चोर मंत्री | Chor Mantri | Hindi Kahaniya | Moral Story | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” चोर मंत्री ” यह एक Hindi Fairy Tales है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Bed Time Story पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
चोर मंत्री | Chor Mantri | Hindi Kahaniya | Moral Story | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales

Chor Mantri | Hindi Kahaniya | Moral Story | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales

चोर मंत्री

एक गांव में संपत और कप्तान नाम के दो शरारती दोस्त रहते थे। वो दोनों कोई काम धंधा ना करके सारा दिन गांव में आवारा गर्दी करते रहते थे। 
गांव का मुखिया उन दोनों से बहुत परेशान था। 1 दिन संपत और कप्तान कालिया की दुकान पर चाय पी रहे थे कि तभी कालिया उन दोनों से बोला।
कालिया,” तुम दोनों कोई काम धंधा तो करते नहीं हो। सारा दिन बस ऐसे ही आवारा गर्दी करते रहते हो। मेरी समझ में नहीं आता कि आखिर तुम दोनों का खर्चा कैसे चलता है ? “
संपत,” भाई, तेरा काम है चाय बनाना। चाय बना और अपने काम से काम रख। समझा ? “
कालिया,” आखिर तुम सही हो। “
संपत,” तो फिर ये सब क्यों पूछ रहा है ? हमने तो तेरी चाय भी उधार नहीं पी। रोज़ तेरे मुँह पे पैसे मार के जाते हैं। “
कालिया ,” अरे ! नहीं भैया, ऐसी कोई बात नहीं। तुम दोनों तो बेवजह नाराज हो गए। मैं तो बस ऐसे ही पूछ रहा था। “
कप्तान,” ओह ! तेरी हिम्मत भी कैसे हुई ये पूछने की। अबे क्या हमने कभी तुझसे पूछा है कि जिस दिन तेरी बिक्री नहीं होती उस दिन तेरे घर पर शाम को चूल्हा कैसे जलता है ? 
कालिया,” मेरा तो चाय का धंधा है संपत भैया और चाय तो हर आदमी पीता ही पीता है। मेरी तो रोज़ बिक्री होती है। “
संपत,” हमें सब पता है कि तू ये सब बातें हमसे क्यों पूछ रहा है ? 
मैं तुझे आखिरी चेतावनी देता हूँ कालिया, अगर तूने हम दोनों से जरूरत से ज्यादा सवाल करने की कोशिश की तो किसी दिन तुझे तेरी चाय की दुकान के साथ तोड़ फोड़कर सड़क पर फेंक देंगे। “
मुखिया,” क्या कहा…दुकान तोड़कर फेंक देगा कप्तान बेटा ? “
कप्तान,” अभी आप ही बताओ मुखिया जी। ये हमसे पूछ रहा है कि हम दोनों कुछ काम धंधा तो करते नहीं है फिर भी हमारा खर्चा कैसे चलता है ? 
भला इसकी हिम्मत कैसे हुई ये सवाल पूछने की ? “
मुखिया,” तो उसने गलत क्या पूछा है ? बिल्कुल सही पूछा है। 
तुम दोनों दिनभर निठल्ले आवारों की तरह पूरे गांव में मटरगश्ती करते रहते हो। लड़कियां छेड़ने के अलावा तुम्हारे पास और कोई काम नहीं है। लेकिन कपड़े और जूते तुम सब ब्रैंडेड पहनते हो। “
संपत ,” अरे ! हमारा शहर में कपड़े का काम चलता है। “
मुखिया,” कभी शहर की शक्ल भी देखी है तुने ? मुझे सब पता है कि तेरा और संपत का खर्चा कैसे चलता है। 
बस एक बात मेरी गांठ बांधकर रख लेना। 5 दिन बाद 15 अगस्त है। मैं बस 15 अगस्त तक ही चुप बैठा हूँ। 
उसके बाद मैं तुम दोनों की खबर लूँगा और खासतौर से कप्तान तेरी। मेरी आँखों से कुछ भी छुपा हुआ नहीं है। “
कप्तान,” बोल तो ऐसे रहा है जैसे कि 15 अगस्त के दिन गांव में कोई मंत्री झंडा फहराने के लिए आ रहा है। “
संपत,” बिलकुल सही कह रहे हैं और भाई आपको पता नहीं कि शहर से एक बहुत बड़ा मंत्री 15 अगस्त वाले दिन हमारे गांव में झंडा फहराने आ रहा है ? 
