बदमाश पति | Badmash Pati | Hindi Kahaniya| Moral Stories in Hindi | Bed Time Story | Hindi Fairy Tales

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” बदमाश पति ” यह Pati Patni Ki Kahani है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Majedar Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
बदमाश पति | Badmash Pati | Hindi Kahaniya| Moral Stories in Hindi | Bed Time Story | Hindi Fairy Tales

Badmash Pati | Hindi Kahaniya| Moral Stories in Hindi | Bed Time Story | Hindi Fairy Tales

 बदमाश पति 

एक गांव था धनकपुर। इस गांव में भारती नाम की एक महिला अपने पति मजनू के साथ रहती थी। मजनू सुबह काम पर जाता और शाम को लौटता था। 
मजनू,” तुम आजकल घर पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही हो। “
भारती,” अगर ध्यान नहीं देती होती तो सब कुछ अपने हाथ से करना पड़ता। इस तरह बैठकर भाषण नहीं दे रहे होते। “
मजनू,” कल जो ₹50 दिये थे, दो कुछ जरूरी काम है। “
भारती,” मेरे पास नहीं है। “
मजनू,” कहां गए? कल ही तो दिए थे। “
भारती,” सब्जियां लेकर आई हूं। सप्ताह भर की सब्जियां एक साथ लेकर आई हूं। “
मजनू,” क्या तुम पागल हो गई हो। इतनी सारी सब्जियां एक साथ लाने की क्या जरूरत थी ? मुझे तो एक कटोरी भर कर भी सब्जी नहीं देती तो इतनी सब्जी का क्या करोगी ? “
भारती,” अगर आपको सब्जी नहीं देती तो क्या मैं खुद खा जाती हूं। यह जो तुम्हारी तोंद है ना, वह ऐसे नहीं बढ़ रही। “
मजनू,” देखो मेरे पेट के बारे में कुछ भी मत कहा करो नहीं तो… “
भारती,” नहीं तो क्या ? “
मजनू,” नहीं तो अच्छा नहीं होगा। “
भारती,” अरे ! जाओ जाओ तुम। “
मजनू,” जुबान संभाल के “
भारती,” अरे ! कहा ना जाओ। “
मजनू भारती के ऊपर हाथ उठाते उठाते रुक जाता है।
भारती,” क्या हुआ ? रुक क्यों गए ?:बस यही देखना बाकी रह गया था। “
मजनू,” मैं औरतों पर हाथ नहीं उठाता। “
भारती गुस्से से बाहर चली गई।
मजनू भी काम पर निकल जाता है। जब मजनू शाम को घर वापस लौटता है तो घर में कोई भी दिखाई नहीं देता।
मजनू,” अरे ! सुनती हो… कहां गई ? “
लेकिन कोई भी आवाज नहीं आती।
मजनू,” अरे कहां गई तुम ? जल्दी से पानी लेकर आओ। 
लेकिन कोई आवाज नहीं आती। मजनू फिर रसोई में जाकर देखता है। पर वहां पर भी कोई नहीं होता। फिर मजनू घर के दरवाजे की ओर आता है और वहां से गुजर रही एक औरत से पूछता है।
मजनू,” दादी, क्या आपने भारती को कहीं जाते हुए देखा है ? “
दादी,” नहीं बेटा… मैंने तो सुबह से उसे देखा ही नहीं। “
तभी गांव का एक आदमी भागता हुआ मजनू के पास आता है।
आदमी,” भैया वो भाभी… भाभी वो “
मजनू,” मैं भी तुम्हारी भाभी को ही तो ढूंढ रहा हूं। “
आदमी,” अरे भैया ! वो भाभी वहां…”
मजनू,” कहां है वो..? बताओ। “
आदमी,” भैया, आप मेरे साथ चलो। “
आदमी मजनू को जंगल की तरफ लेकर जाता है। वहां पर काफी भीड़ होती है। 
मजनू को देखते ही लोग रास्ते से हट जाते हैं। वहां सामने एक लाश पड़ी हुई होती है जिस पर कफन डाला हुआ होता है।
मजनू,” अरे ! यह कौन है ? क्या हुआ है इसे ? “
आदमी,” भैया, हममें बताने की हिम्मत नहीं है। आप खुद ही देख लो। “
मजनू ने जैसे ही कपड़ा उठाया, वह जमीन पर बिखर गया और चीख चीखकर रोने लगा। भारती… भारती उठो। यह तुम्हें क्या हो गया ? “
आदमी,” भैया, यह अब कभी नहीं उठेगी। पिछले 2 – 3 घंटे से हम तुम्हारा इंतजार करते रहे हैं। “
मजनू,” भारती तुम उठो। मजाक मत करो मेरे साथ। चलो उठो, घर चलते हैं। “
आदमी,” भैया संभालो अपने आप को। “
मजनू,” हे भगवान ! यह क्या हो गया ? मेरी तो दुनिया ही उजड़ गई।
तभी दो पुलिस वाले वहां पहुंचते हैं और लाश का मुआयना करने लगते हैं। गांव वालों ने किसी तरह मजनू को संभाल लिया था। एक पुलिस वाला लाश से हल्का कपड़ा उठाता है 
और कहता है,” यह हत्या का मामला है। किसी ने यहां कुछ होते हुए देखा है ? “
आदमी,” नहीं साहब, हमने तो कुछ नहीं देखा है। मुझे तो इस नत्थू ने बताया था। “
नत्थू,” साहब मैंने तो कुछ नहीं देखा। मैं इस रास्ते से गुजर रहा था तो देखा… भाभी यहां पर पड़ी हुई है। पास आकर भाभी की नब्ज देखी तो कोई हलचल महसूस नहीं हुई। तभी मैंने गांव वालों को बुलाया। “
पुलिसवाला,” इसका मतलब इसकी हत्या कैसे हुई है, इसके बारे में तुम लोगों को नहीं पता ? “

