किसान की जुड़वां बेटियां | Kisaan Ki Judwaa Betiyan | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” किसान की जुड़वां बेटियां ” यह एक Hindi Moral Story  है। अगर आपको Hindi Stories, Bedtime Story या Hindi Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

किसान की जुड़वां बेटियां | Kisaan Ki Judwaa Betiyan | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales

Kisaan Ki Judwaa Betiyan | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales



सुल्तानपुर नामक एक गांव में खुशीलाल नाम का किसान रहा करता था। उसकी दो बेटियां थी; सलोनी और दिव्या। 

सलोनी जितनी सुंदर और गुणवान थी, दिव्या उतनी ही कुरूप और घमंडी। पूरे गांव में सब सलोनी को ही पसंद करते थे। 

लेकिन दिव्या के कुरूप होने के कारण कोई भी गांव वाला उसे पसंद नहीं करता था। एक गांव का दूध वाला जिसका नाम गबरू था, अपनी साइकल पर गाना गाता आ रहा था।

गबरू,” अरे ! गबरू चला रे.. अपनी साइकिलिया पे… गाऊं गाऊं घर घर दूध बांटने चला रे… ओहो। “

तभी उसकी साइकिल खुशीलाल के घर के बाहर आकर रुक गई और गबरू ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगा।

गबरू,” कोई है ? अरे ! दूध वाला गबरू आया है भाई। अरे बाहर आओ। अरे ओ सलोनी ! जल्दी से बाहर आ। “

उसके आवाज लगाते ही दिव्या बर्तन लेकर बाहर आती है।

गबरू,” अरे रे ! धत् तेरे की। ये क्या देख लिया गबरू ? अरे छि छि छि… सुबह सुबह पूरा फ्रेश मूड खराब हो गया भैया। हाय ! इस काली कलूटी को देख लिया। 



अरे रे ! कितनी बार कहा है तुम दूध लेने तुम मत आया करो लेकिन तुम हो कि अपना ये बदसूरत चेहरा उठाकर मेरे सामने आ जाती हो। “

तभी वहाँ पर बहुत ही सुंदर दिखने वाली सलोनी आती है। 

सलोनी,” अरे ! क्या हुआ कबरू भैया ? क्यों चिल्ला रहे है आप ? सब ठीक तो है ना‌ ? “

गबरू,” अरे रे ! क्या कहा… भैया ? अरे ! मैं तुम्हारा भैया थोड़े ही लगता हूँ। लेकिन सलोनी जी, आज आप क्यों नहीं आयी दूध लेने ? 

बल्कि आपकी ये काली बहन आयी जिसे देखकर मेरा पूरा मूड ही खराब हो गया। हाँ अगर आपको पहले देखता तो मेरा पूरा दिन बन जाता भैया। आखिर कितनी स्मार्ट जो है आप ? “

दिव्या,” ये सब तेरे ही कारण होता है। तू ही मेरी सबसे बड़ी दुश्मन है। तेरे इतने सुंदर होने की वजह से मुझे ऐसी बातें सुननी पड़ती है। 

और देखो तो सही इस कद्दू जैसे गबरू को… खुद तो दो इंच का भी नहीं है और कैसे मेरे काले रंग के कारण मुझे बदसूरत बोल रहा है ? 

अरे खुद को कभी देखा है आइने में ? आया बड़ा मुझे बदसूरत कहने वाला। चल जा यहाँ से। “

गबरू,” अरे रे ! तो ठीक है ठीक है, भड़कती क्यों हो भाई ? अरे ! जा रहा हूँ जा रहा हूँ यहाँ से ? “

सलोनी,” नहीं नहीं दीदी, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। तुम मेरी प्यारी बहन हो। तुम जैसी भी हो मुझे बहुत प्यारी हो। ना जाने तुम क्यों ऐसा सोचती हो ? “

तभी दिव्या और सलोनी के पिता खुशीलाल वहाँ आते हैं।

खुशीलाल,” अरे ! उठ गयी मेरी दोनों प्यारी बिटियां ? क्या बात है दिव्या बेटी, आज तो तुम भी जल्दी उठ गयी वरना तो रोज़ तुमसे पहले तो सलोनी बेटी ही उठा करती है ? “

दिव्या,” क्या कहना चाहते है आप पिताजी ? आज जल्दी उठ गई मतलब यही कहना चाहते हैं कि मैं रोज़ कितनी देर तक सोती हूँ और आपकी प्यारी सलोनी बेटिया कितनी अच्छी है जो रोज़ सुबह जल्दी उठ जाया करती है। 

