फौजी बहू से धोखा | Fauji Bahu Se Dhokha | Saas Bahu| Moral Stories | Saas Bahu Ki Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “ फौजी बहू से धोखा ” यह एक Saas Bahu Ki Kahani है। अगर आपको Hindi Kahani, Moral Story in Hindi या Bedtime Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
फौजी बहू से धोखा | Fauji Bahu Se Dhokha | Saas Bahu| Moral Stories | Saas Bahu Ki Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories

Fauji Bahu Se Dhokha | Saas Bahu| Moral Stories | Saas Bahu Ki Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories

 फौजी बहू से धोखा 

नीरू एक फौजी थी। उसकी शादी 2 साल पहले ही राकेश से हुई थी। नीरू की मुलाकात राकेश से एक पार्टी में हुई थी। 
फिर धीरे धीरे दोनों की फ़ोन पर बातें शुरू हुई और दोस्ती, प्यार फिर शादी में बदल गयी। 
नीरू फौज में थी तो अक्सर बॉर्डर पर ही तैनात रहती थी। इसलिए वो छुट्टियों में ही अपने घर रहने आती थी।
पर पिछले एक साल से वो अपने ससुराल नहीं जा पाई थी। सिर्फ अपने मायके में ही रहने आ जाती थी।
राकेश,” अरे नीरू ! मैं तो खुद तुमसे मिलने के लिए बेताब हो रहा हूं, पर क्या करूँ ? माँ के साथ मौसी जी के घर जाना ज़रूरी है। “
सास,” हैलो नीरू बेटा ! कैसी हो ? “
नीरू,” मैं ठीक हूँ माजी, बस छुट्टियाँ हो गयी है तो सोच रही थी इस बार आप सबके साथ रहूंगी। 
पिछली बार आप राकेश के साथ तीर्थयात्रा पर चली गई थी। इसलिए मेरी सारी छुट्टियाँ माँ के घर पर ही बीती। “
सास,” क्या करे बेटा ? सरिता दीदी का बहुत भारी ऐक्सिडेंट हो गया था। हमें कुछ दिन वही रहना होगा। उनका हमारे सिवा कोई नहीं। 
तुम इस बार माँ के घर रह लो फिर बीच में जब तुम दुबारा छुट्टियों में आओगी ना, तब हम मिलकर कहीं घूमने चलेंगें । “
नीरू,” ठीक है माजी, मैं माँ के घर चली जाऊंगी। नीरू इस बार भी छुट्टियों में अपनी माँ के घर रहने आ जाती है। 
मां,” नीरु, पिछले एक साल से तू अपने पति और सास से नहीं मिली। पता नहीं घबराहट होती है, सब ठीक हो तेरे साथ। “
नीरू,” माँ, तुम किस चिंता में पड़ गई ? अभी कुछ देर पहले ही तो मेरी राकेश जी से और माँ जी से बात हुई है। विडीओ कॉलिंग की थी उन्होंने। 
वो मौसी जी के साथ हॉस्पिटल में थे। वहाँ नेटवर्क नहीं आते इसलिए रोड पर आकर बात कर रहे थे। “
मां,” भगवान करे सब ठीक ही हो। “
नीरू,” मां, क्या बात है, रूपा आजकल दिखाई नहीं दे रही ? उसके घर के बाहर भी ताला लगा हुआ है। “
मां,” कोई कह रहा था कि रूपा ने दिल्ली में किसी बड़े रईस से शादी कर ली है और उसके माता पिता भी यहाँ नहीं रहते। वो भी रूपा के साथ दिल्ली में रहते हैं। “
