दूजा प्यार : (भाग -2) – Hindi Love Story | Best Love Story | True Love Story

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में हम लेकर आए हैं आपके लिए एक और नई कहानी। आज की कहानी का नाम है – ” दूजा प्यार “। यह इस कहानी का (भाग -2) है। यह एक True  Love Story है। कहानी को पूरा जरूर पढ़ें। तो चलिए शुरू करते हैं…
दूजा प्यार : (भाग -2) - Hindi Love Story | Best Love Story | True Love Story

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 दूजा प्यार : (भाग -2) 


 करीब 8:00 बजे होंगे… ठंड भी लगातार बढ़ती ही जा रही थी। लेकिन रीत को ना ठंड की फिक्र थी और ना ही रात होने की चिंता। वह बस पागलों की तरह अपनी ही धुन में रोड पर चले जा रही थी। 
तभी उसे रोड की दूसरी साइड एक मंदिर दिखाई पड़ता है। वह मंदिर की तरफ जाने के लिए रोड क्रॉस कर रही होती है कि अचानक सामने से आती हुई एक कार उसे टक्कर मार आगे निकल जाती है… जिस वजह से वह बीच रोड पर गिर जाती है। 
और उसके सिर पर चोट आ जाती है। सिर पर चोट लगने के कारण रीत बेहोश हो जाती है। जब रीत की आंखें खुलती है तो वह खुद को अस्पताल में पाती है। और उसके सामने चेयर पर लगभग 40 या 41 साल की एक औरत बैठी हुई होती है।
रीत को होश में आता देख वह औरत रीत के पास आकर कहती है, “अब तुम ठीक हो। ” इस पर रीत उस औरत को देखते हुए कहती है,” जी ” पर मैं यहां..?? 
रीत की बात को बीच में ही काटते हुए औरत कहती है,” तुम रोड पर बेहोश पड़ी थी और तुम्हारे सिर से खून भी बह रहा था। इसलिए मैं तुम्हें अस्पताल ले आई।
उस औरत की बात सुनकर रीत उस वह पल याद करते हुए कहती है,” जब वह रोड क्रॉस कर रही थी तो तभी अचानक एक गाड़ी उसे टक्कर मार कर चली जाती है। “
रीत की बात सुनकर वह औरत और गुस्से मैं कहती है,” पता नहीं कितने घटिया लोग रहे होंगे जिन्होंने तुम्हें टक्कर मारी और रोड पर ऐसे ही छोड़ कर चले गए। 
खैर छोड़ो… तुम अपने घर में किसी का नंबर दे सकती हो ताकि मैं उन्हें तुम्हारे बारे में बता सकूं। यह सुनकर रीत की आंखें नम हो जाती है। 
रीत उस औरत से अपने आंसू छुपाते हुए शांत भाव से कहती है,” मेरा कोई नहीं है। ” 
इस पर वह औरत हैरानी से कहती है,” कोई नहीं है..? कोई तो होगा मम्मी – पापा, भाई – बहन या फिर कोई दोस्त..??
उस औरत की बात सुनकर रीत नम आंखों के साथ कहती है,” नहीं ! कोई नहीं है। मैं बिल्कुल अकेली हूं। जब मैं 5 साल की थी, मेरी मां मुझे छोड़ कर चली गई थी। 
2 साल पहले मेरे पापा भी गुजर गए। उनकी सिर्फ एक ही निशानी थी मेरे पास… मेरा घर। वो भी किसी ने धोखे से अपने नाम करवा लिया। अब मेरे पास कुछ नहीं है। 