आखिर इस सलोनी की तो तारीफ करते हो, इतनी सुन्दर जो है। मैं इतनी कुरूप जो हूं। “

जिसके बाद दिव्या वहाँ से चली जाती है।

खुशीलाल,” अरे ! नहीं नहीं बेटा, तुम ऐसा क्यों समझती हो ? मैं तुमसे उतना ही प्यार करता हूँ जितना मैं सलोनी से करता हूँ।
लेकिन न जाने क्यों तुम ऐसा सोचती हो ? “

सलोनी,” अरे पिताजी ! आप चिंता मत कीजिए। दिव्या तो बस ऐसे ही बोलती है। दिल की बहुत अच्छी है मेरी बहन। आप चिंता मत कीजिये। देखिएगा एक दिन दिव्या दीदी ऐसी बातें करना बंद कर देंगी। 

अच्छा अच्छा पिताजी, आप गांव के बाजार जा रहे हैं तो मेरे लिए लाला की दुकान से गर्मा गर्म समोसे लेते आना, आज बहुत दिल कर रहा है। “



खुशीलाल,” अच्छा अच्छा ठीक है बिटिया, ले आऊंगा तेरे लिए समोसे। अच्छा, अब मैं चलता हूँ। “

थोड़ी देर बाद खुशीलाल समोसे और जलेबियां लेकर आता है।

खुशीलाल,” अरे, कहां हो मेरी प्यारी बेटियों ? दिव्या और सलोनी… अरे ! ज़रा देखो तो सही, मैं तुम्हारे लिए बाजार से समोसे और जलेबियां लेकर आया हूँ भाई। अरे ! देखो देखो… बाहर तो आ ज़रा। “

सलोनी,” अरे पिताजी ! आप आ गए ? अरे वाह ! कितने सारे समोसे और जलेबियां लेकर आए हैं ? वाह ! मुझे तो बहुत ज़ोर की भूख लगी है। “


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दिव्या,” हाँ हाँ, ये समोसे और जलेबियां भी पिताजी तेरे लिए लाये होंगे। आखिर तू पिताजी की इतनी सुन्दर बेटी है ना। जा जा तू ही खा ले सलोनी ये गर्मागर्म समोसे और जलेबियां। “

खुशीलाल,” अरे ! नहीं सलोनी बिटिया, ये समोसे और जलेबियां तो मैं तुम दोनों के लिए ही लाया हूँ। तुम हमेशा ऐसी बातें क्यों करती हो बेटी ? 

तुम भी मुझे उसी तरह प्यारी हो जिस तरह सलोनी। फिर क्यों दिव्या बिटिया ऐसा बोलती हो तुम ? “

तभी दिव्या चुपके से अपने कमरे से बाहर आती है और रसोई में जाकर देखती है कि समोसे और जलेबियां रखी है कि नहीं। 

तभी दिव्या चुपके से सभी समोसे और जलेबियां में लाल मिर्च मिला देती है और चुपचाप वहाँ से चली जाती है। 

जैसे ही सलोनी समोसे और जलेबियां खाती है, मिर्च की वजह से वो चिल्लाने लगती हैं। 

सलोनी,” आह !इतनी मिर्च इन जलेबी और समोसे में कहाँ से आ गयी ? हाय ! मैं मर गयी। “

देखते ही देखते मिर्च की वजह से सलोनी का बुरा हाल हो जाता है। तभी दिव्या सलोनी को छुपकर देख रही होती है। 

दिव्या,” वाह वाह ! अब आया ना मज़ा। अरे वाह सलोनी ! तेरी ऐसी हालत देखकर तो मज़ा ही आ गया। बेचारी सुंदर सलोनी… । “

अगले दिन…
दिव्या ,” अरे ! सुनो सलोनी… मैं गांव के तालाब से पानी लेने जा रही हूँ, पिताजी आए तो उन्हें बता देना। मेरी बुराई करने मत लग जाना। आई बड़ी पिताजी की लाडली। “



जिसके बाद दिव्या वहाँ से अपने हाथ में एक मिट्टी का घड़ा लिए चल देती है। दिव्या अपने सर पर मिट्टी का मटका लिए जब जा रही थी तो तभी उसे रास्ते में गबरू दिखाई देता है। 

गबरू दिव्या के ठीक पीछे होता है जिसकी वजह से उसे दिव्या का चेहरा नहीं दिख पाता।

गबरू,” अरे ! कोई छम्मक छल्लो जा रही है। अरे वाह वाह… अरे ! चलो चलो इस हसीना के पीछे चलकर इसका खूबसूरत चेहरा तो देखा जाये। “

