बेवकूफ बहू | Bewakoof Bahu | Saas Bahu | Moral Stories | Saas Bahu Ki Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” बेवकूफ बहू ” यह एक Saas Bahu Story है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Kahaniyan या Bedtime Stories in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
बेवकूफ बहू | Bewakoof Bahu | Saas Bahu | Moral Stories | Saas Bahu Ki Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories

Bewakoof Bahu | Saas Bahu | Moral Stories | Saas Bahu Ki Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories

बेवकूफ बहू 

संदीप,” रमा, मैं तैयार होकर आता हूँ। ड्राइवर को ये बैग दे दो, वो गाड़ी में रख देगा। आज मेरी बहुत बड़ी मीटिंग है, यह बैग भूल ना जाऊ ? “
रमा,” संदीप ने बैग बोला था रखने के लिए, पर इसमें तो सामान है। यह निकाल कर बाहर रख देती हूँ। संदीप तो मुझे ऐसे ही बेवकूफ कहते हैं। “
संदीप ऑफिस चला जाता है। शाम को वो गुस्से में ऑफिस से घर आता है और रमा को आवाज लगाता है।
संदीप,” रमा… रमा, इधर आओ। मैंने तुमसे कहा था न कि आज मेरी बहुत जरूरी मीटिंग है। 
मेरा बैग ड्राइवर को दे दो, वो गाड़ी में रख देगा। तुमने ड्राइवर को खाली बैग दे दिया। मेरी सारी फाइलें कहां है ? “
रमा,” आपने बोला था कि बैक गाड़ी में रखवा दो। आपने फाइलें बोला होता, तभी तो रखवाती। बेकार में मुझे डांटते रहते हो। “
सास,” बहू…। “
रमा,” आइये अम्माजी। “
रमा,” मैं जा रही हूँ, मुझे अम्माजी बुला रही है। “
संदीप,” अरे ! इसके साथ रहकर तो मैं भी बेवकूफ बन गया हूँ। पता नहीं किस दिन इसे अक्ल आएगी ? “
रमा,” जी अम्मा जी, आपने बुलाया ? “
सास,” बहू, मैं मंदिर जा रही हूँ। मेरे आने तक गैस पर करेले रख देना और बीच बीच में चलाते रहना। “
रमा की सास सुनीता मंदिर चली जाती है और रमा की बेवकूफी शुरू हो जाती है। 
रमा,” अम्मा जी बहुत खुश होंगी। पहले मैं सारे करेले गैस पर रख देती हूँ, हाँ। अब थोड़ी देर हो गई है, अब इन्हें चलाती हूँ। 
अब फिर रख देती हूँ। वैसे मैंने करेले को बीच बीच में चला लिया है। अम्मा जी आने ही वाली होंगी। “
रमा की सास सुनीता मंदिर से वापस आती है और रसोई में जाती है। 
सुनीता,” रमा, यह क्या कर रही हो ? करेले कहाँ है ? “
रमा,” अम्मा जी, ये रहे करेले। आपने ही तो बोला था गैस पर रखने है और बीच बीच में चलाना है। मैं करेलों को चला रही हूँ। “
सुनीता,” हे भगवान ! रमा बहू मैंने कहा था करेले गैस पर रख देना, मतलब करेले की सब्जी बना लेना और चला लेना। मतलब सब्जी बनने तक हिलाते रहना। “
रमा,” तो ऐसा कहना था न अम्मा जी ? आप मुझे जैसा कहेंगे मैं, वैसा ही तो आपकी आज्ञा का पालन करुँगी न ? “
सुनीता और संदीप एक दूसरे की शक्ल देखने लगते हैं और गुस्से को पी लेते हैं। एक दिन तो रमा की बेवकूफी ने हद पार कर दी। 
रमा,” संदीप के कमरे का क्या हाल बना रखा है। कितनी मिट्टी है टेबल पर ? 
अरे ! ये लैपटॉप, सारा दिन संदीप इस पर काम करते हैं कितना गन्दा हो रहा है ? क्यूं न इसको अच्छे से धो दूं ? “