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रीत की आंखों से आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। रीत की बातें सुनकर सामने बैठी उस औरत की आंखें भी नम हो जाती हैं। कुछ देर बाद रीत को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया जाता है। फिर वो और औरत दोनों हॉस्पिटल से बाहर जाते हैं।
रीत शांत भाव से उस औरत से कहती है,” हेल्प करने के लिए थैंक। ”  
इतना कहकर रीत वहां से जाने लगती है। तभी वह औरत कहती है,” कहां जा रही हो ? ” 
इस पर रीत कहती है,” यह तो मुझे भी नहीं पता। ” 
रीत की बात सुनकर वह औरत एक मुस्कान के साथ कहती है,” चलो मेरे साथ, मेरे घर। आज से तुम मेरे साथ रहोगी। “
“माफ कीजिएगा पर मैं आप पर बोझ नहीं बनना चाहती ” रीत शांत भाव से जवाब देती है।
फिर वह औरत थोड़ा सख्त लहजे में रीत के कुछ पास आकर कहती है,” तुम चिंता मत करो। मैं तुम्हें फ्री में अपने घर नहीं रखने वाली हूं। ” 
उस औरत की यह बात रीत को समझ नहीं आती। इसलिए रीत उस औरत से पूछती है,” मतलब..?? मैं कुछ नहीं समझी।
” इस पर वह औरत कहती है,” मतलब कि तुम्हें नौकरी करनी होगी और महीने में कुछ पैसे भी देने होंगे। अब समझ आया। “
उस औरत की बात सुनकर रीत कुछ सोचते हुए कहती है,”  लेकिन..?? ” 
इस पर वह औरत रीत की बात को काटते हुए कहती है,” लेकिन – वेकिन कुछ नहीं। अब चलो मेरे साथ। “
रीत कुछ सोचते हुए अपनी बात पूरी करते हुए कहती है,” मैं केवल एक शर्त पर आपके साथ चलूंगी। ” 
रीत की बात सुनकर वह औरत अजीब सा मुंह बनाते हुए कहती है,” कैसी शर्त ? ” 
इस पर रीत हल्का सा मुस्कुराते हुए कहती है,” पहले आपको मुझे अपना नाम बताना होगा। 
रीत की बात सुनकर वो औरत भी एक बड़ी मुस्कान के साथ अपना नाम बताती है। ,” अच्छा… मैं भी पागल ही हूं। इतनी बातें हो गई पर मैंने अभी तक अपना नाम नहीं बताया और ना ही तुम्हारा नाम पूछा। मेरा नाम तो अंजली है। अब तुम बताओ तुम्हारा नाम क्या है ? ” 
“मेरा नाम रीत है। ” रीत कहती है। 
रीत और अंजलि वहां से चले जाते हैं। कुछ देर बाद अंजलि एक छोटे से लेकिन बहुत प्यारे से घर का दरवाजा खटखटाती है। एक 15 साल की लड़की दरवाजा खोलती है। 
दरवाजा खोलते ही लड़की अंजली से कहती है,” मम्मी ! आप इतनी लेट क्यों हो गए ? आपको पता है मुझे बहुत डर लगता है अकेले में। ” 

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अंजली कहती है,” बेटा काम पड़ गया था। “
अंजलि के पीछे रीत भी घर के अंदर प्रवेश करती है। अंजली रीत को अपना घर दिखाते हुए कहती है,” रीत… यह है मेरा छोटा सा घर। ” 
इस पर रीत शांत भाव से कहती है,” बहुत प्यारा है। ” 
सामने तीन कमरे, बीच में एक बरामदा, एक किनारे पर एक छोटा सा किचन और बाहर छोटा सा बगीचा जिसके रंग बरंगे फूलों से महकता हुआ पूरा घर। 
अंजलि रीत को अपनी बेटी से मिलाते हुए कहती है,” रीत… इससे मिलो यह मेरी बेटी, पाखी और पाखी यह रीत दीदी। और अब यह हमारे साथ इस घर में ही रहेगी। ” 
इस पर पाखी रीत की ओर मुड़कर कहती है,” नमस्ते दी। ” बदले में रीत भी मुस्कुराते हुए पाखी को जवाब देती है। 
इतने में अंजली पाखी से कहती है,” पाखी… अंश सो गया क्या ? ” 
इस पर पाखी कहती है,” हां मम्मी। ” 

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फिर अंजलि रीत को सामने सोफे पर बैठने का इशारा करते हुए कहती है,” रीत तुम बैठो,,, मैं तुम्हारे लिए कुछ बनाकर लाती हूं। ” इतना कहकर अंजली किचन की ओर चली जाती है। रीत सोफे पर बैठे हुए पाखी से पूछती है,” अंश कौन है ?
” इस पर पाखी कहती है,” मेरा छोटा भाई। अभी 6 साल का है। ” 
” अच्छा और तुम्हारे पापा ?? ” रीत अगला सवाल करती है। तो पाखी शांत भाव से कहती है,” नहीं है… वह हमें छोड़ कर चले गए। “
यह सुनकर रीत चुप हो जाती है। तभी अंजली किचन से पानी का गिलास लेकर आते हुए कहती है,” प्रॉब्लम तो सबकी जिंदगी में होती है बस उन से लड़ना आना चाहिए। और अब तुम भी सब कुछ भूल कर अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करो। ” 
अंजली की बात सुनकर रीता अंजली के हाथ से पानी का गिलास पकड़ते हुए अपना सर हां में हिला देती है।