गबरू,” अरे ओ हसीना ! कहाँ चली ? ज़रा मुड़के तो देख इस जबान गबरू को। “

गबरू दिव्या के पीछे चलने लगता है। जैसे ही दिव्या पलटकर गबरू को देखती है, गबरू हैरान रह जाता है। “

दिव्या,” क्या बोला रे नाशमीटे गबरू ? बोल दुबारा बोल तो सही, तुझे अभी ठीक करती हूँ। “

गबरू,” अरे अरे अरे ! छि छि छि… तू है तू बदसूरत ? हट हट, मुझे लगा था कोई हसीना यहाँ से जा रही है लेकिन निकली तू। छि छि… ये किसे क्या बोल दिया मैंने हाय..? “

ऐसे बोलता हुआ गबरू वहाँ से चला जाता है लेकिन गबरू की इस बात से दिव्या बहुत दुखी हो जाती है।

वो आगे चलती है। वो गांव के तालाब के किनारे पहुंचती है जहाँ पहले से ही गांव की कुछ औरतें तालाब पर पानी भरने आई थीं। वो सब दिव्या को देखते ही अजीब सी शक्ल बना लेती हैं। 

पहली औरत,” अरे जीजी ! ये सुबह सुबह किस काली कलूटी का चेहरा देख लिया ? हाय ! अब तो पूरा ही दिन खराब हो जायेगा, हां। “

दूसरी औरत,” बोल तो बिल्कुल सही रही हो बहन। इस कुरूप दिव्या को देखना ही अपशगुन है। छि छि छि… आप देखना इसके इन हाथों से पूरा तालाब भी अशुद्ध हो जाएगा। “

तभी सारी औरतें बोलने लगती हैं। 

औरतें,” अरे ! हाँ हाँ… इसे दिव्या ने तो पूरा तालाब ही गंदा कर दिया। इसने तो तालाब ही गंदा कर दिया। “

दिव्या,” क्या कहा तुमने ? मेरे इस तलाक को हाथ लगाने से ये अशुद्ध हो जायेगा ? मैं अपशगुनी हूँ ? रुको, अभी बताती हूँ तुम लोगो को। “

तभी दिव्या के हाथ में जो मिट्टी का घड़ा था, वो उन औरतों पर फेंककर मारती है जिसकी वजह से वो औरतें तालाब में जा गिरती है। “

पहली औरत,” हाय ! ये क्या किया तुने कुरूप लड़की ? देखना तू हम तेरी शिकायत तेरे पिता खुशीलाल से करेंगे। सूरत तो है ही कुरूप ऊपर से सीरत भी अच्छी नहीं। “

ऐसी बातें सुनकर दिव्या बहुत दुखी हो जाती है और वहाँ से जंगल की ओर चल देती है। वो एक पेड़ के पास बैठकर रोने लगती हैं। 

उसी पेड़ के ऊपर गधैया भूत बैठा था। वो आराम से खर्राटे मारकर सो रहा था कि तभी उसे दिव्या के ज़ोर ज़ोर से रोने की आवाज सुनाई दी।



गधैया भूत,” अरे रे ! ये कौन है भाई जो इतनी जोरों से रो रहा है ? कैसे इंसानी लोग हैं, चैन से सोने भी नहीं देते ? “

तभी गधैया भूत दिव्या के पास आता है।

गधैया भूत,” अरे ओ लड़की ! क्यों रो रही हो तुम ? क्या तुम्हें नहीं पता, ये गधैया भूत का स्थान है ? क्यों रोती हो ? कौन हो तुम ? 

अरे रे ! छि छि कितनी कुरूप लड़की है ? कितनी काली कलूटी ? हाय हाय… छि छि छि, तुम तो बिलकुल भी सुन्दर नहीं हो। मेरा तो पूरा मूड ही खराब हो गया है। “

दिव्या उसे देखकर थोड़ा डर जाती है। 

दिव्या,” अरे ! क्या तुम सच में भूत हो ? लेकिन तुम कितने गंदे दिखते हो ? छि छि… लेकिन तुम भूत हो इसलिए तुम्हें मेरी तरह लोगों के ताने नहीं सुनने पड़ते। 

मेरे कुरूप होने की वजह से कोई भी मुझे पसंद नहीं करता। अब तुम ही बताओ मैं क्या करूँ ? अब बस बहुत हुआ, मैं और जीना नहीं चाहती। “

दिव्या जोर-जोर से रोने लगती है। दिव्या को रोते देख गधैया भूत थोड़ा दुखी हो जाता है।

गधैया भूत,” अरे रे ! अच्छा अच्छा ठीक है, लेकिन तुम रोना बंद करो। तुम्हारे रोने की आवाज से ऐसा लगता है जैसे मेरे कान ही फट जाएंगे।

हाँ, आखिर मैं भी इमोशनल भूत हूं और यहाँ आस पास कोई भूतों का डॉक्टर भी नहीं है। 

लेकिन मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ। तुम्ह एक कुरूप लड़की से बहुत ही सुंदर और रूपवती लड़की बन सकती हो, बिल्कुल ऐश्वर्या राय की तरह। “


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दिव्या,” क्या तुम सच बोल रहे हो गधैया भूत ? ऐसा हो सकता है ? क्या मैं भी अपनी सलोनी बहन की तरह सुंदर हो सकती हूँ ? 

