खामोशियां – (भाग -1) – Story in Hindi | Best Story in Hindi

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हेलो दोस्तों ! कहानी की इस नई Series में हम लेकर आए हैं आपके लिए एक और नई कहानी। आज की कहानी का नाम है – ” खामोशियां “। यह एक Hindi Story है। कहानी को पूरा जरूर पढ़ें। तो चलिए शुरू करते हैं…


खामोशियां - Story in Hindi | Best Story in Hindi

Story in Hindi | Best Story in Hindi| New Story in Hindi

अरे सुन प्रेम….. तुझे उस लड़की का नंबर मिला क्या….. वैसे तेरा ठीक है यार…. तुझे तो हर हफ्ते कोई ना कोई लड़की पसंद आ जाती है। फंसे तो हम हैं यार…. हमें तो एक ने ही इतना परेशान करके रख दिया है कि कोई मिलना तो दूर देखने के भी लाले पड़ जाते हैं ” रितिक ने कंधे उचकाते हुए कहा।

तभी रिया ने एक दमदार कोहनी रितिक के पेट में मारी। ” आउच ! मारेगी क्या ? थोड़ा तो मजाक समझा करो , बेबी “। रितिक ने मुंह बनाते हुए कहा। रिया रितिक को इग्नोर करके दूसरी तरफ देखने लगी।

” मुझे क्यों देगी कोई लड़की नंबर जिसको देना चाहती थी वह तो देखता तक नहीं। ” प्रेम ने मासूम बनते हुए कहा।

” वैसे आरुष , प्रेम ठीक ही कह रहा है। अगर तू दो – चार सेकंड उसकी तरफ देख लेता तो उसे तो घायल ही हो जाना था, तेरे प्यार में। ” रितिक ने आरुष की तरफ देखते हुए कहा।

आरूष जो चुपचाप कार ड्राइविंग कर रहा था , साधारण तरीके से बोला, ” यह सब चीजें मेरे लिए नहीं बनी…. अगर मेरे लिए इस दुनिया में कोई बनी होगी तो आ ही जाएगी वरना ऐसे ही ठीक…. और रही बात उस लड़की की…. तो मुझे ऐसी लड़की पसंद नहीं जो कभी इधर तो कभी उधर भागे। “

” मतलब , ऐसा कैसे कह सकता है तू। बात थोड़ी गहरी है…. और मुझे ऐसी बातें समझ ही नहीं आती। ” रिया ने आश्चर्य से आरुष को देखते हुए कहा।

” मतलब यह कि प्रेम से बात करने से पहले यह लड़की मेरी ही सामने दो और लड़कों से बात कर चुकी थी। जिनमें से एक आपके यही महाशय रितक जी है। ” आरुष ने मुस्कुराते हुए बगल में बैठे रितिक को देखते हुए कहा। 



बेचारा रितिक , अब उसकी बारी थी रिया को झेलने की।

” क्या ! और बदतमीज यहां ज्ञान झाड़ रहा है। आरूष तूने मुझे उसी टाइम क्यों नहीं बताया , मैं भी इसका भूत वही उतार देती। “

” हां देख लो रिया दी, आप जैसे ही डांस के लिए गई थी ना, तू रितिक भैया को उस लड़की ने , ” hay dude , whats your name ” बोला था। ” आरुष की सबसे छोटी बहन आयुषी ने रिया को देखते हुए कहा।

” हां तो बेटा आयुषी…. आप यह भी तो बताइए ना कि मैंने कोई जवाब दिया था या नहीं उसको…. देखो रिया आरूष और आयुषी मिलकर तुम्हें मेरे खिलाफ भड़का रहे हैं, तुम तो जानती ही हो। ” रितिक ने आयुषी को घूरते हुए कहा।

” वैसे भी मिस्टर मैं तुम्हें ऐसे ही छोड़ दूंगी, यह गलतफहमी अपने दिमाग से निकाल दो। घर तो चलो एक बार….. तुम्हें बताती हूं।” रिया ने गुस्से से रितिक को देखते हुए कहा।

” sorry baby मैं घर जाकर सारे कपड़े धो दूंगा….. बर्तन भी साफ कर दूंगा okay. ” रितिक ने नाटक करते हुए कहा। तो सभी लोग उसकी बातें सुनकर हंसने लगे।

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आरुष के पापा रमेश गौड़ के खुद के तीन हॉस्पिटल थे, एक दिल्ली में और दो मुंबई में। उसके पापा और बड़े भाई आलोक गौड़ शहर के जाने माने और मशहूर डॉक्टर थे। आरुष एक सफल युवा बिजनेसमैन था। 

