आलसी लकड़हारा | Aalasi Lakadhara | Hindi Kahaniya | Moral Story | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales

व्हाट्सएप ग्रुप ज्वॉइन करें!

Join Now

टेलीग्राम ग्रुप ज्वॉइन करें!

Join Now

हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” आलसी लकड़हारा ” यह एक Hindi Fairy Tales है। अगर आपको Hindi Kahani, Moral Story in Hindi या Hindi Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
आलसी लकड़हारा | Aalasi Lakadhara | Hindi Kahaniya | Moral Story | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales

Aalasi Lakadhara| Hindi Kahaniya| Moral Story | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales

 आलसी लकड़हारा 

गांव में बबलू और गुड्डू नाम के दो सगे भाई रहा करते थे। बबलू गुड्डू से 10 साल छोटा था। बचपन में ही माँ बाप के गुजर जाने की वजह से गुड्डू ने ही बबलू की परवरिश की थी। 
कुछ सालों पहले एक सड़क हादसे में गुड्डू अपनी एक टांग गंवा चुका था। वह अपाहिज हो गया था लेकिन अपाहिज होने के बाद भी वह घर का खर्चा चलाता था क्योंकि बबलू एक साल से लकड़हारा था। 
आज भी दोपहर के 12 बज चूके थे मगर बबलू सोकर नहीं उठा। उसे दोपहर तक सोता देख गुड्डू गुस्से से बोला। 
गुड्डू,” अरे ! उठ जा छोटे भाई, और कितनी देर तक सोयेगा ? सूरज सर पर आ गया है, कब जायेगा तू काम पर ? “
गुड्डू की बात सुनकर बबलू अंगड़ाई लेता हुआ उठकर बोला। 
बबलू,” क्या भैया… तुम तो सुबह सुबह आराम भी नहीं करने देते ? “
गुड्डू,” दोपहर के वक्त को तू सुबह का वक्त बोलता है। मैंने तेरे लिए जो नाश्ता बनाया था, वो भी ठंडा हो चुका। 
अब मैं दोपहर का खाना बनाने की तैयारी कर रहा हूँ मगर तेरी नींद है जो पूरी होने का नाम ही नहीं ले रही। “
बबलू ,” आप दोपहर का खाना बनाने की तैयारी कर रहे हैं ? मुझे तो वक्त का पता ही नहीं चला। “
गुड्डू खांसते हुए बोला। 
गुड्डू,” बबलू, सारे गांव में तू आलसीपन के नाम से मशहूर हैं। जब भी कोई मुझसे तेरी बुराई करता है तो मुझे बहुत बुरा लगता है। 
अगर उस सड़क हादसे ने मुझे अपाहिज नहीं बनाया होता तो मैं तुझसे कभी भी काम करने के लिए नहीं कहता। 
लेकिन सच तो यह है बबलू कि अब मुझसे हम दोनों का खर्चा बहुत मुश्किल से उठाया जाता है और कई दिन से ये खांसी भी मुझे तंग कर रही है। 
बबलू,” भैया, सीधे सीधे ये क्यों नहीं कहते कि आप मुझसे तंग आ गए हो ? “
गुड्डू,” ऐसी बात नहीं है बबलु, मैं चाहता हूँ तू मेहनती बन जाए ताकि तेरे लिए कोई अच्छी सी लड़की देखकर तेरी शादी कराई जा सके। अब तू जल्दी से नाश्ता कर ले। “
बबलू नाश्ता करके अपनी कुल्हाड़ी लेकर जंगल की ओर चल दिया। वो अपने घर से कुछ ही दूर चला था कि तभी गांव के सुखिया चाचा उसका मजाक उड़ाते हुए बोले। 
सुखिया,” क्या बात है बबलू, तू फिर से इतनी जल्दी उठ गया ?अरे ! इतनी सुबह सुबह अगर काम पर जायेगा तो बीमार पड़ जाएगा, भई। “
बबलू ,” अरे ! तुमको क्या सुखिया चाचा, मैं जल्दी उठूं या देरी से… मेरी मरज़ी ? “
बबलू की बात सुनकर सुखिया के चेहरे पर गुस्सा झलकने लगा। 
सुखिया,” क्या बोला… जब तेरी मर्जी होगी तब तू सो कर उठेगा ? बेशर्म, शर्म तो तुझे आती नहीं है ? इतना बड़ा हट्टा कट्टा हो गया है। 
तेरा बड़ा भाई दूसरों की गुलामी कर अपना और तेरा पेट भरता है और तू दिन भर घोड़ों की तरह सोया रहता है। “
सुखिया की बात सुनकर बबलू के चेहरे पर भी क्रोध झलकने लगा। वो तेज – तेज कदमों से जंगलों की ओर चला गया और एक पेड़ के पास जाकर गुस्से से अपने आप से बोला। 
बबलू,” ये गांव के लोग अपने आप को पता नहीं क्या समझते हैं ? ज़रा से मेहनती क्या हो गए, मेरा मजाक उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। आज मैं इतनी लकड़ियां काटूँगा कि सबके मुँह बंद हो जाएंगे। “
इतना कहकर बबलू अपनी कुल्हाड़ी से लकड़ियां काटने लगा। मगर मुश्किल से उसने थोड़ी सी लकड़ियां काटी होंगी कि उसे थकान महसूस होने लगती है और वह अपने माथे का पसीना पोंछता हुआ बोला। 
बबलू,” आज थोड़ी गर्मी भी ज्यादा लग रही है और थकान भी लग रही है। एक काम करता हूँ, सो जाता हूँ। “
बबलू एक पेड़ के नीचे आराम से खर्राटे लेकर सोने लगा। तभी किसी ने उसे उठा दिया। बबलू अंगड़ाई लेता हुआ उठकर बोला। 
बबलू ,” अरे भाई ! किमुझे इतनी अच्छी नींद से जगा दिया ? इतना अच्छा सपना देख रहा था कि मैं एक महल में बैठकर अच्छा अच्छा भोजन कर रहा हूँ। “
यह कहकर बबलू इधर उधर देखने लगा। उसने देखा कि इसके सामने एक साधू खड़ा हुआ उसे क्रोधित भरी नजरों से देख रहा था। 
साधू,” यहाँ पर मेहनत करने की बजाय तू आराम से सो रहा है। तुझे ऐसा करते हुए मैं काफी दिन से देख रहा हूँ। मैं तुझे चेतावनी देने आया हूँ। सुधर जा, मुसीबत तेरे सर पर खड़ी है। “