फिर तो कोई भी गांव वाला मुझे कुछ भी बोलने की हिम्मत नहीं कर पाएगा। मुझे सभी के तानों से छुटकारा मिल जाएगा। बताओ ना… ऐसा हो सकता है ? “



गधैया भूत,” मैं तुम्हें बता तो दूंगा लेकिन इसके बाद तुम्हें मुझे ककड़ी खिलानी होगी, हाँ। आलू लकड़ी बकडी… गधैया भूत को पसंद है ककड़ी। 

हा हा हा… लेकिन ध्यान रहे लड़की, सबसे सुंदर बनने के बाद अगर तुमने अहंकार किया तो फिर हमेशा के लिए तुम और अधिक कुरूप हो जाओगी और वापस से कभी सुन्दर नहीं बन पाओगी और तुम्हें ऐसे ही अपना जीवन बिताना होगा। “

दिव्या,” नहीं नहीं गधैया भूत, मैं कभी अहंकार नहीं करूँगी। मैं तुम्हारी ये बात हमेशा ध्यान रखूंगी,हाँ। लेकिन तुम मुझे सबसे सुन्दर बना दो…सबसे सुंदर… बहुत सुंदर। “

गधैया भूत,” आलू ककडी बकडी… कुरूप लड़की से तुम बन जाओ सुंदर लड़की। “

ऐसे बोलते ही देखते ही देखते गधैया भूत अपनी शक्तिओं से दिव्या को बहुत सुंदर बना देता है। दिव्या ये देखकर बहुत खुश हो जाती है। 

दिव्या,” अरे वाह ! मेरा रंग दूध की तरह एकदम सफेद हो गया। वाह वाह ! अब तो मेरी जैसी पूरे गांव में कोई नहीं होगी। तुम्हारा बहुत बहुत धन्यवाद ! “

गधैया भूत,” अच्छा अच्छा ठीक है, अब तुम जाओ लेकिन मेरे लिए ककड़ी लानी मत भूलना, हाँ। “

जिसके बाद दिव्या अपने घर जाती है जहाँ उसकी बहन और बाकी सभी गांव वाले दिव्या को देखकर हैरान हो जाते हैं।

आदमी,” अरे ! ये क्या..? देखो भैया इस दिव्या को तो देखो। ये तो इतनी कल्लू थी और अब देखो ये तो बहुत ही सुन्दर हो गयी है भैया। 

अब इसके जितनी सुंदर तो पूरे गांव में कोई दूसरी लड़की नहीं है भैया। वाह ! ये तो चमत्कार ही हो गया है। “

दिव्या ये बात सुनकर बहुत ही खुश हो जाती है और अपने घर जाती है जहाँ सलोनी बैठी हुई उसका इंतजार कर रही थी। लेकिन सलोनी जैसे ही दिव्या को देखती है, उसके होश उड़ जाते हैं। “

सलोनी,” अरे ! ये क्या दीदी, तुम तो पूरी तरह बदल गई ? आखिर कहाँ गई थी तुम ? मुझे बताओ। मैं और पिताजी तुम्हें कब से ढूंढ रहे थे ? “

दिव्या,” हाँ हाँ ठीक है, अब आ गयी ना मैं और ये देख… अब मैं तुझसे भी ज्यादा सुन्दर हो गई हूँ। अब तू देखना, पूरे गांव में सिर्फ मेरी ही सुंदरता के चर्चे होंगे। अच्छा मैं जाकर अपने कमरे में आराम करती हूँ। आज बहुत थक गयी हूँ मैं। “

जिसके बाद दिव्या वहाँ से अपने कमरे में चली जाती है।

सलोनी,” आखिर ये दीदी को क्या हो गया है ? दीदी एकदम से इतनी सुन्दर कैसे हो गयी ? मेरी तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा। “

उधर जबसे दिव्या सुंदर रूप की हुई, वह गांव वालों को कुछ नहीं समझती थी। बस सबको अपने सुंदर होने का घमंड दिखाया करती थी।

