दो बुढ़िया | Do Budhiya | Hindi Kahaniya | Moral Story | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” दो बुढ़िया ” यह एक Hindi Moral Story है। अगर आपको Hindi Kahani, Moral Story in Hindi या Hindi Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
दो बुढ़िया | Do Budhiya | Hindi Kahaniya | Moral Story | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales

Do Budhiya | Hindi Kahaniya | Moral Story | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales

 दो बुढ़िया

रामपुर नामक एक गांव में दो बूढ़ी अम्मा रहा करती थीं। चुन्नी और टुनटुन। दोनों की झोपड़ी एक दूसरे के सामने ही थी। 
एक तरफ चुन्नी अम्मा जितनी सुंदर और लंबी थी, दूसरी तरफ टुनटुन मौसी उतनी ही काली और लंबाई में छोटी थी। 
1 दिन टुनटुन मौसी अपनी झोपड़ी में बैठी खीर बना रही होती है।
टुनटुन,” अरे ! वाह वाह, आज तो यह स्वादिष्ट खीर खाऊंगी। कितने दिन हो गये, खीर ही नहीं खायी ? 
रोज़ वो बिल्ली ना जाने कहाँ से आती है और मेरा खीर बनाने का सारा दूध पी जाती है ? लेकिन आज तो मैं खीर खाकर ही रहूंगी। “
कि तभी वहाँ पर टुनटुन मौसी का पड़ोसी मटका जिसकी उम्र लगभग 40 के ऊपर होती है, जो देखने में काफी मोटा और पेटू होता है, टुनटुन मौसी को आवाज देते हुए झोपड़ी में आता है।
मटका,” अरे ओ टुनटुन मौसी ! कहां हो ? अच्छा तो तुम यहाँ बैठी हो। अरे वाह वाह ! खुशबू तो बड़ी अच्छी आ रही है। आज क्या बना रही हो मौसी, तनिक दिखाओ तो ? 
अरे वाह ! ये क्या… तुम तो खीर बना रही हो ? खीर की खुशबू तो वाकई मजेदार आ रही है। 
अरे वाह वाह ! मेरे मुँह में तो अभी से पानी आ गया। अरे वाह वाह ! क्या तुम थोड़ी खीर मुझे भी दोगी ? “
टुनटुन,” अरे ओ मटका ! ये खीर तो मैंने अपने लिए बनाई है… हाँ। मैं नहीं देने वाली तुझे बिल्कुल भी अपनी खीर। चल जा यहाँ से। जब देखो मुँह उठा कर आ जाता है। चल जाए यहाँ से। “
मटका (मन में),” अरे रे ! ये खूसट बुढ़िया भी ना… लगता है ये मुझे ऐसे नहीं खाने देगी इतनी स्वादिष्ट खीर। अब इसे तो मज़ा चखाना ही होगा, हाँ। “
मटका,” अच्छा अच्छा ठीक है, जाता हूँ मौसी। गुस्सा क्यों करती हो ? नहीं चाहिए तुम्हारी खीर, जब देखो तब अपना खूसटपन दिखाती रहती हो… जाता हूँ। “
जिसके बाद मटका वहाँ से चला जाता है। उसके थोड़ी देर बाद ही एक भिखारी जिसका नाम पीटर होता है, टुनटुन मौसी की झोपड़ी में आता है।
पीटर,” अरे ! कोई है क्या ? क्या कुछ खाने को मिलेगा ? अरे ! कुछ दे दो खाने को, मुझे भोजन चाहिए। आई एम हंगरी, अम्मा। “
तभी टुनटुन मौसी अपनी झोपड़ी से बाहर निकल कर आती है। 
टुनटुन,” अरे ! तुम कौन हो जाओ ? जाओ यहाँ से, मेरे यहाँ कुछ नहीं है जाओ। “
तभी पीटर को टुनटुन मौसी की खीर की खुशबू आती है।
पीटर,” माइसेल्फ पीटर… माई, मुझे तुम्हारी झोपड़ी से बहुत ही टेस्टी टेस्टी खीर बनने की खुशबू आ रही है। 
पर अगर थोड़ी सी खीर मुझे मिल जाती तो अच्छा होता। मुझे भोजन की वेरी मच आवश्यकता है। क्या मुझे थोड़ी सी खीर मिलेगी ? “