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रमा लैपटॉप को सर्फ के पानी में डुबोकर धो देती है और कपड़े सूखने वाली रस्सी पर टांग देती है। तभी संदीप आ जाता है। 
संदीप,” रमा, अरे रमा ! ये क्या किया तुमने मेरे लैपटॉप के साथ ? “
रमा,” इस पर बहुत धूल मिट्टी हो रही थी। मैंने सोचा इसको अच्छे से धोकर सुखा देती हूँ। मैंने सही किया न ? “
संदीप,” रमा, तुम सचमुच… सचमुच तुम बेवकूफ पत्नी हो। मेरा दिमाग खराब था जो तुमसे शादी की मैंने। “
सुनीता,” रमा बहू, तुम्हें जरा भी समझ है ? लैपटॉप भी कोई धोनी की चीज है ? “
ससुर,” क्या बात है क्यूँ इतना शोर मचा रखा है ? मेरी इतनी समझदार बहू से अगर कोई गलती हो गई तो इस तरह से उसे क्यों डाट रहे हो ? “
ससुर,” जाओ बहू, तुम रसोई में जाकर मेरे लिए एक गिलास पानी ले आओ। “
रमा,” बाबूजी, पानी घड़े का लाऊं या फ्रिज का ? “
ससुर,” बेटा, घड़े का ले आओ। “
रमा,” बाबूजी, छोटे घड़े का पानी लाऊं या बड़े घडे का ? “
ससुर,” बेटा किसी भी घड़े का ले आओ। “
रमा,” अच्छा तो स्टील के घड़े का पानी लाऊं या मिट्टी के घड़े का ? “
सुनीता,” इसी तरह इसको देते रहो जवाब, मैं तो चली कमरे में सोने। इस बेवकूफ की बातों में कौन उलझे ? “
ससुर,” अब रहने दो रमा बहू, मैं पानी खुद ही पी लेता हूँ। तुम अपना काम करो। “
रमा,” अच्छा… अच्छा ठीक है बाबूजी। वैसे पता नहीं मुझे सब इतना बेवकूफ क्यों समझते हैं ? 
ऐसे ही डांट दिया मुझे। पर धुलने के बाद ये लैपटॉप कितना सुन्दर दिखाई देता है। “
संदीप और रमा की सास रमा की बेवकूफी से बहुत परेशान रहते थे। एक दिन संदीप के साथ जय प्रकाश को किसी जरूरी काम से दूसरे शहर जाना था। 
जय प्रकाश,” सुनीता, मुझे और संदीप को जरूरी काम से लखनऊ जाना है, अपना और रमा बहु का ध्यान रखना है। 
और तुम भी जरा अपने फालतू दिमाग का कम इस्तेमाल करना। अरे ! कभी तो बहू को डांटे बिना कोई काम कर लिया कर। “
जय प्रकाश,” संदीप बेटा, चल अब देर हो रही है। ट्रेन का वक्त हो रहा है। “
संदीप और जय प्रकाश दोपहर के वक्त निकालते हैं। रमा अपनी पड़ोसन सुधा के साथ बात कर रही थी। 
रमा,” अब क्या करूँ सुधा, तू ही बता ? कितना ध्यान रखती हूँ सबका ? फिर भी संदीप और माँ जी मुझे बेवकूफ समझते हैं। “
सुधा,” वो तो तू है ही ? “
रमा,” क्या कहा..? “
सुधा,” नहीं नहीं, कुछ नहीं। मेरे पास एक इलाज है जिससे तेरी सास और पति तेरे से खुश हो जायेंगे। मैंने भी यही अपनाया था। बहुत चमत्कारी नुस्खा है। “
रमा,” क्या… क्या नुस्का है सुधा जल्दी बता ? “
सुधा रमा की बेवकूफी का फायदा उठाकर उसे एक बेवकूफी से भरा नुस्खा बता देती है। 
सुधा,” यह नुस्खा तेरे बहुत काम आएगा। वैसे तुझे पता है रमा, पिछली गली में कल रात एक घर में चोरी हो गयी ? चोर छत के दरवाजे से घर में घुस आए थे। “

