हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” ईमानदार चोर ” यह एक Bed Time Story है। अगर आपको भी Hindi Kahaniyan, Moral Stories in Hindi या Majedar Hindi Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
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ईमानदार चोर
एक बहुत बड़े गांव में मुंशी नाम का एक चोर रहता था। वो एक शातिर और बहुत ही इमानदार चोर था। गांव के सभी लोग जानते थे कि मुंशी एक चोर है लेकिन कभी भी उसे रंगे हाथों नहीं पकड़ पाए।
मुंशी आज भी बेखौफ होकर गांव में घूमता है और हर एक घर की खबर रखता है। लोग उसे देखकर सोचते हैं कि कभी मौका मिलेगा तो इसे जरूर पकड़ेंगे।
एक दिन वह चोरी करने के लिए तैयार हो रहा था। उसकी पत्नी उसके हाथ, पैर और पीठ पर तेल लगा रही थी ताकि जब भी कोई उसे पकड़ने की कोशिश करें तो वह उसके हाथों में ना आए।
मुंशी कहता है,” सुनो भाग्यवान… आज मैं बहुत बड़ा हाथ मारने वाला हूं। मेरे गुरु ने मुझे बताया है कि यह मेरी आखिरी चोरी है। ”
मुंशी की पत्नी कहती है,”अच्छा… कहां चोरी करने जाओगे ? “
मुंशी कहता है,” शर्मा जी के यहां। आज उनके घर शादी है ना। आज बहुत सारा सोना और आभूषण वहां मेरा इंतजार कर रहे होंगे। मैं जाऊंगा और सोना चांदी लेकर वापस आऊंगा। “
मुंशी की पत्नी उदास होते हुए कहती है,” क्या फायदा इस सोने चांदी का ? पिछली बार जो तुमने सोने का हार चुराया था वो मैं पहन भी नहीं पाई।
न जाने कितने सोने चांदी के आभूषण मैं केवल देखकर उन्हें वापस संदूक में ही रख देती हूं। क्योंकि अगर किसी ने यह आभूषण पहने हुए देख लिया तो आफत हो जाएगी। “
मुंशी कहता है,” अरे ! नहीं नहीं… बहुत जल्दी तुम इन सभी गहनों को खुलेआम पहन पाओगी। क्योंकि इस चोरी के बाद हम इस गांव को छोड़कर दूसरे गांव में चले जाएंगे।
और वैसे भी किसी चोर को ज्यादा देर तक किसी भी जगह पर नहीं ठहरना चाहिए। यह बात मेरे गुरु ने मुझसे कही थी। “
मुंशी कहता है,” चलो… अब मैं गुरु का नाम लेकर चलता हूं और अच्छे से चोरी करता हूं। हे ! चोर देवता, यह चोरी अच्छे से करवाना और मुझे आशीर्वाद देना कि मैं ढेर सारा सोना – चांदी ले कर आ सकूं।
मुंशी को जाता हुआ देख उसकी पत्नी कहती है,” अच्छा सुनो… संभल कर जाना और चोरी करते हुए पकड़े मत जाना। “
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थोड़ी देर छुपते – छुपाते मुंशी शर्मा जी के घर पहुंचता है। वह अपने तेज दिमाग से घर में बिना आवाज किए प्रवेश करता है। उसने देखा कि शर्मा और उसकी पत्नी दोनों सो रहे हैं।
लेकिन मुंशी को शर्मा जी की एक आदत नहीं पता थी कि शर्मा जी रात में कई बार नींद में चलते हैं और गाना गाते हैं।
मुंशी अपनी चोरी का काम शुरू कर देता है। जैसे ही वह बर्तनों को समेटने की कोशिश करता है, शर्मा जी नींद में चलते हुए और गाना गुनगुनाते हुए मुंशी की तरफ आते हैं,” कौन हो तुम ? मैंने तुम्हें देख लिया। “
यह सब सुनकर मुंशी को लगा कि शर्मा जी को पता चल चुका है। या फिर किसी ने उन्हें ये खबर दे दी है कि मुंशी आज उन्हीं के घर चोरी करने वाला है। मुंशी यह सब सुनकर अपना काम बंद कर देता है और बिना आवाज किए छुप जाता है।
फिर शर्मा जी की पत्नी उन्हें आवाज लगाती है,” अजी कहां चले गए ? “
इतने में शर्मा जी की नींद खुल जाती है और वह वापस बिस्तर पर आ कर लेट जाते हैं।
मुंशी को कुछ समझ नहीं आ रहा होता है कि शर्मा जी सोए हैं या फिर जाग रहे हैं ? वह कुछ देर इंतजार करता है। इतने में घर्राटों की आवाज कमरे में गूंजने लगती है।
मुंशी को लगता है कि अब ये दोनों सो चुके हैं। वह बिस्तर के नीचे से उठता है और देखने लगता है। दोनों को सोता हुआ पाकर वह अपना काम शुरू करता है।