टुनटुन,” अरे ओ भिखारी ! खीर तो मैंने अपने लिए बनाई है। मैं अपनी स्वादिष्ट खीर किसी को भी नहीं दूंगी, हाँ। चल जा यहाँ से वरना अच्छा नहीं होगा, बताये देती हूँ। 
ऐसी मरम्मत करूँगी तेरी कि फिर कभी इस गांव में भीख मांगता नजर नहीं आएगा। अभी मेरी बूढ़ी हड्डियों में बहुत ताकत है। “
पीटर,” अरे ! नो नो नो माई, मुझे आपसे मार नहीं खानी है। मैं अभी जाता हूँ। “
पीटर (मन में),” लगता है ये माई तो बहुत ही ज्यादा बैड है। हाँ हाँ, ये मुझे खीर नहीं देगी। अब यहाँ से चलना ही ठीक होगा। “
और वो बहुत दुखी मन के साथ वहाँ से चुपचाप चला जाता है। 
दूसरी तरफ चुन्नी अपनी झोपड़ी में लेटी हुई थी तभी उसे अचानक स्वादिष्ट खीर की खुशबू आने लगती है।
चुन्नी,” अरे वाह वाह ! ये इतनी अच्छी खुशबू कहाँ से आ रही है ? ज़रा देखूं तो सही। अरे वाह वाह ! बड़ी ही मजेदार खुशबू है। “
चुन्नी देखी है कि यह मजेदार खुशबू टुनटुन मौसी की झोपड़ी से आ रही है। 
चुन्नी,” अरे रे ! ये खुशबू तो इस खड़ूस टुनटुन की झोपड़ी से आ रही है। आखिर आज क्या बना रही है ये, चल के देखूं तो सही ? अरे ! ये बूढ़ी बिल्ली टुनटुन तो आज खीर बना रही है। 
अरे वाह भई वाह ! अगर ज़रा सी खीर मुझे मिल जाती तो मेरी भी भूख शांत हो जाती। चलो आज तो इससे थोड़ी मांग ही लेती हूँ इस टुनटुन की खीर। “
चुन्नी,” अली ओ टुनटुन बहन ! आज तो तुम्हारी बनाई खीर की बड़ी मजेदार महक दूर दूर तक आ रही है। अरे वाह वाह ! लगता है आज तो खूब मेवे डालकर बनाई है खीर। 
अरे टुनटुन बहन ! क्या तुम मुझे थोड़ी सी खीर देगी, बहुत जोरों की भूख लगी है ? देना… मुझे भी थोड़ी सी खीर देना। “
ऐसा सुनते ही टुनटुन अम्मा गुस्से में आ गयी। 
टुनटुन,” क्या कहा तुने ? तुझे क्यूँ चाहिए ? तूने ऐसा सोचा भी कैसे कि मैं तुझे अपनी बनाई खीर दूंगी ? 

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ये खीर मैंने अपने लिए बनाई है… समझी ? ये सारी खीर को मैं ही खाऊंगी, किसी को नहीं दूंगी। चल जाए यहाँ से। आई बड़ी मेरी खीर खाने वाली, चल जाए यहाँ से। “
चुन्नी,” अरे ! हाँ खडूस टुनटुन, जाती हूं जाती हूँ। आई बड़ी… चल हट, मैं तो कहती हूँ तू भी ये खीर ना खा पाए। तब आएगा मज़ा। “
जिसके बाद चुन्नी वहाँ से चली जाती है। 
टुनटुन,” वाह वाह ! खीर तो बनकर तैयार हो गयी। अरे भई ! इसकी खुशबू तो बड़ी मजेदार आ रही है। वाह वाह ! आज तो मज़ा ही आ जायेगा। 
लेकिन अभी इसे ठंडा होने के लिए रख देती हूँ। अगर गरम गरम खाऊंगी तो कहीं मुँह में छाले ना पड़ जाए ? वैसे भी अब तो बहुत बूढ़ी हो चुकी हूँ। 
अब कहां मुझसे गर्म खीर खायी जाएगी भला ? मैं बाद में आराम से ठंडा होने पर ही खाऊंगी अपनी बनाई स्वादिष्ट खीर। “
टुनटुन मौसी अपनी खीर की हांडी अपनी झोपड़ी में एक ऊंची दीवार पर टांग देते है और खर्राटे लेकर सो जाती है। उधर सुबह होती है। 
टुनटुन मौसी देखती है कि उसकी खीर की हांडी नजर नहीं आ रही है जिसकी वजह से वो बहुत गुस्सा हो जाती है। 
टुनटुन,” अरे रे ! कौन चोरी करके ले गया मेरी खीर की हांडी ? हाय हाय ! मैं तो अभी खीर चख भी नहीं पाई थी फिर कौन आया मेरी झोपड़ी में ? 