नीरू,” अच्छा… रूपा ने शादी कर ली और मुझे बताया तक नहीं। चलो… हो सकता है जल्दी में शादी कर ली होगी ? कोई नहीं, अच्छा है। “
नीरू,” मां, मैं सोच रही थी तुम और मैं बाज़ार चलते हैं, कुछ जरूरी सामान खरीदकर लाना है। “
नीरू अपनी माँ के साथ बाजार चली जाती है। बाजार में एक अपाहिज लड़की किसी पत्थर से ठोकर खाकर गिर जाती है और उसके हाथ से सामान की थैली गिर जाती है। 
नीरू,” अरे ! संभलकर बहन, रुको मैं तुम्हारा सामान उठा देती हूँ। “
अपाहिज लड़की,” शुक्रिया बहन ! “
नीरू,” तुम्हारे पैर में तो चोट लग गयी है, आओ मैं तुम्हें घर छोड़ देती हूँ। “
मां,” नीरू, तू इस बच्ची को घर छोड़कर आ, मैं घर चली जाती हूँ। “
नीरू,” ठीक है मां। “
रास्ते में…
अपाहिज लड़की,” आज के जमाने में इतने भले लोग कहाँ मिलते हैं जो किसी की मदद करें ? “
नीरू,” मैं एक फौजी हूँ इसलिए मदद करना तो मेरा पहला धर्म है। “
अपाहिज लड़की,” अच्छा तो आप फौजी हो ? आपका क्या नाम है ? “

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नीरू,” मेरा नाम नीरु है और तुम्हारा..? “
अपाहिज लड़की,” मेरा नाम रेखा है। मेरा घर आ गया। अब मैं आपको अपनी माँ से मिलवाती हूँ। “
रेखा नीरू को अपनी माँ से मिलवाती है। वो भी नीरू से मिलकर बहुत खुश होती है। 
रेखा की मां,” बहुत ही भले लोग हैं। माँ और बेटा, दोनों ने मेरी रेखा को पसंद किया। लड़का तो इतना शरीफ है कि पूछो मत और रेखा हमारी इकलौती औलाद है। 
इसके पापा और मैं चाहते है कि इसकी शादी धूमधाम से करें। हमारे पास भी पैसों की कोई कमी नहीं है। हमारे बाद सब कुछ हमारी रेखा का ही है। “
नीरू,” सचमुच बहुत नेकदिल हैं वो लोग… फिर तो मैं तुम्हारे होने वाले पति की फोटो देखना चाहूंगी। “
रेखा,” यहाँ रुको, मैं अपनी सगाई की ऐल्बम लेकर आती हूँ। “
रेखा अपनी सगाई की ऐल्बम लेकर आती हैं। 
रेखा,” ये हैं मेरे पति, अशोक जी और ये मेरी सास। “
नीरू,” राकेश… तुम्हारा होने वाला पति, ये कैसे हो सकता है ? ये अशोक नहीं, मेरे पति राकेश है। “
रेखा,” क्या..? ये तुम क्या कह रही हो ? “
नीरू,” मैं सच कह रही हूँ। “मेरा दिमाग कुछ काम नहीं कर रहा है। सब कुछ गडबड है। मेरे ससुराल वाले मेरे से धोखा कर रहे हैं। मेरे होते हुए राकेश अशोक बनकर तुमसे दूसरी शादी कर रहे हैं। “
रेखा की मां,” बेटी, अब हम क्या करें ? अगले हफ्ते रेखा की शादी है। “
रेखा के पिता,” मैं तो कहता हूँ उन माँ बेटों को पुलिस के हवाले कर दो। हमारी बेटी के साथ उन्होंने गलत किया है। “
नीरू,” नहीं, हम राकेश और उसकी माँ को रंगेहाथ पकड़ेंगे। बस आपको मेरा साथ देना होगा। मैं नहीं चाहती कि मेरा घर बर्बाद हुआ है तो किसी और का भी हो। “
नीरू की आँखों में आंसू थे, पर वो एक फौजी थी। अपने दुख को मन में दबा ना जानती थीं। नीरू अपनी आँखों से आंसू टपकने नहीं देती। 
