,” बाबा, कृपा करो। मुझे वापस पहले जैसा कर दो। मैं कभी कोई गलत काम नहीं करूँगा। “
बाबा,” तुम्हारी माफी का एक ही उपाय है। एक ऐसा आदमी जो इस गांव का ना हो, निर्बल हो लेकिन दिल का सच्चा हो। यदि उसे तुम्हारी जरूरत होगी तो तुम केवल उसे दिखने लगोगे।
तुम्हारे सच्चे मन से की गई सेवा से यदि वह सवस्थ हो जाए और 1 साल बाद वो इस दरवाजे को उठाकर नदी में बहाये तो तुम फिर से पहले जैसे हो जाओगे। “
फ्लैशबैक समाप्त…
सोमू,” ऐसा तो पहले कभी सुना नहीं। “
शमशेर,” जब मैं तुम्हें दिखने लगा तो मैं समझ गया कि तुम ही वो आदमी हो। पर मैं तब तुम्हें ये सब नहीं बता सकता था। इसलिए तुमसे रुपये उधार लिए कि तुम 1 साल बाद इसी बहाने वापस आ जाओ। “
सोमू,” तुम बहुत होशियार आदमी हो, गायब होकर वापस इस दुनिया में आगये।
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शमशेर ने वहीं मिट्टी में गड्ढा खोदकर एक डिब्बा निकाला।
शमशेर,” ये लो तुम्हारे रुपये, जैसे दिए थे वैसे ही है। सूद मैं बाद में दे दूंगा। “
सोमू,” ना ना भैया, मेरा काम इन्हीं रुपयों से हो जायेगा। देखो आज फिर तुमने मेरी मदद कर दी तुम बहरूपिया नहीं हो भैया तुमने तो मेरी जिंदगी वापस की है अब मैं भी तुम्हारी तरह सच्चा आदमी बनूँगा।
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