बाज का जीवन संघर्ष – Motivational Story in Hindi | Best Motivational Story in Hindi

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दोस्तो एक बार फिर से कहानी की इस नई Series में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। आज की इस नई कहानी का नाम है – बाज का जीवन संघर्ष। यह एक Motivational Story है। अगर आपको भी Motivational Story in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
बाज का जीवन संघर्ष - Motivational Story in Hindi | Best Motivational Story in Hindi

Motivational Story in Hindi | New Motivational Story | Best Motivational Story

 बाज का जीवन संघर्ष 

आज हम आपको बाज और उसके जीवन संघर्ष की कहानी सुनाने जा रहे हैं। बाज के जीवन से आपको बहुत कुछ सीखने को मिलता है। हमेशा प्रयत्न करते रहना, कभी शांत न बैठना और अपने लक्ष्य को बिना रुकावट के प्राप्त करना आदि लक्षण हमें बाज से सीखने को मिलते हैं। 

चलिए जानते हैं बाज के जीवन के बारे में कुछ अनोखी बातें जो आपको अपने जीवन में जरूर उतारनी चाहिए।

बाज जिसका जीवन संघर्ष शुरू होता है उसके आशियाने (घोंसले) से। शायद आपको पता भी होगा बाज एक ऐसा पक्षी है जिसे उड़ान भरने के लिए सबसे पहले तैयार होना पड़ता है।

दूसरे पक्षियों की तरह वह घोसलों में नहीं बैठ सकता। एक बाज अपने बच्चे को उड़ान भरना सिखाने के लिए किसी ऊंचे वृक्ष या फिर पर्वत की चोटी पर जाकर बैठ जाता है और फिर वहां से अपने बच्चे को धक्का देता है। 

इस वक्त बाज का बच्चा उड़ने के लिए बिल्कुल नया और अंजान होता है। जब बाज अपने बच्चे को ऊपर से गिराता है तो पहली बार बाज का बच्चा अपने पंखों को खोलता है। उड़ान भरना नहीं आता लेकिन फिर भी अपनी पूरी जी जान लगा देता है सुरक्षित जमीन पर उतरने के लिए। 

इससे हमें एक सीख मिलती है कि जब बाज का एक नन्हा सा बच्चा अपने बचाव के लिए इतना कुछ कर सकता है तो फिर हम क्या कुछ नहीं कर सकते। अंत में आकर बाज का बच्चा दो-तीन बार गुलाटी खाकर और अपने पंखों को मजबूती से फैला कर हल्की-हल्की उड़ान भरना सीख जाता है।

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उसकी ट्रेनिंग इसी तरह 5 से 10 दिनों के लिए जारी रहती है। लगातार प्रयत्न करते रहने से अंत में बाज का बच्चा उड़ना सीख जाता है। अब वह अपने पंखों से इस खुले आसमान को नापने के लिए तैयार है। 

प्रतिदिन अपना भोजन ढूंढना और उसे अपने पेट तक ले जाने के लिए बाज को कड़ी मेहनत करनी होती है। बचपन से ही बाज अपने बच्चे को आराम अवस्था से दूर रखता है। क्योंकि उसे पता होता है कि मेरी तरह ही इसे भी इस कठोर जिंदगी में कड़ा संघर्ष करना पड़ेगा।

धीरे-धीरे बाज का बच्चा बड़ा होता है। जैसे-जैसे वो बड़ा होता जाता है उसके पंख और भी ज्यादा मजबूत और चोंच पहले से ज्यादा नुकीली और तेज हो जाती है।

इस समय वह ऐसा हो जाता है कि अगर वह किसी जानवर को अपने पंजे और अपनी चोंच के दम पर फाड़ कर रख सकता है। बाज़ की इस नवयौवन से हमें सीखने को मिलता है कि अगर हम अपनी जवानी में अपने लक्ष्य को पाने की कोशिश करते हैं तो हम किसी भी हालत में अपने लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर पाते हैं। 

क्योंकि इस वक्त हमारे अंदर काफी ज्यादा हिम्मत, जोश और हठ होता है। इसीलिए कहा जाता है कि नवयुवता का समय गोल्डन पीरियड होता है। क्योंकि इस समय आप अपने आप को सोने से भी अधिक मूल्यवान बना सकते हैं।

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चलिए जानते हैं बाज के जीवन का अगला पहलू। अब बाज़ अपनी वृद्धावस्था की ओर बढ़ना शुरू कर देता है। इस समय उसके पंजे घायल होने लगते हैं, नाखून बड़े और मोड़दार होने लगते हैं। 