यह चार भाई बहन थे जिनमें आलोक सबसे बड़ा और शादीशुदा था फिर आरुष प्रेम और आयुषी। रितिक और रिया और उसके बचपन के दोस्त हैं दो दोस्त और है , शिवम और रितु। यह दोनों हस्बैंड वाइफ हैं। शिवम दिल्ली पुलिस में डीसीपी है जिसकी बर्थडे पार्टी में से यह सब घर लौट रहे हैं।

आरूष बहुत ही शांत और शर्मीले स्वभाव का है। वह ज्यादा किसी से बात नहीं करता। केबल रितिक, रिया, शिवम और रितु ही हैं जिनमें वह खुल कर बात कर सकता है। आरूष भले ही शांत स्वभाव का है लेकिन वह अपनी फैमिली से बहुत प्यार करता है। 


परिवार में मम्मी पापा और यह चारों भाई बहन और एक दीदी भी हैं। आरुष के चारों दोस्त गौड़ परिवार के लिए बच्चों के समान हैं। बचपन से ही रिया और रितिक इस परिवार का हिस्सा रहे हैं। रितिक और रिया एक दूसरे को पसंद करते थे और दोनों के परिवारों ने भी शादी की मंजूरी दे दी। 

लेकिन रिया और रितिक जिंदगी में कुछ हासिल करना चाहते हैं और उसके बाद ही शादी करेंगे। और हमारे ” आरुष जी ” भी किसी से प्यार करते थे। वह कौन है ?… यह आगे आपको पता चल ही जाएगा।

” वैसे रितिक भैया मुझे तो अभी से लगता है कि रिया दी से शादी करने के बाद घर का सारा काम आपको ही करना पड़ेगा। ” आयुषी ने हंसते हुए कहा।

” अरे आयुषी…. पता है लड़कियों का तो अकाल सा पड़ गया है, आजकल भाव ही नहीं देती। इसीलिए मैंने तो अब सोच लिया है कि जो मिल चुकी है बस उसे ही कैसे भी करके संभाल लेना है।” रितिक ने हंसते हुए प्रेम की तरफ देख कर कहा जो चुपचाप बैठा हुआ है।



तभी एकदम जोर के झटके के साथ गाड़ी रुक जाती है। रितिक और रिया एक साथ बोल पड़े ,” क्या कर रहा है आयुष ?… एकदम ब्रेक क्यों लगाया ?…. ध्यान से गाड़ी चला। प्रेम और आयुषी भी अचानक गाड़ी रुक जाने से चौंक जाते हैं।

” अरे पता नहीं क्या हुआ ऐसा लगा कोई मेरे सामने आ गया हो।” आरुष घबराते हुए बोला।

” क्या कह रहा है ?…. इतनी रात को डरा मत यार।” रिया घबराते हुए बोली। निकल कर देखें क्या ?…. हो सकता है किसी को मदद की जरूरत हो।” रितिक ने आरुष से कहा।

” अरे रितिक भैया क्यों आफत मोल ले रहे हो ? कोई भूत हुआ तो।” प्रेम ने डरते हुए कहा।

” प्रेम पागल है क्या… अगर किसी को सच में चोट लगी हो तो , हमें बाहर निकल कर देखना चाहिए।” आरुष ने संयम रखते हुए कहा। रितिक और आरुष गाड़ी से निकल कर बाहर जाते हैं। ” भाई ध्यान से, ज्यादा पीछे मत जाना।” आयुषी ने डरते हुए कहा।

आरूष और रितिक जब गाड़ी के पीछे जाते हैं तो वहां पर एक लड़की औंधे मुंह पड़ी रहती है। कुछ दूरी पर उसका एक छोटा सा बैग भी पड़ा था। थोड़ी देर बाद प्रेम भी उन दोनों के पीछे आ जाता है। आरूष और रितिक दोनों मिलकर लड़की को सीधा करते हैं। 

यह करीब 23 – 24 साल की सुंदर लड़की थी जिसके चेहरे पर जगह जगह पर खून के धब्बे और शरीर पर चोटों के निशान थे। प्रेम ने उसे देखकर कहा,” लगता है किसी गाड़ी से इसका एक्सीडेंट हो गया।” तभी रिया और आयुषी भी गाड़ी से बाहर निकल कर आ जाते हैं।

” अब क्या करें ?” रितिक ने सोचते हुए कहा। ” क्या मतलब क्या करें ? आपने मूवीस में नहीं देखा क्या , मूवीस में भी तो इसी तरह भूत बीच सड़क पर एक्सीडेंट का बहाना लेकर पड़े रहते हैं। और लोग दया करके उन्हें अपनी गाड़ी में बैठा कर हॉस्पिटल ले जाने लगते हैं।

