हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” धोखेबाज दोस्त ” यह एक Hindi Fairy Tales है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Hindi Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Dhokebaaz Dost | Hindi Kahaniya| Moral Story | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales
धोखेबाज दोस्त
रायगढ़ में जग्गी और सोनू नाम के दो दोस्त रहते थे। जग्गी और सोनू का बचपन साथ बीता था और अब दोनों जमींदार के खेतों में साथ साथ खेती करते थे।
दोनों मित्र अपने अपने खेतों पर काम कर रहे थे तभी उनका एक और मित्र गबरू भोजन लेकर आया और दोनों को आवाज लगायी।
गबरू,” अरे भाइयों ! जग्गी सोमू… अरे जल्दी आओ भैया, मैं तुम्हारे लिए भोजन ले आया हूँ। “
दोनों आ गए और खेत में ही जमीन पर बैठ गए।
जग्गी ,” गबरू, तू भी बहुत मदद करता है। “
गबरू,” अरे भैया ! मैं कछुना करूँ। भैया, अब तुमने हमें सहारा दिये हो, अब हम इतना तो कर ही सके हैं, भैया। बाकी कछु और करने लायक तो है ना। “
जग्गी,” अरे ! ऐसा नहीं है गबरू, तुम हमारे मित्र हो भाई। “
गबरू,” हाँ… लेकिन तुम हमारा सहारा भी हो, ये तो सच्ची है। कभी कभी तो हम सोचते हैं कि हमें भी स्कूल जाना चाहिए। “
जग्गी (हंसते हुए),” हां हां। “
गबरू,” हाँ, हंस लो भैया हंस लो है। इसीलिए तो हम स्कूल से भाज आये क्योंकि सब हमाई लंबाई पर हंस रहे। “
जग्गी,” हाँ हाँ, चलो अब तीनों भोजन करते हैं। “
गबरू,” हाँ भैया, ये हुई ना बात। “
जग्गी सोनू और गबरू तीनों भोजन करने लगे। गबरू दोनों को अपनी बातों से हँसा रहा था।
जग्गी,” सुनो यार, मुझे तबियत ठीक नहीं लग रही है। “
सोनू ,” अरे ! कोई बात नहीं भैया, तू आराम कर ले। “
जग्गी,” अरे ! नहीं यार आराम कैसे कर सकता हूँ ? “
गबरू,” अरे यार ! आराम करके तुम हमसे कुछ कहा करो। “
जग्गी,” हाँ गबरू क्योंकि तू बहुत काम करता है ना ? दिन भर इधर से उधर चप्पल तोड़ते हुए घूमते रहता है और लड़कियों को ताडता है। “
गबरू,” ऐ भैया ! तुम भी कुछ भी कह देते हो। अरे ! मैं इतना छोटा हूँ, छोरी देख ही ना पाऊँ, भैया। “
जग्गी,” चल अब तू जा। “
जग्गी ,” सोमू भाई, मैं कर लूँगा काम। “
सोनू,” अरे भाई ! जब तेरी तबियत ठीक नहीं है तो मरना है क्या ? “
जग्गी,” लेकिन आज नराई करना बहुत जरूरी है क्योंकि फिर पानी भी लगाना है। “
सोनू,” अरे ! कोई नहीं, मैं तेरे खेत का भी काम कर लूँगा और गबरू मेरी मदद कर देगा। “
जग्गी ,” बहुत बहुत धन्यवाद ! मित्र हो तो तेरे जैसा भाई। “
जग्गी ने तबियत खराब होने का झूठा बहाना बनाया और फिर खेत में पेड़ के नीचे जाकर सो गया। सोनू और गबरू दोनों काम पर लग गए।