मुखिया जी ने 15 अगस्त पर सारे गांव वालों को दावत दी है। हर घर में लड्डू बांटे जाएंगे। “
कप्तान,” अब ये मुखिया पागल हो गया क्या ? अचानक से इसके अंदर इतनी देशभक्ति कैसे सवार हो गई ? “
संपत,” अरे ! कोई देशभक्ति सवार नहीं हुई मुखिया पर। जरूर इसे उस मंत्री से कुछ काम निकलवाना होगा और कुछ नहीं। 
तू यहीं बैठ, मैं तो चला अपने काम पर। चाहे तो एक कप चाय और पी लेना है। 
मुझे सब पता है की तुझे कौन से काम पे जाना है। जब तुझे पता ही है तो फिर तू बोल क्या रहा है ? “
संपत,” देख कप्तान, मुखिया की बातों से मुझे ऐसा लग रहा है कि जैसे उसे तुझ पर शक हो गया है कि तेरा और उसकी बेटी बिंदिया का चक्कर चल रहा है। “
कप्तान,” अरे ! बिन्दिया मुझसे प्यार करती है। एक ना एक दिन तो ये बात मुखिया को पता लगनी ही थी तो इसमें इतनी परेशानी की क्या बात है ? “
संपत,” अरे बेवकूफ ! बिन्दिया तुझे रोज़ रोज़ मुखिया की तिजोरी से निकालकर पैसे जो देती है, उसके बारे में अगर कहीं मुखिया को भनक लग गयी तो मुखिया हम दोनों को बहुत पीटेगा और हमारा तो इस गांव में कोई हिमायती भी नहीं है। सभी लोग हम दोनों से जलते हैं। “

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कप्तान ,” तू समझता क्यों नहीं मेरी बात को ? “
संपत,” मैं तेरी कोई बात नहीं समझ रहा हूँ। “
कप्तान,” तू आखिर कहना क्या चाह रहा है ? “
संपत ,” मुझे लगता है कि मुखिया को ये भी शक हो गया है कि बिंदिया तुझे मुखिया की तिजोरी से चोरी करके पैसे देती है और उसी से हम दोनों सारा दिन मौज मस्ती करते रहते हैं। “
कप्तान,” और वो पैसा… वो पैसा कौन सा मुखिया की मेहनत की कमाई का है ? सारा का सारा पैसा जनता की लूटी हुई कमाई का ही तो है। 
तू घबरा मत, मैं आज ही बिंदिया से इस बारे में बात करता हूँ। “
बिंदिया,” मैं यहाँ पर कितनी देर से तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ ? मगर तुम्हें तो कालिया की दुकान से चाय पीने से ही फुरसत कहां ? “
कप्तान,” तू नाराज मत हो बिन्दिया। तुम्हें पता भी है, कालिया की दुकान पर तुम्हारे पिताजी आकर मुझे धमकाने लगे ? “
बिंदिया,” क्या मतलब ? मुझे भी कुछ दिनों से ऐसा लग रहा है कि पिता जी को शक हो गया है कि उनकी तिजोरी से पैसे मैं निकल रही हूँ। “
कप्तान,” लेकिन तुम तो बोल रही थी कि मुखिया जी तिजोरी में जो पैसे रखते हैं वो गिनकर नहीं रखते। “
बिंदिया,” अरे ! हो सकता है अब गिनकर रखने लगे हों और मैंने इस बात पर ध्यान न दिया हो। “
कप्तान,” वो सब बातें छोड़ो, मुझे ₹2000 की सख्त जरूरत है। “
बिंदिया,” पिताजी ने कुछ गलत नहीं कहा तुमसे। शादी के बाद भी क्या पता, तुम मुझसे ऐसे ही पैसे मांगोगे और ऐसे ही पूरे दिन गांव में आवारा गर्दी करते फिरोगे ? “
कप्तान,” अरे ! नहीं नहीं बिंदिया, मुखिया जी के पास इतना काला पैसा है, वो किस काम आएगा। उन पैसों में से ही मैं कोई कारोबार कर लूँगा। “
बिंदिया,” खबरदार जो मेरे पिताजी के पैसे को काला पैसा कहा। मैंने तुमसे कितनी बार कहा है, मेरे पिताजी कोई भ्रष्टाचारी नहीं है। 
