कूलर चोर | Coolar Chor | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” कूलर चोर ” यह एक Moral Story  है। अगर आपको Hindi Stories, Bedtime Story या Hindi Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
कूलर चोर | Coolar Chor | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales

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 कूलर चोर 

एक गांव में बुद्धा नाम का एक आलसी गुस्सैल व्यक्ति रहता था। वैसे तो वो एक मजदूर था लेकिन सिर्फ नाम का। 
बुद्धा की पत्नी शर्मीली, दूसरों के खेतों में काम करके घर का गुज़ारा चलाती थी। जून का महीना था। 
उस रात गर्मी से बेहाल शर्मीली ने घर में कदम रखा ही था कि तभी बुद्धा शर्मीली से गुस्से में बोला।
बुद्धा,” देखो शर्मीली, अगर गर्मी है तो इसका मतलब यह नहीं कि तुम जब मर्जी चाहोगी, तुम घर में आ जाओगी। “
बुद्धा की बात सुनकर शर्मीली का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया। 
शर्मीली,” एक तो मेरा गर्मी के मारे बुरा हाल है, ऊपर से तुम काम धंधा कुछ करते नहीं हो। अगर इतनी गर्मी में पत्नी काम कर रही है तो उल्टा रौब झाड़ रहे हो। “
बुद्धा,” रौब नहीं झाड़ रहा शर्मीली, टाइम देखो। रात के 8:00 बज रहे हैं। ये कोई वक्त है घर आने का ? “
शर्मीली,” पड़ोस की निर्मला ताई के घर पर थी, वहाँ कूलर की हवा खा रही थी इसलिए आने में देर हो गयी। “
बुद्धा,” तो फिर क्यों आ गई ? कंबल ओढ़कर निर्मला ताई के घर पर ही सो जाती। “
शर्मीली,” देखो जी, मेरा दिमाग खराब मत करो। “
बुद्धा,” इसमें दिमाग खराब करने वाली बात क्या है ? आज कल का माहौल देखा है, कितना खराब है।
निर्मला ताई का पति पूरे गांव में छिछोरेपन के लिए मशहूर हैं। तुम्हारी चिंता होती है मुझे। “
शर्मीली,” आय हाय ! वाह रे चिंता मेन, बड़ी चिंता करने वाले बने फिरते हो। इतनी ही अगर चिंता है तो कोई काम धंधा क्यों नहीं ढूंढ लेते ?
पत्नी काम करके पड़ोस में कूलर की हवा खा ले तो तुम्हे चिंता होती है। “
बुद्धा,” हर बात को उल्टा मत लिया करो, शर्मीली। तुम अच्छी तरह से जानती हो की गर्मियों में मुझसे भी काम नहीं होता क्योंकि मुझे बहुत गर्मी लगती है। “
शर्मीली,” आप तो अपनी बात मत ही करो, जी। आपको तो सर्दियों में बहुत सर्दी लगती है। गर्मियों में आपको बहुत ज्यादा गर्मी लगती है। 
बरसात में तो ज्यादातर काम बंद ही रहते है। बस आपको तो पूरे साल निठल्ले बनकर घूमना है, पत्नी पर हुक्म चलाना है। “
बुद्धा,” तुम्हें पता है, मैं 3 घंटे से तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ ? मुझे कितनी ज़ोर से भूक लगी है ? “
शर्मीली,” तो ये बोलिए ना कि आपको भूख लगी है इसलिए आपको पत्नी की चिंता हो रही थी। “
इतना कहकर शर्मीली ने टिफिन बुद्धा की ओर बढ़ा दिया। 
शर्मीली,” ये लीजिये, आज मुझे सिर्फ दाल मिली है। ये ही खाकर गुज़ारा कर लीजिये। “
बुद्धा,” क्या दाल..? लेकिन तुम तो कह रही थी कि बिरजू जमींदार के यहाँ पर आज दावत है, चिकन बना होगा। “
शर्मीली,” हाँ, बोल रही थी। लेकिन उनके यहाँ मेहमान ज्यादा हो गए तो चिकन खत्म हो गया। “
