ताबीज़ | Tabeej | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ताबीज़। यह एक Horror Story है। तो अगर आपको भी Daravani Kahaniya, Bhutiya Kahani या Scary Stories in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

ताबीज़ | Tabeej | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

Tabeej | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

ताबीज़

मुझे मेरी इंजीनियरिंग खत्म किये 10 साल हो गए और आज मैं एक ऐमेंसी में अच्छी जॉब करता हूँ। पर बीते 10 साल में मेरी कोई भी एक रात ऐसी नहीं बीती जब मैंने उस हादसे को याद न किया हो। 
आज भी उस हादसे को यादकर मेरी रूह कांप जाती है। कितनी बार तो मैं आधी रात को उठके बैठ जाता हूँ। खुद को याद दिलाता हूँ कि उस हादसे को बीते कई साल हो गए हैं।
यह बात उन दिनों की है जब मैं दिल्ली के कॉलेज में अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। तब मेरी मुलाकात अमन और विनोद से हुई। 
ये कहानी सुनें 🙂
हम तीनों की अच्छी जमने लगी थी। हम एक साथ घूमते और किसी तरह एक दूसरे की मदद से लटक लटक कर पास भी हो जाते। 
इस तरह 3 साल कब गुजर गये, किसी को पता नहीं चला ? फिर 1 दिन अमन मेरे पास भागता हुआ आया। 
अमन,” देव, तुझे पता है हमारे बगल वाले कमरे में एक पढ़ाकू लड़का है ? मैं तो कह रहा हूँ उसे लपेट लेते हैं। किस्मत से पास हो गए तो सबकी अच्छी नौकरी लग जाएगी। “
विनोद,” हाँ देव, अमन बिल्कुल सही कह रहा है। वैसे भी तुम दोनों तो किसी तरह पास हो जाते हो लेकिन मेरी इस मोटी बुद्धि में जल्दी से कोई बात घुसती नहीं। 
प्लीज़ ना देव… एक बार पढ़कर देख लेते हैं। नहीं अच्छा तो फिर दुबारा नहीं जाएंगे हम। “
अमन और विनोद की बात सुन मैं भी एक पल को सोच में पड़ गया। दोस्तों की जिद के आगे मेरी एक न चली और अगले ही पर हम उस लड़के के कमरे के बाहर खड़े थे। 
अमन (दरवाजा खटखटाते हुए),” अरे ! कोई अंदर है ? दरवाजा खोल। “
विनोद,” सुना नहीं क्या..? हमें पता है तू अंदर ही है, दरवाजा खोल। “
अमन और विनोद ने दरवाजा पीटते हुए कहा। पर दरवाजा नहीं खुला। तभी मेरे मन में आया कि क्यों ना मैं एक बार खिड़की से अंदर देखूँ और पता लगाऊँ कि आखिर अंदर चल क्या रहा है ? उसे देख मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। 
देव,” अमन… विनोद, जल्दी आओ। ये देखो ये लड़का तो फांसी लगा रहा है। “
मैंने चीखते हुए दोनों से कहा। अमन और विनोद भी मेरी चीख सुनकर मेरे पास आ गए। उन्होंने भी वही देखा जो मैं देख रहा था। 
अमन,” विज्ञान, तुम ये क्या कर रहे हो ? अब बस से नीचे उतरो अभी। “
विनोद,” हाँ विज्ञान, जल्दी से नीचे आ जाओ वरना मैं शोर मचाकर सबको बुला लूँगा। फिर ये लोग तुम्हें इस कॉलेज से निकाल देंगे। इसलिए हमारी बात मानो। हम तुम्हारी मदद के लिए आए हैं। “
देव,” विज्ञान, नीचे आ जाओ दोस्त। “
हम तीनों को खिड़की से चीखता देख विज्ञान भी रुक गया। उसे पता चल चुका था कि उसकी आत्महत्या की कोशिश नाकामयाब हो चुकी है। 
फिर ना चाहते हुए भी विज्ञान को अपने कमरे का दरवाजा खोलना पड़ा। हम लोग बैठकर उसे समझाने वाले थे कि वो जो करने जा रहा था, वो सिर्फ एक बेवकूफ़ी थी। 