साथ ही उसकी चोंच बिल्कुल मुड़ जाती है जिससे उसे अगर अपना भोजन खाना हो तो यह असंभव सा हो जाता है। इस समय में बाज ज्यादातर भूखा ही रहता है। क्योंकि वह कितनी ही कोशिश कर ले, शिकार को खा नहीं पाता है।

लेकिन फिर भी वह हार नहीं मानता। हमारा यह नन्ना शेर मौत को भी टक्कर देकर वापस अपनी जवानी का रुख अपने अंदर महसूस करता है। 

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अब वह कुछ समय के लिए अपने आशियाने से दूर निकल जाता है और किसी नुकीली या खुरदरी जगह पर जैसे पत्थर, चट्टान या किसी वृक्ष पर अपनी चोंच से वार करना शुरू करता है। यह समय बाज के लिए सबसे दर्दनाक होता है। 

लेकिन भुखमरी से बचने के लिए उसे यह परीक्षा देनी होती है। इस कदर पथरीले स्थान पर अपनी चोंच से वार करता रहता है और कुछ समय बाद उसकी चोंच टूट जाती है। जो चोंच पहले टेढ़ी-मेढ़ी थी अब वह कहीं तक सीधी हो चुकी है। क्योंकि मुड़ी हुई चोंच टूट चुकी होती है।

यह दर्द भरी परीक्षा यहां खत्म नहीं होती। अब वह अपने पंजों के मुड़े हुए नाखूनों को तोड़ना शुरू करता है। वह वापस से उसी प्रक्रिया को दोहराता है। 

नुकीले स्थान पर चोट करते रहने तथा घिसते रहने से अंत में आकर उसके टेढ़ी-मेढ़ी नाखून भी खत्म हो जाते हैं। उसके बाद वह कुछ दिनों तक आराम करने की अवस्था में हो जाता है। क्योंकि घाव को ठीक होने के लिए थोड़ा आराम जरूरी होता है।

जैसे ही उसके घाव ठीक हो जाते हैं, वह वापस से खुले आसमान में पहले की तरह उड़ना शुरू कर देता है। अब वह अपने भोजन का भी प्रबंध आसानी से कर पाता है और साथ ही उसे खा भी सकता है। 

उसकी टेढ़े मेढ़े पंजों के नाखून अब खत्म हो चुके हैं। इसीलिए वह अपने ताकतवर पंजों से किसी भी जानवर अथवा अपने शिकार को मार सकता है बिल्कुल पहले की तरह। बाज के जीवन के इस पहलू से हमें सीखने को मिलता है कि जिंदगी हर किसी का एक कड़ा इम्तिहान लेती है। 

जो भी इस इम्तिहान को पार कर लेता है वह आगे की जिंदगी राजा की तरह जीता और जो इस इम्तिहान में फेल हो जाता है उसे केवल मौत ही नसीब होती है। हमारा नन्ना बाज जिंदगी को खुली चुनौतियां देता है और बदले में जिंदगी जो उसे चुनौतियां देती वह उन्हें स्वीकार करता है और उन चुनौतियों से लड़ता भी है।

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चाहे कितना भी कठिन समय हो बाज अपने मजबूत इरादों और अपने मजबूत और ताकतवर शरीर से उस समय से बाहर निकलता है। एक बात और जो मैं आपको बताना भूल गया। बाज का घोंसला बिल्कुल भी comfortable नहीं होता। 

ऐसा इसलिए क्योंकि अगर उसका घोंसला कंफर्टेबल रहेगा तो उसका बच्चा घोसले में ही रहने की जिद करेगा। अगर वह अपने जीवन में कंफर्टेबल रहने की कोशिश करेगा तो बाज जिंदगी से हार जाएगा। 

इसीलिए बाज अपने बच्चे को कंफर्टेबल रहना नहीं सिखाता है। हमेशा जीवन में कड़ा संघर्ष करना और सामने आई चुनौतियों से लड़ना ही उसका उद्देश्य होता है।

और इस तरह वह अपने जीवन में विजय प्राप्त करता है। हमेशा एक शेर की तरह जीवन को व्यतीत करता है। और वही जीवन वो अपने बच्चे को भी जीना सिखाता है।

इस तरह हमें बाज के जीवन से काफी कुछ सीखने को मिलता है। अगर आपको बाज के जीवन की यह कहानी अच्छी लगी हो तो Comment करें और दोस्तों के साथ Share करें।

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