हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” घमंडी रानी ” यह एक Hindi Moral Story है। अगर आपको Hindi Kahani, Moral Story in Hindi या Hindi Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Ghamandi Rani | Hindi Kahaniya | Moral Story | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales
घमंडी रानी
एक गांव में चारुलता उर्फ चारू नाम की एक बेहद सुंदर स्त्री रहती थी। चारुलता को अपनी सुंदरता पर बहुत घमंड था।
चारू आराम से सो रही थी कि तभी उसकी मां विमला उससे उठाती हुई बोली।
विमला,” अरे ! उठ जा कलमूही, सूरज सर पर चढ़ आया है और तू है कि अभी तक सो रही है। “
चारुलता,” सोने दो ना माँ, थोड़ी देर बाद उठ जाऊंगी। “
विमला,” अरे ! सूरज निकलने के बाद तो रानियाँ भी उठकर बैठ जाती है और एक तू है कि उठने का ही नाम नहीं ले रही।
चल जल्दी से उठकर तैयार हो जा। आज तुझे देखने लड़के वाले आ रहे हैं। “
चारुलता,” कितनी बार कहा है माँ, मैं विवाह किसी राजकुमार से ही करूँगी ? “
विमला,” हाँ हाँ तुझमें लाल जो जड़े हैं। अब उठ आने वाले हैं वो लोग। “
चारुलता,” तुम उसे मना कर दो मां। “
चारुलता,” धीरे बोल कलमूही। अगर किसी ने सुन लिया तो सात गांव तक कोई रिश्ता लेकर नहीं आएगा तेरा। “
अपनी माँ के कहने पर चारू तैयार होकर अपने कमरे से बाहर निकल आई। उसने देखा, एक बूढ़ी काली सी दिखने वाली औरत और एक बेहद गंदा दिखने वाला व्यक्ति बैठा हुआ था। चारु अपनी माँ से बोली।
चारुलता,” ये कौन है ? “
विमला,” ये मोहनलाल हैं और ये इनकी पत्नी आशा हैं। इन्होंने तुझे अपने बेटे के लिए पसंद कर लिया है। “
चारुलता,” पसंद करने से पहले मुझसे एक बार तो पूछ लेती। इनकी शक्लें तो काली हैं। जब माता पिता इतने काले हैं तो इनका बेटा तो फटे हुए आलू की तरह दिखता होगा। “
विमला,” अरे ! धीरे बोल। दामाद जी के पास पूरे दो बीघा जमीन है, तेरी सारी जिंदगी आराम से कटेगी। “
चारुलता,” मुझे नहीं चाहिए। “
चारू की बात सुनकर वो दोनों गुस्से में खड़े हो गए।
मोहनलाल,” अरे ! मैंने इतनी बदतमीज़ लड़की नहीं देखी। हमें यहाँ पर क्या बेइज्जत करने के लिए बुलाया है समधन जी ? “
चारुलता,” अरे ! काहे की समधन जी..? ऐसे कैसे बन गई समधन जी ये तुम्हारी ? ”
आशा,” अरे ! कैसी मिर्च निकल रही है इस लड़की की जीभ से ? मेरे लड़के को फटा हुआ आलू बोल रही है यह। हमें यहाँ बेइज्जती करने के लिए बुलाया था क्या ? चलिए यहाँ से। “
इतना कहकर मोहन लाल और आशा वहाँ से चले गए और विमला सर पकड़कर बैठ गई।
तभी वहाँ पर चारू की दोस्त मोहिनी मटकी लेकर आ गई। चारू मोहिनी के साथ पानी भरने जंगल चली गई।
मोहिनी जंगल में एक कुएं से पानी भरने लगी। तभी उन दोनों के कानों में किसी बुजुर्ग के कराहने की आवाज टकराई।
मोहिनी,” लगता है कोई बुजुर्ग बेचारा जमीन पर गिर गया है। “
चारुलता,” अरे ! तो गिरने दे, मुझे क्या ? अब क्या ये राजकुमारी गिरे हुए बुड्ढों को उठाने का काम करेगी ? “
मोहिनी,” ऐसे नहीं बोलते चारु। हो सकता है कोई बुजुर्ग गीली जमीन पर गिर गया हो। मेरे हाथ में रस्सी है नहीं तो मैं खुद जाकर देख लेती। “