कौन लेके गया मेरी खीर ? ओह ! अच्छा… लगता है मेरी खीर की हांडी जरूर उस चुन्नी नासमीटी ने चुराई होगी। मैंने उसे खीर नहीं दी थी तो मेरी खीर की हांडी ही चुरा ली। 
नहीं नहीं, ये चुन्नी तुने ठीक नहीं किया। अब तुझे मज़ा चखाउंगी। मैं गांव के मुखिया शरीफचंद से तेरी शिकायत करूँगी। इसके बाद तुझे कड़ी सजा बही देंगे। “
अगली सुबह टुनटुन मौसी मुखिया शरीफचंद के पास गयी जो देखने में काफी हद तक हट्टा कट्टा और पान खाने का बेहद शौकीन होता है। 
गांव के लोगों की जो भी समस्या होती थी, उसका निवारण मुखिया शरीफचंद के पास ही होता था। 
टुनटुन (रोते हुए),” अरे अरे मुखिया जी ! मेरी मदद कीजिए। मेरे घर में चोरी हो गयी मुखिया जी, मेरी मदद कीजिए। “
और वो ज़ोर ज़ोर से रोने लगती है।
मुखिया,” अरे अरे ! क्या हुआ टुनटुन मौसी ? क्यों इतनी दुखी हो ? आखिर क्या चोरी हो गया ? क्या कोई कीमती सामान था तुम्हारा ? बताओ बताओ, मैं उस चोर को पकड़कर तगड़ी सजा दूंगा… चूना लगा के। “
टुनटुन,” क्या बताऊँ मुखिया जी..? मैंने कल अपने बड़े चाव से खीर बनाई थी। सोचा था आराम से ठंडी होने पर मज़े लेकर खाऊंगी। लेकिन मेरे खाने से पहले ही उसकी को…।
मुखिया,” अरे मौसी ! चुप हो जाओ। आखिर क्या हुआ तुम्हारी खीर को ? अच्छा अच्छा तनिक रुक जाओ। “
मुखिया,” अरे ओ चंदू ! मेरे पान का पिटारा अब तक नहीं लेकर आया। अरे ! जल्दी आ, कितनी देर पहले बोला था तुझे ? कहाँ रह गया चंदू ? “
चंदू,” जी मालिक, आपने मुझे बुलाया मालिक ? क्या हुआ, आपको कुछ चाहिए मालिक ? “
मुखिया,” अरे रे कैसा भुलक्कड़ है रे तू चंदू ? कितने समय पहले बोला था कि मेरा पान का पिटारा लेकर आ ? 
लेकिन तू है कि फिर से भूल गया। आखिर क्या करूँ मैं तेरी इस भूलने की बिमारी का चंदू ? “
चंदू,” अरे मालिक ! माफ़ कर दीजिये। वो क्या है ना मालिक… आप तो जानते ही है ना थोड़ा भूल जाने की बिमारी है मुझे। 
रुकिए, मैं अभी लेकर आता हूँ आपके लिए पान का पिटारा। अभी आया। लेकिन मालिक, ये बुढ़िया कौन है और यहाँ क्या कर रही है ? “
टुनटुन,” क्या बोला रे तू ? इस टुनटुन मौसी को पूरा गांव जनता है। लगता है तू फिर से भूल गया ? अरे ! कब जाएगी रे तेरी भूलने वाली बिमारी ? “
चंदू,” अरे ! हाँ, याद आया। अच्छा अच्छा तुम तो टुनटुन मौसी हो। अब मैं इतना भी भुलक्कड़ नहीं हूँ। अच्छा अच्छा, मैं अभी मुखिया जी के लिए उनका पान का पिटारा लेकर आता हूँ। “
जिसके बाद टुनटुन मौसी मुखिया को सारी बात बताती है।
मुखिया,” क्या कहा… तुम्हारी बनाई खीर चोरी हो गयी ? ये तुम क्या बोल रही हो टुनटुन मौसी ? आखिर तुम्हारी बनाई खीर कौन चुरा सकता है ? “
टुनटुन,” मुखिया जी, मुझे तो लगता है मेरी खीर उस चुन्नी ने चुराई है, हाँ। आई थी मेरी झोपड़ी में खीर मांगने। बड़ी लार टपक रही थी उसकी। जरूर उसने मेरी खीर की हांडी चुराई होगी। “
मुखिया,” अच्छा… तो ठीक है टुनटुन मौसी। चुन्नी अम्मा से जरूर पूछा जाएगा कि उसने तुम्हारी खीर की हांडी चुराई है या नहीं ? 