तभी वो भूत उन्हें मार डालते हैं। देखो इसको कितनी सुंदर है… भूतनियां भी इतनी ही सुंदर होती है… और सुंदरता के चक्कर में लोगों को यमलोक पहुंचा देती है।” प्रेम बिना सांस रूके एक ही बार में बोलता चला गया।

” पागल है क्या प्रेम तू …. इस लड़की को देख….. कितनी चोटें हैं इसके शरीर पर…. मुझे नहीं लगता कि हमें इस हालत में इसे अकेला छोड़ना चाहिए।” रिया ने प्रेम को झपटते हुए कहा।

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” You are right, Riya ….. चल रितिक इसे गाड़ी में डाल।” आरुष ने सोचते हुए कहा। रितिक और आरुषि मिलकर उस लड़की को गाड़ी में डाला। उसके बाद आरुष ड्राइविंग सीट पर आकर बैठ गया। “यह क्या ?… अब हम कहां बैठे ?” प्रेम ने नाराज होते हुए कहा।

” ऐसा करते हैं इसे रिया और आयुषी के साथ पीछे वाली सीट पर बैठा देते हैं और मैं और प्रेम किसी तरह से आगे एडजस्ट कर लेते हैं।” रितिक ने सोचते हुए कहा। ” हां यही ठीक है।” आरूष ने सहमत होकर कहा। सभी लोग किसी तरीके से एडजस्ट हो जाते हैं।

” Ohh hello ! इसी साथ तो ले लिया है लेकिन इसे लेकर कहां जाएंगे ?…. एक काम करते हैं आरुष…. इसी हम अपनी ही हॉस्पिटल में ले चलते हैं।” रिया ने झिझकते हुए कहा।

” दिमाग खराब है क्या ?…. अपने हॉस्पिटल ले जाएंगे तो आलोक भैया और अंकल जी बहुत गुस्सा होंगे।” रितिक ने आगे से कहा। ” जो होगा देखा जाएगा, अभी तुम सब इस लड़की की हालत देख रहे हो ना। 

इसे हॉस्पिटल ले जाना ही ठीक रहेगा।” आरुष ने कहा। सभी लोग और उसकी बातों से सहमत हो जाते हैं और हॉस्पिटल के लिए निकल जाते हैं।



कुछ समय बाद सभी हॉस्पिटल पहुंचते हैं। नाइट शिफ्ट की डॉक्टर मौजूद थे। राहत की बात यह थी कि उस समय आलोक भैया और अंकल जी मौजूद नहीं थे। आयष नेम बोर्डवाय को आवाज लगाते हुए कहा,” लखन ” आगे से लखन भागते हुए आता है,” जी सर। “

” जल्दी से स्ट्रेचर लेकर आओ…. और हां भैया को भी इन्फॉर्म कर देना, जल्दी करो।” ” ओके सर बट डॉक्यूमेंसन ” पहले जितना कहा है उतना करो , आरूष ने चिल्लाते हुए कहा। ” ओके सर ” कहते हुए लखन भागता हुआ जाता है। 

थोड़ी देर बाद लखन स्ट्रेचर ले आता है और साथ में उसके दो नर्स और रहती है। रितिक ने इस टीचर को गाड़ी के पास लगाया और हरया और आरुषि की मदद से उस लड़की को स्ट्रेचर पर लिटाया और इमरजेंसी रूम में ले गए।

” डॉक्टर कपूर यही हैं क्या ? ” ” हां सर वो आज एक केस में लेट हो गई थी इसलिए आज घर नहीं गई। ” ” तो उनको बोलो जल्दी नीचे आऐं, अर्जेंट है।”

” ओके सर ” कहकर सिस्टर चली जाती है।

” आलोक भैया भी आने वाले हैं। अब किसी तरह से तू यहां मैनेज कर लेना।” रितिक ने आरुष के पास आते हुए कहा।

आरुष – ” तू एक काम कर…. प्रेम, रिया और आयुषी को घर ले जा।”

” नहीं भैया मैं आपके साथ ही जाऊंगी। अभी प्रेम बोल रहा था ना कि वह भूत भी हो सकती है…. मुझे बहुत डर लग रहा है। इसलिए मैं तो आपके साथ ही जाऊंगी।” आयुषी ने रोनी सी सूरत बनाकर कहा।

” प्रेम पागल है क्या तू…. क्यों फालतू में सब को डरा रहा है ?” आरुष ने डांटते हुए कहा।

” मैं क्या कह रही थी…. मैं भी यही रुक जाती हूं। अगर इस लड़की को होश आ गया तो किसी लड़की का होना भी जरूरी है।” रिया ने आरुष को देखते हुए कहा।

