हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” घमंडी राजकुमारी” यह एक Hindi Fairy Tales है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Hindi Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Ghamandi Rajkumari| Hindi Kahaniya| Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales
घमंडी राजकुमारी
नाथूराम अपने परिवार के साथ एक गांव में रहता था। उसके पास एक खेत और एक छोटी सी दुकान थी जिसका काम वह अकेले ही संभालता था।
उसके पास बहुत सारा काम रहता था जिसके कारण नाथूराम स्वयं अपने लिए भी बिल्कुल समय नहीं निकाल पाता था। वह अपने कार्य में इतना व्यस्त रहता था कि कब सुबह और कम शाम हो जाती, उसे पता ही नहीं चलता।
नाथूराम,” अरे, अरे ! जल्दी करो। मुझे दुकान पर भी जाना है और खेत का काम भी संभालना है। “
नाथूराम की पत्नी,” क्या जल्दी करो ? कल से कह रही हूं, मां जी को डॉक्टर के पास लेकर जाओ लेकिन आप हो कि सुनते ही नहीं। “
नाथूराम,” अरे ! मेरे पास बिल्कुल भी समय नहीं है। अभी मुझे दुकान पर पहुंचना है। तुम क्यों नहीं मां को डॉक्टर के पास ले जाती ? “
नाथूराम की पत्नी,” कौन मैं ? ना बाबा ना… मुझसे यह काम नहीं हो पाएगा। मां जी को अगर डॉक्टर के पास ले जाऊंगी तो रास्ते में ही वो मुझे इतना पका देंगी कि मैं वापस लौटने लायक नहीं रहूंगी। ये तुम्हारा काम है, तुम स्वयं करो। “
नाथूराम,” अच्छा ठीक है। अभी मुझे दुकान के लिए देर हो रही है। दोपहर को मैं मां जी को डॉक्टर के पास ले जाऊंगा। “
तभी नाथूराम का बेटा वहां आता है।
जग्गू,” पापा – पापा, कल आपने कहा था कि आप मुझे नया बैग लाकर देंगे, क्या हुआ ? “
नाथूराम,” हां, हां बेटा… तुम्हारी मम्मी है ना, वह लेकर आएगी। “
नाथूराम की पत्नी,” हां मैं ही ले आऊंगी। आप हर रोज खर्चाना जो मुझे देते हो ना। “
नाथूराम,” क्यों ? कल दिए तो थे ₹1000, कहां गए ?
नाथूराम की पत्नी,” कहां गए मतलब ? घर का राशन नहीं आता है क्या ? अब रोज-रोज मुझसे हिसाब मांगोगे क्या ? “
जग्गू,” मुझे नहीं पता पापा लेकिन आज ही मुझे नया बैग चाहिए। मेरे स्कूल में सभी बच्चों पर नये – नये और सुंदर बैग हैं। मेरा बैग तो जगह-जगह से फट गया है और अब तो उसमें से ज्योमेट्री बॉक्स भी बाहर गिर जाता है। “
नाथूराम की पत्नी,” जग्गू बेटा… पापा है ना, वह तुम्हें लाकर नया बैग लाकर देंगे। तू चिंता ना कर। “
नाथूराम की पत्नी,” पिता हो, पिता का फर्ज तो पूरा करना ही पड़ेगा। जग्गू का नया बैग आज ही लेकर आना है। “
नाथूराम,” अच्छा ठीक है, ठीक है। मैं ही लेकर आ जाऊंगा लेकिन अभी मैं दुकान के लिए जा रहा हूं। बहुत देर हो चुकी है। “
नाथूराम घर से बाहर निकल कर थोड़ा ही दूर पहुंचता है तब तक पीछे से उसकी पत्नी कहती है,” अच्छा सुनिए जी… बाजार से आते आते अंगूर लेते आइएगा। “
नाथूराम,” तुमसे कितनी बार कहा है कि जाते समय पीछे से मत ठोका करो। “