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गांव वाले,” नहीं, नहीं साहब। “
पुलिसवाला,” हम इस लाश को पोस्टमार्टम के लिए ले जा रहे हैं। “
तभी एक एंबुलेंस वहां आती है और लाश को पोस्टमार्टम के लिए लेकर चली जाती है।
अगले दिन एक पुलिस वाला मजनू के घर पहुंचता है।
मजनू (दीवार पर टंगी तस्वीर से),” अरे ! क्या हो गया तुमको ? इस तरह मुझे छोड़कर क्यों चली गई ? मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूंगा ? “
पुलिसवाला,” मजनू, तुम्हारी पत्नी के शरीर पर चोट के निशान हैं। तुम्हें अभी मेरे साथ पूछताछ के लिए थाने चलना है। “
पुलिसवाला मजनू को अपने साथ पुलिस स्टेशन ले जाता है।
इंस्पेक्टर,” हां तो मजनू, भारती नाम की महिला जिसकी हत्या हुई है, वह तुम्हारी पत्नी ही है ? “
मजनू,” जी साहब। “
इंस्पेक्टर,” किसने मारा है उसे, किसी पर कोई शक मजनू ? “
मजनू,” जी नहीं साहब, मुझे तो किसी पर भी शक नहीं है। “
इंस्पेक्टर,” पर मुझे तो तुम पर है। सुना है तुम अपनी पत्नी के साथ लड़ाई झगड़े में उसकी मारपीट भी करते रहते थे। “
मजनू,” नहीं नहीं साहब… लड़ाई झगड़ा तो नहीं लेकिन कभी कबार थोड़ी नोक झोंक हो जाती थी। “
इंस्पेक्टर,” अच्छा तो इसी नोक झोंक में कल तुमने अपनी पत्नी के ऊपर हाथ उठाया था। “
मजनू,” साहब, भगवान की कसम केवल हाथ उठाया था मारा बिल्कुल नहीं।‌ “
इंस्पेक्टर,” सच सच बोलो। कल तुमने ही अपनी पत्नी की हत्या करके उसे जंगल के बीच फेंक दिया था ना ताकि तुम पर किसी को शक ना हो। “
मजनू,” नहीं नहीं साहब, आखिर मैं ऐसा क्यों करूंगा ? “
इंस्पेक्टर,” रोज-रोज की नोक झोंक से तंग आकर आखिर तुमने उसे निपटा ही दिया। “
मजनू,” नहीं नहीं साहब, मैंने ऐसा बिल्कुल नहीं किया है। मुझे तो लगता है यह सब उस शमशानी शेरा का किया हुआ है। उसी की वजह से हम दोनों के बीच नोकझोंक होती रहती थी। “
इस्पेक्टर,” कौन शेरा ? “
मजनू,” साहब यह हमारे गांव के श्मशान का चौकीदार है। शमशान में ही रहता है। बहुत खतरनाक आदमी है साहब। भारती रोज उससे मिलने जाती थी। 
मैंने जब उससे वहां जाने को मना किया तो वह कहती है कि वह मेरा भाई है। मुझे शक नहीं बल्कि पूरा यकीन है कि उसी ने यह सब किया है। “
इंस्पेक्टर,” ठीक है, ठीक है। हम पूछताछ कर रहे हैं। जब तक तहकीकात जारी है, तुम्हें जरूरत के समय बुला लिया जाएगा। अभी तुम घर जा सकते हो। “
मजनू हां में सिर हिलाकर वहां से चला गया।
इसके बाद इंस्पेक्टर कुछ सिपाहियों के साथ शमशान जाता है। वहां पर किसी का अंतिम संस्कार हो रहा था और शेरा अपने पेट से एक कंबल लपेटे हुए और हाथ में लाठी लिए हुए एक तरफ बैठा हुआ था।
सिपाही,” क्या तुम ही शेरा हो ? इस शमशान के चौकीदार ? “
शेरा,” हां, मैं ही हूं। “
इंस्पेक्टर,” हमें तुमसे कुछ पूछताछ करनी है। “
शेरा ,” अब तुम्हें क्या पूछताछ करनी है ? तुम्हारा अब कौन मर गया ? ” यहां तो सब अपने अंतिम समय में ही आते हैं। “
सिपाही,” अरे ! तू ज्यादा फिलोसफी मत झाड़। “
इंस्पेक्टर,” चल अब अपनी फिलॉसफी झाड़ना बंद कर और यह बता कि मजनू की पत्नी, भारती यहां रोज रोज क्यों आती थी ? “
शेरा,” ये मेरा निजी मामला है। इन सब के बारे में मैं आपको क्यों बताऊं ? “
सिपाही,” अरे ! अब यह निजी नहीं बल्कि एक कत्ल का मामला है। कल रात मजनू की पत्नी का किसी ने कत्ल कर दिया और उसे बीच जंगल में फेंक दिया और तुझे मस्करी सूझ रही है। “
शेरा,” खून..?? मेरी बहन का खून। यह कब हुआ ? किसने किया यह सब ? “