अगर खीर चुन्नी अम्मा ने चुराई होगी तो उन्हें अवश्य ही गांव से बाहर निकालने की सजा दी जाएगी। “
इसके बाद टुनटुन मौसी वहाँ से मुस्कुराती हुई चली जाती है। 
मुखिया,” अरे रे ! ये चंदू अभी तक मेरा पान का पिटारा नहीं लाया। लगता है फिर से भूल गया होगा। अरे ! क्या करूँ मैं इस भुलक्कड़ चंदू का ? “
अगली सुबह मुखिया की पंचायत लगती है जिसमें चुन्नी और टुनटुन दोनों मौजूद होती हैं।
मुखिया,” क्या यह सच है चुन्नी अम्मा कि तुमने ही टुनटुन मौसी की खीर की हांडी चोरी की है ? बताओ हमें… चूना लगा के। “
चुन्नी अम्मा ज़ोर ज़ोर से रोने लगती है। 
चुन्नी,” नहीं नहीं मुखिया जी, ये झूठ है। मैंने इस टुनटुन की खीर की हांडी नहीं चुराई। यह टुनटुन ना जाने ऐसा क्यों बोल रही है ? 
मैंने इस टुनटुन की खीर मांगी थी क्योंकि मुझे बहुत जोरों की भूख लगी थी। लेकिन मैंने इसके खीर की हांडी नहीं चुराई। ये झूठ है। “
और चुन्नी अम्मा ज़ोर ज़ोर से रोने लगती है।
मुखिया,” अच्छा अच्छा तो ठीक है, अब हम इसका पता लगाएंगे कि तुमने टुनटुन अम्मा की वो खीर की हांडी चुराई है या नहीं ? उसके बाद ही चुन्नी अम्मा को सजा सुनाई जाएगी… चूना लगा के। “
आदमी,” ठीक है मुखिया जी, हम सबको आपके ही फैसले का इंतजार होगा, हाँ। “
जिसके बाद सभी लोग अपने अपने घर चले जाते हैं। अगली सुबह मुखिया का नौकर चंदू थोड़ा दूध और चावल लेकर टुनटुन मौसी की झोपड़ी में जाता है।
चंदू,” लीजिये टुनटुन, मौसी, आज मालिक ने आपके लिए चावल और दूध भेजा है। तुम इनसे फिर से खीर बनाओ और मज़े से खाना। 
वो क्या है ना… मालिक का दिल बहुत बड़ा है। वो किसी का दुख नहीं देख सकते हैं, हाँ। लीजिये लीजिये टुनटुन मौसी। “
टुनटुन,” अरे वाह वाह ! ये तो कितना अच्छा किया मुखिया जी ने ? वाकई… मैं तो खीर खाने के लिए तरस ही गई थी। लेकिन आज बड़े अच्छे से खीर बनाउंगी हाँ और मज़े से खाऊंगी। “
चंदू,” अच्छा अच्छा ठीक है टुनटुन मौसी, अब मैं चलता हूँ। “
और टुनटुन अम्मा खीर बनाने लगती है। 
टुनटुन,” अरे वाह वाह ! खुशबू तो बड़ी अच्छी आ रही है। वाह वाह ! आज तो जी भरकर खीर खाऊंगी। “
तभी टुनटुन मौसी की झोपड़ी की खिड़की से कोई आदमी जो काला कंबल ओढ़े होता है लेकिन उसका चेहरा नहीं दिख रहा होता है, टुनटुन मौसी को खीर बनाते हुए देख रहा होता है। अचानक से टुनटुन मौसी को किसी बिल्ली के चिल्लाने की आवाज सुनाई देती है। 

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टुनटुन,” अरे अरे ! ये मुहिम बिल्ली क्यों चिल्ला रही है, चलकर देखूं तो सही ? “
जैसे ही टुनटुन मौसी अपनी झोंपड़ी के बाहर जाती है तभी वो काला कंबल ओढ़े हुआ आदमी टुनटुन मौसी की झोपड़ी में आता है और खीर की हांडी उठाकर जाने लगता है। 
जैसे ही वह झोपड़ी से बाहर जाने लगता है वहाँ पर मुखिया और उसका नौकर चंदू आ जाते हैं। तभी चंदू उस खीर चोर को पकड़ लेता है।