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अगली सुबह…

अंजली एक रुमाल निकालते हुए कहती है,” रीत… यह तुम्हारा रुमाल। कल जब तुम बेहोश थी तो तुम्हारे हाथ से गिर गया था। और हां मैंने नाश्ता बना लिया है तुम कर लेना। 
पाखी और अंश भी स्कूल चले गए हैं और मैं भी अब ऑफिस जा रही हूं। तुम अपना ध्यान रखना और हां जॉब ढूंढने आज ही मत चले जाना। आज घर पर रहकर आराम करो।
रीत रूमाल पकड़ते हुए कहती है – हम्म।
रीत रुमाल को देखते हुए उस पल को याद करने लगती है… जब पार्क में अभिसार ने आंसू पोंछने के लिए उसे ये रुमाल दिया था। कुछ देर बाद रीत उस रुमाल को संभालकर अलमारी में रख देती है।

2 साल बाद…

एक बड़ा सा हॉल जो लोगों की भीड़ से खचाखच भरा हुआ था। और सामने स्टेज पर एक आदमी माइक पर कुछ बोल रहा था। ” द बिजनेस मैन ऑफ द ईयर अवार्ड गोज टू डेशिंग मोस्ट एलिजिबल बैचलर, मिस्टर अभिसार सिंह रावत। वी रिक्वेस्ट मिस्टर रावत प्लीज कम ऑन द स्टेज एंड एक्सेप्ट द अवार्ड। “
यह सुनते ही पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। लोगों की उस भीड़ में से अभिसार खड़ा होता है जिसकी हाइट लगभग 6 फुट 1 इंच होती है, ब्लैक पेंट, जिम टोंड बॉडी पर कसी हुई सफेद रंग की शर्ट और उसके ऊपर ब्लैक ब्लेजर, गोरा रंग, हल्की भूरी आंखें, सीधी नाक, चेहरे पर सलीके से बनाई हुई दाढ़ी, बालों को जेल से सेट किया हुआ। आज अभिसार बहुत ही हैंडसम लग रहा था। 
वह खड़ा होकर स्टेज की तरफ जाने लगता है। स्टेज पर खड़ा वह आदमी अभिसार को देख माइक पर फिर से कहता है,” आप लोगों को यकीन नहीं होगा कि मिस्टर रावत ने केवल 2 सालों में अपनी कंपनी (फैशन एंड लाइफ केयर) को शहर की टॉप फाइव कंपनियों में से एक बना दिया है। ” 
तब तक अभिशाप स्टेज पर पहुंच जाता है। उसे अवार्ड दिया जाता है और एक बार फिर तालियों की गूंज से पूरा हॉल गूंज उठता है। 
स्टेज पर खड़ा वह आदमी ,” तो मिस्टर रावत आप अपनी कामयाबी का श्रेय किसे देना चाहेंगे ? ” 
अभिसार माइक पकड़ते हुए कहता है,”  मैं अपनी कामयाबी का श्रेय अपने पूरे परिवार को देना चाहता हूं जिसने मेरा साथ कभी नहीं छोड़ा। अगर किसी के साथ उसका परिवार, उसके अपने खड़े रहते हैं तो उसके हौसले भी कभी नहीं टूटते। “
कुछ देर बाद अभिसार की गाड़ी एक बहुत बड़े बंगले के बाहर खड़ी होती है जिसके मुख्य गेट पर एक नेम प्लेट लगी हुई थी, जिस पर लिखा था ” रावत नेशंस “।