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इंस्पेक्टर,” चल अब नौटंकी करना बंद कर। सब गांव वालों को पता चल गया और तुझे अभी तक पता नहीं नहीं चला। तेरा यह ड्रामा ना… हम सबके सामने नहीं चलेगा। 
अब सब सच सच बता रहा है कि भारती की हत्या के जुर्म में तुझे ही अंदर कर डालूं। “
शेरा,” साहब मैं श्मशान में अकेला रहता हूं। मुझे खाना बनाना बिल्कुल भी नहीं आता इसीलिए भारती बहन ने मुझसे कहा था कि जब तक वह है, वह मुझे खाना हर रोज पहुंचा दिया करेंगी और उन्होंने अपने मुंह से मुझे ‘ भाई ‘ भी कहा था। “
फ्लैशबैक…
शेरा,” मुझे खाना बनाना नहीं आता।
भारती,” तुम्हारी इस बहन के होते हुए चिंता काहे को करते हो ? मैं हर रोज तुम्हारे लिए खाना लेकर आऊंगी। “
शेरा,” सच बहन ? “
भारती,” हां हां, क्यों नहीं ? लेकिन मेरा पति बहुत कंजूस है। तुम्हें खाने का खर्चा भी देना होगा। “
शेरा,” हां हां बहन, मैं तुम्हें ₹200 दे दिया करूंगा। “
भारती,” ₹200 तो 10 दिन भी नहीं चला करेंगे। एक काम करना… तुम मुझे ₹500 दे दिया करना। “
शेरा,” हां हां ठीक है। “
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शेरा,” भारती बहन मुझे खाना देने आती थी और महीने पर मैं उसे ₹500 दे दिया करता था। “
इंस्पेक्टर,” मैं कैसे मान लूं कि तू जो बोल रहा है सच बोल रहा है । मजनू ने तो इस बारे में ऐसी कोई बात नहीं बताई। “
शेरा,” इस बारे में किसी को भी नहीं पता। भारती बहन ने इस बारे में किसी को बताने के लिए मना किया था और अगर मजनू को इस बारे में पता चल जाता तो वह उन पैसों को भी शराब में उड़ा देता। “
इंस्पेक्टर,” अरे ! तो हम कैसे मान लें कि तू जो तू बोल रहा है सच बोल रहा है ? कोई सबूत है तेरे पास ? “
शेरा,” साहब, सब्जी वाले को यह बात पता है। भारती बहन ने खुद उसे इस बारे में बताया था। “
सिपाही,” अब यह सब्जी वाला कौन है ? “
शेरा,” रामनाथ सब्जी बेचता है और उसे सब कुछ पता है। “
सिपाही,” सर मुझे तो लगता है मजनू की पत्नी का खून इसी ने किया है और अब यह कहानियां बना रहा है। “
शेरा,” नहीं नहीं साहब… मैं ऐसा कभी नहीं कर सकता। जिस औरत ने मुझे बहन बनकर खाना खिलाया, मैं उसके साथ नमक हरामी कभी नहीं कर सकता। “
शेरा,” मैं हर रोज लोगों को इस श्मशान में मिट्टी बनते हुए देखता हूं। मुझे जीवन की अहमियत अच्छे से पता है। आप मेरी बात का यकीन करो। मैं ऐसा कभी खयालों में भी नहीं सोच सकता। “
इंस्पेक्टर,” अरे ! ठीक है ठीक है। ज्यादा ज्ञान देने की जरूरत नहीं है। हम अपनी तहकीकात कर रहे हैं। जब तक मजनू की पत्नी का खूनी पकड़ा नहीं जाता तब तक इस गांव को छोड़कर जाने की जरूरत नहीं है। “
शेरा हां में सिर हिलाता है। उसके बाद सिपाही और इंस्पेक्टर दोनों पुलिस की गाड़ी में बैठकर चले जाते हैं। “
सिपाही,” सर मुझे तो लगता है भारती की हत्या इस शेरा ने ही की है। पकड़ा जाने के डर से कहानियां बना रहा है। “
इंस्पेक्टर,” ना, ना वह ऐसा काम नहीं कर सकता। उसके सामने लोगों की चिता जलती है और उसके परिवार वाले रोते बिलखते हैं। वह ऐसा नहीं कर पाएगा। “
दोनों रामनाथ सब्जी वाले के पास पहुंचते हैं।
रामनाथ,” भिंडी, गोभी, तुरई ले लो।
सिपाही,” अरे ! क्या तू ही है रामनाथ ? “
रामनाथ,” जी साहब, मैं ही हूं। बोलिए कौन-कौन सी सब्जियां दूं ? “
सिपाही,” तेरी तो पूरी ठेली खरीदनी है। “
रामनाथ,” क्या सच में ? लगता है आज थाने में बहुत बड़ी दावत होने वाली है। “
सिपाही,” अरे दावत तो तेरी आज मैं बनाऊंगा। हम यहां तहकीकात के लिए आए हैं। एक हत्या के बारे में पूछताछ करने के लिए और तुझे दावत की पड़ी है। “
इंस्पेक्टर,” बता तू मजनू की पत्नी के बारे में क्या जानता है ? “
रामनाथ घबरा जाता है।
सिपाही,” अरे अब क्या तुझे सांप सूंघ गया ? बता भी अब। “
रामनाथ,” साहब, भारती भाभी बहुत अच्छी थी। मुझसे ही सब्जियां लेकर जाती थी। हां मगर पैसे पूरे नहीं देती थी। “
इंस्पेक्टर,” तू शेरा और भारती के बारे में क्या जानता है ? “