ये भी पढ़ें :-

Aalasi Lakadhara| Hindi Kahaniya| Moral Story | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales

बबलू ,” ऐ कैसी मुसीबत बाबा..? जाओ और सोने दो। “
साधू,” मैंने अपने जीवन में तेरे जैसा आलसी लकड़हारा नहीं देखा। लकड़ियां काटने की बजाय तू सोता है। “
बबलू ,” बाबा, आज मेरी कुल्हाड़ी खराब हो गई है। इस वजह से मैं सो गया। “
बबलू ने इतना ही कहा था कि उस साधु ने अपना हाथ पीछे की ओर कर लिया। अचानक बबलू ने देखा कि उसके हाथ में कुल्हाड़ी आ गई। 
साधू,” मेरी कुल्हाड़ी नई और बहुत अच्छी है। इससे लकड़ियां जल्दी कटेगी। “
बबलू,” अरे ! जाओ बाबा, नहीं चाहिए मुझे तुम्हारी ये कुल्हाड़ी। मैं सिर्फ अपनी कुल्हाड़ी से ही लकड़ियां काटता हूँ। “
साधू,” आलसी लकड़हारे, ये क्यों नहीं कहता कि तुझे काम नहीं करना ? मैं तो तुझे चेतावनी देने आया था लेकिन अब लगता है कि तुझसे कुछ भी बात करना बेकार है। “
इतना कहकर साधू क्रोधित होकर वहाँ से चला गया और बबलू आराम से वहाँ पर दोबारा सो गया। 
शाम को बबलू कुछ लकड़ियां लेकर अपने घर की ओर आ गया। इतनी कम लकड़ियों को देखकर गुड्डू बोला। 
गुड्डू,” ये क्या बबलू… आज फिर इतनी कम लकड़ियाँ ? “
बबलू ,” भैया, वो कुल्हाड़ी की धार कम हो गई थी। “
गुड्डू,” बबलू, तू रोज़ कोई न कोई बहाना बनाता है। भला इतनी कम लकड़ियों से गुज़ारा कैसे चलेगा ? “
बबलू ,” कोई बात नहीं भैया, कल ज्यादा लकड़ियाँ काट लूँगा। “
इतना कहकर बबलू अंदर चला गया और खाना खाकर सो गया। अगली रोज़ वो अपनी आदत के मुताबिक दोपहर में ही उठा और हमेशा की तरह पेड़ के नीचे जाकर सो गया। 
ऐसा कई दिन तक चलता रहा। सच तो ये है कि गुड्डू उसे समझा समझा कर तंग आ चुका था। गुड्डू की खांसी भी अब बढ़ चुकी थी। 
अब वह रोज़ रात को बुरी तरह से खांसता रहता था। एक रोज़ बबलू दोपहर में जब उठा तो उसने देखा कि उसका बड़ा भाई गुड्डू लेटा हुआ था। 
बबलू ,” क्या भैया..? आप मुझसे बोलते हो की जल्दी नहीं उठते और आज आप खुद दोपहर तक लेटे हुए हो। आपने तो आज खाना तक नहीं बनाया। अब खाली पेट में काम पर कैसे जाऊंगा ? 
गुड्डू,” आज मुझे शरीर में बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस हो रही थी, बबलू। मैं चाहकर भी उठ नहीं पाया। तू एक काम कर… तू बाज़ार से कुछ खा पी लेना। “
गुड उठकर बैठ गया। तभी गुड्डू को ज़ोर ज़ोर से खांसी होने लगी और खांसी के साथ गुड्डू के मुँह से खून भी आने लगा। 
बबलू ,” खांसी के साथ आपके मुँह से तो खून आ रहा। है। “
इतना कहकर बबलू ने गुड्डू का हाथ पकड़ लिया। 
बबलू,” भैया, आपको तो बहुत तेज बुखार भी है। “
गुड्डू,” अरे ! कुछ नहीं बबलू, हल्का हल्का बुखार है और कभी कभी खांसी के साथ खून भी आ है। “
बबलू ,” नहीं भैया, आप चलिए मेरे साथ। मैं आपको अभी और इसी वक्त डॉक्टर के यहाँ ले चलता हूँ। 
बबलू भले ही एक आलसी व्यक्ति था लेकिन वह अपने बड़े भाई से अपने पिता की तरह प्यार करता था। बबलू जबरदस्ती गुड्डू को डॉक्टर के यहाँ ले जाता है। 