उसे तो बस उन धोखेबाज माँ बेटे को पकड़ना था। शादी का मंडप सज चुका था। रेखा दुल्हन बनी अशोक और उसकी माँ का इंतजार कर रही थी।
नीरू राकेश को फ़ोन मिलाती है। 
नीरू,” राकेश, कहाँ पर हो ? मैंने सोचा मेरी छुट्टी खत्म हो रही है तो एक बार अगर हम मिल लेते, क्या आप लौट आए हो ? “
राकेश,” अरे ! कहां नीरू..? मुझे तो सच में खुद बुरा लग रहा है। मौसी जी की हालत में कोई सुधार नहीं है। 
माँ और मैं सारा दिन उनके साथ हॉस्पिटल में ही रहते हैं। तुम समझ सकती हो ना ? “
नीरू,” हां, मैं सब समझ गयी। ठीक है, मैं रखती हूँ। “
नीरू से झूठ बोलकर दोनों माँ बेटे तैयार होकर बारात के साथ रेखा के घर पहुंचते। रूपा भी उनके साथ थी।
नीरू चोरी छुपे सब देख रही थी। रेखा के माता पिता उसे मंडप में लाते हैं। 
राकेश की मां,” बहन जी, वो गहनों के डिब्बे और नकद रुपए सब तैयार है ना ? “
नीरू कमरे से बाहर आ जाती है।
नीरू,” गहने तो नहीं, हथकड़ी तुम सबके लिए तैयार है। “
राकेश की मां,” नीरू… तु तु तुम ? “
नीरू,” हाँ मैं, तुम दोनों मेरी पीठ पीछे पिछले एक साल से ये झूठ का जाल बुन रहे हो। मेरे होते हुए तुम दूसरी शादी करने जा रहे हो। “
नीरू,” एक सेकंड रूपा… तुमने राकेश के बड़े भाई से कब शादी की ? राकेश का तो कोई बड़ा भाई है ही नहीं। “
रूपा,” नीरू, राकेश मेरे पति हैं। हमने एक साल पहले ही शादी की है। “
नीरू,” इतना बड़ा धोखा। “
इतने में पुलिस आ जाती है।
पुलिस,” नीरू मैडम, इन सबसे कैसा सच्चाई उगलवानी है, ये हम अच्छी तरह से जानते हैं ? आप इन्हें हमारे हवाले कर दो। “
राकेश और उसकी माँ को पुलिस हिरासत में ले लेती है और सच्चाई सामने आती है। 
राकेश,” नीरू,तुम बॉर्डर पर रहती थी। रूपा घर आया जाया करती थी। इसीलिए रूपा और मेरे बीच रिश्ते बन गए और हमने शादी कर ली। 
पर हमें अमीर बनना था इसलिए हमने रेखा को फंसाया ताकि उसे मारकर हम उसकी सारी जायदाद लेकर यहाँ से फरार हो जाएंगे। 
पर हमें नहीं पता था कि तुम्हारी मुलाकात हमसे होगी और हम पकड़े जाएंगे। “
नीरू रूपा को कस के जोरदार चांटा लगाती है। उसकी अपनी सहेली ने ही उसके साथ धोखा किया था। 
पुलिस राकेश उसकी माँ और रूपा को धोखाधड़ी करने के इल्ज़ाम में सजा सुनाती।
नीरू एक फौजी थी। उसने जुल्म सहना नहीं सीखा था, वो तो जुल्म के खिलाफ़ लड़ना जानती थी और उसने वही किया। 
उसने धोखेबाजों को सजा दिलवा दी। उसके कारण रेखा की जिंदगी बर्बाद होने से बच गई। 
नीरू अपने माता पिता से विदा लेकर वापस ड्यूटी पर चली जाती है और अपना पूरा जीवन देश की सेवा में न्योछावर कर देती है।

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 बहू की अदला बदली 