हम खानदानी अमीर हैं। हमारे दादा परदादा की पुश्तैनी हवेली अभी भी पड़ोस के गांव में ऐसे ही खाली पड़ी हुई है। “
कप्तान,” तो शादी के बाद हम दोनों उसी हवेली में जाकर रहेंगे। “
बिंदिया,” लेकिन मुझे नहीं लगता की मेरा विवाह तुमसे हो पायेगा। “
कप्तान,” क्या मतलब..? ये क्या कह रही हो तुम ? “
बिंदिया,” मैंने कल पिताजी को फ़ोन पर बातें करते सुना था। वो बोल रहे थे कि 15 अगस्त के दिन कोई मंत्री झंडा फहराने के लिए हमारे गांव में आने वाला है। “
कप्तान ,” अरे वो तो मुझे भी पता है। तुम्हारे पिताजी 15 अगस्त के बाद ही तो मुझे देख लेने की धमकी दे रहे थे। “
बिंदिया,” शायद उन्होंने तुम्हें पूरी बात नहीं बताई। मंत्री के साथ साथ उसका बेटा भी आने वाला है। 
पिताजी चाहते हैं कि मेरा हाथ मंत्री जी के बेटे को सौंप दिया जाए और जल्द से जल्द विवाह कर दिया जाये। कप्तान, मैं तुम्हारे अलावा किसी और से विवाह करने के बारे में सोच भी नहीं सकती। 
तुम जाकर पिताजी से बात क्यों नहीं करते ? “
कप्तान,” अरे ! पागल हो गयी हो क्या ? अगर मैंने अपनी शादी की बात उनसे की तो वो मेरा पीट पीटकर बुरा हाल कर देंगे। “
बिंदिया,” मैं तुम्हें इतने पैसे दे चुकी हूँ। अगर तुम उन्हीं पैसों से कोई कारोबार कर लेते तो आज अच्छा खासा कमा रहे होते। 
लेकिन तुम तो बस अपने दोस्त संपत के साथ आवारा गर्दी करते रहते हो। मुझे कुछ नहीं पता, 15 अगस्त के बाद पिताजी मेरा विवाह मंत्री के बेटे से तय कर देंगे और अगर ऐसा हुआ तो मैं अपनी जान दे दूंगी। “
इतना बोलकर बिन्दिया ने ₹2000 कप्तान को थमा दिए और आँखों में आंसू लिए वहाँ से चली गई। कप्तान अपना सिर पकड़कर तालाब के किनारे बैठ गया। तभी कप्तान के कानों में संपत की आवाज टकराई।
संपत,” इस तरह तालाब के किनारे बैठकर चिंतित होने से कुछ नहीं होने वाला। “
कप्तान,” ये गलत बात है संपत। कितनी बार कहा है कि मेरी और बिन्दिया की चुपके चुपके बातें मत सुनाकर ? “
संपत,” अरे ! मैं तो बस ये देखने आया था कि बिंदिया ने तुझे ₹2000 दिए कि नहीं। लेकिन यहाँ आकर तो मुझे नई बातें सुनने को मिल गयी। “
कप्तान,” तू तो मेरा दोस्त है यार। कुछ कर… अगर बिन्दिया की शादी कहीं और हो गयी तो वो मेरे बिना जीवित नहीं रह पाएगी और मैं भी। “
संपत,” अरे रे ! अपने घड़ियाली आंसू बहाना बंद कर दे। मैं तुझे अच्छी तरह से जानता हूँ। 
तुझे तो सिर्फ इस बात की चिंता है कि अगर बिंदिया का विवाह किसी और से हो गया तो फिर तुझे जेब का खर्चा कौन देगा ? “
कप्तान,” संपत, मैं वाकई बिन्दिया से प्यार करता हूँ यार और तू मेरी मदद करने के बजाय मुझे ही उल्टा सीधा बोल रहा है। “
संपत,” चिंता मत कर, मेरे पास एक उपाय है। “
कप्तान,” कैसा उपाय ? “
संपत,” यहां आने से पहले मैं मुखिया के घर पर नजर रखने के लिए गया था कि वो घर पर है या नहीं जो मैं तेरे लिए हमेशा करता हूँ। 
और मैंने मुखिया को अपनी पत्नी से बातचीत करते हुए सुना कि 15 अगस्त वाले दिन शहर से मंत्री अपने बेटे के साथ आने वाला है। “
 
कप्तान,” हां तो… इसमें नई बात क्या है ? ये तो मुझे भी पता है। “