डॉक्टर ने गुड्डू की पूरे शरीर की जांच पड़ताल की और बेहद गंभीर नजरों से बबलू की ओर देखकर बोला। 
डॉक्टर,” गुड्डू की हालत सही नहीं है। उसके फेफड़े बहुत कमजोर हो चूके है। उसे इलाज की सख्त जरूरत है और इसके लिए हमें उसका ऑपरेशन करना पड़ेगा। तभी गुड्डू को आराम मिलेगा और वो ठीक हो पायेगा। 
बबलू,” ऑपरेशन तो बहुत महंगा होता है, डॉक्टर साहब ? “
डॉक्टर,” तुमने सही कहा बबलू , तुम्हें ₹50,000 का जल्द से जल्द इंतजाम करना है। “
₹ 50,000 का नाम सुनकर बबलू बुरी तरह से घबरा गया लेकिन उसने डॉक्टरों को कुछ भी ज़ाहिर होने नहीं दिया। 
बबलू ,” ठीक है डॉक्टर साहब, एक हफ्ते के अंदर अंदर में ₹50,000 का इंतजाम कर दूंगा। “
डॉक्टर,” ठीक है, तब तक दवाईयां देते रहना तुम उसे, खून आना बंद हो जाएगा और बुखार भी उतर जाएगा। “
उसके बाद बबलू गुड्डू को घर ले आया। अब उसे अपने आलसीपने पर बहुत गुस्सा आ रहा था। वो किसी भी कीमत पर अपने पिता जैसे बड़े भाई को खोना नहीं चाहता था। 
अगले दिन बबलू सुबह सुबह उठकर मुखिया के पास चला गया। बबलू को देखकर मुखिया मूंछों पर ताव देता हुआ मुस्कुराते हुए बोला। 
मुखिया,” क्या बात है बबलू ? आज सुबह सुबह मेरे घर का रास्ता कैसे भूल गया तू ? आज तो तू सुबह 6 बजे ही उठ गया। “
बबलू ,” मुखिया जी, मेरे बड़े भाई की तबियत बहुत खराब है। “
मुखिया,” तो इसका मतलब तू मुझसे पैसे उधार मांगने आया है ? “
बबलू,” मुखिया जी, आपने बिलकुल सही कहा। मुझे ₹ 50,000 की सख्त जरूरत है। उसके बदले आप मुझसे जो भी काम करवाओगे, मैं मेहनत से करूँगा और जल्द से जल्द आपके पैसे कटवा दूंगा। “
मुखिया,” तेरा दिमाग तो ठीक है ? तुमसे लकड़ियां तो ठीक से काटी नहीं जाती, मेहनत का काम क्या खाक करेगा ? और वैसे भी ये तो एक दिन होना ही था। 
बेचारा गुड्डू मेहनत कर करके तुझे पाल पोसकर बड़ा कर रहा था और खुद बीमार होकर घर पर बैठ गया। “
मुखिया ने बबलू को पैसे और काम देने से साफ इनकार कर दिया। थक हारकर बबलू सुखिया चाचा के पास पहुंचा। सुखिया के पास बहुत खेती थी। बबलू को देखकर सुखिया बोला। 
सुखिया,” क्या बात है बबलू ? आज तू बहुत जल्दी उठ गया। पूरे गांव में मिठाई बटवा दूँ क्या ? “
बबलू,” सुखिया चाचा, मेरे भाई की तबियत ठीक नहीं है। डॉक्टर ने ऑपरेशन बताया है। मुझे ₹50,000 की सख्त जरूरत है। 
आप मुझे पैसे दे दो और उसके बदले आप जितने साल मुझसे अपने खेतों में काम करवाना चाहते है, मैं करने को तैयार हूँ। “
सुखिया,” बबलू, तुझे सुबह सुबह मैं ही मिला था ? अरे ! तेरे आलसपने के चर्चे सिर्फ इस गांव में नहीं बल्कि दूसरे गांव में भी मशहूर है। 
सब जानते हैं बबलू कि तू मुश्किल से दो चार लकड़ियां काटकर पूरे दिन सोता रहता है। अरे ! तू तो उठकर एक गिलास पानी भी नहीं पी सकता। खेतों में क्या खाक काम करेगा ? चल भाग यहाँ से। “
बबलू रोता हुआ उदास मन से अपनी कुल्हाड़ी लेकर जंगल की ओर चला गया और एक पेड़ के पास जाकर लकड़ियां काटने लगा। 
बबलू ने 3 घंटे बगैर रुके लगातार लकड़ियां काटी और अपने आपसे रोते हुए बोला। 