बुद्धा,” हे भगवान ! कैसे जानवर हैं, सारा का सारा चिकन खा गए ? “
शर्मीली,” हां, खा गए। और सुनिए… कल से आप खुद काम करोगे। मैं कल कहीं काम पर नहीं जाने वाली। “
बुद्धा,” अचानक ये कैसी बहकी बहकी बातें करने लगी तुम ? “
शर्मीली,” देखो जी, आज खेतों में गर्मी की वजह से मेरी हालत खराब हो गयी। एक तो हमारे घर में ना पंखा है ना कोई कूलर। 
पड़ोस की निर्मला ताई के यहाँ कितना बड़ा कूलर लगा है, तुम्हें पता है ? लेकिन मेरी तो किस्मत ही फूटी है। मुझे एक निकम्मा पति मिला जो मुझे कूलर तो क्या एक पंखा तक लाकर नहीं दे सकता। “
बुद्धा गुस्सैल स्वभाव का था। शर्मीली के कहने पर उसे काफी गुस्सा आ गया। 
बुद्धा,” तुम ज़रा सा काम क्या करके आती हो, मुझे जलील करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ती हो ? “
शर्मीली,” जी, आपने बिलकुल सही कहा। मैं खुलकर बोल रही हूँ कि मैं आपको इस वक्त जलील कर रही हूँ। जाइए जाकर कुछ काम कीजिये। “
बुद्धा,” नहीं तो इस बार की गर्मी में तुम और करलो। “
शर्मीली,” बिल्कुल नहीं जी, मुझे एक हफ्ते के अंदर अंदर अपने घर में कूलर चाहिए और गैर कूलर के मैं कोई काम नहीं करूँगी। 
यहाँ तक कि घर का भी कोई काम नहीं करूँगी और अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी ना तो इस बार मैं अपने मायके जाकर तुम्हारे आलसपने की करतूत अपने भाइयो को बता दूंगी। 
फिर याद रखना, पिछली बार जो मेरे भाइयो ने तुम्हारी जो ठुकाई की थी ना, उसका दर्द तुम्हें आज भी होता है। “
शर्मीली की बात सुनकर बुद्धा चुप हो गया। क्योंकि शर्मीली के भाइयों ने आलस की वजह से ही उसको बुरी तरह से पीटा था। बुद्धा रात भर सोचता रहा की कूलर का इंतजाम कहाँ से होगा ? 

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बुद्धा दूसरे दिन घर से बाहर निकला ही था कि ठेली पर शिकंजी बेच रहा मज़ाकिया मंगतलाल उसकी ओर देखकर बोला। 
मंगतलाल,” अरे ! क्या हुआ बुद्धा भैया ? इतनी गर्मी में कैसे निकल आये ? “
बुद्धा,” तुमसे मतलब, अपने काम से काम रखो। 
मंगतलाल,” अरे बुद्धा भैया ! तुम्हारी चिंता हो रही है इसलिए बोल रहे हैं। कहीं ऐसा ना हो सूरज की किरणों से तुम बेहोश हो जाओ ?
अगर तुम्हें कुछ हो गया तो भरी जवानी में भाभी का क्या होगा ? उनका ख्याल कौन रखेगा ? भाभी वैसे भी कितनी सुंदर है ? गांव वाले भाभी को छेड़ छेड़कर उनका बुरा हाल कर देंगे , हाँ। “
बुद्धा पत्नी की बात को लेकर वैसे ही बहुत परेशान था। मंगतलाल के मजाक ने उसका पारा हाई कर दिया। बुद्धा ने एक जोरदार चांटा मंगतलाल के गाल पर जड़ दिया। 
बुद्धा,” एक तो वैसे ही मेरा दिमाग खराब हुआ पड़ा है, ऊपर से तेरा मजाक खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। कम से कम देख तो लिया कर, सामने वाले का मूड कैसा है ? “
तभी वहाँ पर गांव का मुखिया आ गया। 
मुखिया,” अरे क्या हो गया बुद्धा ? क्यों बेचारे मंगतलाल को मार रहा है ? “
मंगतलाल,” देखिये ना मुखिया जी, मैंने थोड़ा सा मजाक क्या किया, बुद्धा भाई ने तो मेरे गाल पर चांटा ही जड दिया। “
