हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” जादुई चिमटा ” यह एक Magical Story है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Jaadui Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Jadui Chimta | Hindi Kahaniya| Moral Stories in Hindi | Bed Time Story | Jadui Kahani
जादुई चिमटा
फूलपुर नामक गांव में एक गरीब दीनू नाम का लोहार रहता था। वह रोज़ लोहे के बर्तन बनाया करता था।
लेकिन कई दिनों से कोई भी गांव का आदमी उसका बनाया एक भी बर्तन लेने नहीं आ रहा था जिसकी वजह से दीनू लोहार बहुत दुखी रहता था।
एक दिन लोहार आग के पास बैठा लोहे के बर्तन बना रहा होता है कि तभी गांव का एक आदमी जिसका नाम छीनू होता है, दीनू के पास आता है।
छीनू,” अरे ओ भैया ! कैसे हो दीनू भाई ? अरे ! बड़े दिन हो गए हैं भैया, गांव के बाजार की तरफ आते नहीं हो। सब ठीक तो है भैया ? “
दीनू,” अरे भाई ! क्या बताऊँ ? इतनी मेहनत से लोहे के बर्तन बनाकर बाजार जाता हूँ, कोई गांव वाला खरीदता ही नहीं है।
भाई, कई दिनों से एक भी पैसा हाथ नहीं आया। ऐसे में मैं क्या करूँ ? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है। “
छीनू,” अरे भाई दीनू लोहार, अब गांव वालों को तुम्हारे हाथ के बनाए बर्तन पसंद नहीं आते हैं, भाई। अब तुम भी क्यों मेहनत करते हो ?
जाने भी दो अब भाई, अब तुम्हारे हाथों में वो पहले वाली बात नहीं है, हाँ। अच्छा… अब मैं चलता हूँ, भाई। “
दीनू ये सुनकर बहुत दुखी हो जाता है कि तभी वहाँ दीनू की पत्नी आती है।
दीनू की पत्नी,” अजी सुनिए ना… आखिर आप लोहे के बर्तन बनाने का काम छोड़ क्यों नहीं देते ? कोई मुनाफा तो होता है नहीं।
यहाँ तक कि अब तो गांव वाले भी आपके बनाए बर्तन नहीं खरीदते। अब आप ही बताओ ना, ऐसे में हम खायेंगे क्या ?
नहीं नहीं नहीं… मैं कुछ नहीं जानती, अब आप भी जाओ और कुछ नया काम देखो, हाँ। “
दीनू,” लेकिन भाग्यवान, मुझे तो सिर्फ ये लोहे के बर्तन ही बनाने आते हैं। ऐसे में मुझे भला कोई और काम कैसे मिलेगा ?
लेकिन अगर तुम कहती हो तो मैं जाकर देखता हूँ। शायद कोई गांव वाला मुझे काम दे ही दे। “
जिसके बाद दीनू वहाँ से गांव की तरफ जाता है कि तभी उसे रास्ते में एक बूढ़ा जिसके साथ मैं बकरी होती है, दिखाई देता है।
बूढ़ा,” अरे ओ बेटा ! मैं दूसरे गांव से आया हूँ। मेरे साथ मेरी दो बकरियां थी। मैं इन्हें मेले से लेकर आ रहा था, तो मेरी एक बकरी भागते हुए यहाँ आ गयी।
भाई, मेरी मदद करो, ना जाने मेरी बकरी कहाँ चली गयी ? “
दीनू,” अरे बाबा ! तुम बिलकुल भी दुखी मत हो, मैं तुम्हारी बकरी ढूँढने में मदद करता हूं। “
तभी दोनों गांव में बकरी ढूंढने लगते हैं। लेकिन पूरा गांव देखने के बाद भी उन्हें बकरी कहीं नजर नहीं आती।
दीनू और वो बूढ़ा अपनी बकरी के साथ शाम ढले जंगल में जाता है, तभी उन्हें बकरी के रोने की आवाज सुनाई देती है।
तभी वो देखते हैं कि जंगल में एक गड्ढे में उस बूढ़े की बकरी फंसी होती है।
बूढ़ा,” अरे भाई ! ये इस गड्ढे में कैसे फंस गयी ? अरे ! कोई तो मेरी मदद करो, इस बकरी को बाहर निकालो।
अरे ! मैं तो लाचार बूढ़ा हूँ, इस गड्ढे में से बकरी नहीं निकल सकता। अरे मेरी प्यारी बकरी ! “
तभी दीनू उस गड्ढे में कूद जाता है और बकरी को बाहर निकाल देता है।
बूढ़ा,” अरे भाई ! तुम्हारा धन्यवाद… अगर तुम ना होते तो मैं बेचारा बूढ़ा कैसे अपनी बकरी को बाहर निकालता ?
