हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” गांव की जुगाड़ू बहू ” यह एक Saas Bahu Story है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Kahaniyan या Bedtime Stories in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Gaon Ki Jugadu Bahu | Saas Bahu | Moral Stories | Saas Bahu Ki Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories
गांव की जुगाड़ू बहू
गाँव में पली बड़ी रीना की शादी शहर में रहने वाले सुमित से हो जाती है। रीना अपने पति सुमित और सास सरला के साथ खुशी खुशी रहती है।
गरीबी में पली बड़ी रीना एक जुगाडू लड़की थी और हर काम में उसके जुगाड़ लगाने से उसकी सास बड़ी परेशान थी। एक दिन सरला अपनी बहु रीना से कहती है।
सरला,” रीना बहू, देख तो मैं बाजार गई थी तो ये तकिए के नए कवर लाई हूँ। वो क्या है न… पुराने वाले फट गए थे। “
रीना,” जानती हूँ माँ जी, इसलिए मैंने पुराने रखे सभी कवर को जोड़कर नया कवर बना दिया। “
सरला,” ओह ! अच्छा, मैं तो भूल ही गयी थी कि मेरी बहू तो जुगाडू है। वो हर चीज में कोई न कोई जुगाड़ लगा ही लेती है।
अच्छा अब इन नये कवर को अलमारी में रख दे। कोई मेहमान आएगा तब निकाल लेंगे। “
इसको ऐसे ही कुछ दिन बीत जाते हैं। फिर एक रोज सरला और सुमित डिनर करने के लिए बैठे होते हैं।
रीना गरमा गरम रोटी पकाकर उन्हें खिला रही होती है लेकिन थोड़ा वक्त बीत जाता है तो रीना रोटी लेकर नहीं आती। तब सुमित उसे आवाज देते हुए कहता है।
सुमित,” अरे रीना ! कहाँ रह गई ? जल्दी रोटी लाओ न, मेरी रोटी खत्म हो गई है। “
उधर रसोई में रोटी पका रही रीना सोचती है।
रीना,” हे भगवान ! इस गैस सिलेंडर को भी अभी खत्म होना था। उधर मां जी और सुमित जी रोटी का वेट कर रहे हैं।
अब यूँ आधे पेट उन्हें उठाना सही नहीं रहेगा। सोच रीना सोच… अपना ही कोई जुगाड़ सोच फिर से। “
इतना कहकर रीना छत पर रखी कुछ लकड़ियाँ ले आती है। फिर चार ईंटों का चूल्हा बनाकर उसमें रोटी सिकती है और फिर गरमा गरम रोटी पकाकर सबको खाने को देती है।
फिर अगले दिन सुबह सरला अपनी बहू की मदद के लिए रसोई घर में जाती है तो देखती है कि उसकी बहु बर्तन राख से धो रही होती है।
सरला,” अरे बहू ! ये क्या कर रही है तू ? राख से बर्तन हो रही है ? “
रीना,” हाँ माँ जी, अभी देखिएगा सारे बर्तन कैसे चमक जायेंगे ? अरे हमारे गाँव में तो साबुन कहां होता था, हम तो राख से ही बर्तन धोते थे।
बर्तन में भी चमक आ जाती है साथ ही साबुन के पैसे भी बच जाते हैं। “
सरला,” हाँ हाँ, वो सब तो ठीक है। पर एक बात बता तू ये राख लाई कहाँ से ? “
रीना,” अब क्या बताऊँ मैं आपको ? कल रात को जब आप डिनर कर रहे थे तो सिलेंडर खत्म हो गया था और खाने के बीच से आपको उठाना मुझे सही नहीं लगा।
इसलिए मैं छत पर रखी लकड़ियाँ ले आई और 4 इंट से चूल्हा बनाकर आप लोगो के लिए रोटियां सेंक दीं। “
सरला,” हे भगवान ! बहू तुझे पता भी है लकड़ियाँ कितनी महंगी हैं। वो लकड़ियां तो मैंने लोरी पर जलाने के लिए रखी थी और तूने उनसे चूल्हा जला दिया। “
रीना,” अरे माँ जी ! खाना खाओगी तभी तो लोरी देख पाओगी न ? “
सरला,” अरे मेरी जुगाडू बहू ! घर पर एक और सिलेंडर भरा हुआ रखा था, तू उसे लगा लेती। “
रीना,” माँ जी, आप तो जानती ही हैं मुझे सिलेंडर लगाना नहीं आता और खाने के बीच आप लोगो को उठाना जरूरी नहीं समझा। “
सरला,” कह तो तू बिल्कुल सही रही है। मैं तो भूल ही गई थी कि मेरी बहू को तो सिर्फ जुगाड़ लगाना आता है, दिमाग चलाना तो उसे आता नहीं। “
ये कहकर सरला वहाँ से चली जाती है। फिर एक दिन सुमित को ऑफिस जाने के लिए देर हो रही होती है तो वो जल्दी में नाश्ता करता है। तभी पास में रखा पानी का गिलास उसके फ़ोन पर गिर जाता है।