मुखिया,” बुद्धा, ये सब क्या है ? मंगतलाल भी हमारे ही गांव का है। तुम्हें किसी को इस तरह से चांटा मारने का कोई अधिकार नहीं। “
बुद्धा,” मुखिया जी, एक तो वैसे ही मैं परेशान था ऊपर से ये मुझ पर मजाक पर मजाक किया जा रहा है। “
मुखिया,” अबे ! अगर कोई तुझसे मजाक करेगा तो तू उसको थप्पड़ मार देगा क्या ? अभी मैं तुझसे अगर मजाक करूँ तो क्या तू मेरे भी थप्पड़ मारेगा ? “
बुद्धा,” आपको कैसे थप्पड़ मार सकता हूँ ? “
मुखिया,” तो तू आदमी देखकर सबको मारता है ? “
बुद्धा,” मुखिया जी, आप तो जानते है, मुझे गर्मी बर्दाश्त नहीं होती। ऊपर से मेरी पत्नी ने एक हफ्ते का मुझे अल्टीमेटम दिया है। 
उसने बोला है कि अगर एक हफ्ते के अंदर अंदर मैंने उसे कूलर खरीद के नहीं दिया तो वो कोई काम नहीं करेगी और ऊपर से अपने भाइयों से मुझे पिटवाएगी सो अलग। “
बुद्धा की बात सुनकर मुखिया मूंछ पर ताव देता हुआ हंसता हुआ बोला। 
मुखिया,” तो ये बात है और तू ये सोच सोचकर चिंता कर रहा होगा कि तेरी औकात तो पंखा खरीदने की भी नहीं है तो तू कूलर कहाँ से लाकर देगा ? क्योंकि मेहनत मजदूरी तो तुझसे होती नहीं है। “
बुद्धा,” ऐसी बात नहीं है मुखिया जी, इस साल गर्मी ज्यादा पड़ रही है, नहीं तो… “
मुखिया,” हां पता है, पता है। गर्मी में तुझसे काम नहीं होता और सर्दी में तुझे सर्दी बहुत लगती है और बरसात में ज्यादातर काम बंद ही रहते हैं। 
अरे तेरी ये नौटंकी बहुत ज्यादा पुरानी हो गयी। वैसे तेरी पत्नी ने कुछ गलत नहीं कहा। “
बुद्धा,” आप तो गांव के मुखिया हैं, मेरी मदद करने के बजाय आप उल्टा मेरी पत्नी की तरफदारी कर रहे हैं। “
मुखिया,” देख बुद्धा, मैं अच्छी तरह से जानता हूँ कि तू कोई काम धंधा तो कर नहीं सकता। आधे घंटे अगर तू धूप में काम करेगा तो तुझे बेहोश होने से कोई नहीं बचा सकता। 
तू सिर्फ एक काम कर सकता है, दूसरों को मूर्ख बनाने का। जैसा कि तू हम सब को और अपनी पत्नी को मूर्ख बनाता रहता है। “
इतना कहकर मुखिया वहाँ से हंसता हुआ चला गया। बुद्धा एक पेड़ के नीचे बैठकर गहरी सोच में डूब गया कि तभी उसके कानों में एक आवाज टकराई। 
आवाज,” भगवान के नाम पे कुछ दे दे। “
बुद्धा ने देखा तो उसके सामने एक भिखारी खड़ा हुआ था। 
बुद्धा,” अरे ! जा यहाँ से वैसे भी मेरा बहुत ज्यादा दिमाग खराब है। “
भिखारी,” अरे ! ₹1 ही तो मांग रहा हूँ। “
बुद्धा,” अरे ! बोला ना जा यहाँ से। “
भिखारी,” बहुत गुस्से में है। लगता है अपनी पत्नी की मार खाकर आ रहा है ? “
बुद्धा,” अबे जाता है कि नहीं ? नहीं तो तू मार खायेगा,हाँ। “
भिखारी,” लेकिन मार तो आज तेरी किस्मत में लिखी है। “
बुद्धा,” क्या बोला..? क्या बोला, भिखारी कहीं का है ? बोल तो ऐसे रहा है जैसे कोई ज्योतिषी हो। “
भिखारी,” मैं हाथ की लकीर देखकर भविष्य भी बता सकता हूँ। दिखा अपना हाथ, मैं बताता हूँ आज तेरी किस्मत में क्या है ? “

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बुद्धा ने अपना हाथ भिखारी के आगे कर दिया। 
भिखारी,” तेरे हाथ की रेखा बता रही है कि आज तू बहुत पिटने वाला है। “
बुद्धा का पारा वैसे भी हाई था। उसकी बात से और ज्यादा हाई हो गया। 