नाथूराम की पत्नी,” टोक नहीं रही हूं, मैं तो मां की फरमाइश आपको बता रही हूं। मां जी ने बताया था कि उन्हें अंगूर खाने का बहुत मन हो रहा है। कोई फल वाला गांव में फेरी देने आ नहीं रहा इसलिए मैंने कहा कि आप ही ले आऐं। “
उसके बाद नाथूराम काम पर जाने लगता है लेकिन तभी उसकी मां आवाज लगाती है,” नत्थू…. ओ नत्थू। “
नाथूराम,” अब आपको क्या हुआ मां ? आप क्यों बुला रही हो ? वैसे भी मुझे काम के लिए देर हो रही है। “
ये भी पढ़ें :-
Ghamandi Rajkumari| Hindi Kahaniya| Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales
नाथूराम जल्दी से मां के कमरे में जाता है।
नाथूराम की मां,” नत्थू बेटा… तू दिन भर काम करता रहता है। जरा कुछ समय के लिए इस बुढ़िया के पास भी बैठा कर। “
नाथूराम,” मां अभी मुझे दुकान के लिए देर हो रही है। मैं दोपहर में आकर तुम से ढेर सारी बातें करूंगा। “
यह केकहकर नाथूराम जल्दी-जल्दी अपने काम पर निकल जाता है। दोपहर को वह स्कूल बैग और अंगूर लेकर घर लौटता है।
नाथूराम,” मां… ओ मां, जल्दी से तैयार हो जाओ, डॉक्टर के पास जाना है। अगर समय पर नहीं पहुंचे तो वह घर निकल जाएगा। “
नाथूराम की मां,” हां हां बेटा आती हूं। हाय राम ! इस उम्र में तो ठीक से पैर भी नहीं उठते जल्दी-जल्दी चलने की तो दूर की बात है।
नाथूराम अपनी मां को पकड़कर उन्हें रिक्शे में बैठता है और डॉक्टर के पास निकल जाता है।
वापस आकर…
नाथूराम,” अरे सुनती हो, मां का ध्यान रखो। इनकी तबीयत वाकई में बहुत खराब है। मैं डॉक्टर की बताई हुई दवा को लेकर आता हूं। “
नाथूराम की पत्नी ,” अरे ! आते समय क्यों नहीं लेकर आए ? “
नाथूराम,” बात तो तुम्हारी ठीक है लेकिन मां की तबीयत अभी बहुत खराब है। बिल्कुल भी खड़ी नहीं हो पा रही है। अब तुम ज्यादा ज्ञान मत दो। मैं दवा लेकर आता हूं। “
नाथूराम अपनी दवा लेकर घर की तरफ लौट ही रहा था तभी रास्ते में उसे एक मजदूर घेर लेता है।
मजदूर,” नत्थू भैया, आप मेरे साथ चलो नहीं तो मैं आगे आपके खेतों में काम नहीं कर पाऊंगा। “
नाथूराम,” क्यों ऐसा कौन- सा पहाड़ टूट पड़ा जो तुम आगे खेतों में काम नहीं कर सकते। अभी मेर घर पहुंचना बहुत जरूरी है। बाद में बात करूंगा। “
मजदूर,” आप बस मेरा हिसाब कर दो। मैं अभी का अभी यहां से चला जाऊंगा। “
नाथूराम,” अरे मेरे कहने का वह मतलब नहीं है। चलो मैं तुम्हारे साथ चल तो रहा हूं। “
नाथूराम मजदूर के साथ जैसे ही अपने खेत पर पहुंचता है दूसरा मजदूर भागा भागा उसके पास आता है।
दूसरा मजदूर,” नत्थू भैया, नत्थू भैया… मुझे भी आपके खेतों में काम नहीं करना। मेरा भी हिसाब कर दो। “
नाथूराम,” अब ऐसा क्या हुआ ? सुबह तो मैं तुम दोनों को अच्छा खासा छोड़ कर गया था। अब तुम दोनों काम छोड़ने की बात कर रहे हो। “
(एक मजदूर दूसरे मजदूर की ओर इशारा करके) पहला मजदूर,” भैया यह तो बिल्कुल पागल है। इसे बात करने की भी तमीज नहीं है। मैं इसकी वजह से यह काम छोड़ रहा हूं। आप मेरा हिसाब कर दो और मैं यहां से चला जाऊंगा। “