ये भी पढ़ें :-

Aalasi Lakadhara| Hindi Kahaniya| Moral Story | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales

बबलू ,” मैं क्या करू ? अगर मैं सारा दिन मेहनत से काम करता रहूं तब भी मैं ₹50,000 नहीं जोड़ पाऊंगा। मैं अपने भाई का ऑपरेशन कैसे करवा पाऊंगा ? 
काश ! मैं आलसी नहीं होता तो आज मुझे किसी के सामने हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़ती। भैया सही कहते थे कि मेरा ये आलसीपन मुझे 1 दिन बहुत बड़ी मुसीबत में फंसाएगा। “
तभी उसके कानों में उसी साधू की आवाज टकराई। 
साधू,” मैंने तुमसे कहा था ना कि मुसीबत तेरे सिर पर मंडरा रही है लेकिन तूने मेरी बातों को मजाक में उड़ा दिया। “
बबलू ने देखा कि उसके सामने वही साधू खड़ा हुआ था जो कुछ समय पहले उसे चेतावनी देकर गया था। 
बबलू,” आपने सही कहा था बाबा, मैं वाकई बहुत बड़ी मुसीबत में फंस गया हूं। मेरे भैया की तबियत सही नहीं है। डॉक्टर ने ₹50,000 का इंतजाम करने को बोला है। 
मैंने हर गांव में हर किसी से मदद मांगी मगर सबने मेरी मदद करने से साफ इनकार कर दिया। “
साधू,” इस दुनिया में कोई किसी की बेवजह मदद नहीं करता बबलू, उन्होंने तेरी मदद इस वजह से नहीं की क्योंकि तू एक आलसी व्यक्ति है। 
उनको डर है कि कहीं उनके पैसे फंस ना जाये। अब तू अगर किसी के सामने मेहनत की बात करेगा तो लोग तो तेरा मजाक उड़ाएंगे ना ? “
बबलू ,” बिलकुल सही कहा बाबा, लेकिन अब मैं क्या करूँ ? अब मैं अंदर से बदल गया हूँ। मैं अपने भैया को बहुत चाहता हूँ। 
उन्होंने मुझे कभी भी माँ और पिताजी की कमी महसूस नहीं होने दी और मैं… मैं कितना निकम्मा भाई हूँ जो अपने भाई का इलाज तक नहीं करा सकता ? “
इतना कहकर रोते हुए बबलू फिर से लकड़ियां काटने लगा। साधू ने देखा की बबलू अच्छी खासी लकड़ियाँ काट चुका था।
साधू के होठों पर एक रहस्यपूर्ण मुस्कुराहट आ गयी। उसने अपना हाथ पीछे किया और उसके हाथ में कुल्हाड़ी आ गयी। 
साधू,” ये ले, इससे लकड़ियां काट। “
बबलू ,” इससे क्या फर्क पड़ता है ? “
साधू,” क्या फर्क पड़ता है, ये तुझे कुछ समय बाद समझ आएगा ? “
बबलू ने वो कुल्हाड़ी उस साधू के हाथ से ले ली और साधू मुस्कुराते हुए वहाँ से चला गया। बबलू उस कुल्हाड़ी से लकड़ियां काटने लगा। 
मगर बबलू ने देखा कि वह कुल्हाड़ी हल्के से प्रहार से ही लकड़ी को चीरके रख देती थी। 