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रामनाथ,” हां, वह शेरा के लिए खाना लेकर जाती थी। खुद भारती भाभी ने मुझे बताया था। उन्होंने इस बात को किसी और को बताने के लिए मना किया था। 
उसका जो पति है ना मजनू… वह बहुत ही गुस्सेबाज और खर्चीले किस्म का आदमी है। जितना भी कमाता है सब कुछ शराब और जुए में उड़ा देता है। 
इसीलिए भाभी को लगता था कि वह पैसे भी उनसे ले लेगा इसीलिए। साहब, मैं बस इतना ही जानता हूं। “
इंस्पेक्टर,” अगर और कुछ बात है तो अभी बता दे। अगर बाद में कुछ और पता चला तो सीधा तू अंदर जाएगा। मर्डर का मामला है, जमानत भी नहीं होगी। “
रामनाथ,” साहब, बस मेरा नाम बीच में नहीं आना चाहिए। “
इंस्पेक्टर,” चल बता अब। “
रामनाथ,” साहब कल जब भाभी सब्जी लेने के लिए आई थी तो उनके साथ उनकी पड़ोसन, राशि (कलुआ की पत्नी) भी आई थी। दोनों ही मुझसे सब्जियां ले रही थी। “
भारती,” भैया, आज मुझे 1 किलो कटहल दे दो। “
रामनाथ,” भाभी कटहल तो ₹50 किलो है। “
भारती,” अरे ! तुम कर तो दो। शेरा भैया ने मुझे अलग से पैसे दिए हैं उसके लिए। “
राशि,” ओ भैया ! जरा एक पाव कटहल तो देना। “
रामनाथ,” कुछ और ले लो। कटहल तो खत्म हो गया। “
राशि,” क्यों झूठ बोल रहे हो ? इतना सारा तो पड़ा हुआ है। “
रामनाथ,” वह सब तो भारती भाभी ने ले लिया। “
राशि,” इतने का क्या करेगी ? आदमी है या भूत। “
भारती,” हां हां, अब तुम कुछ भी समझ लो लेकिन तुम से तो कम ही हूं। “
राशि,” भारती, आजकल तेरी जुबान बहुत चलने लगी है। लक्षण कुछ ठीक नहीं लगते। “
भारती,” मेरे लक्षण की छोड़ो। तुम अपने लक्षण की बात करो। “
राशि,” मैं अभी के अभी तेरी शिकायत करके तुझे मजा चखाती हूं। “
रामनाथ,” साहब, मुझे बस यही बात पता थी। “
इंस्पेक्टर,” और कुछ…”
रामनाथ,” लेकिन साहब…”
इंस्पेक्टर उसके पास जाता है और जोर से 3 थप्पड़ लगाता है।
इंस्पेक्टर,” खून इसी ने किया है। गिरफ्तार कर लो इसे। “
सिपाही उसे गिरफ्तार करने लगा। 
रामनाथ,”साहब मैंने कुछ नहीं किया। मुझे छोड़ दो। “
इंस्पेक्टर,” शायद तेरी कहानी अधूरी है। चल इसे पूरा कर। “
रामनाथ,” शायद… राशि भाभी ने जाकर मजनू से शिकायत कर दी और वह वहां आ गया। “