दूसरा मजदूर,” हां भैया, आप मेरा हिसाब कर दो और सारा काम इसी से करवा लो। मैं भी काम छोड़ रहा हूं। “
नाथूराम,” तुम लोग अपना काम शांति से क्यों नहीं करते ? “
पहला मजदूर,” आपको क्या पता नत्थू भैया ? आप कौन- सा खेत पर रहते हो ? मालिक बनकर इधर-उधर घूमते रहते हो।
आपको हमारे साथ रहना चाहिए ना यहां पर ताकि काम ठीक से हो पाए। आप यहां जब तक रहते हो तब तक यह ठीक रहता है। आपके पीछे बिल्कुल भी काम नहीं करता। कामचोर कहीं का…। “
दूसरा मजदूर,” आप मेरा हिसाब कर दो भैया। मुझे अब और इसके साथ नहीं रहना। मैं अभी यहां से चला जाऊंगा नहीं तो यह मुझे पागल कर देगा। “
Ghamandi Rajkumari| Hindi Kahaniya| Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales
नाथूराम,” ठीक तरह से सोच लो भैया। क्या पता आगे काम ना मिले ? “
दूसरा मजदूर,” मिलेगा क्यों नहीं ? ढूंढने जाऊंगा तो जरूर मिलेगा। आप बस मेरे मेहनत के पैसे दे दो। “
नाथूराम उसे उसके पैसे दे देता है और वह वहां से चला जाता है। पहला मजदूर खेत में काम करने लगता है और नाथूराम भी उसके साथ काम में लग जाता है।
नाथूराम,” आज तो मैं बहुत थक गया। अब मुझसे और काम नहीं होगा। चलो घर चलता हूं। “
नाथूराम घर के लिए निकल जाता है लेकिन रास्ते में उसे एक नदी दिखाई देती है।
नाथूराम,” क्यों न मैं इसमें एक डुबकी लगा लूं। पूरा शरीर दुख रहा है थोड़ा बहुत आराम तो जरूर मिलेगा। “
जैसे ही वह नदी की ओर बढा, गांव के एक आदमी ने आवाज लगाई।
आदमी,” अरे भैया ! नदी की तरफ मत जाओ। नदी उफान पर है।
लेकिन नाथूराम को उसकी आवाज सुनाई नहीं दी और वह नदी में डुबकी लगाने के लिए आगे बढ़ता रहा।
नाथूराम,” इस रोज-रोज की किच-किच वाली जिंदगी में कितनी थकावट है। वह एक डुबकी लगाता है। आ हा हा… थकान कम हुई। कितना शीतल जल है ? लग रहा है कि मैं इस नदी में ही समा जाऊं। “
नाथूराम जैसे ही दूसरी डुबकी लगाता है नदी में तेज लहरों का आना शुरू हो जाता है और नाथूराम बहने लगता है।
नाथूराम धीरे-धीरे बीच नदी की ओर जाने लगता है।
नाथूराम,” अरे ! बचाओ। कोई तो बचाओ। मेरे मुंह से निकल गया कि मैं इस नदी में समा जाऊं। अरे ! बचाओ मेरी कोई मदद करो। “
आदमी,” अरे ! भैया बचाओ। वह आदमी नदी में बह गया है। “
नाथूराम कुछ समय के बाद बेहोश हो जाता है और नदी में नीचे… और नीचे पहुंच जाता है।
(जब नाथूराम को होश आया)…
नाथूराम,” अरे ! यह मैं कहां आ गया। यह जगह तो एक महल जैसी है। “
जलपरी,”महल जैसी नहीं, बल्कि यह एक महल ही है। “
नाथूराम,” तुम कौन हो और मैं यहां कैसे आया ? “
जलपरी,” तुमने सच्चे दिल से नदी में समा जाने की बात कही तो मैंने सुन ली। तुम मेरी पानी की दुनिया में हो। मैं एक जलपरी हूं और यह मेरा ही महल है। तुम नदी में डूब रहे थे तो मैंने तुम्हें बचा लिया। है ना अच्छी बात। “
नाथूराम,” जान बचाने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। अब मैं घर चलता हूं। “