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पर जब हम कमरे के अंदर गए, विज्ञान कुछ बदला बदला सा नजर आ रहा था। वह ऐसे बर्ताव कर रहा था जैसे अभी कुछ हुआ ही ना हो। 
विज्ञान,” ये क्या मजाक कर रहे हो तुम लोग ? मैं और आत्महत्या… ये मुमकिन ही नहीं है। मैं तो दूसरों को मरता हूँ। फिर मैं खुद को क्यों मरूँगा ? “
हम विज्ञान को यकीन दिलाने की बहुत कोशिश करने लगे। पर उसने हमारी बात नहीं सुनी। तभी विनोद ने विज्ञान के गले में कुछ अजीब सा देखा। 
विनोद,” विज्ञान, ये तो हमारे गले में क्या है ? कोई ताबीज आबीज है क्या ? “
ये कहते हुए विनोद विज्ञान के गले में लटके ताबीज़ को छूने जा रहा था कि विज्ञान ने विनोद का हाथ पकड़ दूर झटक दिया। 
विज्ञान,” खबरदार अगर इसे छूने की कोशिश भी करी तो। ये मेरी माँ की आखिरी निशानी है, जो उनके जाने के बाद एक राक्षस से मेरी रक्षा करती है। इसीलिए इसे कभी छेड़ने की कोशिश मत करना। “
ताबीज की बात निकलते ही मामला संगीन हो गया। पर मैंने महज़ इसे एक इत्तेफ़ाक समझ इस बात को दबाते हुए कहा। 
देव,” अरे अब ऐसे ही पूरी रात निकली है ? हम लोग तो यहाँ पढ़ने के लिए आए थे। फिर अब क्या हो गया सबको ? “
ये सब कहते हुए मैंने जब विज्ञान की ओर देखा तो उसकी नजरें विनोद को ही देख रही थी। सच कहूँ तो उसके चेहरे पर मौत की भद्धी मुस्कान थी, जिसे देख मैं डर गया था। 
वैसे विज्ञान था तो अक्लमंद क्योंकि वो जिस तरीके से हमें समझाता, हमें पढ़ाता था, उसकी सारी बातें हमें अच्छे से याद रहती थी। 
देव,” वाह विज्ञान ! तुम सच में कमाल के हो। तुम्हारे बारे में जो सुना था, सब कुछ सच था। “
विनोद,” भाई, तू ऐसे ही एग्जाम से एक रात पहले हम सबको पढ़ा दिया कर। हम एक रात में टॉप कर जाएंगे। “
हम और विनोद विज्ञान से बड़े खुश थे। पर मुझे अब विज्ञान पर शक होने लगा था। विज्ञान से पढ़ने के बाद हम सब अच्छे नंबरों से पास हो गए। 
पर अब बहुत कुछ बदल चुका था। विनोद ज्यादातर विज्ञान के साथ रहने लगा था। और तो और… विज्ञान के आने के बाद से वो दो बार बड़ी बड़ी दुर्घटना से बाल बाल बचा था और दोनों बार दुर्घटना के समय सिर्फ एक विज्ञान ही उसके साथ था। 
दोनों की अच्छी जमने लगी थी। इस कारण दोनों में नोकझोंक होने लगी थी। विनोद अक्सर विज्ञान को उसके ताबीज के बारे में ताना मारता रहता था। 
विनोद,” विज्ञान, तुम्ह इसे क्यों पहनते हो ? तुम एक इंजीनियरिंग के स्टूडेन्ट होकर इन सब में विश्वास रखते हो ? कितनी मूर्खता वाली बात है। मैं रहता तो कब का इसे तोड़कर फेंक देता ? “
विनोद की बात सुनकर भी विज्ञान उसे कुछ नहीं कहता। पर उसके चेहरे पर वही मौत की भद्दी मुस्कान छलक रही होती, जो मैंने शुरू में देखी थी। 
ऐसे ही कुछ और दिन बीत गए। हमारे फाइनल सेमेस्टर के एग्ज़ैम भी सर पर आ चूके थे और ठीक एक हफ्ते पहले विनोद का जन्मदिन भी था। 
तो हमने बिना किसी की परमिशन लिए विनोद की बर्थडे पार्टी हॉस्टल की छत पर रखी। 
देव,” अरे विनोद ! इतना चुप क्यों है तू ? क्या हुआ ? अपने जन्मदिन वाले दिन भी तू खुश नहीं लग रहा है। “
 