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रमा,” क्या… छत के दरवाजे से ? मुझे याद आया, हमारे भी तो छत का दरवाजा खुला रहता है। 
उसकी कुंडी खराब है। चलो अच्छा है। चोरों को ये बात पता नहीं चली। अच्छा अब मैं जाती हूँ। “
रमा को छत के दरवाजे के बारे में बात करते हुए वही चोर सुन लेते हैं। वो बड़े शातिर चोर थे और उसी गली के आस पास ऐसे लोगों के घर की खबर रखते थे जिनके घर चोरी की जा सकती थी। 
इशारे से दोनों चोर बात करते है कि रात में इसी घर में चोरी करेंगे और उस वक्त वहां से चले जाते हैं। 
रमा घर के भीतर आ जाती है। 
रात के वक्त…
चोर,” चल भाई, जल्दी से चोरी कर लेते हैं। छत का दरवाजा खुला हुआ है। 
लगता है दोनों सास बहू घर में अकेली हैं। कोई आदमी घर में नहीं है तो चोरी करना और भी आसान हो जाएगा। “
दोनों चोर चोरी करने ही वाले थे कि तभी रमा की सास की आवाज़ सुन लेते हैं और सीडियों पर ही रुक जाते हैं। 
सुनीता,” रमा बहू, ये क्या कर रही हो ? पूरे घर में मिर्चों का धुंआ कर दिया। यह मिर्ची क्यूँ जला रही हो ? हे भगवान ! मार दिया रे। “
रमा,” अम्मा जी, ये नुस्खा है। यह आप अभी नहीं समझोगे। पहले इन मिर्चों के धुओं को घर के कोने में फैल जाने दीजिये। “
रमा मिर्चों का धुआ फैलाती हुई छत की सीढ़ियों के पास भी जाती है। जिसकी महक से दोनों चोर तेज तेज खांसने और छींकने लगते हैं। उनका बुरा हाल होने लगता है। 
चोर,” अरे ! कोई बचाओ। इस पूरे घर में मिर्च हैं। ये कैसा घर है भाई ? “
दूसरा चोर,” अरे ! भाग लो यहाँ से। “
रमा,” ये किसके खांसने की आवाज आ रही है ? “
सुनीता,” रमा बहू, ये तो चोर हैं। चोर चोर… जल्दी आओ बहू, दरवाजा खोलो। हमारे घर में चोर घुस आये हैं। “
चोर,” अरे मेरी अम्मा ! हमें जाने दे, हम तो बुरे फसे जो तेरे घर में आ गए थे चोरी करने। “
सुनीता,” रमा बहू, जरा वो सामने रखा डंडा लाना। इन चोरों की तो आज खैर नहीं। “
रमा और सुनीता दोनो चोरों को पीटने लगती हैं। इतनी देर में मोहल्ले के लोग भी आ जाते हैं और चोरों को पकड़ लेते हैं।
आदमी,” ये तो वही चोर है जिन्होंने पिछली गली में कल रात को चोरी की थी। मारो इनको। “
औरत,” इन दोनों को पकड़ो और पुलिस के हवाले कर दो। “
इसके बाद मुहल्ले के लोग चोरों को पुलिस के हवाले कर देते हैं। 
सुनीता,” रमा बहू, तुमने तो कमाल कर दिया। वाकई में तुम बहुत अच्छी बहू हो। “
रमा,” सुधा, इधर मुझे लगता है तेरा नुस्खा काम आ गया। अम्मा जी मेरे से पहले अच्छे से बात कर रही है। 
मिर्ची वाला नुस्खा अपना असर दिखा रहा है और उन्होंने मुझे अच्छी बहू भी कहा। नहीं तो हमेशा बेवकूफ बहू ही कहती हैं। “
सुधा अपना सा मुंह लेकर रह जाती है। क्यूंकि रमा की बेवकूफी भरे नुस्खे ने सच में उस दिन कमाल कर दिया। 

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जय प्रकाश और संदीप जब वापस लौटते हैं, उन्हें भी सारी बात पता चलती है और वो भी हंस-हंसकर लोट पोट हो जाते हैं। 
रमा को अब भी यही लग रहा था कि यह शायद नुस्खे का कमाल है। संदीप की बेवकूफ़ पत्नी उस दिन सबके दिलों में अपने लिए प्यार ले आती है।

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