फोन बूथ | Phone Booth | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – फोन बूथ। यह एक Horror Story है। तो अगर आपको भी Daravani Kahaniya, Bhutiya Kahani या Scary Stories in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।

फोन बूथ | Phone Booth | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

Phone Booth | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

फोन बूथ

आज की ये मेरी कहानी एक ऐसी घटना के बारे में है जिसने मुझे हमेशा हमेशा के लिए बदलकर रख दिया। 
आज से ठीक 20 दिन पहले ही लोग मुझे सीनियर इन्स्पेक्टर सुकान्त के नाम से जानते थे। पर आज मैं सिर्फ सुकान्त हूँ और मेरी इस हालत का जिम्मेदार एक फ़ोन कॉल है। 
सुकान्त (फोन पर),” आजकल तू बहुत इंतजार कराने लगी है, क्या हुआ… मैं बोर करने लगा हूँ या और पैसे चाहिए तुझे ? “
मैंने बिस्तर पर लेटे हुए नैन्सी से कहा। नैन्सी अभी कमरे में आई थी। उसकी सांसें तेज और उखड़ी हुई थीं। मानो कोई उसे जान से मारने के लिए उसका पीछा कर रहा हो। “
ये कहानी सुनें 🙂

नैन्सी,” नहीं नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। वैसे भी तुम तो मुझे बाकी कस्टमर से ज्यादा ही देते हो और तुम्हारे साथ मुझे इतनी मेहनत भी नहीं करनी पड़ती। “
नैन्सी ने अपना बैग टेबल के एक कोने में रखा है। मेरे बगल में आकर बैठ गयी। नैन्सी को तेज़ तेज़ सांस लेता देख मेरी वासना की पुकार तेज होने लगी। मैंने तुरंत ही नैन्सी को बांहों में भर लिया। 
सुकान्त,” मेरे साथ खुश भी है और पैसे भी नहीं चाहिए। तो फिर टाइम से क्यों नहीं आती ? कोई बॉयफ्रेंड है क्या ? “
मैंने नैन्सी से पूछा, पर आज उसका ध्यान कहीं और था। मेरे पूछने पर उसने बेमन से कहा। 
नैन्सी,” तुम्हें तो सब पता ही है। सुबह कॉलेज शाम में जोब। अब घर की अकेली हूँ तो सब कुछ मुझे ही संभालना हैं। 
इसलिए कभी कभी कस्टमर्स उठा लेती हूँ। खर्च भी निकल जाता है और घर की जरूरतें भी पूरी हो जाती है। “
नैन्सी अभी बोल ही रही थी की मैंने उसके बदन के कपड़े नोचने शुरू कर दिए कि तभी वायरलेस पर अलर्ट आया। 
अलर्ट,” कमिश्नर साहब राउंड पर आ रहे हैं। “
सुकान्त,” धत् तेरे की। सारे मूड की ऐसी की तैसी हो गयी। “
मैं तुरंत ही अपने कपड़े पहनने लगा। मुझे जल्दी जल्दी कपड़े पहनते देख नैन्सी बोली। 
नैन्सी,”आज भी आधे में ही छोड़कर जा रहे हो। “
सुकान्त,” अरे ! कमिश्नर राउंड पर आ रहा है। चौकी नहीं पहुंचा तो मेरी एफआईआर करा देगा वो। ये रहे तेरे पैसे, जा अब तू भी घर चली जा। “
वायरलेस पर खबर सुनी। मैं अगले 2 मिनट में होटल के कमरे में ही छोड़ चौकी के लिए निकल गया। 
