हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “ धोखेबाज किसान ” यह एक Bed Time Story है। अगर आपको Hindi Kahani, Moral Story in Hindi या Best Stories in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Dhokhebaaz Kisaan | Cheater Farmer | Hindi Kahani| Moral Stories in Hindi | Bed Time Story | Hindi Stories
धोखेबाज किसान
एक गांव में सोमनाथ नाम का एक व्यक्ति रहता था। वह स्वभाव से काफी लालची और मक्कार किस्म का था। उसके घर में उसकी पत्नी थी और जीवन खर्च के लिए वह खेती करता था।
वह अपनी फसलों को हमेशा ऊंचे दामों पर बेचता था जिससे उन्हें काफी मुनाफा होता था। फसल पक जाने के बाद उसे घर लाकर रख देता था ।
और जब सभी किसानों का अनाज बाजार में बिक जाता था, उसके बाद वह अपना अनाज बाजार में लेकर बेचने जाता था जिससे ग्राहक मुंह मांगे दाम पर उसका अनाज खरीदते थे।
इस बार भी उसने यही किया। जब सभी किसानों का अनाज बिक गया, उसके कुछ दिन बाद सोमनाथ ने अपने अनाज की बोरियों को बाहर निकाला। और एक-एक करके बाजार जा कर बेचने लगा।
बाजार में किसी और के पास अनाज ना होने के कारण सोमनाथ मुंह मांगे दामों पर अपना अनाज बेचता और फिर घर वापस लौटता।
एक शाम जब अनाज बेचकर वह घर वापस लौटा तो उसकी पत्नी ने उससे कहा,” क्यों जी… सुना है आप अपनी फसल को बहुत ऊंचे दामों पर बेच रहे हो। इससे खरीदने वाले को काफी नुकसान होता होगा ना। “
” क्या बकवास कर रही हो ? फसलें होती ही इसलिए है। अगर किसान अपना फायदा नहीं सोचेगा तो भूखा मर जाएगा।
” लेकिन इतने ऊंचे दामों पर फसल खरीदने वाले को कितना नुकसान होता होगा। आखिर वह भी मेहनत की कमाई है। तुम बाकी किसानों की तरह सही समय पर फसल को क्यों नहीं बेचते ? “
” अरे ! अरे ! जाओ, वैसे भी मैं आज थक गया हूं और तुम मुझे ज्ञान देने लगी हो। यह नहीं सोचा, पति काम से लौटा है तो उसकी सेवा करें। मुझे बहुत तेज भूख लगी है, जाकर खाना लगाओ। “
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” हां ! हां ! ठीक है। वैसे भी तुम मेरी सुनो के कहां ? “
” हे ! भगवान… मुझे कैसी पत्नी दी है तूने ? पति का साथ देने के बजाय मुझे ही ज्ञान देने बैठ जाती है। “
कुछ दिनों ऐसे ही चलता रहता है और सोमनाथ अपनी फसल से काफी अच्छा दाम कमा लेता है। सोमनाथ के घर के पास ही एक बूढ़ी औरत रहती थी।
उसका एक बेटा था जो बाहर विदेश में नौकरी कर रहा था। इसलिए घर पर वह केवल अकेली ही थी।
जीवन का गुजारा करने के लिए अपने ही खेत में बीज बोती, फसल की देखभाल करती और पक जाने पर उसे काटकर बाजार बेचने चली जाती।
1 दिन बुढ़िया आनाज की बोरियां भर रही थी ताकि वह उन्हें बाजार जाकर बेच सके। लेकिन तभी सोमनाथ की नजर बुढ़िया के अनाज पर पड़ती है
और वह सोचता है कि अगर मैं इस बुढ़िया को पटा लूं तो इसके अनाज से भी मैं बहुत सारा धन कमा पाऊंगा। कुछ देर बाद वह अपने कदम बूढ़ी औरत की तरफ बढ़ाता है।
” नमस्कार दादी जी।”
” नमस्कार बेटा… तुम कौन ? “
” दादी जी… मैं सोमनाथ, आपके पड़ोस में ही रहता हूं। “
” अच्छा… अच्छा…। “
” दादी जी आपका एक बेटा भी तो था, वह कहां है ? “
” अरे ! बेटे को काम से फुर्सत हो तब ना। “
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” कोई बात नहीं दादी जी, मैं भी आपके बेटे जैसा ही हूं। आप इस उम्र में इतनी मेहनत मत किया करो वरना तबीयत खराब हो जाएगी। “