संपत,” नयी बात है कप्तान… और वो ये कि मंत्री अपने साथ नोटों से भरा एक बैग भी लाने वाला है जिसमें बहुत सारे पैसे हैं। “
कप्तान,” भला मंत्री पैसों से भरा बैग यहाँ क्यों लेके आएगा ? “

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संपत,” एक बार को मेरे मन में भी यही विचार आया था लेकिन फिर मैंने मुखिया की बातें गौर से सुनी। वो पैसा चंदे का पैसा है। “
कप्तान,” समझ गया। तू कहना चाह रहा है कि पार्टी फंड का पैसा है। मुखिया जरूर पार्टी फंड के पैसे को एक नंबर में कन्वर्ट करता होगा। “
संपत,” बिल्कुल सही समझा। “
कप्तान,” वो सब तो ठीक है लेकिन इसमें मेरा क्या फायदा है ? “
संपत,” अरे बेवकूफ ! हम दोनों का फायदा है। देख… 15 अगस्त के दिन मुखिया ने सभी गांव के लोगों को बुलाया है। 
वो एक मैदान में मंत्री के साथ झंडा फहराने वाला है। गांव के सभी लोग उस मैदान में मौजूद होंगे और वो मंत्री और उसका बेटा भी। 
बस उसी मौके का फायदा उठाकर हम दोनों चुपके से मुखिया के घर से नोटों भरा बैग चुरा लेंगे। कुछ पैसे उसमें से मैं रख लूँगा, बाकी सारे पैसे तू रख लेना और उसके बाद बड़ी शान से तू उसकी बेटी का हाथ मांग लेना। “
कप्तान ,” बात तो तेरी सही है लेकिन अगर कहीं पकड़े गए तो ? “
संपत,” अरे ! पकड़ेगा कौन हमें ? और वैसे भी मुझे पूरा यकीन है वो सारा पैसा ब्लैक मनी ही होगा। 
और बढ़िया बात तो ये है कि वो मंत्री पुलिस में इसकी रिपोर्ट तक दर्ज नहीं कराएगा। “
15 अगस्त वाला दिन…
एक काम कर… तू उस कमरे में देख, मैं इस कमरे में देखता हूँ। “
संपत,” मुझे पूरा यकीन है कि वो बैग हमें मिल जायेगा। “
संपत,” कप्तान इधर आ, मुझे बैग मिल गया। “
कप्तान,” इसको खोल के तो देख, इसमें पैसे है भी या नहीं ? “
संपत,” अबे तूने मुझे पागल समझा है क्या ? मैंने खोलकर ही देखा था। 
ये देख पैसे… अब इसे उठाने में जल्दी से मेरी मदद कर। “
कप्तान ,” तुझसे एक बैग नहीं उठाया जा रहा। “
संपत,” पता नहीं यार..? इसमें वजन बहुत ज्यादा है। लगता है बहुत सारे पैसे हैं इसमें। हम दोनों की तो निकल पड़ी। “
घर पहुंचकर…
संपत,” इसमें तो सिर्फ ऊपर ही कुछ नोटों के बंडल रखे हुए हैं और नोटों के बंडल के नीचे तो हथियार है। “
कप्तान,” हाँ यार, अब क्या करें ? ये हथियार तो विदेशी मालूम होते है, बहुत महंगे। 
एक काम करते हैं, इन हथियारों को बेच देते हैं। हमें तो बस पैसे से मतलब है ना। “
कप्तान ,” नहीं संपत, ये गलत है। हम दोनों भले ही आवारा हो लेकिन गद्दार नहीं। ये हथियार जान लेने के अलावा कुछ भी नहीं करते। 
कुछ पैसों के लालच में अगर हम इन हथियारों को बेच देंगे तो इन हथियारों से ना जाने कितने मासूम और बेगुनाह हमारे जाएंगे ? उसके जिम्मेदार भी तो हम ही होंगे ना ? “
संपत,” तेरी बात सही है यार, मुझे माफ़ कर दें। एक पल को मैं लालच में आ गया था। लेकिन अब क्या करें ? “
कप्तान,” एक काम करते हैं, हमें पुलिस के पास जाना चाहिए। “
संपत,” अबे ! पागल हो गया है क्या ? अरे ! ज़रा सोच… कहीं मुखिया भी उस मंत्री के साथ अगर मिला हुआ होगा तो क्या होगा ? 