चंदू,” अरे अरे मालिक ! देखो देखो मैंने इस खीर चोर को पकड़ लिया। मालिक, देखिये देखिये मालिक खीर चोर पकड़ा गया। 
चंदू,” अब तू हमारे हाथों से नहीं बच पाएगा हाँ। तुझे तो अब खीर चोरी की सजा मिलकर ही रहे गी हाँ। “
तभी वहाँ चुन्नी अम्मा, टुनटुन मौसी और गांव के सभी लोग आ जाते हैं। चंदू उस चोर के मुँह पर से कंबल हटा देता है। 
कंबल हटते ही सब लोग बड़े हैरान हो जाते हैं कि चोर कोई और नहीं बल्कि वही भिखारी था जो टुनटुन मौसी के द्वार पर भोजन मांगने आया था।
भिखारी,” अरे अरे ! मुझे माफ़ कर दीजिये। हाँ ये सच है कि मैं ही खीर चोर हूं। मैंने ही इस झोपड़ी से खीर की हांडी चुराई थी और आज भी जब इस बैड माई को खीर बनाते देखा तो यहाँ फिर से खीर की हांडी चुराने आ गया। 
लेकिन ये सब मैंने अपने लिए नहीं बल्कि अपनी बूढ़ी माँ के लिए किया। कई दिनों से भीख ना मिलने के कारण मेरी माँ को कुछ भी खाने को नहीं मिल पा रहा था। 
मेरी माँ की हालत खराब होती जा रही थी। अगर मैं खीर की हांडी ना चुराता तो मेरी माँ भूखी ही मर जाती। “
टुनटुन,” अरे अरे ! क्या रे भिखारी, क्या तुझे मेरी ही खीर की हांडी मिली थी चोरी करने के लिए ? बता तो ज़रा ? अरे ! कितने मन से बनाई थी खीर और एक निवाला तक नहीं खाया ? 
और आज फिर से आ गया। आज तो तू मेरे हाथों से नहीं बचेगा हाँ। आज तो अच्छा मज़ा चुकाउंगी तुझे। “
नो नो नो माई, ऐम रियली सॉरी। माफ़ कर दो। मैं तुम्हारे द्वार पर भीख मांगने आया और मुझे मजेदार खीर बनने की खुशबू आई। 
मैंने तुमसे थोड़ी सी खीर मांगी तो तुमने मुझे बिना खीर दिए अपने द्वार से भगा दिया। लेकिन मुझे अपनी ओल्ड मदर के लिए भोजन की बहुत आवश्यकता थी। 
जिसके बाद मैं वापस आया और देखा तो तुम बड़े आराम से सो रही हो। तभी मैंने तुम्हारी झोपड़ी से वो खीर की हांडी अपनी बूढ़ी माँ के लिए चुरा ली। आई ऐम रियली सॉरी मी, मुझे माफ़ कर दो। “
चुन्नी,” देखा देखा मुखिया जी, मैंने आपसे कहा था। मैंने बोला था… बोला था मैंने इस टुनटुन की खीर नहीं चुराई। 
देखो देखो पकड़ा गया ना चोर। अब पता चल गया ना किसने खीर चुराई ? यही भीखारी है असली चोर हाँ। “
मुखिया,” हाँ हाँ चुन्नी अम्मा, अब पता चल गया है। तुम निर्दोष हो। ये भिखारी ही खीर चोर है। लेकिन इसकी बातों से लग रहा है कि ये सच बोल रहा है। 
शायद इसने खीर की चोरी अपनी बूढ़ी माँ के लिए ही की हो। इसका पता तो लगाना ही होगा। “
आदमी,” क्यों ना मुखिया जी हम इस भिखारी के साथ उसकी बूढ़ी माँ के पास चलें ? तभी हमें पता चल पाएगा कि ये भिखारी सच बोल रहा है कि नहीं ? “
मुखिया,” हाँ हाँ, यही सही रहेगा। “
मुखिया,” अरे ओ भिकारी ! चल ले चल हमें अपनी बूढ़ी माँ के पास। फिर सब पता चल जाएगा… चुना लगा के। “
भिखारी,” यस यस… तो फिर चलिए मेरे साथ, आप सभी लोगों को यकीन हो जाएगा कि मैं सच बोल रहा हूँ। चलिये चलिये। “
भिखारी सभी गांव वालों को अपनी झोपड़ी मैं लेकर जाता है।