” क्या करूं बेटा ? पेट पालने के लिए कुछ ना कुछ तो करना ही होगा। “
” एक काम करिए दादी, आप इस अनाज को अपने घर पर रखिए मैं एक एक बोरी करके इसे बाजार जाकर बेच आऊंगा और बदले में जो धन मिलेगा वह मैं आपको दे दूंगा। “
” नहीं ! नहीं ! बेटा तुम इतना परेशान क्यों हो रहे हो ? “
” नहीं दादी जी परेशानी की कोई बात नहीं है। वैसे भी मैं अपना अनाज भी बाजार जा कर बेचता हूं तो साथ में तुम्हारा भी ले जाऊंगा। “
” अच्छा ठीक है। भगवान तुम्हारा भला करे। “
” तो दादी जी मैं सुबह आकर अनाज की बोरी लेकर जाता हूं, ठीक है। “
” ठीक है बेटा। “
अगली सुबह सोमनाथ फिर से दादी जी के पास जाता है और उनसे अनाज की बोरियां ले लेता है। अनाज की बोरियों को बैलगाड़ी में रखकर वह बाजार की ओर निकल जाता है।
बाजार पहुंचकर वह अनाज बेचना शुरू करता है। वह अनाज का दाम काफी ऊंचा रखता है लेकिन किसी और के पास अनाज ना होने के कारण ग्राहक मुंह मांगे दाम को खरीदने पर मजबूर हो जाते हैं।
शाम तक जब उसका पूरा अनाज बिक जाता है तो वह घर लौटता है। घर आकर जब वह पैसे गिनता है तो खुश हो जाता है क्योंकि आज उसे काफी बड़ा मुनाफा हुआ है।
बूढ़ी औरत के अनाज से मिले पैसे देख कर उसके मन में लालच जाग उठता है। वह उन पैसों में से आधे पैसे अपनी जेब में रख लेता है और आधे पैसों को लेकर बूढ़ी औरत के पास पहुंचता है।
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” अरे बेटा ! आ गए तुम। ऐसे मुंह क्यों लटकाए हुए हो ? क्या हो गया, अनाज बिका नहीं क्या ? “
” नहीं ! नहीं ! दादी जी, अनाज तो बिका है लेकिन मेरी उदासी का कारण कुछ और है। मैंने बहुत कोशिश की अनाज को अच्छे दामों में बेचने की लेकिन ग्राहकों को दाम काफी ज्यादा लग रहा था। इसलिए उन्होंने बहुत ही कम दाम पर मेरा अनाज खरीदा है। यह रहे कुछ पैसे। “
बुढ़िया जल्दी से उन पैसों को गिनती है और कहती है,” बेटा ! यह तो बहुत कम है। मैं जब भी अनाज बेचने जाती थी तो मेरे साथ कभी भी ऐसा नहीं हुआ। “
” वही तो दादी जी, मैंने बहुत कोशिश की आपके अनाज को अच्छे दामों में बेचने की। लेकिन ग्राहक सहमत नहीं हुए इस वजह से अनाज के दाम को कम करना पड़ा। “
” अरे बेटा ! उदास होने की कोई जरूरत नहीं है। तुमने तो अपनी तरफ से पूरी मेहनत की। “
कुछ देर बाद सोमनाथ वहां से जाने लगता है लेकिन बुढ़िया उसे रोकती हुई कहती है,” बेटा ! तुमने अनाज बेचने में काफी मेहनत की है। यह लो कुछ पैसे हैं रख लो। “
” नहीं ! नहीं ! दादी जी मैं कैसे ले सकता हूं ? और वैसे भी आपके अनाज के दाम अच्छे नहीं मिले हैं आप ही रखो उन पैसों को। “
लेकिन बुढ़िया किसी तरह उन पैसों को सोमनाथ की जेब में रख देती है। सोमनाथ घर के लिए रवाना हो जाता है। घर पहुंचकर वह उन सभी पैसों को इकट्ठा करता है और देखकर खुश होता है
और कहता है,” वाह रे सोमनाथ ! आज तो आम के आम और गुठलियों के दाम हो गए। अगर ऐसे ही चलता रहा तो मैं बहुत जल्द काफी धन कमा लूंगा। “
कुछ दिनों तक ऐसे ही चलता रहता है और सोमनाथ उस बूढ़ी औरत को उसके अनाज के बदले में बहुत ही कम पैसे देता है।
एक दिन सोमनाथ बुढ़िया का अनाज लेकर बाजार जाता है। उसके पास ग्राहक आने लगते हैं। बगल में लखनचंद भी अपना अनाज बेच रहा था।
उसने देखा कि सोमनाथ के पास काफी अनाज है। वह देखकर सोचने लगता है कि सोमनाथ के पास इतना अनाज तो कभी था ही नहीं फिर यह अनाज किसका है ?
