चतुर बाबा | Chatur Baba | Hindi Kahani | Moral Stories in Hindi | Kahaniya | Bed Time Story | Hindi Stories

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “ चतुर बाबा ” यह एक Bedtime Story है। अगर आपको Hindi Kahani, Moral Story in Hindi या Hindi Fairy Tales पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
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Chatur Baba | Hindi Kahani| Moral Stories in Hindi | Kahaniya |Bed Time Story | Hindi Stories

 चतुर बाबा 

एक बार की बात है। चंदनपुर गांव में एक लालची और बेईमान फकीर रहा करता था। 
वो अपने कपटी दिमाग से लोगों को ठगा करता था। सभी गांव वाले उसे बहुत ही ज्ञानी मानते थे। 
वह गांव वालों को बेवकूफ बनाकर जो भी उसे धन मिलता, उसे अपने पास एक कोटली में रखता था। 
लालची फकीर की मजार गांव के एक जंगल में पेड़ के नीचे थी जहाँ वो बैठा करता था।
एक दिन फकीर अपनी मजार के बाहर बैठा था और गांव के कुछ लोग उसके पास बैठे थे। 
आदमी,” बाबा फकीर, अपनी आँखें खोलिये। बाबा, मैं गांव का एक गरीब किसान हूँ। सुना है… आप में अद्भुत शक्तियां हैं। 
बाबा बताइए ना, इस बार मेरी फसल अच्छी होगी या नहीं ? बताइए ना। “
फकीर,” अच्छा तो ये बात है। अभी रुक, अभी बताता हूँ। अपना हाथ आगे कर बच्चा। “
आदमी,” जी जी, ये लीजिये बाबा जी। ” 
फकीर,” अपनी आंखें बंद कर, बच्चा। मुझे अपनी अद्भुत शक्तियां से तेरे भविष्य के बारे में ज्ञात करना होगा। “
जैसे ही किसान अपनी आंखें बंद करता है, फकीर चुपके से अपने पीछे से एक लाल नींबू उठाता है और दूसरे रखे नींबू से उसे बदल देता है। जैसे ही किसान अपनी आंखें खोलता है वो हैरान रह जाता है। 
आदमी,” अरे फकीर बाबा ! ये क्या… ये नींबू तो बिल्कुल लाल हो गया है। इसका क्या मतलब है ? मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा है, मुझे बताईये। “
फकीर,” बच्चा, तुम्हारा आने वाला भविष्य खाने की ओर जाने वाला है। तुम्हारी इस वर्ष की बोई फसल खराब हो जाएगी, बच्चा। “
आदमी,” नहीं नहीं बाबा, ये आप क्या बोल रहे है ? आपके पास तो अद्भुत शक्तियां हैं, मेरी सहायता कीजिये। 
कोई तो उपाय होगा आपके पास ? मेरी फसल को खराब होने से बचा लीजिये। “
फकीर,” वो बात तो है बेटा, हमें अपनी अद्भुत शक्तियों से तुम्हारे भविष्य के लिए ऊपर वाले से दुआ करनी होगी। तभी तुम्हारी फसल बच सकती है। “
आदमी,” फकीर बाबा दया कीजिए, आप महान हैं। अच्छा बाबा, ये लीजिये कुछ पैसे आप अपने पास रखिये, लीजिये… लीजिये। 
लेकिन मेरे लिए दुआ जरूर करिएगा। मैं फिर से आऊंगा, बाबा। अच्छा, मैं चलता हूँ। “
फकीर,” वाह मूर्ख आदमी ! लेकिन मुझे क्या, मुझे तो ये धन ही देकर गया। आज तो गरमागरम मुर्गी पकाकर खाऊंगा। “
थोड़ी देर बाद फकीर जंगल में बड़े चाव से बनाई, अपनी मुर्गी खाता है। 
फकीर,” अरे वाह.. ! मज़ा ही आ गया। वाह ! क्या स्वाद था, आत्मा को शांति मिल गयी ? कितने दिन से वही मामूली सा भोजन करके सड़ ही गया था मैं, लेकिन आज मज़ा ही आ गया। 
अच्छा अब सो जाता हूँ, सुबह फिर से इन गांव के लोगों को बेवकूफ भी तो बनाना है। बेचारे मूर्ख गांव वाले, समझते हैं मैं कोई ज्ञानी फकीर हूँ जिसके पास अद्भुत शक्तियां हैं। “
अगली सुबह गांव का एक युवक फकीर के पास आता है। फकीर मजार के पास बैठा होता है। 
बनिया,” फकीर बाबा की जय हो, बाबा की जय हो, बाबा। बाबा, मैं आपके दर्शन के लिए पास वाले गांव से आया हूँ। 
बाबा, मैं एक बनिया हूँ और आप के लिए कुछ अनाज की बोरियां लाया हूँ। सुना है आपके पास अद्भुत शक्तियां है, बाबा ? 
