बहू बनी पांचाली | Bahu Bani Panchaali | Saas Bahu | Moral Stories | Saas Bahu Ki Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “ बहू बनी पांचाली ” यह एक Saas Bahu Ki Kahani है। अगर आपको Hindi Kahani, Moral Story in Hindi या Bedtime Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
बहू बनी पांचाली | Bahu Bani Panchaali | Saas Bahu | Moral Stories | Saas Bahu Ki Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories

Bahu Bani Panchaali | Saas Bahu | Moral Stories | Saas Bahu Ki Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories

 बहू बनी पांचाली 

जे. सी. कलकत्ता एक्सप्रेस श्यामपुर में रुकी एक लड़की जिसका चेहरा पूरी तरह ढका हुआ था, वो ट्रैन की जनरल बोगी की भीड़ की परवाह किए बिना ट्रेन में भागते हुए प्रवेश कर जाती है। 
अंदर इतनी भीड़ थी कि ऐसा लग रहा था की वो कोई शरणार्थी कैंप ट्रेन में टहहने की भी जगह नहीं थी। 
उस लड़की ने इधर उधर देखा और फिर ट्रेन के शौचालय में जा घुसी और उसने शौचालय का दरवाजा बंद कर लिया। 
लड़की,” बस… बस यहाँ से निकल जाऊं। मैं किसी तरह यहाँ से निकल जाऊं। “
वो बहुत ही छोटा स्टेशन था इसलिए ट्रेन वहाँ 1 मिनट के लिए ही रुकी। थोड़ी देर बाद ट्रेन ने अपनी रफ्तार पकड़ ली। 
जैसे जैसे ट्रेन अपनी रफ्तार पकड़ रही थी वह लड़की जिसका नाम चन्दा था, उसकी सांसों की रफ्तार भी धीमी हो रही थी और वो मन ही मन एक उत्सव मना रही थी। उत्सव आजादी का… उत्सव स्वतंत्रता का। 
चन्दा,” मैं मुक्त हो गई, मुक्त हो गयी मैं उस नरक से। “
चंदा एक बहुत ही गरीब घर की लड़की थी। उसके पिता बचपन में ही गुजर गए थे। उसकी माँ दिहाड़ी मजदूरी का काम किया करती थी। 
कभी वो मकान का काम करती तो कभी पुल का तो कभी सुरंग बनाने का। चंदा की मां बीमार भी रहा करती इसलिए उनके घर का चूल्हा कभी जलता तो कभी नहीं जलता। 
बहुत ही मुश्किल से उसकी कमाई से घर का गुज़ारा चलता था। जब चंदा 10 साल की हुईं तो 1 दिन उसने अपनी माँ से कहा।
चन्दा,” माँ, मैं भी तुम्हारे साथ काम करने जाना चाहती हूँ। दोनों मिलकर काम करेंगे तो ज्यादा पैसे आएँगे। इससे तेरी दवाई भी आ सकेगी और दो टाइम की रोटी भी। “
माँ के लाख मना करने के बावजूद वो काम पर जाने लगी। जल्द ही चंदा अपने काम में एक्स्पर्ट हो गई। 
सुरंग बनाने का काम उसे बहुत अच्छा लगता था क्योंकि उसमें ज्यादा दिहाड़ी मिलती थी। हालांकि उसमें खतरा भी होता था। 
बहरहाल… समय अपनी गति से बीत रहा था। चंदा 15 साल की हो गयी थी और जैसा कि होता है, बेटी की बढ़ती उम्र माँ बाप के लिए एक नई जिम्मेदारी को जन्म देती है। 
चंदा की माँ यशोदा उसकी जल्द से जल्द शादी करना चाहती थी क्योंकि उसका स्वास्थ्य अब बिल्कुल भी ठीक नहीं रहता था। अब तो वो सारा समय घर पर ही रहती। 
चन्दा,” ये दवा पीले, दवा नहीं पीयेगी तो ठीक कैसे होगी ? “
यशोदा,” दवा… दवा तो सालों से खा रही हूँ बेटी। अब मैं ठीक होने से रही। बस अब यही चाहती हूँ कि आंखें मूंदने के पहले तेरी शादी देख लूं “
लेकिन गरीब बेटी की शादी करना उतना ही मुश्किल है जितना भूसे के ढेर में सुई ढूंढना।
फिर भी यशोदा चंदा की शादी की कोई भी कोशिश नहीं छोड़ती थी। इसी क्रम में 1 दिन चंदा की दूर की बुआ यशोदा के घर आई।
बुआ,” अरे ! पहले सांस तो लेने दे फिर बताती हूँ सारी बातें विस्तार से। “
असल में चंदा की बुआ चंदा के लिए एक बहुत अच्छा रिश्ता लेकर आई थी। यशोदा को तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उसकी चंदा की किस्मत इतनी अच्छी है। 
बुआ,” अरे यशोदा ! कितनी बार कहूं… उन्हें मैंने दिखा दी है चंदा की फोटो ? चंदा उन्हें बहुत पसंद है। “
यशोदा,” और लेन देन…? “
बुआ,” फिर वहीं बात… अरे ! कहा ना अभी, लोग अच्छे खाते पीते घर के हैं। उन्हें ₹1 नहीं चाहिए। बस दो जोड़ी में चंदा को विदा कर दे। “
जब जिंदगी में सिर्फ दर्द ही दर्द भरा हो, चारों ओर दुखी दुख हो तो उस समय अगर अच्छी खबर भी मिले तो इंसान उस खबर को शक की नजर से देखता है। 
यशोदा का भी वही हाल था। उसे उस दिन तक चंदा की शादी की बात पर यकीन नहीं हुआ जिस दिन तक उसके द्वार पर बारात नहीं आ गई। 