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तुम बहुत ही अच्छे हो। भाई, क्या मैं किसी तरह से तुम्हारी मदद कर सकता हूँ ? “
बूढ़ा लोहार उस बूढ़े को सारी बात बताता है।
बूढ़ा,” अरे बेटा ! तुम्हारी समस्या का मेरे पास एक उपाय है। “
तभी वो बूढ़ा एक चिमटा अपनी झोली में से निकाल कर लोहार को देता है।
बूढ़ा,” बेटा, ये कोई मामूली चिमटा नहीं है बल्कि एक जादुई चिमटा है। इस चिमटे से तुम जो भी मांगोगे, वही तुम्हें मिलेगा। “
दीनू,” है… क्या सच में बाबा, ये एक जादुई चिमटा है ? मैं जो मांगूगा वो मुझे मिल जायेगा ? “
बूढ़ा,” हाँ, बेटा, लेकिन यह चिमटा चमत्कारी है जो अपना रूप कभी भी बदल सकता है। ये मायावी चिमटा है। इसलिए लालच में आकर कुछ ऐसा मत मांग लेना जिससे तुम्हारा सर्वनाश हो जाए।
याद रखना… ये जादुई चिमटा गलत हाथों में जब जाएगा तो इसका उपयोग अपने लालच को पूरा करने के लिए वो करेगा, तब ये स्वयं ही उसके पास से अपने स्थान पर वापस लौट आएगा। अच्छा बेटा… अब मैं चलता हूँ। “
जिसके बाद वह बूढ़ा वहाँ से चला जाता है। दीनू चिमटे को लेकर अपने घर जाता है।
दीनू,” हे जादुई चिमटे ! तुम तो मेरी दशा जानते ही हो।
अपने जादू से कुछ ऐसा कर दो कि गांव वाले मेरे बनाये लोहे के बर्तन लेने आने लगे ताकि मेरा जीवन अच्छे से व्यतीत होने लगे। “
अगली सुबह होती है और दीनू देखता है की उसके घर के बाहर गांव वालों की एक लंबी लाइन लगी है।
दीनू की पत्नी,” जी देखिए ना, आज तो हमारे घर पर गांव वालों की बड़ी लाइन लगी है, हाँ।
ये सब आपके बनाए लोहे के बर्तन लेने आए हैं। और हाँ… देखिये देखिये कितनी लंबी लाइन लगी है ? “
अरे दीनू भैया ! कब से वेट कर रहे हैं आपका ? भैया, तनिक मुझे एक लोहे की कढ़ाई दे दीजिये। “
दीनू,” अरे ! हाँ भाई हाँ, क्यों नहीं..? अभी देता हूं। “
और फिर ऐसे ही सारे गांव वाले भी दीनू से जो भी बर्तन उन्हें चाहिए, माँगने लगते हैं और बदले में दीनू को पैसे देने लगते हैं जिससे दीनू और उसकी पत्नी बहुत खुश हो जाते हैं।
दीनू,” अरे वाह ! कितने सारे पैसे आए हैं ? अब लगता है हमें पैसों की तंगी नहीं होगी ? वो जादुई चिंता तो सच में जादुई है। “
दीनू की पत्नी,” सुनिए जी… आज तो आपके पास काफी पैसे आ गए हैं। अब मैं तो चाहती हूँ कि आप रोज़ ज्यादा मेहनत करके खूब सारे लोहे के बर्तन बनाया कीजिये, हाँ ताकि हम जल्दी से अमीर हो जाये। “
दीनू,” हां हां भाग्यवान, जैसा तुम चाहती हो वैसा ही होगा। मैं खूब मेहनत से लोहे के बर्तन बनाऊंगा। “
अगली सुबह फिर से दीनू के घर के बाहर एक लंबी लाइन लगी होती है। दीनू फिर से गांव वालों को बर्तन देता है।
तभी वहाँ छीनू आता है जो दीनू से चिमटा लेकर गया था। वो ये देखकर बहुत हैरान हो जाता है कि दीनू के घर के बाहर गांव वालों की इतनी लंबी लाइन लगी है।
छीनू,” अरे भैया अभी कुछ रोज़ पहले पास से गुजर रहा था तब तो ये दीनू लोहार रो रहा था कि मेरे पास अब कोई गांव वाला बर्तन लेने नहीं आता।
और अब देखो…भैया, यहाँ तो गांव वालों की बड़ी लंबी तादाद है। लगता है कोई जादू की पोटली हाथ आ गयी है इस दीनू लोहार के। कुछ समझ नहीं आ रहा है, भाई। “
तभी वो दीनू के पास आता है और दीनू से कहता है।
छीनू,” अरे ओ दीनू भैया ! क्या भैया..? तुम्हारी तो काया ही पलट गयी भाई ? अब देखो तो ज़रा, सब गांव वाले बर्तन लेने तुम्हारे ही पास आ रहे है, भैया। “
दीनू,” हाँ हाँ भाई, अब ऊपर वाले की मर्जी है, कभी धूप तो कभी छाया। “
तभी वहाँ दीनू की पत्नी जादुई चिमटा अपने हाथ में लेकर आती हैं और दीनू से कहती है।
दीनू,” अजी देखिए ना… ये इतना सुंदर और चमकदार चिमटा मुझे हमारे घर में से मिला। आखिर इसे यहाँ कौन लेकर आया होगा, जी ? “