अबे बेवकूफ ! मुखिया भी पकड़ा जाएगा और जब मुखिया पकड़ा जाएगा तो फिर बिन्दिया की माँ बिंदिया का विवाह तुझसे नहीं करेगी। “
कप्तान ,” ठीक है, अगर ऐसी ही बात है तो फिर मैं सारा जीवन शादी ही नहीं करूँगा, हाँ। “
संपत,” अबे ! तेरा दिमाग फिर गया है क्या ? ये अचानक तेरे अंदर इतनी देशभक्ति कैसे सवार हो गयी ? “
कप्तान,” वो सब बातें छोड़ और इस बैग को लेकर पुलिस के पास चल। “
पुलिस स्टेशन पहुंचकर…
इंस्पेक्टर,” अब समझा। हम इस बैग को हर जगह तलाश रहे थे, मगर हमें नहीं मिला। आज के दिन हमें सूचना मिली थी कि कुछ असामाजिक तत्व दंगे कराने की फिराक में है। 
इसका मतलब मुखिया और मंत्री इस काले कारनामे में शामिल हैं। चलो तुम दोनों मेरे साथ। “
मुखिया,” संपत और कप्तान, तुम दोनों यहाँ पर क्या कर रहे हो ? “
इंस्पेक्टर,” पहले ये बताओ ये बैग किसका है ? “
मुखिया,” ये बैग तो मंत्री जी का है। मंत्री जी ने मुझे बताया था कि इस बैग में पार्टी फंड के पैसे रखे हुए हैं। “
इंस्पेक्टर,” लेकिन इसमें तो हथियार और बम हैं। “
मुखिया,” इन्स्पेक्टर साहब, ये जरूर इन दोनों की चाल है। “
मुखिया” देख कप्तान, मैं अच्छी तरह से जानता हूँ कि तू मेरी बेटी को पसंद करता है और तू ये भी जानता है कि मैं बिंदिया का विवाह कभी भी तेरे साथ नहीं करूँगा। 
इसलिए तूने मुझे फंसाने के लिए ये सारा का सारा खेल खेला है। मैं समझ गया हूँ। 
मैंने तुझे 15 अगस्त के बाद देख लेने की धमकी दी थी तो तू इस बात का भी बदला निकालने आया है, है ना ? “
इंस्पेक्टर,” इनके पास हथियार कहाँ से आये ? सीधी तरह से अपना मुँह खोल दे मुखिया नहीं तो थाने में ले जाकर डंडों से तेरा मुँह खुलवा दूंगा… समझा ? “
मुखिया ने जुर्म कबूल कर लिया और उस पुलिस अधिकारी ने पुलिसवालों को मंत्री और उसके बेटे को अरेस्ट करने का ऑर्डर दे दिया। 
मंत्री और उसका बेटा झंडा फहराने ही वाले थे कि तभी पुलिस ने उन दोनों को अरेस्ट कर लिया। उस बैग को देखकर मंत्री और उसका बेटा बुरी तरह से घबरा गये और उन दोनों ने भी अपने जुर्म को कबूल कर लिया।

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इंस्पेक्टर,” मुझे तुम्हारी देशभक्ति पर फक्र है कप्तान। देश के प्रति तुम्हारी ईमानदारी देखकर मैं बहुत ज्यादा प्रभावित हूँ। “
कप्तान,” मुझे माफ़ कर दो मां। मैं देश के लिए अपने प्यार को भी कुर्बान कर सकता हूँ। “
बिंदिया की मां,” जो काम बरसों से मैं नहीं कर सकी, वो तुमने कर दिखाया। मेरा पति देशद्रोही था। 
मैं हमेशा से एक देशभक्त के हाथों में अपनी बेटी का हाथ सौंपना चाहती थी। लेकिन आज मैं खुश हूँ कि वह एक सही हाथों में जा रही है। “
कुछ दिन बाद बिंदिया और कप्तान का धूमधाम से विवाह हो गया।
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