एक गांव में कुसुम अपने तीन बेटे मोहन, महेश और मदन के साथ रहती थी। 
मोहन, महेश और मदन तीनों की अपनी अपनी गर्लफ्रेंड थी जिनका नाम था मोहिनी, मीरा और मीशा। 
तीनों एक दिन सबसे छुपकर अपनी अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने जाते हैं। पर इत्तेफ़ाक से तीनों अपनी अपनी गर्लफ्रेंड के साथ एक ही होटल में पहुँच जाते हैं। 
जहाँ मोहन अपनी गर्लफ्रेंड मोहिनी के साथ कॉफी पी रहा होता है तो वहीं दूसरी ओर महेश अपनी गर्लफ्रेंड मीरा के साथ वेटर को ऑर्डर दे रहा होता है। 
तभी वहाँ पर मदन अपनी गर्लफ्रेंड मीशा के साथ उसी होटेल में आ जाता है। होटल में आते ही मदन मोहन को देख लेता है और वहीं मोहन, महेश और मदन को देख लेता है। 
और वो तीनों एक दूसरे को देखकर एक दूसरे से छुपने की कोशिश करते हैं।
ये देखकर उन तीनो की गर्लफ्रेंड उनसे सवाल करती है।
मोहन की गर्लफ्रेंड,” क्या हुआ बेबी ? तुम इस तरह अपना मुँह क्यों छुपा रहे हो ? “
मोहन,” अगर मैंने मुँह नहीं छुपाया तो राज़ खुल जाएंगे। “
महेश की गर्लफ्रेंड,” जान, तुम पर्दे से अपना मुँह क्यों छुपा रहे हो ? “
महेश,” परदे में ही रहने दो, परदा ना उठाओ। परदा जो उठ गया तो भेद खुल जाएगा। “
महेश की गर्लफ्रेंड,” कैसी बातें कर रहे हो ? आखिर हुआ क्या है ? “
मदन की गर्लफ्रेंड,” अरे शोना ! तुम टेबल के नीचे क्या कर रहे हो ? चलो बाहर निकलो, किससे छुपने की कोशिश कर रहे हो ? “
मदन,” अरे ! यमराज से बचने की कोशिश कर रहा है तुम्हारा शोना। “
मदन की गर्लफ्रेंड,” यमराज..? कहां हैं यमराज, मुझे तो नहीं दिख रहा है ? “
इसी तरह से तीनों एक दूसरे से बचने की कोशिश करते हैं और मौका देखते ही होटेल के अलग अलग दरवाजे से अपनी गर्लफ्रेंड के साथ बाहर निकल आते हैं। लेकिन बाहर आते ही तीनों एक दूसरे के सामने आ जाते हैं। 
तभी मोहिनी बहुत ज़्यादा खुशी से बोलती है। 
मोहिनी,” अरे ! तुम दोनों यहाँ..? आई एम सो हैप्पी, हम कितने दिनों बाद मिल रहे हैं। “
मोहिनी (सभी को परिचय कराती हुई),” हम तीनों बचपन की दोस्त हैं और ये मेरा बॉयफ्रेंड है। “
मोहन,” तुम तीनों फ्रेंड्स हो ? “
मोहिनी,” हां, क्यों..? आप दोनों भी एक दूसरे को जानते हो क्या ? “
मोहन,” हाँ, बहुत अच्छे से जानते हैं।
मोहिनी,” आप तीनो भी फ्रेंड्स हो क्या ? “
मोहन,” हम तीनों एक दूसरे को बहुत अच्छे से जानते हैं क्योंकि हम तीनो भाई हैं। “
यह सुनकर मीरा, मीशा और मोहिनी तीनों ही चौंक जाती हैं और वहाँ से जाने लगती हैं। लेकिन तभी कुसुम उन सभी को देख लेती है और वो उनके बारे में सारी जानकारी निकालती है। 
उसके बाद पंडित जी को उनके रिश्ते के बारे में बात करने को कहती है। 
ऐसे ही एक दिन जब उसके तीनों बेटे घर आते हैं।