एक दिन दिव्या सब्जी खरीदने गांव के बाजार जाती है। तभी उसे एक भिखारिन बुढ़िया अपने हाथों से दिव्या के हाथ को पकड़ लेती है। 

बुढ़िया,” अरे ओ बेटी ! मुझे कुछ खाने को दे दे। कई दिनों से कुछ नहीं खाया। कुछ खाने को दे दे बेटी। “

दिव्या,” अरे ! छि छि… कौन हो तुम ? मेरा हाथ छोड़ो। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे चूने की ? छोड़ो मेरा हाथ। 

तुमने अपने गंदे हाथों से मुझे गंदा कर दिया। छि छि… अब मुझे घर जाकर गंगा जल से स्नान करना होगा। “

ये सब सुनते ही बेचारी भिखारिन बुढ़िया बहुत दुखी हो जाती है और गुस्से में आ जाती है।



बुढ़िया,” क्या कहा तूने… गंदे हाथ ? बहुत घमंड है ना तुझे अपने रुप पर ? तो जा, मैं तुझे श्राप देती हूँ… आज के बाद तेरा ये रूप चला जायेगा और तू फिर से कुरूप हो जाएगी। “

अरे जा भिखारिन। तेरे जैसी मामूली बुढ़िया मुझे क्या श्राप देगी ? चल जा यहाँ से। मैं गांव में सबसे सुंदर हूँ और हमेशा मैं ही सुंदर रहूंगी। मुझसे सुंदर और कोई नहीं। “

दिव्या अपने घर जाती है और जाकर सो जाती है। लेकिन जैसे ही सुबह उठती है, सलोनी उसे देखकर हैरान हो जाती है। 

सलोनी,” अरे ! ये क्या हुआ दीदी आपके चेहरे को ? ये कैसे हुआ ? “

दिव्या,” अरे ! तू जलती है मुझसे इसलिए ऐसे बोल रही है, हाँ। मेरा सुंदर चेहरा अच्छा नहीं लगता ना तुझे। आई बड़ी…। “

तभी दिव्या शीशे में अपना चेहरा देखती है। उसका पूरा चेहरा बेहद ही कुरूप हो जाता है और चेहरे पर एक बड़ी सी नाक उग आती है। तभी दिव्या ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगती है। 

दिव्या,” हाय हाय ! ये क्या हो गया ? “

तभी दिव्या गधैया भूत के पास जाती है।

दिव्या,” अरे गधैया भूत ! ये देखो ना क्या हो गया ? क्या कर दिया तुमने? मुझे पहले से भी अधिक बदसूरत बना दिया मेरे को ? मेरे चेहरे पर ये कितनी भद्दी दिखने वाली नाग उग आई है ? ये क्या किया तुमने ? “

गधैया भूत,” अरे! हां सच में, ये क्या हुआ ? तुम तो पहले से भी अधिक भद्दी दिख रही हो। छि छि और ये क्या तुम आज इतने दिनों बाद भी खाली हाथ ही आई हो ? 

कहाँ है ककड़ी ? यहां ना जाने कितने दिन से मैं रोज़ तुम्हारी राह देखता हूँ कि तुम कब मेरी फेवरेट ककड़ी लेकर आओगी और कब में लबालब ककड़ी खाऊंगा ? “

दिव्या,” मैं तुम्हारे लिए बहुत सारी ककड़ी लाऊंगी, बस मुझे एक बार और सुंदर बना दो। “

गधैया भूत,” स्वार्थी लड़की हो तुम।ज्ञये सब तुम्हारे ही कारण हुआ है। तुम्हारी यह दशा जो भी है, तुमने ही की है। सुंदर होने के बाद तुम बहुत अहंकारी हो गई थी। 

देखो, मैं एक बार अपने जादू से तुम्हारी मदद कर सकता था क्योंकि लोग तुम्हें बहुत ताने मारते थे लेकिन तुम हो कि सुधारने का नाम ही नहीं ले रही हो। 



अपने आप को सच में ऐंजलीना जोली समझने लगी थी अब भुगतो, मैं तो चला ककड़ी ढूँढने। “


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यह कहकर गधैया भूत आसमान में उड़ने लगता है और वहां से चला जाता है। गधैया भूत की ऐसी बातें सुनकर दिव्या ज़ोर ज़ोर से रोने लगती है।

दिव्या पूरे जीवन अपने कुरूपता के साथ ही बिताती है और गांव वाले उसे देखकर खूब उसका मजाक उड़ाते हैं। आखिर उसे अपने अहंकार की बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ी।


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