मैं जब पुलिस चौकी पहुंचा तो पता चला कि कमिश्नर का मूड बदल गया था, इसीलिए अब वो नहीं आ रहा था। मैं करता भी क्या..? अपनी किस्मत को कोस रहा था। 
और कुर्सी पर बैठे बैठे नींद के मज़े लेने लगा। रात अब अपने चरम पर आ चुकी थी। 
पुलिस चौकी के चारों तरफ खर्राटों की आवाज गूंजने लगी थी। इसी बीच मैंने किसी बूढ़े शख्स को रोते बिलखते सुना।
सुकान्त,” अरे ! कौन मर गया इसका ? क्यों इसने आधी रात को नाक में दम कर रखा है। हवलदार, ज़रा देखो इसे। “
आधी रात को मैंने हवलदार को उस बूढ़े व्यक्ति को चुप कराने के लिए भेजा तो था लेकिन मुझे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वो सीधा मेरे पास ही चला आएगा।
बूढ़ा,” इन्स्पेक्टर साहब, मेरी बेटी किसी बड़ी मुसीबत है। शायद उसे किसी ने मार दिया है। आप जल्दी कुछ कीजिए, इंस्पेक्टर साहब… इंस्पेक्टर साहब। “
ना चाहते हुए भी मैं उस शख्स की बात सुन नींद से जाग गया। 
सुकान्त,” चाचा, क्यों आधीरात में सबकी नींद हराम कर रहे हो ? शांति से घर जाओ। सो जाओ, हमें भी सोने दो। “
मैंने अभी उस शख्स को अपने पास से जाने को कहा। पर उसने मेरे सामने एक ऐसी तस्वीर रखी जिसे मैं बखूबी जानता था। 
बूढ़ा,” साहब, ये मेरी बेटी है निशा। दिन में कॉलेज जाती है और रात में कॉल सेंटर में जॉब करती है। 
अकेले अपनी पढ़ाई का खर्चा उठाती है और मेरी दवाइयों का भी। रोज़ तो टाइम पर घर आ जाती थी पर आज पता नहीं क्या हो गया। 
ऊपर से वह फ़ोन कॉल… मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा है। “
उस शख्स ने जिस लड़की की फोटो मेरे सामने रखी, उसे मैं नैन्सी के नाम से जानता था। जिससे कुछ घंटे पहले ही होटल के बंद कमरे में मेरी बात हुई थी। 
सुकान्त,” कैसा कॉल..? क्या हुआ है उसे ? ठीक तो है ना ? “

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नैन्सी के पिता की बात सुन मुझे भी किसी अनहोनी का अहसास होने लगा था। 
बूढ़ा,” पता नहीं। साहब, रोज़ जब काम से निकलती हैं तो मुझे फ़ोन करती है। लेकिन आज मुझे फ़ोन किया ये बताने के लिए कि उसे मरने में बहुत खुशी हो रही है। 
उसने कहा कि मैं अपना ध्यान अच्छे से रखूं। अगर आपको मेरी बातों पर यकीन नहीं है तो आप ये कॉल रिकॉर्डिंग सुन लीजिये। “
इतना कहकर नैन्सी के पिता ने अपनी बेटी से हुई आखिरी रिकॉर्डिंग को प्ले कर दिया। 
नैन्सी (रिकॉर्डिंग पर) ,” पापा, मुझे खुशी है, मैं अब मरने जा रही हूँ। आप अपना ख्याल रखियेगा। आपकी प्यारी बेटी निशा…। “
अपनी बेटी की आवाज सुन नैंसी के पिता फिर एक बार फूट फूटकर रोने लगे। पर मैंने जो सुना उसे सुन मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। 