चारुलता,” ठीक है, अगर तुम कहती हो तो देखना ही पड़ेगा। “
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चारू ने देखा कि एक साधू एक पेड़ के नीचे बैठा हुआ उठने की कोशिश कर रहा था। चारू उसकी ओर पहुँचकर बोली।
चारुलता,” ये क्या बाबा..? मुझे तो लगा था गिर गए होंगे लेकिन आप तो पेड़ के नीचे आराम से बैठे हुए हैं। “
साधू,” जुबान मत चला लड़की, मुझे हाथ पकड़कर उठा। “
चारुलता,” ना बाबा ना… आपके हाथ पकड़ने से तो मेरे हाथ गंदे हो जाएंगे और राजकुमारी अपना हाथ ऐसे वैसे को नहीं देती। “
साधू,” राजकुमारी..? अरे नादान लड़की ! मेरी कमर में मोच आ गई है। अगर तू मुझे उठाने में मदद करेगी तो तू वाकई राजकुमारी बन जाएगी। “
चारू ने साधू को पकड़कर उठा लिया।
चारुलता,” ये लो बाबा, मैंने तुम्हें पकड़कर उठा दिया। लेकिन मुझे तो अपने अंदर कोई भी परिवर्तन महसूस नहीं हुआ। “
साधू,” लगता है तेरी इच्छा किसी राजा से शादी करने की है ? “
चारुलता,” आपको कैसे पता ? “
साधू,” तेरी बातें सुनकर… तेरी जीभ तो कैंची की तरह कतर कतर चलती है लेकिन है तू सुन्दर। मांग, क्या मांगती है ? “
साधू की बात सुनकर चारू मजाक उड़ाने वाले अंदाज में साधू की ओर देखने लगी।
साधू,” मेरी तरफ ऐसे मत देख कन्या। मैं कोई मामूली साधू नहीं हूँ। “
चारुलता,” वही तो मैं देख रही हूँ बाबा, बोल तो ऐसे रहे हो जैसे मैं जो भी मांगूगी आप फट से मेरी मांग को पूरा कर दोगे।
लेकिन मत भूलो, कुछ देर पहले मैंने आपको हाथ पकड़कर आपकी उठने में मदद की थी।
अगर आप इतने ही पहुंचे हुए साधू हो तो अपनी कमर खुद क्यों नहीं ठीक कर लेते ? “
इतना बोलकर चारूलता ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी। चारुलता को हंसता देखकर साधू के चेहरे पर क्रोध झलकने लगा।
साधू,” कुछ बातें साधारण मानव के समझ से परे होती हैं। बेवकूफ कन्या, तेरी हंसी ने मुझे क्रोध दिला दिया है। बोल, क्या चाहती है तू ? “
चारू हंसते हुए बोली।
चारुलता,” मैं अपना जीवन एक रानी की तरह बिताना चाहती हूँ। बोलो, क्या तुम मुझे ऐसा वरदान दे सकते हो और क्या तुम्हारा वरदान काम करेगा या तुम्हारे दिए हुए वरदान का हाल भी तुम्हारी कमर की मौंच की तरह होगा ? “
साधू,” कुछ समय बाद इस राज्य के राजमहल में एक बहुत बड़ा स्वयंवर होने जा रहा है। बहुत से देशों के राजा उस स्वयंवर में हिस्सा लेने के लिए आयेंगे और वहाँ पर बहुत ही सुंदर राजकुमारी भी अपने वर तलाशने राजमहल में आएंगी।
तू स्वयंवर में चली जाना। तुझे देखकर कोई भी उन दूसरी राजकुमारियों को पसंद नहीं करेगा। सबकी नज़र तुझ पर ही जाएगी।
लेकिन जाने से पहले एक बार फिर से अपने फैसले पर विचार कर लेना। क्या तू वाकई ऐसा चाहती है ? “
चारुलता,” कितनी बार बताऊँ ? हाँ, मैं वाकई राजा से विवाह करना चाहती हूँ और राजकुमारी बनकर अपने जीवन को व्यतीत करना चाहती हूँ। “
साधू,” राजकुमारियों का जीवन देखने में बड़ा ही सुन्दर लगता है बेवकूफ कन्या। लेकिन उनके जीवन में कितनी कठिनाइयां होती है शायद तुझे इसका अंदाजा नहीं है ?