मुझे आशीर्वाद दीजिये, मेरे घर धन की कभी कोई कमी नहीं आये। “
फकीर,” ऐसा ही होगा बच्चा, मेरा आशीर्वाद सदैव तुम्हारे साथ है। तुम्हारे पास धन की कभी कभी नहीं होगी। “
बनिया,” बहुत बहुत धन्यवाद, बाबा ! अच्छा, मैं आपके लिए अनाज की बोरियां लाया हूँ, उन्हें स्वीकार कीजिये, बाबा। “
यह बात सुनकर फकीर बाबा खुश हो जाते हैं। 
फकीर,” अरे वाह वाह ! अनाज की बोरियां… चलो आज तो इन्हें बेचकर खूब सारा धन आ जायेगा। वाह वाह ! क्या बात है ? “
तभी वो युवक बाबा फकीर को अनाज की बोरियां देता है। ये सब गांव का एक जग्गी नाम का युवक जो एक ठग होता है, छुपकर देख रहा होता है। 

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जग्गी,” अरे बाप रे ! इस फकीर बाबा को ये आदमी तो इतनी सारी अनाज की बोरियां दे रहा है। 
आखिर इतनी सारी बोरियो का ये फकीर बाबा करेगा क्या ? लगता है… यहाँ हाथ साफ करने का पूरा मौका है। 
आज रात को ही इस बाबा की झोपड़ी से अनाज की बोरियां चुराकर ले जाऊंगा। “
रात को चोरी छुपे जग्गी फकीर बाबा की झोपड़ी में जाता है और देखता है की फकीर दो लोगों के साथ बात कर रहा होता है। 
फकीर,” प्यारे, तुम दोनों को यहाँ किसी ने आते तो देखा नहीं ना ? कितनी बार बोला है तुम्हें आधीरात को जब सब गांव वाले सो जाया करें तब आया करो ? 
लेकिन तुम मेरा धंधा बंद करवा के ही मानोगे क्या ? जानते नहीं हो कि गांव वाले कितना विश्वास करते हैं ? समझते हैं… अद्भुत शक्तियां हैं मुझमें। बेचारे मुर्ख गांव वाले। “
कालिया,” ये क्या ढोंगी फकीर, एडा समझेला है क्या अपुन को ? लोगों में से किसी ने हमें आते नहीं देखा समझा क्या ? चल अब अपना टाइम खोटी मत कर। “
कालिया,” अरे ओ बल्लू ए… जल्दी से इस ढोंगी फकीर को बोरी के पैसे दे और चल यहाँ से। “
बिल्लू,” ठीक है उस्ताद, अभी देता हूँ। “
बिल्लू,” ये ले ढोंगी फकीर, अपुन ने तुम्हारी इस अनाज की बोरियां के अच्छे दाम दिए हैं। 
क्या एकदम मस्त, कोई मलाल नहीं रखने का दिल में ? गिन लेना नोटों को पूरे… समझा तू ? “
जिसके बाद कालिया फकीर को कुछ पैसे देता है और दोनों वहाँ से चले जाते हैं। फ़कीर एक पोटली में जिसमें पहले से ही काफी सारा धन होता है, उसमें उन पैसों को रखते हुए।
फकीर,” अरे वाह ! देखो तो सही कितना सारा धन इकट्ठा हो गया है ? अरे वाह ! मैं अपनी चतुराई से इस गांव के लोगों को अच्छा बेवकूफ बनाता हूँ। 
लोग भी कितने मूर्ख है, मेरी बातों में आ भी जाते हैं ? अच्छा, अब इस धन की पोटली को कहीं छुपा देता हूँ, हाँ। “
जिसके बाद वह अपनी झोपड़ी में ही उस पोटली को एक चादर के अंदर छुपा देता है और खुद भी उसी चादर पर सो जाता है।
फकीर,” अब सो जाता हूँ, बहुत अच्छी नींद आएगी। “
जग्गी,” अरे बाप रे ! ये बाबा फकीर तो कल्लू बाबा निकला रे। गांव के लोग इस फकीर पाखंडी को बहुत शक्तिशाली मानते हैं और ये तो बस उन्हें ठगता है। 
अरे वाह रे ढोंगी बाबा फकीर ! क्या खेल खेलेरा तू गांव वालों के साथ। लेकिन मैं तुझे ऐसे नहीं जाने दूंगा। तू जानता नहीं, जग्गी ठग नाम हैं मेरा। 