भला कोई मरने के लिए इतना खुश कैसे हो सकता है ? वो भी तब जब उस पर इतनी ज़िम्मेदारियाँ हों। 
जो जिंदा रहने के लिए इतना सब कुछ करती है, भला उसे मरने में इतनी खुशी कैसे मिल सकती है ? ऐसे अनगिनत सवाल मेरी सोच को कुरेद रहे थे। 
जिनका जवाब मुझे हर हाल में जानना था क्योंकि वह नैन्सी ही थी जिसने मुझे मेरी पत्नी के जाने के बाद सम्भाला था। 
मैंने तुरंत ही नैन्सी के पिता से नैन्सी की आखिरी कॉल की डिटेल्स ली और हेडक्वाटर फ़ोन करके बोला। 
सुकान्त,” हैलो… हेडक्वाटर, मैंने अभी तुम्हारे पास एक नंबर भेजा है। मुझे उसकी लास्ट लोकेशन चाहिए, अर्जेन्ट है। “
हैडक्वार्टर से बात किये अभी कुछ ही मिनट हुए थे कि मेरे पास नैन्सी की सारी कॉल डिटेल्स आ गई और उसकी लास्ट लोकेशन भी। 
सुकान्त,” अंकल, आप मेरे साथ चलिए। मुझे नैन्सी की लास्ट लोकेशन मिली है। हमें जरूर कुछ ना कुछ पता चल जायेगा। “
इतना कहकर मैं नैन्सी के पिता को लेकर उस लास्ट लोकेशन तक पहुँच गया। पर मुझे आसपास कोई नहीं दिखा और ना ही मुझे सुबूत का एक तिनका मिला, जिसके सहारे मैं अपनी तहकीकात को बढ़ा पाता। “
अचानक ही मुझे एक स्ट्रीट लाइट पर एक सीसीटीवी कैमरा दिखा, जिसे देख मुझे समझ आ गया कि मुझे यहाँ क्या करना है। मैंने तुरंत ही अपना फ़ोन निकाला और हवलदार से बात करने लगा। 
सुकान्त,” हवलदार सुनो… एक सीसीटीवी की फुटेज चाहिए। मैं तुम्हें अभी एक लोकेशन भेजता हूँ। 
तुम 2-3 घंटे पहले की जितनी भी फुटेज रिकॉर्ड हुई है, वो सब मेरे फ़ोन पे ट्रांसफर कर दो। “
मैंने फ़ोन काट दिया और जल्दी ही मेरे पास सीसीटीवी कैमरे की सारी रिकॉर्डिंग भी आ गई। 
सुकान्त,” ये देखिये अंकल… आपकी बेटी निशा। यह शायद आपको ही फ़ोन कर रही है। लगता है निशा का फ़ोन ऑफ हो गया। “
मैं अभी फुटेज देख ही रहा था कि अचानक से मैंने देखा स्क्रीन एक पल को ब्लर हो गयी और एक फोन बूथ अचानक से नैन्सी के पीछे खड़ा दिखा, जिसे देख मैं और नैन्सी के पिता दोनों डर गए। 
सुकान्त,” ये क्या..? ये तो यहां नहीं था। “
मैंने चौंकते हुए अंकल से कहा। अंकल भी मेरे साथ सीसीटीवी फुटेज देख रहे थे। 
सच कहूँ तो मुझे वह फोन बूथ जाना पहचाना लगा। लेकिन इससे पहले मैं कुछ सोच पाता, नैन्सी के पिता ने चिल्लाते हुए कहा। 
नैन्सी के पिता,” अचानक से ये पीसीओ बूथ कहाँ से आया ? मतलब इसी ने मेरी बेटी की जान ली है। 
साहब, इस बूथ को जला दीजिये, वरना ये बहुतों को मौत के घाट उतार देगा। “
सुकान्त,” अंकल, आप ये क्या कह रहे हैं ? एक पीसीओ बूथ कैसे किसी की जान ले सकता है ? 