जा, मैंने तुझे वरदान दिया… जैसे ही तू स्वयंवर में जाएगी, हर कोई राजा तुझसे ही विवाह करना चाहेगा। “
इतना कहकर साधू क्रोधित होकर वहाँ से चला गया। चारू हंसती हुई मोहिनी के पास आ गयी।
मोहिनी,” क्या हुआ चारू, तू हस क्यों रही है ? “
चारू ने मोहिनी को हंसते हुए सारी घटना बता दी।
मोहिनी,” ये मजाक का विषय नहीं है चारु। हो सकता है कि वो वाकई कोई बहुत पहुंचा साधू हो। उसने तुझे वरदान दिया है। “
चारुलता,” पागल हो गयी है क्या ? उस साधू की कमर में मोंच थी। वो उठकर खड़ा तक नहीं हो पा रहा था।
भला जो अपनी कमर की मोंच का दर्द ठीक नहीं कर सकता, उसके दिए हुए वरदान का क्या भरोसा ? जरूर वो कोई पाखंडी साधू था… बेवकूफ कहीं का। “
मोहिनी,” एक बार कोशिश करने में क्या हर्ज है ? हो सकता है वह साधु सही बोल रहा हो ? और तू जो सपना देखती है, क्या पता तेरा सपना सच हो जाए ? “
मोहिनी,” अब तो तभी पता लगेगा जब वाकई दूर राज्य में स्वयंवर मनाया जाएगा। फिलहाल तो अभी दूर दूर तक कोई सूचना नहीं है कि अपने राज्य में ऐसा कुछ हो रहा है। “
चारू साधू का मजाक उड़ाते हुए मोहिनी के साथ साथ मटकी उठाये घर पर चली गई। लेकिन कुछ ही महीनों के बाद पूरे राज्य में राजकुमारियों के स्वयंवर का ऐलान हो गया।
स्वयंवर के बारे में सुनकर मोहिनी खुश होती हुई चारुलता के पास आकर बोली।
मोहिनी,” अरे चारू ! तुमने कुछ सुना ? अपने राज्य में एक बहुत बड़ा स्वयंवर होने वाला है।
अलग अलग देशों के राजा स्वयंवर में भाग लेंगे और अलग अलग देशों की बहुत सी राजकुमारी भी स्वयंवर में हिस्सा लेंगी।
जिस राजकुमारी को जो राजा चुनेगा, वह उस राजा की पत्नी बन जाएगी। इसका मतलब वो साधू सही बोल रहा था। “
चारुलता,” मैं भी बहुत देर से इसी बात के बारे में सोच रही हूँ। लेकिन मेरी समझ में नहीं आता कि क्या हमें राजमहल में घुसने की इजाजत मिलेगी ? “
मोहिनी,” अरे ! कोशिश करने में क्या जाता है ? चल वो आज का ही दिन है। कुछ ही वक्त के बाद वह स्वयंवर शुरू होने वाला है।
कहीं ऐसा ना हो कि वक्त निकल जाने के बाद तेरे पास पछताने के अलावा कोई रास्ता ना हो ? “
मोहिनी की बात सुनकर चारू की आँखों में चमक आ गई। वो मोहिनी के साथ राजमहल की ओर चली आयी। वो दोनों राजमहल के गेट पर जा पहुंचे कि तभी सैनिक ने उनको रोककर कहा।
सैनिक,” तुम अंदर नहीं जा सकती। यहाँ आम नागरिकों का जाना मना है। “
इतना कहकर जैसे ही सैनिक की निगाह चारू के ऊपर पड़ी, पता नहीं उसे क्या हुआ ?