सुमित,” ओ नो… ये क्या हो गया ? “
रीना,” क्या हुआ सुमित जी ? “
सुमित,” मेरे फ़ोन में पानी चला गया और अब यह एक हफ्ते के लिए बंद हो जाएगा। मेरी तो मीटिंग थी साथ ही मुझे अपने क्लाइंट्स को कॉल भी करना था। कुछ समझ में नहीं आ रहा कि क्या करूँ ? “
रीना,” आप चिंता मत कीजिए। मैं आपका फ़ोन एक दिन में ठीक कर दूंगी तब तक आप मेरा फ़ोन इस्तेमाल कर लीजिये। “
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सुमित ,” क्यूँ..? तुम क्या एक दिन में कोई जादू करने वाली हो क्या ? अच्छा मुझे देर हो रही है, फ़ोन दो उसमें अपनी सिम लगा लेता हूँ। “
सुमित के ऑफिस जाते ही रीना उसके फ़ोन को आटे के कनस्तर में डाल देती है। अगले दिन रीना सुमित को उसका फ़ोन देती है तो वो जैसे ही फोन ऑन करता है तो वो पहले की तरह ही काम करना शुरू कर देता है।
सुमित,” अरे वाह रीना ! अब तुमने कौन सा जुगाड़ लगाया इसे ठीक करने में ? “
रीना,” जी आपके फ़ोन में थोड़ा पानी चला गया था इसलिए मैंने इसे सुखा दिया आटे के कनस्तर में डालकर। “
इसी तरह ऐसे ही रीना हमेशा किसी न किसी तरह अपना जुगाड़ लगा ही देती थी और अपने घर वालों की मदद किया करती थी। ऐसे ही कई महीने बीत जाते है।
फिर एक दिन सरला मच्छरों को भगाने के लिए कछुआ छाप का धुआ सारे घर में कर देती है जिससे की सुमित का गला बंद हो जाता है और वो कुछ बोल नहीं पाता।
रीना,” सुमित जी, आज संडे है। बताइए तो आज आपके लिए खाने में क्या बनाऊं ? “
सुमित कोई जवाब नहीं देता।
रीना,” कब से पूछ रही हूँ, आप कुछ बोलते क्यों नहीं ? “
इसके बाद सुमित उसे एक पेपर पर लिखकर देता है कि घर में माँ ने कछुआ छाप जलाई थी। मुझे उससे बहुत एलर्जी है जिस वजह से मेरी आवाज बंद हो गई है और अब इसे खुलने में 3-4 दिन लग जायेंगे। “
रीना,” क्या… 3-4 दिन ? आप देखिये मैं आपका गला एक दिन में कैसे ठीक कर देती हूँ।
मैं काढ़ा बना कर लाती हूँ। उसे आप दिन में 2 से 3 बार पिएंगे तो जल्दी ठीक हो जायेंगे। “
ये कहकर रीना किचन में काढा बनाने चली जाती है। दूसरी तरफ सरला को याद आ जाता है कि उसके बेटे को तो इस धुएं से एलर्जी है।
सरला,” हे राम ! आज मेरे बेटे को मेरी भूल की वजह से काढ़ा पीना पड़ेगा। “
वो किचन में जाती है और रीना से कहती है।
सरला ,” अरे बहू ! ये तू क्या कर रही है ? सुमित को जब तक डॉक्टर की दवाई दिलवाकर नहीं लायेंगे, वो ठीक नहीं होगा। तुम्हारा यह काढ़ा किसी काम का नहीं है। “
रीना,” माँ जी, ये काढा बहुत ही कमाल की चीज है। आप बस मुझे एक दिन का वक्त दो, अगर एक दिन में इनकी आवाज वापस नहीं आती तो फिर हम इन्हें डॉक्टर के पास ले जायेंगे। “
सरला के लाख समझाने के बावजूद भी रीना उसकी एक नहीं सुनती और अपने पति को दिन में 2-3 बार काढा बनाकर पिलाती है।
अगली सुबह जब सुमित सोकर उठता है तो उसकी आवाज वापस आ चुकी होती है। अरे वाह ! क्या कमाल है रीना तुम्हारे जुगाड़ में ?
इतनी जल्दी तो मैं डॉक्टर की दवाई से भी ठीक नहीं हो पाता। कितनी जल्दी इस काढ़े से हो गया। “
सुमित,” मां, देखा तुमने रीना के जुगाड़ का कमाल है ? “
सरला,” हाँ बेटा, तू सही कह रहा है। तेरी आवाज तो पहले की तरह ही ठीक हो गयी। मानना पड़ेगा बहू के जुगाड़ को, ये इस बार भी काम आ ही गया।
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अब तो मुझे बहू के जुगाड़ पर पूरा भरोसा हो गया है, यह हमें हमेशा सही फल ही देता है। “
रीना,” तो मान गए न आप लोग मेरे जुगाड़ को कि ये कोई नुकसान नहीं देता और हमेशा सही वक्त पर काम आता है ? “
सरला,” हाँ हाँ मेरी जुगाड़ू बहु। “
ये कहते ही सभी जोर जोर से हंसने लगते हैं। “
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