तभी लखनचंद का दोस्त कहता है,” अरे भाई ! तुम्हें पता नहीं है सोमनाथ ने अपने पड़ोसी बुढ़िया दादी को अपने चंगुल में फंसा लिया है ? और उन्हीं का अनाज बाजार में बेचता है। “
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यह सुनकर लखन चंद कहता है,” सोमनाथ बहुत ही लालची और धोखेबाज इंसान है। वह जरूर दादी को बदले में बहुत ही कम पैसे देता होगा और बाकी बचे पैसे खुद ही रख लेता होगा। “
अगली सुबह लखनचंद दादी के पास जाता है और कहता है,” नमस्ते दादी जी ! मेरा नाम लखन चंद है। मैं बाजार में अपना अनाज बेचता हूं।
वह बात कहते कहते सोमनाथ के बारे में बात करने लगता है और कहता है,” दादी जी आपके अनाज के तो बहुत अच्छे पैसे मिलते होंगे ना आपको ? “
दादी जवाब देती है,” नहीं बेटा… अभी अनाज बहुत ही कम दाम में बेचा जा रहा है। सोमनाथ हर रोज अनाज की बोरियां लेकर जाता है और उदास चेहरा लेकर वापस आता है। “
यह सुनकर लखनचंद कहता है,” नहीं दादी जी, बाजार में तो आपका अनाज काफी अच्छे दाम में बेचा जा रहा है। मैंने खुद अपनी आंखों से देखा है। कहीं ऐसा तो नहीं है कि सोमनाथ आपको इसके बदले में कम पैसे देता हो और बाकी पैसे खुद ही रख लेता हो ? “
यह कहकर लखनचंद चला जाता है और कुछ देर बाद सोमनाथ दादी के पास आता है।
” लो दादी खूब कोशिश करने के बाद बस इतने ही पैसे मिले हैं। “
” क्या हुआ बेटा ? क्या आज भी अनाज अच्छे दामों में नहीं बिका ? “
” कहां दादी ? बहुत प्रयास किया लेकिन कुछ ठीक नहीं हुआ। “
” लेकिन बेटा… लखनचंद मेरे पास आया था। वह कह रहा था कि आज तो अनाज काफी अच्छे दामों में बेचा है। “
” नहीं ! नहीं दादी, लखनचंद झूठ बोल रहा है। “
” बेटा ! मैंने तुझे अपने बेटे जैसा माना था और तूने मुझे ही धोखा दे दिया। यह पैसे यही रख दे और दोबारा मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना।
और हां याद रखना जिस पैसे की वजह से तुमने मुझे धोखा दिया है, एक दिन तेरे पास बहुत सारा पैसा होगा लेकिन वह किसी भी काम का नहीं होगा। याद रखना। “
सोमनाथ बुढ़िया के घर से बाहर निकल कर कहता है,” यह लखनचंद भी ना, इसे मैं बाद में देख लूंगा। बना बनाया काम बिगाड़ दिया। अच्छा भला आसानी से पैसे कमा रहा था। “
कुछ दिनों बाद सोमनाथ काफी अमीर हो जाता है। उसके पास घर, गाड़ी और ढेर सारा पैसा आ जाता है। लेकिन तभी सोमनाथ बहुत बीमार पड़ जाता है।
वह अपनी पत्नी से कहता है,” सुनो… हमारे पास बहुत पैसा है, एक अच्छे से डॉक्टर को बुलाओ जिससे मैं जल्दी से जल्दी ठीक हो जाऊं। “
पत्नी डॉक्टर को बुलाती है लेकिन डॉक्टर उसे पूरी तरह से ठीक नहीं कर पाता है।
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सोमनाथ फिर से कहता है,” हमारे पास बहुत पैसा है, एक अच्छे से हॉस्पिटल में मुझे ले चलो ताकि मैं पहले की तरह स्वस्थ हो सकूं। “
उसकी पत्नी एक अच्छे से हॉस्पिटल में उसे इलाज के लिए ले जाती है लेकिन वहां से भी कुछ बेहतर परिणाम नहीं मिलता और फिर वे दोनों वापस गांव लौट आते हैं।
अब उसे बुढ़िया की वह बातें याद आने लगती हैं और कहता है कि सच कहा था बूढ़ी दादी ने… मेरे पास आज बहुत सारा पैसा है लेकिन मेरे किसी काम का नहीं।
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