बहुत तेज़ गर्मी थी। फिर भी दोनों अपने मित्र के लिए काम कर रहे थे। शाम को जग्गी सोनू और गबरू के पास गया और कहा।
जग्गी ,” तुम दोनों ने आज बहुत काम किया है। “
गबरू,” अब तुम्हारी तबियत कैसी है, भैया ? “
जग्गी,” मैं बिल्कुल ठीक हूँ। मैं इसलिए तुम्हारे पास आया हूँ कि अब तुम दोनों जाओ और आराम कर लो। “
सोनू,” अरे ! नहीं नहीं, मेरे हिस्से के खेत में थोड़ा सा काम बचा है, मैं ये जरूर करूँगा। “
जग्गी ,” तुम दोनों ने मेरे हिस्से का काम किया इसलिए मैं अब तेरा काम कर रहा हूँ। तुम दोनों जाओ और आराम कर लो। “
सोनू,” नहीं नहीं, इसकी कोई जरूरत नहीं है। “
जग्गी,” अरे ! अब जा भी। “
जग्गी ने सोनू और गबरू को जबरदस्ती भेज दिया। दोनों पेड़ के नीचे जाकर सो गए। जग्गी अकेले बहुत खुश हो रहा था।
जग्गी,” अब आएगा ना मज़ा… जब जमींदार आएगा और ये दोनों सोते हुए मिलेंगे। वाह ! मेरी तारीफ होगी… और बहुत तारीफ होगी। “
जग्गी खेत में सिर्फ दिखाने के लिए काम करने लगा और थोड़ी देर में वहाँ जमींदार आ गया।
जमींदार,” जग्गी, तू अकेला काम कर रहा है। वो दोनों कहाँ है ? “
जग्गी,” वो… वो अभी आ रहे हैं। “
जमींदार,” कहाँ गए है वो ? “
जग्गी,” वो…। “
जमींदार,” क्या हुआ..? तू मुझसे क्या छुपा रहा है बे ? “
जग्गी,” वो दोनों पेड़ के नीचे सोए हुए है। वो सुबह से सोए हुए हैं। मैंने अपने हिस्से का काम कर लिया है और अब मैं सोनू का काम खत्म कर रहा हूँ। “
जमींदार,” अच्छा… अभी सोनू को सबक सीखाता हूँ। तुम अच्छे हो। अपना काम ऐसे ही किया करो, ठीक है। “
जग्गी बहुत खुश हुआ क्योंकि जग्गी ने अपनी गलती को सोनू के ऊपर डाल दिया था। सोनू सीधा साधा लड़का था। जमींदार ने सोनू और गबरू को जगाया।
सोनू,” जमींदार साहब आप..? “
जमींदार,” क्यों बे, कामचोरी कर रहे हो और मैं तुम्हें आकर पकड़ नहीं सकता क्या ? “
गबरू,” जमींदार साहब, सोते हुए चोरी कैसे कर सकते हैं… बताइए ? आप भी कुछ भी बोलते हो ? माना की हम कभी स्कूल नहीं गए लेकिन हम सब समझते हैं, भैया। “
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जमींदार,” नींद से बाहर आओ। तुम्हें आज एक पैसा नहीं मिलेगा और अगर आगे से ऐसा कोई काम किया तो मैं तुम्हें काम से निकाल दूंगा।
तुम्हारे मित्र जग्गी को आज दोहरी दिहाड़ी मिलेगी क्योंकि उसने सारा काम किया है। “
ज़मींदार चला गया।
सोनू,” ये क्या हुआ, मैं कुछ समझा नहीं ? “
गबरू ,” लेकिन मैं समझ गया हूँ, भैया। “
सोनू,” क्या..? “
गबरू ,” यही की जग्गी भैया तुमको फंसा दिए हैं। “
सोनू,” जग्गी बचपन से ही ऐसा है, मुझे फसा देता है। मैं हर बार सोचता हूँ कि अब इसके चंगुल में नहीं आऊंगा लेकिन मैं फिर दुबारा इसकी बातों में आ ही जाता हूँ। “