सैनिक,” अरे ! तुम तो वाकई बहुत सुंदर स्त्री हो। लगता है तुम कहीं की राजकुमारी हो जो भेष बदलकर राज्य घूमने के लिए निकली है ?
जाओ अंदर जाओ, इससे पहले कि तुम पर किसी की नजर पड़ जाए। और यह तुम्हारे साथ कौन है ? “
उस सैनिक की बात पर चारू मुस्कुराती हुई बोली।
चारुलता,” ये मेरी दासी है मोहिनी। ये हमेशा मेरे साथ ही रहती हैं। अब जल्दी से मेरा रास्ता छोड़ो, मुझे अंदर जाने दो। “
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सैनिक ने तुरंत उसे अंदर जाने की इजाजत दे दी। मोहिनी को चारू की ये बात बिल्कुल भी पसंद नहीं आई। मोहिनी आहिस्ता से बोली।
मोहिनी,” ये क्या चारू..? तेरे तो अचानक तेवर ही बदल गए। उस सैनिक ने गलती से तुझे राजकुमारी क्या समझ लिया, तुमने तो मुझे अपनी दासी बना दिया। “
चारुलता,” अरे ! छोड़ ना… क्या फर्क पड़ता है ? चल चल अंदर चल। “
अंदर एक बहुत बड़ा स्वयंवर चल रहा था। उस स्वयंवर में राजा वीर सिंह, रतन सिंह, धीर सिंह और विजेंद्र सिंह सिंहासन पर बैठे हुए थे और सामने बैठी रानियों को प्यार भरी नजरों से देख रहे थे।
तभी वहाँ चारू और मोहिनी आ गई। जैसे ही उन चारों राजाओं की नजर चारू पर पड़ी तो चारों के चारों राजा चारू के रूप को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए।
वीर सिंह,” मुझे मेरी राजकुमारी मिल गयी। ए सुंदरी ! कौन हो तुम ? क्या नाम है तुम्हारा ? “
चारुलता,” मेरा नाम चारुलता है। “
वीर सिंह,” खैर… तुम कोई भी हो, मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। तुम ही मेरी रानी बनोगी। “
वहां पर बैठा हुआ दूसरा राजा रतन सिंह बोला।
रतन सिंह,” अपनी बात वापस ले लो वीरसिंह। मैं इस लड़की से विवाह करूँगा। मुझे इस लड़की की सुंदरता ने दीवाना बना दिया है। “
धीर सिंह,” बेवकूफ राजाओ, तुम्हारे सामने इतनी रानियाँ बैठी हुई है फिर भी तुम्हें ये आम सी लड़की मिली। मैं हमेशा से ही आम लड़की से विवाह करना चाहता था। इससे मैं शादी करूँगा। “
विजेंद्र सिंह,” अपने फैसले पर तुम एक बार गौर कर लो। इस लड़की से सिर्फ मैं ही शादी करूँगा। “
राजमहल में हाहाकार मच गया। चारों राजा एक दूसरे को मारने को उतारू हो गए। राजमहल के राजगुरु ये सब माजरा बहुत देर से देख रहे थे। वो क्रोधित होकर उन राजाओं से बोले।
राजगुरु,” बंद करो अपनी बकवास बेवकूफ राजाओ। ऐसे तो तुम चारों अपनी जान ले लोगे। मेरे पास एक उपाय है। “