भिखारी की मां,” अरे ! आ गया बेटा तू ? कब से तेरी राह देख रही थी ? बहुत जोरों की भूख लगी है बेटा। अब तेरी इस बूढ़ी माँ से ज्यादा तेर भूखा नहीं रहा जाता। 
क्या आज भी वैसी ही मजेदार और स्वादिष्ट खीर लेकर आया है ? उस खीर को खाकर तो मेरी आत्मा को बड़ी शांति मिली थी। 
बोल… लाया है क्या वही स्वादिष्ट खीर बेटा ? लेकिन तेरे साथ ये लोग कौन हैं बेटा ? “
भिखारी की माँ की ऐसी बातें सुनकर सभी लोगों को यकीन हो गया कि भिखारी सच बोल रहा था।
मुखिया,” अरे पीटर ! तुम तो वाकई सच बोल रहे थे भैया। तुमने टुनटुन मौसी की खीर अपनी बूढ़ी माँ के लिए ही चुराई थी। 
तुमने जो भी किया वो अपनी बूढ़ी माँ के लिए किया। वाकई तुम एक बहुत अच्छे बेटे हो इसलिए अब तुम्हें टुनटुन मौसी की खीर की हांडी चुराने की सजा नहीं दी जाएगी। “
भिखारी की माँ,” अच्छा अच्छा… तो अब मुझे सब समझ आ गया। बेटा, तूने मेरे लिए ही उस मजेदार और स्वादिष्ट खीर की हांडी चुराई थी। 
तू इतना प्रेम करता है कि मेरी भूख तुझसे देख ही नहीं गयी ? इसलिये ही तू वो खीर की हांडी चुराकर मेरे लिए लाया था ? वाह मेरे लाल ! तेरे जैसा बेटा पाकर मैं तो धन्य हो गयी। “
तभी चंदू ज़ोर ज़ोर से रोने लगता है।
मुखिया,” अरे चंदू ! क्या हुआ तुझे ? क्यों रो रहा है ? “
चंदू,” मालिक, इस भिखारी का अपनी माँ के लिए इतना प्यार देखकर मुझे भी अपनी स्वर्गवासी माँ की याद आ गई। माँ कितनी प्यारी होती है ना मालिक ? “
टुनटुन,” हाँ हाँ सच में… अब तो मुझे भी अपनी माँ की याद आ गयी। मैंने भी इस भिखारी को माफ़ कर दिया। इसने अपनी माँ के लिए मेरी हांडी चुराई थी। “
और ऐसा कहकर टुनटुन मौसी रोने लगती है।
टुनटुन,” और चुन्नी बहन, तू भी मुझे माफ़ कर दे। मैंने सोचा तूने ही मेरी खीर की हांडी चुराई है और तुम पर मैंने झूठा इलज़ाम लगा दिया। माफ़ कर दो चुन्नी बहन। “
चुन्नी,” अरे अरे ! कोई नहीं टुनटुन बहन, मैंने तुम्हें माफ़ कर दिया। लेकिन अब बदले में तुम्हें अपने हाथ की स्वादिष्ट खीर खिलानी होगी हाँ। “
टुनटुन,” क्यों नहीं..? मैं आज तो सभी को अपने हाथ की खीर खिलाऊंगी। “
टुनटुन मौसी अपनी बनाई खीर सबको परोसती है। जिसके बाद सभी बड़े चाव से खीर खाते हैं।
मटका,” अरे वाह वाह टुनटुन मौसी ! मज़ा ही आ गया। वाह वाह ! बड़ी ही मजेदार खीर है। “

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चंदू ,” अरे ! हाँ, एकदम सही बोल रहे हो मटका। वाकई खीर तो बड़ी मजेदार है। लेकिन ये खीर आई कहाँ से ? “
चंदू,” मालिक, क्या ये खीर आपने बनाई है ? अरे वाह वाह ! आप इतनी स्वादिष्ट खीर भी बना सकते हैं ? 
वाह वाह ! मैं तो कहता हूँ आप रोज़ ये मजेदार और स्वादिष्ट खीर बनाया कीजिये हाँ। अरे वाह वाह ! मज़ा ही आ गया। “
अरे ! धत् तेरे की चंदू। तू तो फिर से भूल गया। ये इसके भूलने वाली बिमारी भी ना… ना जाने कब ठीक होगी… चुना लगा के ? “
मुखिया की ये बात सुनकर बाकी सभी लोग भी ज़ोर ज़ोर से हंसने लगते हैं।
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