दीनू,” अरे भाग्यवान ! ये मेरा चिमटा है और आइंदा इस चिमटे को कभी हाथ मत लगाना। समझी..? लाओ दो मुझे मेरा चिमटा। “
छीनू को दीनू की ये सब बातें काफ़ी अजीब लगती है।
छीनू (मन में),” अरे ये चिमटा देखने में इतना सुंदर और चमकदार लग रहा है, लगता है ये कोई मामूली चिमटा नहीं है, हाँ।
जरूर इस चिमटे ने ही कुछ किया होगा। तभी ये दीनू अपनी पत्नी को भी इसे छूने नहीं देता। अच्छा बच्चू… तो ये बात है। अब देख, मैं कैसे मज़ा चखाता हूँ तुझे, हां। “
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तभी छीनू रात के अंधेरे में दीनू के घर से वो जादुई चिमटा उठा लेता है। लेकिन जैसे ही जादुई चिमटे को वो अपने हाथ में लेता है, वो जादुई चिमटा एक मुर्गी के रूप में बदल जाता है। ये देखकर छीनू हैरान हो जाता है।
छीनू,” अरे रे भाई ! ये कैसे हुआ ? ये जादुई चिमटा अचानक से मुर्गी कैसे बन गया ?
मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है, भैया। कोई बात नहीं… चिमटा ना सही मुर्गी ही सही। “
तभी छीनू उस मुर्गी को एक रस्सी से बांध देता है।
छीनू,” नहीं नहीं, मैं तुझे ऐसा नहीं जाने दूंगा, हाँ। मुझे ये तो समझ आ गया है कि तू कोई साधारण चीज़ नहीं है।
कभी चिमटा, कभी मुर्गी है, कुछ भी बन जाता है। ये मुझे बेवकूफ समझता है। अब देख तू मेरी समझदारी। “
छीनू,” अरे ओ जादुई मुर्गी ! मुझे सोने की 100 मोहरें चाहिए। समझी..? क्या तू दे सकती है मुझे ? “
उसके ऐसे बोलते ही सोने की 100 मोहरें उसके पास आ जाती है और वो बहुत खुश हो जाता है।
छीनू,” अरे वाह वाह वाह ! सोने की इतनी सारी मोहरे हैं। हाय ! अब तो मुझे धनवान होने से कोई नहीं रोक सकता है,भैया।
एक काम करता हूँ, इन सोने की मुहरों को छुपा के रख लेता हूँ, हाँ। अगर किसी ने देख लिया तो मुश्किल हो जाएगी, भैया। “
वो एक घड़े में सोने की मुहरें छुपा देता है। अब छीनू रोज़ उस मुर्गी से 100 सोने की मुहरें मांगता और उसे घड़े में छुपा देता।
छीनू,” अरे वाह वाह ! अब तो मेरा ये घडा सोने की मोहरों से भरने ही वाला है। चलो चलो ठीक है, अब इसे छुपा देता हूँ।
कल उस जादुई मुर्गी से एक साथ बहुत सारी सोने की मोहरा मांग लेता हूँ, हाँ। अब मुझे और सब्र नहीं होता। “
दीनू,” हे भगवान ! मेरा जादू चिमटा किसी ने चुरा लिया, अब मैं क्या करूँ ? जिसने भी चिमटा चुराया हो, बस इसका गलत इस्तेमाल ना करें नहीं तो उसका सर्वनाश तय है। कृपा करना ईश्वर। “
दीनू की पत्नी,” आप इतने परेशान क्यों हैं ? क्या हुआ, बताइए ना ? अब तो हमारा काम भी अच्छा चल रहा है। “
दीनू,” भाग्यवान, काम तो ईश्वर की दया से सही है। लेकिन उस दिन जिस चिमटे के बारे में तुम पूछ रही थी, वो एक जादुई चिमटा था। “
उसके बाद दीनू सारी बात पत्नी को बताता है।
दीनू की पत्नी,” आप सही बोल रहे है, उस चिमटे का बस गलत इस्तेमाल ना हो। मुझे तो भैया पर शक है; क्योंकि उस दिन चिमटे की बात सुनकर वो कुछ अचंभित लग रहे थे। “
अगली सुबह छीनू फिर से उस मुर्गी से 100 सोने की मुहरें मांगता है। लेकिन इस बार मुर्गी एक भी सोने की मोहर नहीं देती।
छीनू,” अरे! आखिर जादुई चिमटा की बनी इस मुर्गी को हो क्या गया भाई ? आज एक भी सोने की मोहर नहीं दे रही है। “
छीनू,” ओ जादुई मुर्गी ! मुझे सोने की मुहरें चाहिए, हाँ। “
छीनू ऐसा कई बार बोलता हैं। लेकिन मुर्गी एक भी मोहर नहीं देती जिसकी वजह से छीनू को बहुत गुस्सा आ जाता है।
छीनू,” अच्छा… तो तू ऐसे नहीं मानेगी, अभी बताता हूँ तुझे। कैसे नहीं देगी मुझे सोने की मुहरें ? रुक तू… मैं तेरे अंदर से सारी सोने की मुहरें निकाल लूँगा, हाँ। “
उसके बाद छीनू बड़े से चाकू से मुर्गी का पेट फाड़ देता है और उसके बाद हैरान रह जाता है।
छीनू,” अरे भाई ! वो मुर्गी कहाँ गायब हो गई और इस मुर्गी के पेट के अंदर ये चिमटा कैसे आ गया, भैया ?