गबरू,” हाँ लेकिन आगे से नहीं आयेगा। अब देखो जग्गी भैया इधर ही आ रहे है। “
सोनू,” हाँ, ठीक है। “
जग्गी मुस्कुराते हुए आया।
जग्गी,” चलो अब घर चलते हैं। “
सोनू,” हूं…। “
जग्गी,” क्या हुआ..? मुझसे बात नहीं करोगे ? वैसे मैं बता दूँ कि मैंने कुछ नहीं किया है। “
सोनू ,” हूं…। “
तीनों घर वापस चले गए। एक सुबह जग्गी, सोनू और गबरू तीनों जा रहे थे। तभी रायगढ़ के राजा विक्रम सिंह के दो सिपाही आए और बोले।
सिपाही,” तुम सब में सोनू कौन है ? “
गबरू,” अरे ! हम तो गबरू है। सोनू भैया इन दोनों में से कौन से हैं, पता लगाओ ? “
दूसरा सिपाही,” हम सिपाही हैं और तुम हमसे मजाक कर रहे हो। अभी कैद कर लेंगे। “
गबरू,” क्षमा… क्षमा भैया, हमारी जुबान फिसल गई। माफ़ कर दो। “
सोनू ,” जी… मैं सोनू हूँ। मुझे बताइए कि क्या हुआ ? “
सिपाही,” तुम्हारे पास कोई हीरा है ? “
सोनू,” नहीं नहीं, मैं गरीब हूँ। मैं मेहनत मजदूरी करता हूँ। “
दूसरा सिपाही,” हमें तुम्हारी तलाशी लेनी होगी। “
जग्गी,” अरे ! सोनू मेरा मित्र है, बहुत ईमानदार है। इसकी जेब में कुछ नहीं मिल सकता। “
कहकर जग्गी ने सोनू को गले लगा लिया।
सिपाही,” हमें तलाशी लेनी होगी। “
जग्गी ,” हाँ हाँ, कोई नहीं। आप सोनू के साथ साथ मेरी तलाशी भी ले सकते हैं। सोनू चोर नहीं है। “
सिपाहियों ने सोनू की तलाशी ली और सोनू की जेब में हीरा मिल गया।
सिपाही,” आखिर हमारा संदेह सही था। तू ही चोर है। राजदरबार चल। ये राज़ खजाने का बहुत कीमती हीरा है और इसके साथ बहुत सारे हीरे जवाहरात थे जो तुम्हारे पास ही होंगे। “
सोनू,” मैं चोर नहीं हूँ। मैंने ये हीरा नहीं चुराया। “
दूसरा सिपाही,” अच्छा… पकड़े जाने के बाद हर चोर यही कहता है। “
सोनू,” मैं सच कह रहा हूँ। मैंने कुछ नहीं किया है। “
जग्गी,” मुझे तो तुम्हें अपना मित्र कहते हुए शर्म आ रही है। तुम ऐसा करोगे, मैंने सोचा भी नहीं था। मुझे अब तुमसे कोई मतलब नहीं है। तुम चोर हो। “
सिपाहियों ने सोनू की बात नहीं सुनी और उसे पकड़कर ले गए। गबरू की आँखों में आंसू थे लेकिन जग्गी मुस्कुरा रहा था।
गबरू,” आज सोनू भैया को सिपाहियों ने…। “
जग्गी,” तुमने एक कहावत तो सुनी होगी, जैसी करनी वैसी भरनी। “
गबरू,” सोनू भैया ऐसा बिल्कुल भी नहीं कर सकते और हाँ, हम एक और कहावत सुने रहे… जिसकी टोपी उसके सर। “
जग्गी,” अपनी लंबाई के हिसाब से बात किया कर। ठीक है ना..? वरना तुझे भी तेरे भैया के साथ भेज दूंगा। “
जग्गी मुस्कुराते हुए चला गया। गबरू भी अपनी नम आंखें लेकर वहाँ से चला गया। सोनू को राज़ दरबार में पेश किया गया। राजा विक्रम ने सोनू से कहा।
राजा,” तुम देखने में पढ़े लिखे और दयालु लगते हो। तुमने चोरी क्यों की ? “
सोनू,” मैंने चोरी नहीं की। “