मेरी इस बात पर विनोद और परेशान हो गया। तभी उसने चिल्लाते हुए कहा। 
विनोद,” भैया, देखना अभी तक विज्ञान नहीं आया जबकि उसे मैंने सबसे पहले इनवाइट किया था। “
विज्ञान की तरफ ये विनोद का लगाव मुझे अजीब लगा था। पर मैंने इस बात को इग्नोर कर विनोद को अपने साथ नाचने के लिए कहा। 
शुरू में तो उसने मना किया पर शराब के नशे में उसे भी हमारे साथ मज़ा आ रहा था। रात काफी हो चुकी थी। हमारे सब दोस्त जा चुके थे। 
अब बस मैं, विनोद और अमन ही बचे थे। पर इस बीच विज्ञान कब हमारे बीच आकर नाचने लगा, ये किसी को पता ही नहीं चला ? 

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उसी डांस में विनोद ने जब विज्ञान के गले में वो ताबीज देखा तो उसे फिर उससे चिढ़ होने लगी। 
विनोद,” कितनी बार मना किया है तुझे ? पर तू है कि ये फालतू का अंधविश्वास गले में लटकाए घूमता ही रहता है। “
विनोद ने इतना कहकर विज्ञान के गले से वो ताबीज निकाल उसे अपने पैरों के नीचे कुचल दिया। 
अमन,” विनोद, ये तूने क्या किया ? वो उसकी माँ की आखिरी निशानी थी। “
अमन विनोद से कहता हुआ उसे कोने में ले गया। पर मैं अभी भी विज्ञान के सामने ही खड़ा था कि तभी ताबीज के टूटते ही विज्ञान की आंखें लाल हो गई। 
उसके कंधे से नुकीली हड्डियाँ निकलने लगीं और बदन पर खूब सारे बाल उग आये। उसकी हड्डियों के अकडने के कारण वो किसी भेड़िये की तरह अपने दोनों हाथों और पैरों के सहारे जमीन पर बैठकर घुर्राने लगा। 
देव,” विज्ञान ये क्या हो गया है तुम्हें ? तुम किसी भेडिये की तरह क्यों हो गए हो विज्ञान…. विज्ञान ? “
मैं विज्ञान से कहता हुआ दूर जा रहा था। सच कहूं तो इस पल ने मेरे अंदर के सारे डर को सच कर दिया था। 
मेरी बातें सुन वो भेड़िया मुझे मारने के लिए मेरी तरफ कदम बढ़ा ही रहा था तभी विनोद ने कहा।
विनोद,” अरे जानवर ! उस पर क्यों अपना ज़ोर दिखाता है ? अगर दम है तो मुझसे आ। “
विनोद की बात है सुन वो भेड़िया विनोद की तरफ आ गया। अमन विनोद के पास ही खड़ा भेड़िये को अपनी तरफ आते हुए देख रहा था। 
अमन,” विनोद, ये विज्ञान तो एक भेड़िया बन चुका है। पर ये कैसे मुमकिन है ? ये कहते हुए अमन ने पास ही में पड़ी लोहे की रौड़ हाथ ले ली और विनोद की रक्षा करने लगा। विनोद भेड़िये को अपनी तरफ आता देख सबको असलियत बताने लगा। 
विनोद,” अमन, मुझे आज ही पता चला है कि विज्ञान इंसान नहीं बल्कि एक भेड़िया है। मैं जब इसे अपने जन्मदिन के लिए इन्वाइट करने उसके कमरे में गया, तो मुझे इसकी असलियत का पता चल गया। 
ये इंसान बनकर लोगों के बीच में रहता है और अपने लिए कोई आसान शिकार ढूँढता है। इस ताबीज़ की वजह से इंसान का रूप ले सकता है या किसी इंसान के अंदर समा सकता है। 
इस वक्त ये जिस विज्ञान के शरीर में था, उसे इस भेड़िया ने 6 साल पहले ही मार दिया था। “
विनोद ये बोल ही रहा था, तभी अमन ने ज़ोर से हमला किया। मैं भी उस भेड़िये के पीछे खड़ा खाली बोतलों पर उस पर हमला करने लगा। 
पर हम दोनों हार गए। लोहे की रॉड से मार खाने के बाद उस भेड़िये को कोई खरोंच तक नहीं आयी। 