बोले तो ठगों में सबसे बड़ा ठग, बोले तो जग्गी… गांव में लोगों को ठगना ही मेरा काम है। अब देखना तू बाबा फकीर, कैसे तेरी अक्ल ठिकाने आती है। “
अगली सुबह जग्गी बुरी हालत में फटे हुए कपड़ों में ही वो बाबा फकीर के पास आता है।
जग्गी,” बाबा फकीर महाराज, मेरी सहायता कीजिए। मैं पीड़ा में हूँ, मेरी सहायता कीजिये। मैंने सुना है… आप सबके दुख हर लेते है, मुझ गरीब पर भी अपनी दृष्टि डालिए। सहायता कीजिए, महाराज। “
फकीर,” अरे ! क्या हुआ बच्चा ? कौन हो तुम, बताओ हमें ? क्या समस्या है तुम्हें ? हम अवश्य ही तुम्हारी सहायता करेंगे। “
जग्गी,” बाबा फकीर मैं एक बहुत ही गरीब व्यक्ति हूँ। मेरा इस संसार में कोई नहीं है। कई दिनों से एक अन्न का दाना तक नहीं खाया है, हाँ। 
मैंने सुना है… आप बहुत बड़े ज्ञानी है। आप मुझे अपनी शरण में ले लीजिये, बाबा जी।
मैं आपकी सेवा करके अपना जीवन बिता लूँगा, बदले में दो वक्त की रोटी दे देना। “
फकीर (मन में),” अरे ! मुफ्त में एक सेवक मिल रहा है, बेचारा कितना भोला लगता है ? 
इससे अपनी खूब सेवा करवाऊंगा। हाँ… रख ही लेता हूँ इसे अपने पास, बेचारा मूर्ख इंसान। “
फकीर,” अरे बच्चा ! अगर तुम्हारी इच्छा है कि तुम हमारे पास रहकर हमारी सेवा करो तो इसमें हमें कोई आपत्ति नहीं है, बच्चा। 
तुम एक अच्छे इंसान लगते हो और ऊपर वाले का संदेश है कि मैं तुम्हारी सहायता अवश्य करूँ। आज से तुम मेरे ही साथ मेरी झोपड़ी में रहोगे। “
यह सुनकर जग्गी खुश हो जाता है। 
जग्गी,” बहुत बहुत धन्यवाद बाबा फकीर ! आप महान हैं। आपने मुझ गरीब पर इतनी कृपा की, आप महान हैं बाबा फकीर। “
जिसके बाद जग्गी फकीर के साथ रहने लगता है। जग्गी फकीर की झोपड़ी की साफ सफाई करता, उसके लिए रात्रि का खाना बनाता और उसकी खूब सेवा करता और फकीर भी ऐसा मेहनती सेवक पाकर खूब खुश रहता। 
जग्गी,” अरे इस ढोंगी बाबा फकीर की जिस धन की पोटली के लिए यहाँ आया हूँ, उसे तो यह हमेशा ही अपने साथ लिए घूमता है। 
ऐसे में आखिर कैसे चुराऊं मैं इस धन की पोटली को ? लगता है मुझे प्रतीक्षा ही करनी पड़ेगी। आखिर कभी तो हाथ आएगी इसकी धन की पोटली ? “
तभी एक आदमी और उसकी पत्नी अपने छोटे से बेटे को लेकर बाबा फकीर के पास आते हैं। 
आदमी,” बाबा फकीर, देखिए तो ज़रा मेरे बेटे को क्या हो गया है ? भोजन करते करते अचानक से मूर्छित होकर गिर गया है, देखिये ना बाबा जी। 
हमने बहुत सुना है आपके बारे में। हम पास वाले गांव से आये हैं। आप सबसे ज्ञानी और विद्वान है, कुछ तो कीजिये। “
फकीर,” अरे अरे ! आप लोग चिंता मत कीजिये। हमें देखने दीजिये। “
तभी फकीर उसे देखता है और अपनी झोपड़ी में जाता है। झोपड़ी में से एक पेड़ का पत्ता लेकर आता है और बच्चे के मुँह में रख देता है।

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थोड़ी देर बाद वो बच्चा उठ खड़ा होता है जिसे देखकर उसके माता पिता बहुत खुश होते है। 
आदमी,” अरे ! आप तो सच में महान है, बाबा जी। गांव वाले आपके बारे में एकदम सही कहते हैं। मेरे बच्चे को आपने स्वस्थ कर दिया। 
