डरावनी वेबसीरीज : (भाग -3) – Horror Story in Hindi | Best Horror Story in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है ” डरावनी वेबसीरीज “। यह एक Horror Story है। कहानी को पूरा अंत तक जरूर पढ़ें। तो चलिए शुरू करते हैं….

डरावनी वेबसीरीज : (भाग -3) - Horror Story in Hindi | Best Horror Story in Hindi

Horror Story in Hindi | Daravani Kahaniyan | Best Horror Story

 डरावनी वेबसीरीज : (भाग -3) 

कुलाकु की जादूगरनी हिबना ने इस तरह न जाने कितने पुरुषों को अपने जादू से बंदी बना रखा था। सम्मोहन जादू से वहां से गुजर रहे मुसाफिर पुरुषों को वह अपने सम्मोहन जाल में बांध लेती और शाम होते ही वह और उसकी दासियां कठपुतली के रूप में समुद्र में कूद पड़ती 
और उनके पीछे सम्मोहित पुरुष भी पानी में कूद पड़ते और समुद्र तल में हिबना का साम्राज्य होता जहां पर सब जीवित हो जाते। और अपने सम्मोहन से पीछे आए पुरुषों को वहां अपने हाथों से स्वादिष्ट व्यंजन और रसीले फल खिलाती। 
फिर उन पुरुषों के साथ रात रंगीन होती और सुबह होते ही उन पुरुषों के सर काट देती है। 
सिर समुद्र सतह पर जाकर उन घने पेड़ों के शाखाओं पर लटकने लगते। वह सब लड़कियां कठपुतली बनकर पेड़ के दरख्त से लटक जाती है और सामने वाले पेड़ों पर उन पुरुषों के कटे हुए सर लटकते रहते जो उन कठपुतलियों की तरफ ही सम्मोहित होकर देखते रहते हैं। 
और शाम होते ही वह पुतलियां और वह कटे सिर समुद्र में गिर पड़ते और समुद्र की तलहटी में हिबना के साम्राज्य में जाकर सब कठपुतलियां सुंदर युवती बन जाती और पुरुषों के कटे सिर उनके धड़ से जुड़कर, वह जीवित हो जाते हैं और फिर सब के क्रियाकलाप शुरू हो जाते।

Horror Story in Hindi | Daravani Kahaniyan | Best Horror Story

यही सिलसिला वर्षों तक चलता रहा। जो पुरुष बूढ़े और कमजोर हो जाते; उन्हें हिबना समुद्र में फेंकवा देती थी, जहां उन्हें खतरनाक मगरमच्छ खा जाते। 
एक दिन उस रास्ते से होकर महात्मा गुजरे। उन्हें यह सब देखकर आश्चर्य हुआ कि समुद्र के आमने-सामने घने पेड़ों पर एक तरफ बिना कपड़ों की कठपुतलियां और दूसरी तरफ पुरुषों के सर लटक रहे हैं। 
महात्मा को देखकर कठपुतलियां हंसने लगी। महात्मा ने निकट जाकर उनसे इसका कारण पूछा तो कठपुतलियां बोलीं – हम इसलिए हंसे कि हमारे इस रंगीन साम्राज्य में एक बूढ़े सन्यासी का क्या काम है ? हा – हा – हा !
 महात्मा चुप ही रहे और आगे एक पेड़ की छांव में जाकर बैठ गए। ये सोचकर कि देखें आखिर यह क्या माजरा है ? महात्मा बैठे रहे… शाम हुई तो सब कठपुतलियां पानी में गिर गई और फिर कटे हुए सिर भी समुद्र में टपकने लगे। 
महात्मा भी जाकर समुद्र में कूद पड़े। उन सब के पीछे – पीछे समुद्र की तलहटी में पहुंचे, तो देखते हैं सब कठपुतलियां सुंदर दासियां बन गईं और वह कटे हुए सिर जुड़कर सब जीवित हो उठे और उन सब के प्रेम – प्रक्रिया शुरू हो गई। 
तो यह अनर्थ हो रहा है यहां ! ठीक है… अभी सब कुछ ठीक किए देता हूं – कहते हुए महात्मा जी ने अपने कमंडल में से भस्म निकालकर सम्मोहन काट मंत्र पढ़कर उन सभी पुरुषों पर फूंक दिया।

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सम्मोहन टूटते ही सब पुरुष होश में आ गए और उन्हें अपने – अपने घर और परिवार वालों की याद आ गई। वह सब रोने – गिड़गिड़ाने लगे। 
हिबना से उन्हें मुक्त कर देने की प्रार्थना करने लगे। तब हिबना ने क्रोधित होकर महात्मा पर अपने जादू से घातक वार किया। महात्मा ने वार संभालते हुए उस जादूगरनी पर अभिमंत्रित भस्म फेंकी। 
तो वह एक चुहिया बन गई। सन्यासी ने उसे अपनी मंत्र शक्ति से एक ना टूटने वाले पिंजरे में कैद कर दिया और समुद्र में फेंक दिया।
वह पानी में डूब कर मर गई और उसका जादुई साम्राज्य ताश के पत्तों की भांति बिखर गया। वह सब लड़कियां भी उसके सम्मोहन से आजाद हो गई। 
फिर वह सभी समुद्र सतह पर आए और महात्मा जी के चरण स्पर्श कर, आजादी दिलाने के लिए उन्हें धन्यवाद किया और अपने – अपने घरों को लौट गए। महात्मा जी भी ‘जय – जय बम भोले’ – कहते हुए अपने मार्ग चले गए।

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