बबलू ,” वाह ! ये कुल्हाड़ी तो कमाल है। मेरे इतने धीरे से मारने पर भी लकड़ी के दो टुकड़े कर दिए। अब तो मैं जल्दी लकड़ियां काटकर बेच सकता हूँ। 
बबलू को बहुत कम मेहनत करनी पड़ रही थी। देखते ही देखते उस दिन बबलू ने बहुत सी लकड़ियाँ काट दी और उन्हें बाजार में बेचकर आ गया। 
बबलू को उसी दिन ₹5000 की बौनी हुई। बबलू खुश होकर अपने आप से बोला। 
बबलू ,” ऐसे तो मैं कुछ दिन में ही ₹50,000 का इंतजाम कर लूँगा। अब कल से मैं और दुगना काम करूँगा ताकि मैं भैया का जल्द से जल्द ऑपरेशन कराकर उनका इलाज करा सकू। “
अगले दिन बबलू सुबह 5 बजे ही जंगल पहुँच गया और सुबह सुबह सुबह ही सूखे हुए पेड़ काटकर लकड़ियां काटना शुरू कर दिया। 
बबलू,” बस भाई एक बार ठीक हो जाए, आराम तो तब भी कर लूँगा, हाँ “
बबलू शाम तक लकड़ियां काटता रहा और उन लकड़ियों को बेचा आया। उस दिन लकड़ियों की बिक्री ₹15,000 की हुई। 
तीन चार दिनों के अंदर ही बबलू के पास ₹50,000 आ गए। बबलू तुरंत अपने बड़े भाई को डॉक्टर के पास लेकर चला गया और ₹50,000 डॉक्टर के हाथ में रखकर बोला। 
बबलू,” ये लो डॉक्टर साहब पूरे ₹50,000। अब जल्दी से जल्दी मेरे भैया का ऑपरेशन करके उन्हें सही कर दो। “
डॉक्टर,” ये तुमने बहुत अच्छा किया। अब तुम्हारे भैया बहुत जल्दी सही हो जाएंगे। “
डॉक्टर ने गुड्डू का ऑपरेशन कर दिया और देखते ही देखते गुड्डू कुछ ही दिनों में तंदुरुस्त हो गया और बबलू ने भी तब तक बहुत पैसे कमा लिए थे। 
गुड्डू,” मेरे भाई की मेहनत और कमाई से आज मैं ठीक हुआ हूँ, इससे ज्यादा खुशी मुझे कभी नहीं मिल सकती। धन्यवाद भाई ! “
बबलू,” ये कैसी बातें कर रहे है, भैया ? ये तो मेरा सौभाग्य है कि मैं आपके काम आ सका और आपके साथ से ये संभव हुआ है जो मुझ जैसा आलसी इंसान काम करने लगा। “
गुड्डू,” मेरे भाई, अब तुम मेहनती हो गए हो। शहर में एक अच्छी सी दुकान देखकर वहां अपना फर्निचर का काम जमा लें ? “
बबलू,” जैसा आप कहो, भैया। “
अब उसने शहर में एक फर्नीचर की दुकान भी खोली थी। लेकिन अभी भी वो रोज़ लकड़ियां काटने जाता था। 
एक रोज़ वो लकड़ियाँ काट रहा था कि तभी वह साधू वहाँ पर आ गया। उस साधु को देखकर बबलू उसके पैरों पर गिरकर बोला।
बबलू ,” ये उस कुल्हाड़ी का ही चमत्कार था साधू महाराज कि मेरे घर के हालात सही हो गए। 
मेरे भैया का ऑपरेशन हो गया और मैंने अब शहर में लकड़ी के फर्नीचर की दुकान भी कर ली है। “