जलपरी,” घर कहां भागा जा रहा है ? कुछ दिन यहां रहकर इस नई दुनिया का मजा लो। देखो… यह सब हर किसी के नसीब में नहीं होता। “
नाथूराम,” हां हां, सही कहा आपने। चलो मैं यहां रहकर ऐश और आराम वाली जिंदगी जीने का अनुभव करता हूं। “
नाथूराम,” नाथूराम महल में रहकर राजकुमारी के साथ ऐश और आराम की जिंदगी जीने लगता है। “
नाथूराम,” मैं तुम्हें एक चुटकुला सुनाऊं ? “
राजकुमारी,” हां हां सुनाओ। “
नाथूराम,” एक जगह तीन सेब पढ़े थे। पहले लड़के ने दूसरे लड़के से कहा, मुझे यह तीन दे दे। दूसरे लड़के ने उसे 3 थप्पड़ दे दिए। पहले लड़के ने कहा- तुमने मुझे थप्पड़ क्यों मारा ? तो दूसरे लड़के ने कहा- तुमने ही तो कहा था कि मुझे 3 दे दे। “
यह सुनकर राजकुमारी जोर-जोर से हंसने लगती है।
कुछ दिन बाद…
नाथूराम,” मुझे अपने घर जाना है। “
राजकुमारी,” इतनी जल्दी… कुछ दिन और यहां रुको। “
नाथूराम,” नहीं नहीं, मुझे घर जाना है। “
राजकुमारी,” देखो… मैंने तुम्हारी जान बचाई है। कम से कम तुम मेरे लिए इतना तो कर ही सकते हो। “
नाथूराम,” ठीक है। “
नाथूराम कुछ दिन और वहां रुकता है। नाथूराम राजकुमारी के महल में घूमते हैं, खजाना देखते हैं और दोनों मिलकर खूब हंसते हैं।
कुछ दिन बीत जाने के बाद…
नाथूराम,” राजकुमारी, मुझे अपने घर जाना है। मुझे अपने परिवार वालों की बहुत याद आ रही है। वह सब मेरे लिए बहुत परेशान हो रहे होंगे। अब मुझे घर जाना चाहिए। “
राजकुमारी,” कुछ दिन और। “
नाथूराम,” नहीं नहीं, अब मैं और नहीं रुक सकता। मुझे अब घर जाने दो। “
राजकुमारी,” अब तुम घर नहीं जा सकते। अब तुम्हें हमेशा हमेशा के लिए मेरे साथ ही रहना होगा। “
नाथूराम,” नहीं, मैं घर जा रहा हूं। “
राजकुमारी,” अच्छा तो जाकर देखो। मेरी मर्जी के बिना यहां एक पत्ता तक नहीं हिलता। “
Ghamandi Rajkumari| Hindi Kahaniya| Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales
नाथूराम,” तुम ऐसा नहीं कर सकती। मुझे जाने दो। “
राजकुमारी,” देखो… अब तुम यहीं रहो। क्या रखा है उस दुनिया में ? यहां रहो इस राज महल में मेरा राजा बनक।र मुझे तुम बहुत पसंद हो। हम दोनों राजा – रानी बनकर बहुत खुश रहेंगे। “
नाथूराम,” मेरी बीवी, मेरा बच्चा, मेरी मां मेरे लिए बहुत ज्यादा चिंतित होंगे और मेरा इंतजार कर रहे होंगे। देखो, मेहरबानी करके मुझे जाने दो। “
राजकुमारी,” मेरा भी परिवार था। सब मर गए। मैं अकेली रह गई। तुम्हें मेरे साथ रहना होगा। मेरी बात मानो वरना मुझे जबरदस्ती करनी पड़ेगी। “
नाथूराम,” मैं जा रहा हूं। “
नाथूराम ने जैसे ही जाने के लिए कदम उठाए राजकुमारी ने उस पर जादू कर दिया और उसके पैर वहीं जम गए।
नाथूराम,” यह तुम अच्छा नहीं कर रही हो राजकुमारी। भगवान सब देख रहे हैं। तभी राजकुमारी ने फिर से जादू किया और नाथूराम को पूरा पत्थर में बदल दिया।
राजकुमारी,” बात नहीं मानेगा, नहीं मानेगा मेरी बातअब पत्थर बन कर रह। “
नाथूराम के परिवार में…
