बेवकूफ मुखिया | Hindi Kahani | Hindi Moral Stories | Hindi Kahaniyan | Majedar Kahaniyan

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” बेवकूफ मुखिया ” यह एक Majedar Hindi Kahani है। अगर आपको भी Hindi Kahaniyan, Moral Stories in Hindi या Majedar Hindi Kahaniyan पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
बेवकूफ मुखिया | Hindi Kahani | Hindi Moral Stories | Hindi Kahaniyan | Majedar Kahaniyan

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 बेवकूफ मुखिया 


एक गांव में  मुंशी नाम का व्यक्ति रहता था; जो गांव का मुखिया था। मुखिया एकदम बेवकूफ था। वह लोगों के झगड़े सुलझाने की बजाय उन्हें और ज्यादा मुसीबत में डाल देता था।

गांव के ठीक पीछे एक स्थान था, जहां पर बैठकर मुखिया लोगों के झगड़े सुलझाया करता था।

1 दिन रामू अपने आम के पेड़ को पानी दे रहा था। आम का पेड़ बहुत बड़ा था। उसका आधा हिस्सा रामू की हिस्से में और आधा हिस्सा श्यामू की घर की ओर झुका हुआ था। 

श्यामू ने उस आम के पेड़ से कुछ आम तोड़ लिए। यह देखकर रामू को बहुत गुस्सा आया। उसने तुरंत श्यामू से कहा,” तुमने फल क्यों तोड़ा ? “

श्यामू ने जवाब दिया,” मैंने तो अपनी जगह खड़े होकर फल तोड़ा है। “

” आम का पेड़ मेरा है। तुम इस तरह फल नहीं तोड़ सकते। ” रामू ने झगड़ते हुए कहा।

” मैं तो इसी तरह रोज फल तोड़ दूंगा। ” श्यामू ने जवाब दिया

यह सुनकर रामू ने कहा,” मैं मुखिया के पास जाऊंगा और तुम्हारी हरकतें भी बताऊंगा। “

श्यामू कहता है,” हां चले जाओ… मैं कौन सा डरता हूं। मैंने कोई चोरी थोड़ी ही ना की है। “

अगली सुबह दोनों मुखिया के पास जाते हैं और अपने झगड़े के बारे में मुखिया को बताते है।

मुखिया थोड़ी देर सोच – विचारता है और फिर कहता है,” यह सारा मसला आम के पेड़ का है। आम का पेड़ काट दो तो झगड़ा अपने आप खत्म हो जाएगा। “

यह सुनकर रामू हैरान हो गया; क्योंकि पेड़ उसका ही था। उसने बड़ी मेहनत से उसे पानी देकर बड़ा किया था।

लेकिन मुखिया अपनी बात पर अड़ा रहा और आम का पेड़ कटवा दिया।

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यह सब देखकर रामू की पत्नी बहुत क्रोधित हुई। उसने कहा कि मुखिया ने यह सब हमारे साथ सही नहीं किया। हमें न्याय मिलना चाहिए।

कुछ दिनों बाद रामू के घर में एक चूहा आ गया। रामू की पत्नी उस चूहे को भगाते भगाते घर से बाहर आई। तो चूहा श्यामू के घर की ओर चला गया। यह देखकर रामू की पत्नी खुश होते हुए बोली,” यह बहुत अच्छा हुआ। 

अब हम मुखिया के पास दोबारा जाएंगे और उसे बताएंगे कि श्यामू ने चूहे पाले हैं ताकि वह हमारे घर का अनाज खराब कर सकें। “

रामू की पत्नी सारी योजना रामू को फिर से सुनाती है और सुबह दोनों मुखिया के पास जाते हैं। मुखिया दोनों की बातों को ध्यान से सुनता है और फिर श्यामू से कहता है,” श्यामू… यह तुमने ठीक नहीं किया। “

” अच्छा रामू ! तुम एक काम करो। श्यामू ने चूहा पाला है तो तुम बिल्ली पाल लो। जैसे ही वह चूहा तुम्हारे घर आएगा, तुम्हारी बिल्ली उसे खा जाएगी और इस तरह तुम्हारा यह झगड़ा यहीं खत्म हो जाएगा। “

मुखिया की यह तरकीब सुनकर रामू और रामू की पत्नी काफी खुश हुए और उन्होंने तुरंत ही जाकर एक बिल्ली खरीदी और उसे घर ले आए।

अगली सुबह जैसे ही चूहा आया, बिल्ली ने उसे दबोच लिया और खा गई। अब यह बिल्ली श्यामू के घर जाती और उसके अनाज को तितर-बितर कर आती।

यह सब देख श्यामू की बहू को काफी गुस्सा आया। वह श्यामू को लेकर मुखिया के पास गई और आज हुई सारी घटना को मुखिया को बताया।

मुखिया ने यह सब सुनकर कहा,” देखो श्यामू… अगर रामू की बिल्ली तुम्हारे घर आ रही है तो तुम एक काम करो,, तुम एक कुत्ता ले आओ। इसके बाद रामू की बिल्ली तुम्हारे घर के आस-पास भी नजर नहीं आएगी। “

श्यामू को मुखिया का यह उपाय काफी अच्छा लगा। और वह तुरंत बाजार गया और एक पालतू कुत्ता लेकर आ गया।

अगली सुबह बिल्ली जब श्यामू के घर आई तो श्यामू का कुत्ता उस पर भोंकने लगा। कुत्ते ने बिल्ली को दबोच लिया और खा गया। यह सब देख श्यामू खूब हंसा।

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लेकिन रामू और उसकी बहू इस बात से बहुत दुखी थे। वे दोनों दोबारा मुखिया के पास गए और अपनी बिल्ली की मौत के बारे में बताया। 

मूर्ख मुखिया ने रामू को उपाय बताते हुए कहा,” रामू… अगर श्यामू का कुत्ता तुम्हें परेशान कर रहा है तो तुम एक काम कर सकते हो, तुम एक शेर पाल लो। “

इस बार मुखिया का उपाय सुनकर रामू थोड़ा आश्चर्य में था। क्योंकि वह जानता था कि अगर शेर को पाला जाएगा तो वह कभी ना कभी उन्हें भी चोट पहुंचा सकता है। 

रामू बिना बताए घर वापस आ गया। लेकिन मुखिया एक शेर पकड़ कर रामू के घर ले आए और उसे एक पेड़ से बांध दिया।

यह सब देख रामू डर गया। लेकिन फिर उसने हिम्मत की और उस शेर को खाना दिया। अगली सुबह जब कुत्ता रामू के घर आया तो शेर ने उसे दबोच लिया और खा गया। 

कुछ दिन शांति से बीते लेकिन अब शेर के भोजन की व्यवस्था करते करते हैं रामू के घर का अनाज भी खत्म होने लगा था। अब वह शेर को बहुत ही कम भोजन देने लगा। 

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भूखा शेर बहुत तेज तेज दहाड़ने लगा। उसने अपनी जंजीर तोड़ी और गांव की तरफ निकल गया। शेर को खुला हुआ देखकर गांव के लोग इधर-उधर भागने लगे। 

चलते-चलते शेर मुखिया के पास ही पहुंच गया। शेर को आता हुआ देख मुखिया ने कहा,” अच्छा !! तो रामू तुम्हें खाना नहीं देता है ? तुम भूखे हो इसलिए मेरे पास आए हो ? 

इतना कहते ही शेर ने मूर्ख मुखिया के ऊपर हमला कर दिया और उसे खा गया।

इस कहानी से आपने क्या सीखा नीचे Comment में जरूर बताएं।

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