राजा ,” राज्य का बेशकीमती हीरा तुम्हारे पास पाया गया है। अब स्वयं बता दो कि तुमने बाकी खज़ाना कहाँ छुपाया है ? “
सोनू,” मैं सच कहता हूँ कि ये हीरा मैंने नहीं चुराया। मेरे पास कुछ भी नहीं है। “
राजा,” इसे कैदखाने में डाल दो। ये इसी लायक है। “
सिपाही सोनू को पकड़कर ले जाने लगे लेकिन तभी पीछे से जमींदार, गबरू और जग्गी आ गए।
जमींदार,” आपके कार्य को बीच में रोकने के लिए मैं क्षमा चाहता हूँ लेकिन असली चोर को मैं पकड़ लाया हूँ। “
रहा,” ये क्या कह रहे हो तुम..? कौन है असली चोर ? “
जमींदार,” जग्गी। “
राजा ,” क्या..? ये कैसे हो सकता है ? जग्गी तो हमारा खबरी है। इसने ही तो सोनू के चोर होने की खबर हमें दी। “
जमींदार,” पहले मैं भी यही समझता था लेकिन अब समझ में आया कि सबको अपनी टोपी पहना देता है।
मुझे जग्गी पर पहले से ही शक था। बस कुछ दिनों से इस पर नजर रख रहा था। “
राजा,” मैं कुछ समझा नहीं। “
जमींदार,” पिछले दिनों जग्गी एक धन की पोटली लिए नगर में जौहरी की तलाश कर रहा था।
मुझे यह मौका सबसे सही लगा। मैं नकली जौहरी का वेश बनाकर उसके सामने आया। “
जमींदार,” अरे बरखुरदार ! इतनी हड़बड़ी में कहाँ भागे जा रहे हो ? “
जग्गी,” श्रीमान ! अभी मैं जल्दी में हूँ, नगर में किसी जौहरी की तलाश में जा रहा हूँ। मुझे कुछ धन बेचना है। “
जग्गी,” नेकी और पूछ पूछ… ये क्या भला प्यासे के पास कुआं चलकर आया है ? मैं भी एक जौहरी हूँ।
अगर तुमको कोई आपत्ति ना हो तो मैं खरीद सकता हूँ तुम्हारा धन। “
जग्गी ने बहुत सारे हीरे जवाहरात ज़मींदार को दिखाए।
जग्गी,” अरे बाप रे ! इतना सारा धन… तुम्हारे पास ये सब कैसे आया ? “
जग्गी,” ऐ ! तुम आम खाओ गुठली मत गिनो। लेना है तो लो वरना मैं चला। “
तभी वहां गबरू आ गया और जमींदार अपने असली रूप में जग्गी के सामने आ गया। जिसे देख जग्गी घबरा गया।
जग्गी,” अरे ! जमींदार साहब आप..? “
जमींदार,” क्यों, भंडाफोड़ हो गया ना ? मुझे तुमसे ये उम्मीद नहीं थी लेकिन अब तुम्हें इसकी सजा तो राजा साहब ही देंगे। “
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ज़मींदार जग्गी को पकड़कर महल की तरफ चल दिया।
राजा,” अच्छा… मुझे अब समझ आया। “
राजा,” सैनिकों, सोनू को छोड़ दो और इस दुष्ट को कैदखाने में डाल दो। “
जग्गी ,” महाराज क्षमा ! मुझे माफ़ कर दीजिये। मुझसे भूल हो गयी। “
राजा,” उसी की सजा है ये। ले जाओ इसे यहाँ से। “
सोनू को छोड़ दिया गया। राजा ने सोमू को बहुत सारा धन दिया और उसे राजदरबार में काम भी दिया।
सोनू और गबरू ने ज़मींदार को धन्यवाद दिया। उसके बाद दोनों अपने घर चले गए और खुशी खुशी रहने लगे।
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