ये भी पढ़ें :-

Aalasi Lakadhara| Hindi Kahaniya| Moral Story | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales

साधू,” ये सब इस कुल्हाड़ी का ही कमाल नहीं है बबलू। इस कुल्हाड़ी की तो खासियत बस ये है कि ये बहुत कम समय में लकड़ी को चीर देती है। 
ये सब तो तुम्हारी मेहनत और लगन का कमाल है। आलसी आदमी के हाथ में तुम चाहे जितनी भी दौलत दे दो, वो उसे कुछ ही दिनों में लुटा देगा। 
अगर तुम पहले की तरह आलसी हो गए तो यकीन मानो ये कुल्हाड़ी भी तुम्हारे किसी काम की नहीं होगी। “
बबलू,” ये लो बाबा अपनी कुल्हाड़ी, अब मुझे इसकी कोई जरूरत नहीं। मैं समझ गया… मेहनत ही सफलता की कुंजी है। “
बबलू की बात पर साधू मुस्कुराते हुए वहाँ से चला गया। अब बबलू बहुत ज्यादा मेहनती है। आज बबलू अपनी मेहनत के दम पर एक सफल व्यापारी बन चुका है।
इस कहानी से आपने क्या सीखा ? नीचे Comment में हमें जरूर बताएं।

Leave a Comment