तो वो उनकी ही गर्लफ्रेंड की फोटो दिखाकर उन तीनों से कहती है।
कुसुम,” ये देखो… मैंने तुम्हारे रिश्ते के लिए कुछ तस्वीरें पसंद की है। जल्दी से पसंद करके बताओ कि किसे कौन सी पसंद है ? “
तीनों (गर्लफ्रेंड की फोटो चुनते हुए),” हमे ये पसंद है। “
कुसुम,” मुझे सब पता है। तभी तो मैंने तुम्हारी पसंद को पसंद किया है। और तुम्हें क्या लगता है कि मुझे कुछ पता नहीं चलेगा ? अरे ! मैं माँ हूं तुम्हारी, मुझसे कुछ नहीं छुपा पाओगे। “
तीनों फोटो देखकर बहुत ज्यादा खुश हो जाते हैं और अपनी अपनी गर्लफ्रेंड्स पसंद कर लेते हैं। 
कुसुम तीनों के घर जाकर उनका रिश्ता पक्का कर देती है और शादी का शुभ मुहूर्त निकलवा लेती है। 
शादी वाले दिन तीनों दुल्हन सज संवरकर आती हैं जहाँ उन तीनों की माँ बोनी, मोती और माया अपनी अपनी बेटियों को एक बात समझाती है।
बोनी,” देख मेरी बच्ची, अब से यही तेरा असली घर है। इसे अच्छे से संभालना, कहीं भी कोई कमी मत आने देना। “
मोटी,” लाडो सुन, पति परमेश्वर होता है। तुम हमेशा उसकी पूजा करना, उसे खुश रखना और अपने ससुराल वालों को भी। किसी भी चीज़ की कमी मत होने देना। ससुराल वालों का पूरा ध्यान रखना। “
माया,” तुम्हारा पति जो भी हो, जैसा भी हो, अब उसकी और उसके घरवालों की सारी जिम्मेदारी तुम्हें उठानी होगी। “
मीशा,” हम समझ गए माँ, आप चिंता ना करें। मैं कभी आपको शिकायत का मौका नहीं दूंगी। “
मीरा,” मैं भी अपने ससुराल में सभी का अच्छे से ख्याल रखूंगी। आप निश्चिंत रहो, माँ। मैं सब अच्छे से संभाल लूंगी। “
तीनों माँ अपनी बेटियों को अच्छे से समझाकर, घूंघट करवाकर मंडप में ले जाती है जहाँ पर वो तीनो भाई सेहरा बांधकर अपनी अपनी दुल्हन का इंतजार कर रहे होते हैं। 
क्योंकि तीनों दूल्हे और दुल्हनों के कपड़े एक जैसे होते है जिस वजह से मंडप में सब कुछ झोलमाल हो जाता है। 
इसकी वजह से मोहन की शादी मीरा से,महेश की मीशा से और मदन की शादी मोहिनी से हो जाती है।
शादी के बाद जब तीनों एक दूसरे के चेहरे देखते हैं तो उनके तोते उड़ जाते हैं। लेकिन वह तीनों समाज में अपनी और अपने परिवार की इज्जत बचाने के लिए कुछ भी नहीं बोलते और चुपचाप बैठे रहते हैं। 

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सभी मेहमानों के जाने के बाद तीनों अपने अपने कमरे में अपनी अपनी पत्नियों के पास जाते हैं।
मोहन,” तुम सिर्फ मेरी हो, मोहिनी। “
मोहिनी,” नहीं, अब मैं तुम्हारी पत्नी नहीं हूँ। मैं मदन की पत्नी हूँ और मैंने उन्हें अपने पति के रूप में स्वीकार कर लिया है। “
महेश,” मैं बस तुम्हारा हूँ और तुम मेरी। “
मीरा,” पर अब मैं तुम्हारी नहीं हूँ। जाने अनजाने में ही सही, पर अब मेरा सुहाग कोई और है। “