ये तो मायावी मुर्गी थी। नहीं नहीं, माया भी चिमटा था भई। “
और तभी छीनू की झोपड़ी में आग लग जाती है। छीनू चिल्लाने लगता है।
छीनू,” अरे रे ! ये मेरी झोपड़ी में आग कैसे लग गयी, भैया। अरे ! मेरी सोने की मोहरें। हाय ! मेरी सोने की मुहरें ना जल जाये कहीं, भैया।
मेरी झोपड़ी जलकर राख हो ही गयी। अब अपनी सोने की मोहरें देख लेता हूँ, हाँ। “
तभी छीनू मिट्टी के अंदर छुपाया हुआ वो घड़ा निकलता है जिसके अंदर वो सोने की मुहरें छिपाया करता था।
जैसे ही घड़े के अंदर देखता है, हैरान रह जाता है। छीनू ये देखकर ज़ोर ज़ोर से रोने लगता है।
छीनू,” हाय ! ये क्या हो गया, भैया ? मेरी सारी सोने की मुहरें, ये मामूली से मुर्गी के अंडों में कैसे बदल गयी, भैया ? अरे ! ये क्या हो गया ?
हाय हाय ! मेरे सारी सोने की मुहरें कहाँ चली गयी ? मेरी तो झोपड़ी भी जलकर खाक हो गई, भैया और हाथ से सोने की मुहरें भी गयी। “
तभी वहां पर दीनू और उसकी पत्नी की आ जाती है
दीनू,” छीनू भाई, किसी और की हिस्से का जादुई चिमटा तुमने चुराया और उसका गलत इस्तेमाल भी किया, इसका नतीजा तुम्हारे सामने है। “
छीनू,” अरे भैया ! मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई। भाई, मैं लालच में आ गया था जिसका मुझे यह इनाम मिला है। अरे ! मुझे माफ कर दो, भैया। “
तभी वो मुर्गी फिर से छीनू के सामने आ जाती है।
मुर्गी,” अब रोने से क्या होगा छीनू ? यह सब तुम्हारे ही लालच का नतीजा है। वरना ना मेरे द्वारा दी गई सोने की मामूली से अंडों में बदलती, ना ही तुम्हारा सर्वनाश होता। “
छीनू उसे देखते ही फिर से हैरान हो जाता है।
मुर्गी,” मैं एक जादुई चिमटा ही हूं जो अपना रूप बदल सकता है। तुम एक बेहद लालची इंसान हो। जब भी मैं किसी लालची इंसान के हाथों में आता हूं, तो मेरा रूप बदल जाता है।
इसलिए जब मैं तुम्हारे पास आया तो मैं एक मुर्गी बन गया। लेकिन तुम्हारे लालच की हद रुकी ही नहीं और तुमने मुझे मारकर बहुत सारी सोने की मोरे हासिल करनी चाहीं, जिसके फलस्वरूप तुम्हारे साथ यह सब हुआ।
अब मैं जादुई चिमटा तुम्हारे पास से हमेशा के लिए चला जाऊंगा, लालची इंसान। “
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जिसके बाद वो मुर्गी से अपने असली रूप, चिमटे में बदल जाता है और वहां से गायब हो जाता है।
छीनू,” अरे ! मैं अपने लालच में क्या कर बैठा ? अपने हाथों अपना ही सर्वनाश कर लिया। हाय हाय ! मुझे लालच नहीं करना चाहिए था। मेरा लालच मुझे ही ले डूबा, भैया। “
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