उसने अपने नुकीले पंजों से उसके पेट की सारी अंतड़ियां निकाल दीं और फिर अमन का पूरा का पूरा सिर अपने मुँह में दबाकर धड़ से अलग कर दिया। 
उसके बाद दोनों को हॉस्टल की छत से नीचे गिरा दिया। भेड़िया का इतना खूंखार रूप देख विनोद और मेरी रुह कांप गई। 
मैंने तुरंत विनोद से चीखते हुए कहा। 
देव,” विनोद, भाग वहां से। वरना ये तेरा भी वही हाल करेगा, जो इसने अमन का किया है। “
मैं विनोद से कह ही रहा था कि इतने में विनोद अपनी हिम्मत बांध खड़ा हो गया। 
विनोद,” नहीं देव, तू भाग जा। भाग जा यहाँ से… भाग जा और अपनी जान बचा ले। मैं जानता हूँ ये भेड़िया हर हाल में मुझे जान से मार देगा। “
ये विनोद के आखिरी शब्द थे, जो उसने मुझसे कहे थे। विनोद मुझे भागने का कहकर खुद ही छत के किनारे पर जाकर खड़ा हो गया। भेड़िया उसकी तरफ दौड़ा ही था कि विनोद ने उस भेड़िये को जकड़ लिया। 
विनोद,” मैं तुझे अब और लोगों की जान नहीं लेने दूंगा। तूने जो मेरे दोस्त अमन पर हमला किया, उसका बदला तो मैं लेकर ही रहूँगा। “
इतना कहकर विनोद अपनी पूरी ताकत से उस भेड़िये को किनारे की ओर खींचने लगा। विनोद इस भेड़िये के जिस्म से इस तरह चिपक चुका था कि ढेर सारे हमलों के बाद भी वो भेड़िया खुद को विनोद से अलग नहीं कर सका। 
विनोद धीरे धीरे भेड़िये को किनारे पर ले आया। मैं भी किसी ज़िंदा लाश की तरह अपने डर से मजबूर ये सब होते हुए देख रहा था। तभी विनोद उस भेड़िये को अपने साथ लेकर हॉस्टल की छत से नीचे जा गिरा। 
एक पल में मेरे दो सबसे अज़ीज़ दोस्त मुझे हमेशा के लिए छोड़कर चले गए थे। अगले दिन जब कॉलेज में इस बारे में पता चला तो मैंने उन्हें सब कुछ सच सच बता दिया। 
पर किसी को मेरी बात पर यकीन नहीं हुआ। बल्कि कॉलेज ने मुझसे कहा कि मुझे पुलिस को ये बयान देना होगा कि विनोद और अमन नशे में होने के कारण एक दूसरे से लड़ने लगे और अपनी ही गलती से होस्टल की छत से नीचे गिरे और मर गए। 
और ये भी कहा कि अगर मैंने ऐसा नहीं किया तो कॉलेज मेरा कैरिअर बर्बाद कर देगा। फिर मुझे कहीं जोब नहीं मिलेगी। 
ना चाहते हुए भी मुझे कॉलेज की बात माननी पड़ी और उस रात हुए हादसे को मुझे महज़ एक ग़लती बतानी पड़ी। बस यही बात मुझे आज भी सताती है। 
रातों को चैन से सोने नहीं देती। अमन और विनोद की चीखें आज भी मेरे कानों में गूंजती है क्योंकि मैंने ही अपने दोस्तों को इंसाफ नहीं दिलाया। 
बस हादसे वाली रात को हॉस्टल की छत से तीन बॉडी नीचे गिरी थी। मगर मेरे लिए सिर्फ दो, अमन और विनोद की। उस भेड़िये का कहीं कोई नामो निशान नहीं मिला। 

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मैंने ये बात कभी किसी को नहीं बताई। उस रात उस भेड़िये के ताबीज के टुकड़े मैंने अपने पास रख लिए और आज मैं उस ताबीज को पूरी तरह ज़ोड भी चुका हूँ। 
इस उम्मीद में कि शायद किसी रोज वो भेड़िया अपने ताबीज़ को ढूंढता हुआ मेरे पास आये और मैं उससे अपने दोस्तों की मौत का बदला ले सकूँ। 
तो हो सकता है शायद वो भेड़िया आज भी कहीं जिंदा घूम रहा हो ? क्या पता आपके साथ आपके पास बैठा हो ? वो भी अपनी कहानी देख रहा हो।
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