नाथूराम की मां,” पता नहीं मेरा नत्थू बेटा कहां है ? कितने दिन बीत गए ? “
आदमी,” मां जी नत्थू तो नदी में बह गया। पता नहीं वह अभी तक जिंदा भी होगा या नहीं। “
नाथूराम की मां,” चुप रह कलमूहे, मेरा नत्थू बेटा जिंदा है और वह जरूर आएगा। “
आदमी,” भगवान करे नत्थू जल्दी वापस लौट आए। पंडित ने कहा है – कल बहुत बड़ा दिन है। एक बार जाकर उस नदी की पूजा जरूर कर लेना। “
अगले दिन नाथूराम की पत्नी और बच्चा दोनों नदी में फूल प्रवाहित करने के लिए जाते हैं।
नाथूराम की पत्नी,” कहां हो जी ? घर क्यों नहीं आते ? जल्दी घर पर वापस आ जाइए। “
जग्गू,” पापा घर आ जाइए। मुझे आपकी बहुत याद आती है। “
यह कहकर दोनों अपने हाथों में लिए हुए फूलों को नदी में छोड़ देते हैं। सभी फूल नदी की गहराइयों में जाने लगते हैं और पत्थर बने नाथूराम के ऊपर जा गिरते हैं।
फूलों के गिरते ही नाथूराम ठीक हो जाता है और पहले की तरह चल फिर सकता है। दासी यह खबर राजकुमारी तक पहुंचाती है तो राजकुमारी जल्दी से वहां जाती है।
राजकुमार,” यह कैसे हो सकता है ? इसे तो मैंने पत्थर बना दिया था। “
नाथूराम,” शायद भगवान भी यही चाहते हैं कि मैं अपने परिवार के पास लौट जाऊं। “
राजकुमारी,” देखो… अगर तुम लौट जाओगे तो मेरा क्या होगा ? ”
नाथूराम,” अच्छा ठीक है। तुमने मेरी जान बचाई है। मैं तुम्हारे लिए यहां रुकने के लिए तैयार हूं लेकिन मेरी एक शर्त है। “
राजकुमारी,” शर्त ? कैसी शर्त ? तुम मुझे फिर से पत्थर बना दो; क्योंकि यहां मैं पत्थर बनकर ही रह सकता हूं। वैसे तो मुझे घुटन महसूस होती है यहां। मैं अपने परिवार के बिना जीते जी मर रहा हूं। “
वही पास पढ़े हुए एक फूल में से आवाज आती है,” नाथूराम, तुम चले जाओ। यह घमंडी और नासमझ राजकुमारी अब तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी। यह अपनी खुशी के लिए तुम्हें बर्बाद कर देगी। “
राजकुमारी,” नहीं-नहीं नाथूराम, यह बिल्कुल सही कह रहे हैं। मैं तुम्हें अब बिल्कुल नहीं रोकूंगी। तुम्हें अपने परिवार के साथ जाना चाहिए। एक मछली नाथूराम को नदी के किनारे तक छोड़ आती है। “
नाथूराम वापस घर लौटता है तो उसका बेटा ‘ पापा आ गए, पापा आ गए ‘ कहते हुए नाथूराम को गले लग जाता है। यह देखकर नाथूराम की पत्नी की आंखों में आंसू आ जाते हैं। नाथूराम जाकर अपने मां के पैर छूता है और खुशी-खुशी अपने परिवार के साथ रहने लगता है।
Ghamandi Rajkumari| Hindi Kahaniya| Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales
नाथूराम जान चुका था कि दुनिया की सबसे बड़ी खुशी अपने परिवार के साथ समय बिताना है। जिस जिंदगी को वह पहले बोझ समझता था वही जिंदगी एक असली जिंदगी होती है।
नाथूराम की एक छोटी सी गलती उसे उसके परिवार से अलग कर देती है लेकिन परिवार के सभी सदस्यों के सच्चे प्यार और स्नेह की वजह से नाथूराम को उसकी पहले जिंदगी वापस मिल जाती है जिसे पाकर वह बहुत खुश होता है।
इस कहानी से आपने क्या सीखा नीचे Comment में हमें जरूर बताएं।