मुझे तो लगता है कि इसके पीछे किसी गैंग का हाथ है। “
नैन्सी के पिता,” इन्स्पेक्टर साहब, मैं ये सब इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि यह पीसीओ बूथ मेरा ही हुआ करता था। अब 15 साल बाद ये मुझसे बदला लेने आया है। “
नैन्सी के पिता की बातें मेरी समझ से परे थीं। मुझे उनका कहा कुछ समझ नहीं आ रहा था। 
सुकान्त,” अंकल, साफ साफ बताओ बात क्या है ? और इस पीसीओ बूथ से आप का क्या कनेक्शन है ? “
मेरी बात सुन नैन्सी के पिता कुछ सोचते हुए बोले। 
नैन्सी के पिता,” साहब, आज से 15 साल पहले मैं इसी शहर के बाहर एक पीसीओ बूथ चलाता था। आस पास के सब लोग मेरे बूथ पर ही बात करने आते थे। 
फिर एक दिन एमएलए का बेटा किसी लड़की को अगवा कर मेरे बूथ पर ले आया और उसे बेहोश कर मेरे बूथ में छिपा दिया। कुछ समय बाद जब मामला चारों तरफ फैल गया तो एमएलए और उसके दोस्तों ने बूथ समेत उस लड़की को भी जिंदा जला दिया। 
मुझे ढेर सारे पैसे देकर कहीं दूर जाने को कहा। वरना वो मेरा भी वही हाल करते हैं जो उन्होंने उस लड़की का किया था। 
इन्स्पेक्टर जॉब, मैं डर गया था। वो लोग मेरे साथ मेरी बेटी निशा को भी मारने की धमकी दे रहे थे। मैं मजबूर था इन्स्पेक्टर साहब। 

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अगर मुझे पता होता कि मेरा 15 साल पुराना अतीत मेरी बेटी को खा जाएगा तो मैं उसी वक्त कानून का गवाह बन जाता और उन मुजरिमों को सजा दिलवाता। 
निशा के पिता से पीसीओ बूथ की सारी कहानी जान मैं दंग रह गया। 
सुकान्त,” तो क्या वो गुनेगार आज तक आजाद घूम रहे हैं ? “
निशा के पिता,” पता नहीं। लोगों का कहना था कि वह एक एक करके गायब होने लगे। लेकिन अब मुझे सारी बात समझ आने लगी है। 
उन सबको इसी पीसीओ ने मारा है और जिस इंस्पेक्टर ने उस केस को बंद किया था, वो शायद आज भी जिंदा है। “
मैं अभी इस पूरी वारदात के बारे में सोच ही रहा था कि तभी निशा के पिता ने बुदबुदाते हुए कहा।
निशा के पिता,” उस लड़की के बाप का क्या हाल हुआ होगा? कहीं वो आज भी तो अपनी बेटी को नहीं ढूंढ रहा ? ” 
निशा के पिता बोल ही रहे थे कि मैंने उनकी बात सुन ली और तुरंत उनसे पूछा।
 सुकान्त,” कौनसा पिता ? आप किसकी बात कर रहे हैं ? “
निशा के पिता,” इन्स्पेक्टर साहब, जिस लड़की को मेरे बूथ में जिंदा जलाया गया था। उसका पिता आज भी अपनी बेटी को ढूंढ रहा है। 
वो बेचारा तो पागल भी हो गया था‌। हर किसी को अपना नंबर देता रहता था। 
बोलता था अगर किसी को उसकी बेटी का पता चले तो उसे फ़ोन करके बता दे। लेकिन आज तक किसी ने उसे एक फ़ोन तक नहीं किया। “
सुकान्त,” मैं जाऊंगा अंकल। एक बाप तक उसकी बेटी का आखिरी मैसेज मैं पहुँचाऊंगा। “
निशा के पिता,” पर बेटा, तुम्हारी जान को खतरा है। उस लड़की की आत्मा अभी भी अपने बदले की आग में जल रही है। वह तुम्हें जिंदा नहीं छोड़ेगी। “
निशा के पिता ने मुझे रोकने की बहुत कोशिश की। पर मैंने उनकी एक नहीं सुनी और अपना फ़ोन ऑफ करो मैं भी सुनसान रास्ते पर अकेला चलने लगा। 
और जैसा कि मैंने सीसीटीवी फुटेज में देखा था… फ़ोन ऑफ होते ही बूथ ठीक मेरे पीछे खड़ा था। 
मैं अपनी हिम्मत बांध अंदर चला तो गया। लेकिन वहाँ से जिंदा कैसे निकलना था, यह मैं नहीं जानता था। मैं जैसे ही पीसीओ बूथ के अंदर गया, मेरी बाहर की हड्डियाँ अकडने लगी। 
