अनमोल मोहब्बत (भाग – 3) – Love Story in Hindi | Best College Love Story in Hindi

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अनमोल मोहब्बत (भाग - 3) - Love Story in Hindi | Best College Love Story in Hindi
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Love Story in Hindi | Best Love Story in Hindi | New Love Story in Hindi

हेलो दोस्तो, कहानी की नई Series में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – अनमोल मोहब्बत। यह एक New Hindi Love Story है। यह  इस कहानी का (भाग – 3) है; जिसे पढ़कर आपको खूब मजा आने वाला है।

 अनमोल मोहब्बत – 3 


पिछले भाग में आपने पढ़ा :- 

रितिका अपने कॉलेज जाती है और वहां पर उसकी मुलाकात उसके बचपन के दोस्त कार्तिक से होती है। कार्तिक को अचानक देखकर रितिका हैरान रह जाती है। कुछ देर तक बात करने के बाद वे दोनों कैंटीन की तरफ जाते हैं।

अब आगे :-

कैंटीन में पहुंचकर कार्तिक ने रितिका से पूछा कि वह क्या खाएगी। तो रितिका ने सैंडविच और कॉफी का आर्डर करने को बोल दिया। कार्तिक ने वेटर को आर्डर दिया और रितिका के साथ एक टेबल के पास बैठ गया। 
कार्तिक – और बताओ रितिका… क्या चल रहा है ? और तुम अचानक से कहां गायब हो गई थी ? 
रितिका – वो दरअसल, पापा ने इस शहर में कपड़े की दुकान खोल ली तो हम सब गांव से यहां आ गए। फिर मैंने बाकी की पढ़ाई यहीं से की।

कार्तिक – ओह ! यार एक बार बता तो देती।
रितिका कार्तिक को क्या बताती कि वह खुद उससे दूर रहना चाहती थी। क्योंकि उसे प्यार हो गया था कार्तिक से। और इसलिए उसने कार्तिक से दूर रहना बेहतर समझा। 
क्योंकि उसके लिए उसके मम्मी पापा के सपने सबसे ज्यादा मायने रखते थे। वह नहीं चाहती थी कि उसका ध्यान पढ़ाई से हटे।
रितिका – हम्म… इतना वक्त ही नहीं मिला, सब जल्दी-जल्दी में हो गया।
कार्तिक – अच्छा कोई नहीं। तभी वेटर उनका ऑर्डर लाकर टेबल पर रख देता है और दोनों खाने में व्यस्त हो जाते हैं।
हालांकि जब रितिका 8वीं में थी तब कार्तिक 10वीं में था। पर कार्तिक और रितिका दोनों एक ही मोहल्ले में रहते थे। और दोनों का साथ – साथ ही स्कूल जाना होता था। 
बस इस वजह से दोनों में दोस्ती हो गई और वो भी पक्की वाली। इसी बीच कब रितिका को कार्तिक से प्यार हो गया उसे खुद नहीं पता चला।
कार्तिक (सैंडविच खाते हुए) :- रितिका… तुम इतनी शांत क्यों हो ? क्या तुम्हें अपने दोस्त से मिलकर खुशी नहीं हुई ? (थोड़ा उदास होते हुए)
रितिका :- ऐसी बात नहीं है कार्तिक। मैं बहुत खुश हूं तुमसे मिलकर। बस सब कुछ अचानक से हो गया तो मुझे समझ नहीं आ रहा है क्या बोलूं ?? (अपने मन के भावों को छुपाते हुए)
कार्तिक :- अच्छा कोई नहीं। अब ज्यादा ना सोचो। ऐसी गुमसुम रितिका मुझे अच्छी नहीं लगती। मुझे तो मेरी वह चुलबुली रितिका चाहिए जो मेरे हिस्से की सैंडविच भी खा जाती थी।
यह सुनकर रितिका खिलखिला कर हंस देती है और उसे देखकर कार्तिक भी हंस देता है। और तभी रितिका उसकी सैंडविच छीन लेती है और कहती है,” मैं अब भी वही चुलबुली रितिका ही हूं। और अब तुम्हारी सैंडविच फिर से मैं ही खाऊंगी। ” और दोनों खिलखिला कर हंस पड़ते हैं।
कार्तिक – अच्छा विशाल तू चल मैं आता हूं। 
तभी विशाल चला जाता है। फिर कार्तिक रितिका से चलने को कहता है। दोनों ऑडिटोरियम की तरफ निकल जाते हैं।