आप में महान शक्तियां हैं, बाबा फकीर। आप महान आत्मा हैं। अगर आज हमारे बच्चे को कुछ हो जाता तो हम भी जीवित नहीं रह पाते। आपका बहुत बहुत धन्यवाद, बाबा जी। “
तभी उस आदमी की पत्नी अपने सारे गहने उतारकर फकीर को देती है। 
आदमी की पत्नी,” ये लीजिये, मेरे बच्चे के प्राण बचाने के लिए मैं आपको ये देना चाहती हूँ। इन्हें स्वीकार कर लीजिये, बाबा जी। मैं आपकी सदैव आभारी रहूंगी। “
फकीर वो गहने देखकर बहुत खुश हो जाता है। 
फकीर (मन में),” अरे वाह वाह ! इतने सारे सोने चांदी के गहने… वाह वाह ! इतना धन तो मुझे कभी नहीं मिला। इन्हें पाकर तो मेरा जीवन आराम से गुजरेगा। “
फकीर,” अच्छा ठीक है, अगर तुम मुझे अपने बेटे के प्राण बचाने के रूप में देना चाहती हो तो ठीक है। 
मैं ये अवश्य ही स्वीकार करूँगा। जाओ, ऊपर वाला तुम्हारा भला करेगा। “
जिसके बाद वो दोनों अपने बच्चे को लेकर वहाँ से चले जाते हैं। 
जग्गी (मन में),” अरे इस फकीर बाबा के तो मजे ही आ गए। इतने सारे सोने चांदी के जेवर… वाह वाह ! अगर ये जेवर मेरे हाथ आ जाएं तो मेरे तो मज़ा ही आ जाएंगे। अब तुझे जल्दी ही कुछ सोचना होगा रे जग्गी ठग। “
इसके बाद फकीर वो सोने चांदी के गहने अपने धन की पोटली में रख देता है और अपनी पोटली अपने पास रखकर सो जाता है।
अगली सुबह दो युवक फकीर के पास आते हैं। 
युवक,” बाबा जी की जय हो ! हम पास वाले गांव से आए हैं। जिस माता पिता के बच्चे को अपने ठीक किया, उस गांव में आपके चमत्कार से सब आपके भक्त हो गए हैं। 
हमारे गांव के सभी लोग जो है आपसे मिलना चाहते है, बाबा जी। उन्होंने आपके लिए भोजन की व्यवस्था की है। आप आएँगे तो गांव वालों को अच्छा लगेगा। आप आयेंगे ना बाबा ? “
फकीर (मन में),” अरे वाह वाह ! ये तो बहुत खुशी की बात है। इस गांव के साथ साथ दूसरे गांव के लोगों को भी मूर्ख बनाने का मौका मिलेगा। 
अब तो मेरे पास और धन आ जायेगा और चारों तरफ मेरी ही जय जयकार होगी। अरे वाह ! कमाल हो गया। “
फकीर,” अच्छा अच्छा ठीक है, अगर तुम्हारे गांव वालों की यही इच्छा है तो हम कल सुबह तुम्हारे गांव अवश्य आएँगे। “
युवक,” जो आज्ञा बाबा फकीर, अच्छा… अब हम चलते हैं। “
जिसके बाद वह दोनों वहाँ से चले जाते हैं। 
जग्गी,” अरे बाबा फकीर जी ! क्या सच में सुबह पास वाले गांव में जाएंगे आप ? लेकिन बाबा फकीर आप तो कभी अपनी इस मजार से बाहर नहीं जाते हैं। “
फकीर,” अरे मूर्ख ! ये सच है कि हम कही नहीं जाते लेकिन पास वाले गांव के लोगों ने हमें बहुत प्यार और आदर के साथ आमंत्रित किया है। 
ऐसे में हमें ऊपर वाले का आदेश है, हम वहाँ अवश्य ही जाएं। इसलिए हम कल सुबह ही पास वाले गांव के लिए निकल जाएंगे और तुम भी हमारे साथ ही चलोगे। “
जग्गी ये बात सुनकर थोड़ा हैरान हो जाता है। 
जग्गी,” क्या..? आप मुझे भी अपने साथ ले जाना चाहते हैं, जो आपका आदेश बाबा फकीर, मैं आपके साथ अवश्य ही चलूँगा, हाँ। “