सभी लोग रिया की बात से सहमत हो जाते हैं और वापस घर लौटने की तैयारी करते हैं।

रिया,” ठीक से जाना रितिक…. कोई जल्दबाजी मत करना। लेट हो जाओ तो घर पर ही रुक जाना।”

रितिक,” ओके बाय।”

इतने में आलोक वहां पहुंच जाता है। आते ही वह सवालों की झड़ी लगा देता है। आलोक,” क्या हुआ आरुष ?…. रिया ठीक तो है।”

आरुष,” क्या मतलब ! रिया तो बिल्कुल ठीक है। अभी वह रेस्टरूम में है। अच्छा, अच्छा ! अब समझा मैं ; क्या कहा था रितिक ने आपसे ?”

आलोक,” अरे रितक तो बहुत पैनिक होकर बोल रहा था कि जल्दी आओ भैया…. रिया को कुछ हो गया है।”

आरुष,” अरे नहीं ! नहीं ! भैया रिया तो बिल्कुल ठीक है। वो बात ऐसी है… जब हम शिवम की पार्टी से घर लौट रहे थे तो सड़क पर हमें एक बेहोश और घायल लड़की मिली। लगता है उसका एक्सीडेंट हो गया है। डॉक्टर कपूर को भेज दिया है…. एक बार आप भी जाकर देख लो।”

” तुम पागल हो क्या आरुष…. ऐसे कैसे तुम किसी को भी सड़क से उठाकर इस हॉस्पिटल में ले आए। यह कोई छोटा-मोटा हॉस्पिटल तो है नहीं। अगर कोई पुलिस केस बन गया तो किस किस को जवाब देते फिरेंगे।

और सबसे बड़ी बात अगर पापा को पता चला तो क्या होगा ? नहीं आरुष हम इतना बड़ा रिस्क नहीं ले सकते। हमें पुलिस को इन्फॉर्म कर देना चाहिए।”

आरुष,” पर हम इसे ऐसी हालत में भी नहीं छोड़ सकते। पहले कोशिश करते हैं अगर इसे जल्दी होश आ गया तो ठीक है नहीं तो पुलिस को भी इन्फॉर्म कर देंगे और रही बात पापा की तो मुझे नहीं लगता कि उन्हें इस फैसले से कोई दिक्कत हो सकती है।”

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रिया,” भैया, i think…. आरुष सही कह रहा है। हमें पहले लड़की की कंडीशन जान लेनी चाहिए, उसके बाद जो भी होगा अंकल को इन्फॉर्म कर देंगे।”

आलोक,” ओके ! बट सिर्फ में कंडीशन देखकर ही बताऊंगा कि आगे क्या करना है ?”

आरुष,” ओके “

इसके बाद आलोक इमरजेंसी रूम की तरफ चला जाता है और रिया एवं आरुष बाहर बैठकर इंतजार करने लगते हैं। लगभग आधे घंटे के बाद आलोक बाहर आता है।



आलोक,” मैंने महिमा से बात की। वह बता रही थी कि केवल बाहरी चोट ही है, कोई इंटरनल इंजरी नहीं है। ऐसा करते हैं… सुबह तक इसे यही रखते हैं अगर होश आया तो ठीक नहीं तो पापा को बता कर पुलिस को इन्फॉर्म कर देंगे।”

रिया,” थैंक्स भैया ! तो अब हम घर जाएं क्या ?”

आलोक,” हां हम घर चलते हैं। तुम ऋतिक से एक बार पूछ लो वह घर रुक गया है या फिर चला गया।

रिया,”  ओके भैया “

रिया रितिक से बात करने के लिए साइड में चली गई और आरुष आलोक से बात करने लगा। ” बस कल तक ही देखूंगा मैं उसके बाद पापा को इन्फॉर्म कर दूंगा।”

इतने में रिया आती है,” आरुष चल मैं भी घर चलती हूं। रितिक बोल रहा था कि आंटी जी ने उसे वही रोक लिया है।”

आरुष आलोक से बोलता है,” भैया आप भी चलो हमारे साथ, वैसे भी महिमा दी यहां सब कुछ संभाल लेंगी।”

आलोक,” हां ! हां ! मैं भी आता हूं नहीं तो तुम्हारी भाभी मुझे खा जाएगी।” 

तीनों जोर से हंसने लगते हैं। उसके बाद आलोक लखन को कुछ इंस्ट्रक्शन देता है और उसके बाद सब लोग घर के लिए निकल जाते हैं। और इसी के साथ इस कहानी का यह अध्याय समाप्त होता है। अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ Social Media पर शेयर जरूर करें।

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