बुद्धा,” लगता है… तू बहुत ज्ञानी भिखारी है, हाँ ? “
भिखारी,” हाँ, मैं बैठे बैठे ही हर किसी का भविष्य बता सकता हूँ। “
भिखारी ने ये कहा ही था कि बुद्धा ने एक जोरदार चाटा भिखारी के गाल पर जड़ दिया। चांटा पड़ते ही भिखारी हड़बड़ा गया। 
भिखारी (गाल पर हाथ फेरते हुए),” यह क्या था भाई ? “
बुद्धा,” इतना बड़ा ज्ञानी होकर भीख मांगता है। और तो और तू बैठे बैठे सारे लोगों का भविष्य बता सकता है तो तूने आज अपना भविष्य नहीं देखा था कि आज तू ही पीटने वाला है, बोल ? “
इतना बोलकर बुद्धा उसे पीटने लगा। भिखारी बुद्धा के पैरों पर गिर गया। 
भिखारी,” मुझे माफ़ कर दो,भाई। वो क्या है ना… इस धंधे में बहुत कमाई है। अगर तुम भी इस धंधे में आ जाओ तो कुछ ही दिनों में अमीर हो जाओगे, हाँ। “
भिखारी की बात सुनकर बुद्धा ने अपने हाथ रोक लिए और कुछ सोचकर कहा। 
बुद्धा,” क्या वाकई इस धंधे में बहुत कमाई है ? “
भिखारी,” हाँ। “
बुद्धा,” और अगर पकड़े गए तो ? “
भिखारी,” ऐसा कुछ नहीं होता। इंसान बहुत अंधविश्वासी होता है। “
भिखारी वहाँ से चला गया। बुद्धा एक भिखारी का भेस बनाकर दूसरे गांव पहुँच गया। तभी बुद्धा की निगाह एक अच्छे मकान पर चली गई। 
उस मकान के बाहर एक बड़ा सा कूलर लगा हुआ था। बुद्धा तुरंत उस मकान के दरवाजे पर पहुँच गया। 
बुद्धा (दरवाजा खटखटाते हुए),” भगवान के नाम पर कुछ दे दे बाबा को। “
बुद्धा की आवाज़ सुनकर उस मकान से एक स्त्री बहार निकलकर आ गयी। “
स्त्री,” आपको इससे पहले मैंने कभी नहीं देखा। लगता है नये नये भिखारी हुए हो ? “
बुद्धा,” मूर्ख स्त्री, हम कोई मामूली भिखारी नहीं। हमारा एक पैर गांव में रहता है तो दूसरा पैर हिमालय में। हम वर्षों की तपस्या करके हिमालय से लौटे हैं। हमारे पास हर समस्या का हल है। “
स्त्री,” तो फिर आप तो बहुत ज्ञानी होंगे ? “
बुद्धा,” हाँ, हमें वरदान मिला है कि हम हर किसी का हाथ देखकर उसका भविष्य बता सकते हैं। “
स्त्री,” तो आप बाहर क्यों खड़े हैं ? अंदर आइये ना। “
बुद्धा स्त्री के साथ अंदर की ओर बढ़ गया तभी बुद्धा की नजर उस स्त्री के कच्चे आंगन पर चली गई। 
उसने देखा की एक 10 साल का बच्चा उस कच्चे आंगन की मिट्टी को एक लकड़ी से खोद रहा था। स्त्री बुद्धा को घर के अंदर ले आयी और अपना हाथ आगे करके बोली।
स्त्री ,” मेरा हाथ देखकर भविष्य बताइए, बाबा। “
बुद्धा उस स्त्री के हाथ की लकीरों को देखने लगा। मगर सच तो ये था कि वो कुछ जानता नहीं था। तभी अचानक बुद्धा का दिमाग आंगन में खेल रहे उस बच्चे पर दौड़ गया। 
बुद्धा,” तेरे आंगन में सोना गढ़ा है, कन्या। बहुत जल्द तुझे सोना मिलने वाला है। “
बुद्धा ने ये कहा ही था कि तभी वो बच्चा भागता हुआ आ गया। उसके हाथ में एक पीली धातु की मूर्ति थी। उसने उस स्त्री से कहा।
बच्चा,” देखिये मां, ये सोने की है। मुझे आंगन में मिट्टी में गढ़ी हुई मिली। बुद्धा ये देखकर बुरी तरह से हैरान हो गया। उस स्त्री ने मूर्ति को पकड़ लिया और बोली।
स्त्री,” अरे ! ये तो वाकई में सोने की है। बाबा, आप तो बहुत ज्यादा ज्ञानी हैं। आपके पैर मेरे घर में कितने शुभ है ? 