मजनू,” तुम मेरा मेहनत का पैसा अपने उस भाई पर उड़ा रही हो। जब मैंने मांगे तब तो तुम्हारे पास नहीं थे। “
रामनाथ,” अरे भाई ! काहे को झूठ बोल रहे हो ? भारती भाभी को तो शेरा हर महीने ₹500 देता है। “
मजनू,” अच्छा तो तुम उन पैसों को अय्याशी में उड़ा देती हो। चलो मुझे दो पैसे। “
भारतीय,” नहीं, नहीं… यह मेरी मेहनत की कमाई है। मैं नहीं दूंगी। “
रामनाथ,” अरे ! तुम दोनों लोग यहां झगड़ा मत करो। यहां से जाओ। “
दोनों में हाथापाई शुरू हो गई। मजनू ने भारती का गला पकड़ा और तेजी से पीछे की ओर धक्का दिया। 
भारतीय सीधा जाकर ठेली के कोने से टकराई और उसके सिर से खून बहने लगा। मजनू ने उसे उठाने की खूब कोशिश की लेकिन उसने वहीं दम तोड़ दिया। 
रामनाथ,” अरे भैया ! यह क्या किया तुमने ? “
मजनू,” अरे ! कुछ नहीं। अभी इसे अस्पताल लेकर जाता हूं। ठीक हो जाएगी और हां… तुम अपना मुंह बंद ही रखना। इसी में तुम्हारी भलाई है। “
रामनाथ,” साहब उसके बाद पता चला कि भाभी की लाश जंगल के बीच मिली है। “
इस्पेक्टर,” तुमने बात छुपाकर गुनाह किया है। “
रामनाथ,” साहब मैं डर गया था। अब आप बचा लो। “
इंस्पेक्टर,” अब अपराधी को सजा देने में हमारी मदद करो। “
इंस्पेक्टर,” तुम्हें उस मजनू के खिलाफ अदालत में गवाही देनी है। “

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रामनाथ,” जी साहब, मैं अदालत में सब कुछ सही सही बोल दूंगा। “
सिपाही (लौटते समय),” सर आपको पता कैसे चला कि रामनाथ कुछ छुपा रहा है और उसने बात को घुमाया है ? 
इंस्पेक्टर,” तुमने सुना नहीं ? राशि और भारती में झगड़ा हुआ और उसने उसे सबक सिखाने की भी धमकी दी। बस मैंने यही सब सुनकर हवा में तीर छोड़ दिया और उसने सब कुछ सही सही उगल दिया। “
इंस्पेक्टर और सिपाही मजनू को पकड़ कर जेल में डाल देते हैं।
इंस्पेक्टर,” तुझे क्या लगा, गुनाह करके तू बच जाएगा ? बेटा, कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं। तुम जैसे कातिलों की सोच से भी लंबे। “
इस कहानी से आपने क्या सीखा ? नीचे Comment में हमें जरूर बताएं।

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