वीर सिंह,” कौन सा उपाय ? “
राजगुरु,” तुम चारों का विवाह इस लड़की से करा दिया जाए। “
रतन सिंह,” ये कैसी बातें कर रहे हैं आप ? भला हम चारों राजाओं की एक पत्नी कैसे हो सकती है ? असंभव…। “
राजगुरु,” हो सकती है। क्यों नहीं हो सकती ? लड़ने से बेहतर है कि तुम चारों इस लड़की से विवाह कर लो। “
धीर सिंह,” अगर हम चारों इससे विवाह कर लेंगे तो फिर तो मुश्किल हो जाएगी। हम चारों अलग अलग राज्यों के हैं। ये रहेगी किसके साथ ? “
राजगुरु,” इसे हर राजा के साथ ही एक एक महीने रहना होगा। फैसला हो चुका। “
राजगुरु की ये बात चारों राजाओं को पसंद आ गयी। मगर यह देखकर चारू के होश उड़ गए। उसने मोहिनी की ओर देखकर कहा।
चारुलता,” अरे ! मैं तो सिर्फ एक राजा की रानी बनना चाहती थी मोहिनी। लेकिन मुझे चार राजाओं से विवाह करना पड़ेगा। मेरी तो हालत खराब हो जाएगी। “
मोहिनी,” तुझे बड़ा शौक था ना रानी बनने का ? लगता है उस साधू ने तुझे जरूरत से ज्यादा वरदान दे दिया। चारू तू एक राजा की पत्नी नहीं बल्कि चार चार राजाओं की पत्नी बनेगी। “
चारुलता,” मुझे किसी की रानी नहीं बनना। “
इतना कहकर चारू वहाँ से भागने ही वाली थी कि तभी राजगुरु ने चारू को पकड़ने का आदेश दे दिया।
चारू के पास अब उन चारों से विवाह करने के अलावा और कोई चारा नहीं था। चारू का विवाह उन चारों राजाओं से हो गया। विवाह होने के बाद वीरसिंह खुश होते हुए बोला।
वीरसिंह,” सबसे पहले इस सुंदरी पर मेरी नजर गई थी। क्योंकि अब ये मेरी रानी बन गयी है इसलिए सबसे पहले ये मेरे साथ रहेंगी। “
रतन सिंह,” ऐसे तुझमें क्या लाल जड़े हैं जो ये सबसे पहले तेरे साथ रहेंगी ? मत भूलो राजा वीरसिंह, अभी ये मेरी पत्नी है। इसलिए सबसे पहले ये मेरे साथ रहेगी। “
धीर सिंह,” नहीं, मेरी रानी सबसे पहले मेरे साथ रहेगी। “
उन तीनो की बात सुनकर राजा विजेन्द्र सिंह गुस्से से लाल पीला हो गया। वो तुरंत तलवार निकालकर बोला।
विजेन्द्र सिंह,” तुम तीनों राजाओं का अंत मेरे हाथों लिखा है। वैसे भी मैं तुम तीनों पर हमला करने ही वाला था। लेकिन मुझे तुम्हारे ऊपर हमला करने का कोई बहाना नहीं मिल रहा था।
ये सिर्फ मेरी रानी है और यह सिर्फ मेरे साथ रहेगी। मैं अपनी रानी को किसी को हाथ भी नहीं लगाने दूंगा। “
वीरसिंह,” अबे ! पागल हो गया क्या ? मत भूल हम सब ने भी इस सुंदरी के साथ विवाह किया है। और क्या बोला तू… हम तीनों पर हमला करने वाला था ?