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ऑडिटोरियम में पहुंचकर रितिका और कार्तिक ने देखा कि सारे स्टूडेंट पहले ही आ चुके हैं। वह भी रितिका को लेकर एक चेयर पर बैठ गया। थोड़ी देर में प्रिंसिपल और सारे टीचर्स भी आ गए। बारी बारी से सबको इंट्रोड्यूस कराया गया। 
इन सब में लगभग 2 घंटे लग गए। फिर सब बाहर आ गए। कोई कैंटीन में, तो कोई क्लास रूम में, तो कोई स्टूडेंट गार्डन में चले गए। रितिका भी क्लास रूम की तरफ जाने लगी कि तभी पीछे से कार्तिक की आवाज आई।
कार्तिक – कहां जा रही हो, रितिका..??
रितिका ने पीछे मुड़कर देखा और जवाब दिया – कहीं नहीं… क्लास रूम में जा रही थी। पहला दिन है और मेरा कोई फ्रेंड भी नहीं यहां… तो बोर हो रही थी। (रितिका ने थोड़ा उदास होकर कहा)
कार्तिक – अरे ! किसने कहा कि कोई फ्रेंड नहीं है ? मैं भी तो हूं यहां। यह सुनकर रितिका मुस्कुरा दी।
कार्तिक – चलो गार्डन में चलते हैं। वहीं बैठ कर आराम से बात करते हैं। इतने सालों बाद मिली हो तुम मुझसे… बहुत सारी बातें करनी है तुमसे।
रितिका ने मुस्कुराकर हां में सर हिलाया और दोनों गार्डन की तरफ चले गए।
कार्तिक  – वैसे रितिका… एक बार तो बता देती। कौन सा दूर था ? उसी में मोहल्ले में तो रहता था। पर तुमने बताया तक नहीं कि तुम वो शहर छोड़ कर जा रही हो… हमेशा के लिए।
रितिका – सॉरी कार्तिक… सब कुछ इतना जल्दी हुआ कि मौका ही नहीं मिला।
कार्तिक – चलो कोई नहीं… अब तो मिल गई ना। अब अचानक से मत चली जाना कहीं। और दोनों खिलखिला कर हंस पड़े।
वैसे रितिका तुम्हें पता है कि तुम मेरी सच में बेस्ट फ्रेंड थी और हो। तुम्हारे जाने के बाद मैंने बहुत मिस किया तुम्हें। वहां उस शहर में मेरा कोई नहीं था तुम्हारे अलावा। तुम चली गई तो बहुत गुस्सा आया था। 
सोचा था कि कभी बात नहीं करूंगा। ऐसे दोस्ती निभाता है कोई… कि बिना बताए शहर छोड़कर चला जाए। (चहल कदमी करते हुए कार्तिक ने रितिका से कहा)
रितिका को यह सुनकर बहुत दुख हुआ और पछतावा भी कि उसकी वजह से कार्तिक हर्ट हुआ।
रितिका – I am sorry, Kartik. सच में सब जल्दबाजी में हो गया। पापा ने कहा कि हमें आज ही यह शहर छोड़ कर जाना है। 
और दूसरे शहर में उन्होंने अपना बिजनेस स्टार्ट कर दिया है। मुझे भी बहुत अजीब लगा कि इतनी जल्दी क्यों ? पर पापा ने कहा कि वो कई महीनों से इस काम में लगे थे।
और फाइनली वो बिजनेस स्टार्ट कर लिया और नया घर भी ले लिया खुद का। तो मैं और मां बहुत खुश हुए और हम लोग यहां आ गए। उस टाइम मेरे पास ना ही फोन था और ना ही तुम्हारा कोई नंबर,, तो मैं तुम्हें बता सकती।
कार्तिक – हम्म ! कोई बात नहीं। अब तुम मिल गई मुझे… मैं बहुत खुश हूं। (और दोनों मुस्कुरा दिए)
रितिका – अब हमें घर चलना चाहिए। देखो सारे स्टूडेंट्स जा रहे हैं। आज कोई क्लास नहीं है तो…।
कार्तिक – हां चलो मैं तुम्हें छोड़ देता हूं। और अंकल आंटी से भी मिल लूंगा। इतने सालों से मैंने आंटी के हाथों का खाना भी नहीं खाया है।

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रितिका – हां ! क्यों नहीं..?? चलो फिर मां – पापा तुमसे मिलकर बहुत खुश होंगे। दोनों फिर घर के लिए निकल जाते हैं।

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इस कहानी का यह अध्याय यहीं समाप्त होता है। अगर आप कहानी को आगे भी पढ़ना चाहते हैं तो इस कहानी का अगला भाग जरूर पढ़ें।

 अनमोल मोहब्बत – 4 

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