इसके बाद अगली सुबह फकीर अपने धन की पोटली अपने साथ लिए जग्गी के साथ पास के गांव जाने के लिए निकल पड़ते हैं। 
वो जंगल के रास्ते से जा रहे होते हैं। काफी दूर पैदल चलते हुए अचानक से फकीर का पांव गड्ढे में फिसल जाता है और वो उस गड्ढे में गिर जाता है। गड्ढे में गिरते ही सारी मिट्टी फकीर के शरीर पर लग जाती है। 
जग्गी,” अरे बाबा फकीर ! गड्ढे में गिरने की वजह से आपके पूरे शरीर पर मिट्टी चिपक गई है। 
अगर ऐसे में लोग आपको देखेंगे तो पहचान नहीं पाएंगे। यहीं पास में ही एक नदी है, आप वहाँ चलकर स्नान कर लीजिये। कितनी बदबू भी आ रही है। “
फकीर,” नहीं नहीं, मैं स्नान नहीं कर सकता। मेरे पास धन की पोटली है। स्नान करूँगा तो सारा धन नदी के पानी की वजह से व्यर्थ हो जाएगा। नहीं नहीं, मैं ऐसे ही आगे जाऊंगा। “
जग्गी,” अरे बाबा फकीर ! आप अपनी स्थिति को तो देखिये, मैं ही आप को नहीं पहचान पा रहा हूँ। 
कहीं ऐसा ना हो कि पास वाले गांव के सभी लोग आपको देखते ही भयभीत हो जाए ? नहीं नहीं बाबा फकीर, मुझे लगता है आपको स्नान कर ही लेना चाहिए। “
जग्गी की ऐसी बातें सुनकर फकीर सोच में पड़ जाता है। 
फकीर,” अच्छा तो ठीक है, अगर तुम चाहते हो कि हम स्नान करें तो हम अवश्य ही स्नान करेंगे। चलो, नदी के पास ले चलो हमें। “
जग्गी,” जैसी आपकी आज्ञा, चलिए मेरे साथ। “
जिसके बाद दोनों एक नदी के पास जाते हैं। 
जग्गी,” ये देखिये बाबा जी, ये रही नदी। कर लीजिये स्नान। “
फकीर,” अच्छा ठीक है, लेकिन पहले मैं अपनी धन की पोटली को कहीं छुपा देता हूँ, हाँ। “
इसके बाद फकीर को एक बहुत बड़ा पत्थर दिखता है। 
फकीर,” हाँ हाँ, ये जगह ठीक रहेगी धन की पोटली छिपाने के लिए। “
वो उस पत्थर के पीछे धन की पोटली छुपा देता हूँ। तब जग्गी चुपके से पत्थर के उस तरफ जाता है और वो धन की पोटली उठाते हुए।
जग्गी,” आखिर वो दिन आ ही गया। मैं तो थक ही गया था इस ढोंगी फकीर की सेवा कर करके। वाह वाह ! कितना सारा धन हाथ आ ही गया ? 
अब पता चलेगा इस ढोंगी को बहुत सेवा कराई है ना मुझसे, अब आएगा मज़ा। 
बोले तो रोनी टोनी ठगों में सबसे बड़ा ठग… बोले तो जगी ही है। इससे पहले वो डोंगी आ जाए, मुझे यहाँ से निकलना होगा। “
जग्गी धन की पोटली लेकर वहाँ से भाग जाता है। तभी फकीर नदी से बाहर निकलकर आता है।
फकीर,” अरे वाह वाह ! स्नान करके तो बहुत संतुष्टि मिली। नदी का पानी तो बहुत ही शीतल था। आनंद ही आ गया। वाह ! मज़ा ही आ गया। “
फकीर आस पास देखता है लेकिन जग्गी उसे कहीं नहीं दिखता और फकीर घबरा जाता है। 
वो ये देखकर हैरान हो जाता है कि उसकी धन की पोटली भी वहाँ नहीं है और वो समझ जाता है कि जग्गी उसकी धन की पोटली लेकर भाग गया। 

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फकीर,” हाय ! ये क्या हो गया ? वर्षों से जो धन लोगों को मूर्ख बनाकर अर्जित किया था, वो कोई और मुझे मुर्ख बनाकर ले गया। 
हाय हाय ! ये क्या हो गया ? लगता है… ईश्वर ने मेरे किए की सजा मुझे दे दी है। हाय हाय ! ये क्या हो गया ? “
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