मेरे चारों तरफ़ काली शक्तियां मंडराने लगीं थीं। तभी एक आवाज आयी।
आवाज,” फ़ोन उठा और किसी अपने को फोन कर और बोल कि तुझे आज मरने में बहुत खुशी हो रही है। बोल जल्दी। “
यहांं मैं काली शक्तियों से लड़ने में लगा था, उतनी देर में वो काली शक्तियां मेरे जिस्म से मास का लोथड़ा अलग कर देतीं। 
सुकान्त,” ठीक है। तुम जैसा बोलोगी, मैं वैसा करने के लिए तैयार हूँ। “
मैंने उन काली शक्तिओं से कहा जिसे सुन वो थोड़ी शांत हो गयीं। मैंने भी याद किया हुआ नम्बर तुरंत डायल कर दिया। 
सुकान्त,” हैलो..! “
मैंने फ़ोन पर अभी इतना ही कहा था कि इतने में वो काली शक्तियां मेरे अंदर घुस गईं। 
दिव्या ( सुकान्त के शरीर में),” पापा, मैं दिव्या बोल रही हूँ। आप कैसे हैं ? “
पिता,” दिव्या तुम… तुमको तो मैं पिछले 15 साल से ढूंढ रहा हूँ। कहाँ है तू मेरी बेटी ? “
दिव्या,” पापा, मैं मर चुकी हूँ। मुझे तो 15 साल पहले ही एमएलए और उसके दोस्तों ने बूथ के साथ ही जला दिया था। 
पर मैंने अपना बदला ले लिया है पापा। मैंने उस एमएलए के बेटे के साथ साथ उसके दोस्तों को भी मौत के घाट उतार दिया है। 
बस वो इन्स्पेक्टर बाकी है जिसने मेरी केस की फाइल को क्लोज़ कर दिया था और अब मैं उससे भी मरने जा रही हूँ पापा। “
दिव्या जिस इन्स्पेक्टर की बात कर रही थी, वो इन्स्पेक्टर में ही था। और मैंने ही उसका केस क्लोज़ किया था। 
दिव्या की आत्मा ने मेरे शरीर पर कब्जा कर अपने पापा से बात कर रही थी। दिव्या की बात सुन उसके पापा ने कहा। 
पिता,” बेटी, ऐसा मत कर। मैं मानता हूँ तेरे साथ जो हुआ वो सरासर गलत था। पर इसे इंसाफ नहीं, बदला लेना बोलते हैं। 
दिव्या, मैं अभी जिंदा हूँ बेटी। मैं इंसाफ दिला दूंगा तुझे। तू बस उस इन्स्पेक्टर को छोड़ दे। 
भगवान उसके साथ इन्साफ जरूर करेगा। बस एक आखिरी बार अपने पापा के गले लग जा। “
दिव्या के पापा ने दिव्या से कहा ही था कि तभी मुझे अपने पीछे कुछ महसूस हुआ। मैंने जब पीछे मुड़कर देखा तो फ़ोन बूथ के दरवाजे पर नैंसी के पापा अपने हाथ में फ़ोन लिए दिव्या से बातें कर रहे हैं, जिसकी आत्मा मेरे अंदर थी। 
मैं इससे पहले कुछ समझ पाता, मेरे अंदर से दिव्या की आत्मा निकली और अपने पिता से गले आ मिली। दोनों इतने सालों बाद खूब दिल खोल कर रोए थे। 
एक बेटी और बाप के प्यार का ये रूप मैंने पहली बार देखा था। मरने के बाद भी एक बाप अपनी बेटी से उतना ही प्यार करता था। 
दिव्या की आत्मा ने जब मेरा जिस्म छोड़ा तो उस वक्त मैं निढाल होकर फ़ोन बूथ में रोने लगा था। मुझे मेरी गलती का अहसास हो चुका था और ये भी कि नैन्सी, निशा और दिव्या एक ही लड़की थी।

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और नैन्सी के साथ गुजरी हर एक रात मेरा वहमभर था और कुछ नहीं। उसी पल मैंने ठान लिया कि वो रात पुलिस की नौकरी में मेरी आखिरी रात होगी। 
उसके बाद मैंने खुद ही नौकरी छोड़ अपना जुर्म कबूल कर लिया। आज मैं अपने पापों की सजा काट रहा हूँ। 
मैंने जो जुर्म अनजाने में किया, उसके लिए भगवान तो मुझे कभी माफ़ नहीं कर सकता। पर कम से कम मैं अपनी नजर में तो बेगुनाह रहूंगा। 
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