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यशोदा,” बेटी, हम दोनों ने जीवन में बहुत ही तकलीफें देखी है। ईश्वर करे तुम्हारे अपने घर मैं तुम्हें सारी खुशी मिलें। इतनी खुशी मिले इतनी खुशी मिले कि तुम अब तक की सारी तकलीफें भूल जाओ। “
अपनी माँ से ढेर सारा आशीर्वाद लेकर चंदा अपने पति मोहन के घर श्यामपुरा गई। मोहन के पिता का देहांत कुछ साल पहले हो गया था। मोहन की माँ शीला देवी बहुत ही कड़क मिज़ाज औरत थी। 
जैसे ही चंदा ने इस घर में प्रवेश किया तो उसने साफ साफ चंदा से कह दिया।
शीला,” चंदा, ये जो घर है ना… यहाँ के कोने कोने में मेरी हुकूमत चलती है। मेरी मर्जी के बिना यहाँ एक पत्ता भी नहीं हिलता और घर ही नहीं पूरे श्यामपुर में शीला देवी यानी मेरा राज़ चलता है। 
इसलिए कभी भी भूल से भी अपनी मर्जी यहाँ चलाने की कोशिश मत करना। जो चीजें यहाँ होंगी उसे आंख मूंदकर स्वीकार कर लेना और अगर स्वीकार नहीं किया तो तुम्हारी जिंदगी नरक बना दूंगी। “
अपनी सास की बातों को सुनकर चंदा का सिर घूमने लगा। उसे अपनी सास जो कुछ दिनों पहले दुनिया की सबसे भली औरत लगती थी, वो एकदम से विलन की तरह लगने लगी थी। 
शादी के पहले जब शीला देवी चंदा को देखने उसके घर गई थी और चंदा ने उसके पांव छुए थे तो… 
शीला,” अरे ! तुम मेरे पांव छुओगी ? बेटी, देखो तुम उस घर में विवाह करके जा रही हो जहाँ बहू को बेटी की तरह रखा जाता है। 
चंदा बेटी, बस एक ही बात तुमसे कहना चाहूंगी कि अगर शादी के बाद तुम्हें उस घर में ज़रा सी भी दिक्कत हो तो सबसे पहले मुझे बताना क्योंकि तुम्हारी जिम्मेदारी मेरे ऊपर सबसे ज्यादा होगी। “
चंदा,” जरूर बताऊंगी माँ जी। “
शीला,” और हाँ… ये लो ₹2,00,000 है। इसे तुम रख लो। शादी ब्याह में बहुत पैसे खर्च होंगे ना ? 
इन पैसों से तुम्हें जो भी लेना हो ले लेना, महंगी साड़ी, गहने जो भी लेना हो। अगर पैसे कम पड़ें तो मैं और भिजवा दूंगी। “
यशोदा की तरह चंदा को भी अपनी किस्मत पर भरोसा नहीं हो रहा था लेकिन सच्चाई तो यही थी कि उसकी शादी श्यामपुर के सबसे अमीर घर में हो रही थी। 
लेकिन चंदा को ये पता नहीं था कि जिस किस्मत पर वो शक कर रही है, उसकी उसी किस्मत ने अपने नुकीले नाखून निकाल रखे हैं जो आगे चलकर उसकी जिंदगी को नोच नोचकर उसके शरीर से लेकर आत्महत्या को दर्द देने वाले हैं। 
शादी के एक सप्ताह बाद की बात है। मोहन शहर गया हुआ था और उस दिन शीला देवी ने चंदा को ऐसी बात कही जिसे सुनकर उसकी रूह कांप गयी। 
चंदा,” ये क्या कह रही है आप ? मैं कोई बात दोहराती नहीं। मैं… मैं ये नहीं कर सकती। अरे कैसी माँ हैं आप जो अपने बेटे की पत्नी को किसी दूसरे के साथ सोने के लिए बोल रही है ? “
शीला,” चंदा, जो बोल रही हूं वो करो क्योंकि उसके अलावा कोई चारा नहीं है तुम्हारे पास। “
चंदा,” अरे ! अजीब जिद्दी है आप। क्या दिमाग खराब है आपका ? मैं कोई बाज़ारू औरत हूँ जो आप मुझे इस तरह से किसी गैरमर्द के साथ सोने के लिए कह रही हैं ? 
चाहे मेरी जान चली जाए लेकिन मैं ये नहीं करूँगी और आने दीजिए आपके बेटे मोहन को, मैं उन्हें पूरी बात बताती हूँ। “
चंदा की इस बात पर शीला ज़ोर ज़ोर से हंसने लगीं और हंसते हुए ही उसने एक जोरदार चाटा चंदा के गाल पर मारा। 