वह कमरे में रखे संदूक के पास जाता है और उसे खोलता है। इतने में फिर से शर्मा जी नींद में उठते हैं और गाना गाते हैं,” देख लिया, देख लिया। मैंने तुम्हें संदूक खोलते हुए देख लिया। “
यह सुनकर मुंशी के तो होश ही उड़ जाते हैं। उसे लगता है कि इस बार शर्मा जी ने उसे पकड़ ही लिया। लेकिन शर्मा जी तो नींद में चल रहे थे।
थोड़ी दूर चलने के बाद उनकी पत्नी वापस उन्हें आवाज लगाती है,” कहां चले गए ? ”
वापस से शर्मा जी की नींद खुलती है और वह वापस से बिस्तर पर आकर लेट जाते हैं।
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मुंशी कहता है,” यह शर्मा जी भी ना… मुझे ठीक से चोरी भी नहीं करने देंगे। यह मेरी आखिरी चोरी है। अगर मैंने इस चोरी को सही से नहीं किया तो मेरे चोर देवता मुझसे रूठ जाएंगे।
और अगर मैं चोरी करके घर वापस नहीं गया तो मेरी बीवी मुझे चप्पल से मारेगी। नहीं ! नहीं ! मुझे यह चोरी करनी ही होगी।
वह संदूक को उलट-पुलट कर ही रहा था कि अचानक उसकी नजर सोने की थाली और कटोरी पर पड़ती है। वह संदूक को छोड़कर उनकी तरफ बढ़ता है।
तभी शर्मा जी नींद में चलते हुए गुनगुनाते हैं,” पकड़ लिया, पकड़ लिया… और अब तुम्हें सजा मिलेगी। “
यह सुनकर मुंशी के माथे से पसीना बहना शुरू हो जाता है। उसे लगता है कि वह चोरी करते हुए पकड़ा गया। वह पास ही रखें एक लाल रंग की धोती को लपेट लेता है। धोती को वह इस तरह लपेटता है मानो वह कोई स्त्री हो।
इस बार शर्मा जी की पत्नी शर्मा जी की हरकतों से परेशान हो चुकी थी। वह खड़ी होती है और शर्मा जी को लाने के लिए कमरे से बाहर आती है।
वह देखती है कि शर्मा जी नींद में उस स्त्री के पीछे – पीछे चल रहे हैं। यह देखकर शर्मा जी की पत्नी कहती है,” हाय रे ! तो यह है सौतन। रात में नींद में चलने का तो बहाना है, गाने गुनगुनाकर अय्याशी करते हो इसके साथ। “
यह शब्द सुनकर शर्मा जी नींद से उठ जाते हैं और देखते हैं कि उनके सामने एक लाल साड़ी पहने स्त्री खड़ी है। शर्मा जी की पत्नी डंडा लेकर उस स्त्री और शर्मा जी के पीछे भागती है।
तभी मुंशी की लाल साड़ी उतर जाती है और वह अपने वास्तविक रूप में आ जाता है। इसे देखकर शर्मा और शर्मा जी की पत्नी दोनों पूछते हैं,” तुम कौन हो और यहां क्यों आए हो ? “
यह सवाल सुनकर मुंशी अपने तेज दिमाग को घुमाता है और कहता है,” मैं तो वर्मा जी के घर जा रहा था। पता नहीं शर्मा जी के घर कैसे आ गया ? “
यह सुनकर शर्मा जी को गुस्सा आया और उसने मुंशी की गर्दन को पकड़ा और कहा,” सही-सही बता क्यों आया है यहां ? “
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मुंशी ने एक ही बार में सब कुछ उगल दिया। उसने कहा मैं चोर हूं और आज मैं आपके घर चोरी करने आया था। लेकिन कुछ चुरा तो नहीं पाया क्योंकि पूरी रात तुमने परेशान कर दिया। “
यह सुनकर मुंशी गुस्सा होते हुए बोलते हैं,” अच्छा चोर हो। रुको,, मैं पूरे गांव वालों को अभी यहीं इकट्ठा कर लेता हूं और फिर देखना तुम्हारा क्या हाल होने वाला है ? “
यह सुनकर मुंशी हाथ जोड़ते हुए शर्मा जी की पत्नी से कहता है,” भाभी जी,, आप ही समझाइए ना इनको। कुछ चुराया तो नहीं और अब तो मैं आपके सामने भी हूं। मुझसे गलती हुई है और अब मैं इस गांव में कभी चोरी नहीं करूंगा। “
मुंशी की भोली सूरत देखकर शर्मा जी की पत्नी कहती है,” अजी सुनो… यह आदमी सच कह रहा है। चोर है तो क्या हुआ, उसने कुछ चुराया तो नहीं। रहने दो, छोड़ दो इसे। “
” सुन चोर… तूने इतनी मेहनत की है लेकिन फिर भी कुछ नहीं चुरा पाया। एक काम कर तू यह लाल साड़ी ही ले जा। ” शर्मा जी की पत्नि ने उसे सुझाव देते हुए कहा।
मुंशी बिना कुछ बोले साड़ी लेकर चला जाता है। उसके बाद शर्मा और शर्मा जी की पत्नी दोनों सोने के लिए चले जाते हैं।
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