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तभी चौकीदार आकर गेट खोलता है। कुछ देर बाद अभिसार गाड़ी से उतरकर घर की डोर बेल बजाने ही वाला होता है कि दरवाजा अपने आप खुल जाता है। और सामने उसका पूरा परिवार खड़ा उसका वेट कर रहा होता है। 
जैसे ही अभिसार घर की दहलीज के अंदर पैर रखने वाला होता है तभी उसकी दादी उसे रोकते हुए कहती है,” रुको। ” इस पर अभिसार कहता है,” क्या हुआ दादी..??
दादी,” राधा अभी पूजा की थाली लेने गई है। ” तभी एक औरत हाथ में पूजा की थाली लेकर आती है और अभिसार की आरती उतारती है। 
अभिसार अंदर आकर अपनी दादी (शांति), अपनी छोटी मां (राधा) और अपने छोटे पापा (तेज) के पैर छूता है। दादी विशाल को आशीर्वाद देते हुए कहती है,” खुश रहो। 
तुम्हें हमेशा ऐसे ही तरक्की मिलती रहे। ” राधा भी बड़े प्यार से कहती है,” भगवान हमेशा तुम्हें खुश रखे। तुम्हारी हर इच्छा पूरी करें। ” और तेज अभिसार की पीठ थपथपाते हुए कहता है,” हमेशा खुश रहो… मुझे तुम पर गर्व है। “
तभी एक लड़की अभिसार के पास आकर उसके गले लगते हुए कहती है,” Congrats भैया ” 
” थैंक्यू आरोही ” 
आरोही (अभिसार की छोटी बहन) जिसकी खूबसूरती और लंबे बाल किसी का भी दिल जीत ले। आरोही फैशन डिजाइनर का कोर्स कर रही है।
तभी आरोही को पीछे से कोई मारता है। अब हटेगी भी या नहीं…भैया को बधाई देनी है। आरोही वहां से हट जाती है। पीयूष,” congrats ! भाई। ” 
पीयूष अभिसार का छोटा भाई है। बहुत ही हैंडसम है जो 6 फुट हाइट, लंबी नाक, चेहरे पर दाढ़ी और बाल जेल से खड़े हुए जो उसे और भी ज्यादा हैंडसम बना रहे थे, कॉलेज से एमकॉम कर रहा है। 
इतने में तेज अभिसार से कहते है,” अभिसार बेटा ! आज शाम को हमने तुम्हारी सक्सेस पार्टी रखी है।
इस पर अभिसार कहता है,” जी छोटे पापा ” 
शाम को अभिसार के घर में उसकी सक्सेस पार्टी चल रही होती है। पर अभिसार छत पर खड़ा पूर्णिमा के चांद को देख रहा था जो आज अपनी पूरी चांदनी को बिखेरे हुए था। 
अभिसार अपने जेब से रीत की दी हुई अंगूठी को निकालता है और उस अंगूठी को गौर से देखते हुए कहता है,” जब से यह अंगूठी मेरी लाइफ में आई है तब से मेरे साथ सब अच्छा ही हो रहा है। 
यह अंगूठी मेरे लिए बहुत लकी है। काश ! मैं उस लड़की से एक बार मिला होता जिसने मुझे यह अंगूठी दी थी। लेकिन अगर वह मुझे मिल गई तो मैं पहचानूंगा कैसे ? 
मैंने तो उसका चेहरा भी नहीं देखा है। पता नहीं वह लड़की कहां है ? पर जहां भी हो हमेशा खुश रहे। “

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इधर रीत अलमारी में कपड़ों को सही से रख रही थी। तभी अभिसार का दिया हुआ रुमाल नीचे गिर जाता है। रीत उसे उठाती है। और खिड़की के पास आकर खड़ी हो जाती है जहां से पूर्णिमा का चांदनी साफ नजर आ रही थी। 
वो रुमाल की ओर देखती हुई कहती है,” पता नहीं इस रुमाल को हमेशा संभाल कर रखने का मन क्यों करता है ? काश ! मैं उससे कभी मिल पाती और उसका शुक्रियादा कर पाती। 
लेकिन अगर कभी मैं उससे मिल भी गई तो उसको पहचानूंगी कैसे ? मैंने तो उसका चेहरा भी नहीं देखा। बस मैं अब उसके लिए यही दुआ कर सकती हूं कि हे ! भगवान उसे हमेशा खुश ही रखना।
इस कहानी का यह भाग यहीं समाप्त होता है। अगर आपको इस कहानी के बारे में आगे भी जानना है तो कहानी का अगला भाग जरूर पढ़ें।

 दूजा प्यार : (भाग -3) 

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