शीला,” सुन… मोहन मेरा बेटा नहीं है। वो मेरा प्यादा है प्यादा और उस प्यादे के कारण ही तो मैं ये दुनिया सालों से चला रही हूँ। “
शीला देवी एक बदमाश औरत थी। श्यामपुर में उसका काफी दबदबा था। वो लड़कियों का व्यापार किया करती थी लेकिन उसके व्यापार का तरीका बहुत ही अलग था। 
उसका प्यादा मोहन पहले लड़की से शादी करता और फिर उसे यहाँ ले आता और उसके बाद शुरू होता उस लड़की के शोषण का सिलसिला। 
अब तक सैकड़ों लड़कियों का जीवन शीला देवी ने नरक की तरह बना दिया था और जिसने भी उस नरक से निकलने की कोशिश की… 
शीला,” राजवंश… सोहन, तुम लोगों के रहते हुए इस लड़की ने भागने की हिम्मत की ? इसे भी वही सजा दो जो अब तक हमसे गद्दारी करने वाले को दी गई है। “
शीला के ऑर्डर पर उस लड़की के शरीर में पत्थर बांधकर उसे कुएं में डाल दिया जाता था। डूबने से उसकी मौत हो जाती है। 
शीला ने इस तरीके से कई लड़कियों को अपने गुंडों की मदद से ठिकाने लगाया था। चंदा उनके लिए नया शिकार थी। उसका भी शोषण शुरू हो गया। पत्नी के रूप में यह आई चंदा पांचाली बन गयी थी। 
वो हर दिन घुट रही थी। हर दिन मर रही थी लेकिन शांति से सब सह रही थी। 1 दिन उसकी भी बर्दाश्त की सीमा टूट गई और वो वहाँ से भाग निकली। इसका पता तब लगा जब एक ग्राहक चंदा के कमरे में गया। 
ग्राहक,” अरे शीला देवी ! तुमने पैसे तो पूरे ले लिए लेकिन वो चंदा… चंदा कहा है ? “
शीला,” चंदा अपने कमरे में है और कहां है। “
ग्राहक,” वो अपने कमरे में नहीं है। “
ये सुनकर चंदा देवी के कान खड़े हो गए। वो भागकर चंदा के कमरे में गई तो वो नदारद थी। 
शीला,” अरे मुफ्तखोरो ! कहा मर गये तुम सब के सब ? वो चंदा भाग गई। “
गुंडा,” चंदा भाग गयी… लेकिन कैसे ? “
उस गुंडे की बात सुनकर चंदा देवी ने एक जोरदार तमाचा उसे मारा और कहा 1 घंटे के अंदर अगर वो लड़की मेरी आँखों के सामने नहीं आई तो तुझे ऊपर भेज दूंगी। “
चंदा की तलाश शुरू हो गई लेकिन चंदा तो वहाँ से बहुत दूर जा चुकी थी। चंदा पूरे 3 साल उन राक्षसों के पास रही और इन तीन सालों में उसने सबकी नजर से बचाकर अपने कमरे से होकर बाहर निकलने के लिए एक सुरंग बनाया। 
उसने इस काम को इतनी सफाई से किया की किसी को कानों कान खबर नहीं हुई। जब शीला देवी और उसके गुंडों को सुरंग का पता लगा।
शीला,” अरे बाप रे बाप ! वो लड़की तो बहुत ही शातिर निकली। हमें लगता था वो बहुत शरीफ है। लेकिन उसने तो…। “
शीलादेवी बहुत टेंशन में थी। उसे अब अपने काम को आगे बढ़ाने के लिए नई लड़की चाहिए थी। दूसरा उसे इस बात का भी डर था कि कहीं चंदा पुलिस को उसका राज़ ना बता दे ?
लेकिन उधर चंदा ने शीला देवी के पूरे गिरोह को खत्म करने के लिए अलग ही प्लानिंग की थी। 

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उसने वहाँ से भागने के पहले ही रसोई घर जाकर रसोई घर के गैस की पाइप को काट दिया था जिससे गैस धीरे धीरे करके निकल रही थी। 
एक रोज जब शीला देवी के कहने पर उनका रसोइया खाना बनाने गया और उसने गैस ऑन किया तो एक जोरदार ब्लास्ट हुआ और शीला देवी के मकान सहित उसकी पूरी गन्दी दुनिया उसमें जलकर खाक हो गई। 

आज की ये ख़ास और मज़ेदार कहानी आपको कैसी लगी ? नीचे Cooment में जरूर बताएं।

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