इसका मतलब है पिछले महीने जो गुप्तचर मेरे राज्य में पकड़ा गया था, वो तेरा भेजा हुआ था। “
विजेन्द्र सिंह,” हाँ, मेरा भेजा हुआ था। तुम तीनों राजाओं की भलाई इसी में है कि चारुलता की तरफ देखना छोड़ दो। चारुलता सिर्फ मेरी पत्नी है। “
वीरसिंह,” बेवकूफ राजा, राजगुरु का आदेश है कि रानी एक एक महीने हम चारों राजाओं के साथ रहेगी। तुम राजगुरु के आदेश का अपमान कर रहे हो। “
विजेन्द्र सिंह,” भाड़ में गया राजगुरु का आदेश, भाड़ में जाओ तुम सब। मैं नहीं मानता की रानी का विवाह तुम तीनों के साथ हुआ है। सच तो ये है कि इस सुंदरी से मुझे पहली नजर में प्यार हो गया था। “
राजगुरु,” बंद करो अपनी ये बकवास राजा विजेन्द्रसिंह। तुम मेरे आदेश के खिलाफ़ जा रहे हो। मैंने लड़ाई रोकने के लिए ही इसका विवाह तुम चारों से करवाया है। “
विजेन्द्र सिंह,” मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। अब तो जो जीतेगा वही इस रानी को लेकर जाएगा। “
इतना कहकर राजा विजेन्द्र सिंह ने तलवार निकालकर एक ही वार से राजा वीरसिंह को घायल कर दिया। “
वीरसिंह,” तेरी इतनी हिम्मत कि तूने मेरे ऊपर हमला कर दिया। अब तेरी खैर नहीं। “
इतना कहकर वीरसिंह ने भी अपनी तलवार से राजा विजेन्द्र सिंह पर बड़ा खतरनाक वार किया। राजा विजेन्द्र सिंह वहीं ढेर होकर गिर गया।
वीरसिंह,” मैंने राजा विजेन्द्र सिंह को खत्म कर दिया है। अब रानी सिर्फ मेरे साथ जाएगी। “
तीनों राजाओं में भयानक जंग छिड़ गई। चारू सर पकड़कर वहीं पर बैठ गयी।
मोहिनी,” ये राजा तो आपस मैं तेरे लिए कुत्ते की तरह लड़ रहे हैं चारू। अभी भी मौका है राजमहल से भाग निकलते है।
कहीं ऐसा ना हो कि ये तीनों आपस में लड़ते लड़ते एक दूसरे की जान ले लें ? अगर ऐसा हुआ तो इस राज्य में राजगुरु तुझे इसका दोषी समझेगा। यहाँ से अपनी जान बचाकर भाग। “
चारू नजर बचाकर मोहिनी के साथ राजमहल से भाग गयी। वो सीधे घबराती हुई जंगल की ओर भागी कि तभी चारू की नजर पेड़ के नीचे बैठे हुए उसी साधू पर पड़ी। चारू दौड़ती हुई उस साधू के पास पहुँचकर बोली।
चारुलता,” मुझे बचा लीजिए साधू महाराज। “
साधू,” क्या हुआ कन्या ? तुम इतनी घबराई क्यों हो ? क्या तुम आज स्वयंवर में नहीं गयी ? “
चारू ने सारी घटना साधू को बता दी।
साधू,” तुम तो एक रानी की तरह अपना जीवन व्यतीत करना चाहती थी। एक नहीं बल्कि चार चार राजाओं ने तुम्हें पसंद कर लिया और तुमसे विवाह कर लिया।
ये और बात है कि वो आपस में लड़ पड़े और एक को अपनी जान गंवानी पड़ी। राजमहल में अक्सर ऐसा ही होता है। राजा बनते हैं और लड़कर खत्म हो जाते हैं।
लेकिन तुम्हें इससे क्या ? तुम आराम से अपना जीवन एक एक राजा के पास रहकर गुजार सकती हो। “
चारुलता,” मुझे क्षमा कर दीजिए बाबा। मेरे सर से रानी बनने का भूत उतर चुका है। मैं चार चार राजाओं की रानी नहीं बन सकती। “
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साधू,” चार नहीं तीन, एक तो मारा जा चुका है। “
चारुलता,” जो भी हो, मैं अब रानी नहीं बनना चाहती। “
साधू को चारू को देखकर तरस आ गया। उसने देखा चारू की आँखों से पश्चाताप के आंसू बह रहे थे। साधू ने मुस्कुराकर जवाब दिया।
साधू,” जाओ, अपने घर पर जाओ। उस राजमहल में कौन सी सुंदर कन्या आई थी, यह हमेशा एक रहस्य ही रहेगा ? राजमहल के लोग कभी नहीं जान पाएंगे। “
इतना कहकर वो साधु वहाँ से चला गया और चारू चुपचाप अपने घर आ गयी। उस दिन के बाद से चारू के दिल से रानी बनने का भूत उतर गया था।
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