आपने पहले ही बता दिया की मेरी किस्मत में धन लिखा है और ऊपर से तुरंत मिल भी गया। इतनी स्पीड से तो काम कभी नहीं हुआ। “
इतना कहकर वो स्त्री ठंडा शर्बत बुद्धा के लिए बना लाई। मगर बुद्धा के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था।
बुद्धा,” हमने कहा ना कन्या कि हम बहुत पहुंचे हुए बाबा है ? हम पानी, शर्बत कुछ नहीं लेंगे। हम थोड़े अलग टाइप के बाबा है। “
स्त्री,” मैं कुछ समझी नहीं, बाबा। “
बुद्धा,” हम जब भी किसी का हाथ देखकर कुछ बताते हैं तो हम उसके बदले उसके घर की एक वस्तु ले लेते हैं और अगर कोई हमें उस वस्तु को देने से इनकार कर देता है तो वो पूरी तरह से तबाह और बर्बाद हो जाता है। “
बुद्धा की बात सुनकर वो स्त्री बुरी तरह से डर गई।
स्त्री,” बोलिए बाबा, आपको क्या चाहिए ? “
बुद्धा,” हमें बस तुम्हारा ये कूलर चाहिए ताकि हम इस कूलर को गरीबों में दान कर सके। “
उस स्त्री ने खुशी से बुद्धा को कूलर दे दिया। बुद्धा कूलर को ठेले में लगवाकर अपने घर ले गया। कूलर देखकर बुद्धा की बीवी बहुत ज्यादा खुश हो गई।
उसने तुरंत कूलर स्टार्ट कर लिया और कूलर के सामने बैठकर ठंडी हवा खाती हुई बोली।
शर्मीली,” कहीं मैं कोई सपना तो नहीं देख रही है ना ? जी, ये सपना नहीं है प्रिय सच है ना ? ठंडी ठंडी हवा में कितना आनंद आ रहा है ? “
बुद्धा,” देखती जाओ प्रिये… आज तो मैं कूलर लेके आया हूँ, कुछ दिनों बाद में ए.सी. भी लगवा लूँगा, हाँ। “
बुद्धा ने ये बात बोली थी कि तभी उसके घर में 3-4 दूसरे गांव के युवक घुस आये और साथ में गांव का मुखिया भी। 
उनमें वो भिखारी भी था। तभी उन युवको में एक युवक बुद्धा की ओर देखकर बोला। 
युवक,” हम उस स्त्री के देवर हैं जिनके घर पर तू ठगी करके आया है। नकली भिखारी, जो सोने की मूर्ति बच्चे को मिली थी जब हम उस सोने की मूर्ति को सुनार के यहाँ पर ले गए तो उसने बताया कि वो दरअसल पीतल की है और उस पर सोने का पानी चढ़ा हुआ था। वो तो भला हो इस भिखारी का जिसने हमें तेरे बारे में सबकुछ बता दिया। “
शर्मीली,” तो ये कूलर तुम लोगों को धोखा देकर लाए हो ? “
मुखिया,” हाँ शर्मीली, मैंने इस मूर्ख से यह क्या कह दिया कि तुझे मूर्ख बनाना आता है, ये उस बात को गंभीरता से ले गया। “
तभी एक युवक गुस्से से बोला। 
युवक,” देखते क्या हो, मारो इसको ? “
सारे के सारे युवक बुद्धा को पीटने लगे। मुखिया ने बुद्धा को बड़ी मुश्किल से बचाया। तभी एक युवक बोला। 
युवक,” कूलर उठा लो। “
लेकिन गांव का मुखिया उसी युवक से बोला। 
मुखिया,” कूलर का पैसा मैं तुम्हें दे दूंगा, इस कूलर को अब यहीं रहने दो। आज वैसे भी बुद्धा की मार बहुत ज्यादा लग गयी है। है ना ? “
मुखिया बुद्धा की ओर देखकर बोला। 
मुखिया,” आज तुम्हारी किस्मत में मार खाकर कूलर की हवा खाना लिखा था। जाओ, ये कूलर आज से तुम्हारा हुआ। “

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इतना कहकर मुखिया और वो सब वहाँ से चले गए। लेकिन अब बुद्धा के घर में कूलर लग गया था। 
शर्मीली बुद्धा से नाराज तो थी लेकिन नया कूलर आने की वजह से खुश भी थी।
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