तीनों लड़कियां एक अच्छी बहू की तरह घर की सारी जिम्मेदारियां अच्छे से उठा लेती है और अपने अपने पतियों का पूरा ख्याल रखती है। एक दिन उन तीनों के पति उनसे कहते हैं।
तीनों भाई,” तुम लोगों को बीवी होने का फर्ज निभाना है तो निभाओ, पर हमसे कोई उम्मीद मत रखना। “
मोहिनी,” तो आप क्या चाहते हैं, हम तीनों एक दूसरे की सौतन बन कर रहे ? “
मीरा,” मैं सब बर्दाश्त कर सकती हूँ, पर शौतन नहीं। “
मीशा,” मैं भी ना किसी की सौतन बनना चाहती हूँ और ना किसी को बनने दूंगी। “
महेश,” जो समझना है समझो, पर हम अपनी बीवियों को अपनी बीवी नहीं मानते। हमारी गर्लफ्रेंड ही हमारे लिए बीवी है और कोई नहीं। “
मीरा,” अरे ! कैसे बेटे हैं आप ? आपको सिर्फ अपना प्यार दिख रहा है अपनी माँ का नहीं। 
हम तीनो जिसकी पत्नी बनी हैं हम उन्हीं की पत्नी बने रहेंगे। हम कभी भी एक दूसरे की शौतन नहीं बनेंगे। “
इस तरह वो तीनों एक दूसरे की सौतन बनने से मना कर देती हैं। लेकिन समय के साथ साथ तीनों अपने अपने पतियों को अपना लेती है। 
वो तीनो भाई अपनी अपनी बीवियों को नहीं अपना पाते जिसकी वजह से उन्हें बहुत ज्यादा दिक्कत होती है। 
कुछ समय यूं ही बीत जाता है पर तीनो भाई एक दूसरे से दूर रहना शुरू कर देते हैं। 
मोहन,” दूर रह, मुझसे अपनी शक्ल मत दिखाना। “
मदन,” अगर आपकी गर्लफ्रेंड अब मेरी बीवी है तो ये मत भूलिए, मेरी गर्लफ्रेंड भी महेश भैया की बीवी है। हम तीनों एक ही दर्द से गुजर रहे। “
तीनों भाइयों के बीच में नफरत की दीवार खड़ी होने लगती हैं। अपने बच्चों को इस तरह नाखुश देखकर कुसुम को अपनी गलती का अहसास होता है और वो उन तीनों से माफी मांगते हुए कहती है। 
कुसुम,” बेटा, अपनी माँ को माफ़ कर दो। अगर उस दिन मैंने थोड़ा ध्यान दिया होता तो आज ये दिन न देखना पड़ता। मेरे हाथों से छः जिन्दगियां बर्बाद ना होती। 
पर मुझे खुशी इस बात की है कि मेरी बहू ने मेरी बेटी बनकर इस घर की इज्जत को संभाल लिया और दुख इस बात का है कि मेरे बेटे अपने होकर भी पराए बन गए। 
भाई होकर एक दूसरे के दुश्मन बन गए हैं। अरे ! जब शादी हो ही गयी है तो इसे अपनाने में ही भलाई है। लड़ाई में क्या रखा है ? अपने ही होकर अपनों से लड़ोगे ? “
मोहिनी,” माँ जी सही कह रही है, लड़ाई में कुछ नहीं रखा। “
अपनी माँ की बात सुनकर उन तीनों लड़कों को अपनी गलती का अहसास हो जाता है और वो उनसे माफी मांगते हैं। 
साथ ही अपनी अपनी पत्नियों को दिल से स्वीकार करते हैं। कुछ समय बाद वो तीनों अपनी पत्नी के साथ हनीमून के लिए गोवा जाते हैं और अपनी अपनी जिंदगी में खुशी से रहने लगते हैं।
आज की ये ख़ास और मज़ेदार कहानी आपको कैसी लगी ? नीचे Cooment में जरूर बताएं।

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