भूतिया हवेली | Bhutiya Haweli | Hindi Kahaniya| Bhutiya Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories | Horror Story

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” भूतिया हवेली ” यह एक Bhutiya Kahani है। अगर आपको Hindi Scary Stories, Horror Story या Bedtime Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
भूतिया हवेली | Bhutiya Haweli | Hindi Kahaniya| Bhutiya Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories | Horror Story

Bhutiya Haweli | Hindi Kahaniya| Bhutiya Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories | Horror Story

 भूतिया हवेली  

एक बार की बात है। कई सालों पहले सोनापुर गांव में एक भयानक हवेली थी जिसके बारे में तरह तरह की अफवाहें फैली थी। 
हर किसी का मानना था कि उस हवेली में कोई चुड़ैल का साया है। काफी बार गांव वालों को वहाँ पर चुड़ैल के होने का अहसास भी हुआ था। 
एक बार गांव के लोग गांव के चौराहे पर बैठकर सभी हवेली के बारे में बात कर रहे थे। 
आदमी,” अरे भैया ! हवेली में भूत का साया है। मैंने खुद पेड़ों से फूलों को उड़ते हुए खुद हवेली में जाते हुए देखा। “
दूसरा आदमी,” अरे ! नहीं कल्लू भैया, वहाँ भूत का नहीं वहाँ पर चुड़ैल का साया है। मैंने तो पायलों की आवाज़ सुनी है। ” 
तीसरा आदमी,” ओ सुनील चच्चा ! भूत चुड़ैल नहीं वहाँ तो राक्षस है राक्षस। मैंने देखा मेरी गाय का दूध अपने आप निकलकर बर्तन में चला गया भैया और फिर बर्तन हवेली में। “
चौथा आदमी,” हाँ, बात तो सही है, मैंने भी हंसने की बहुत सी आवाजें सुनी हैं। जमींदार साहब, आपको हवेली और गांव के बीच में मजबूत दीवार बना देनी चाहिए। कम से कम ये भूत हमारे बच्चों को तो नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। “
औरत ,” ना जाने हवेली में भूत है कि चुड़ैल ? लेकिन एक बार जब मेरे पति लकड़ियाँ काट रहे थे तो उनकी कुल्हाड़ी नीचे गिर गई। 
अचानक कुल्हाड़ी ना जाने कैसे उड़ते हुए वापस उनके हाथ में आ गयी। मेरी तो डर के मारे जान ही निकल गयी थी। “
बुढ़िया,” हाँ बिटिया, सच कहती हो। वहाँ कोई है जिसने हमारी सहायता की। मेरी पोती तालाब में डूब गई थी। अचानक तेज हवा चली और मेरी बेटी तालाब से उड़ती हुई बाहर आ गयी। “
जमींदार,” देखो भाइयो, मेरा बेटा अमेरिका से वापस आ रहा है। कुछ दिनों के बाद वो वापस चला जाएगा। 
उसे इन सब घटनाओं के बारे में खबर नहीं होनी चाहिए। उसके जाने के बाद मैं यह दीवार पक्की करवा दूंगा। “
गांव के ही किसान का बेटा भीखू खाद लेने शहर जा रहा था। रास्ता हवेली के सामने से ही गुजरता। 
जब वह हवेली के आगे से डरता हुआ पहुंचा तो उसने देखा कि एक सुन्दर सी लड़की उसके सामने आकर खड़ी हो गयी। 
भीखू,” तुम कौन हो और यहाँ क्या कर रही हो ? तुम्हें नहीं पता, ये हवेली भूतिया है ? यहाँ रहना खतरे से खाली नहीं है। “
लड़की,” मेरा नाम किरन है। मैं तो यहीं रहती हूँ। हम यहाँ आते जाते हैं, भूत तो नहीं देखा हमने कभी। “
भीखू,” अच्छा… ये तो भूतिया हवेली है और लोग कहते हैं यहाँ भयंकर चुड़ैलें रहती हैं। “
ये सब सुनकर भीखू मन ही मन डरने लगा। उसके दिमाग में यही चल रहा था कि जो कुछ भी आज तक उसने सुना, वो सच है या झूठ ? 
तभी किरन बोली। 
किरन,” तुम्हें पता है, मैं हवेली में ही रहती हूँ ? “
भीखू,” अब ये क्या कह रही हो ? पूरा गांव जानता है कि इस हवेली में भूत चुड़ैल रहती हैं। “
किरन,” तुम चुड़ैल भूत जैसी चीजों पर विश्वास रखते हो ? “
भीखू (मन में),” मैं फालतू में ही इतना सोच रहा हूँ। ये लड़की होकर भी नहीं डर रही। ये भूत चुड़ैल मन का वहम है। ये सच्चाई थोड़ी ना है। “
किरन,” आओ तुम्हें मैं अपने बाकी लोगों से मिलवातीं हूँ। इससे तुम्हारा डर हमेशा के लिए खत्म हो जायेगा। “
भीखू किरन के पीछे पीछे चलने लगा कि अचानक उसे ज़ोर का धक्का लगा और वो हवेली की पहाड़ी से नीचे गिर गया। 
गांव वाले तुरंत दौड़ते हुए भीखू के पास आए और पूछने लगे क्या हुआ ? तभी भीखू के मुँह से बस यह शब्द निकले। 
भीखू,” वो लड़की… किरन… हवेली। “
अब तो गांव में डर का भयानक माहौल बन गया था। सबको विश्वास हो गया था कि हवेली में किसी किरन नाम की चुड़ैल का शाया है जिसने भीखू को मार दिया है। 

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इस घटना के अगले दिन ही जमींदार साहब का बेटा, राजेश अपने दोस्त मयंक के साथ गांव आ रहा होता है। 
ड्राइवर,” हे भगवान ! शाम हो गयी है, हवेली के आगे से गुजरना होगा। “
ड्राइवर,” अरे राजेश भैया ! आप उस हवेली की तरफ मत देख ना। कहीं उन चुड़ैलों का साया आप पर भी ना पड़ जाए ? “
मयंक,” अरे राजेश ! ये तेरा ड्राइवर क्या कह रहा है, चुड़ैलों का साया ? गांव के अंधविश्वासों का तो अपना ही मज़ा है। “
राजेश,” अरे ड्राइवर भैया ! आप चुपचाप गाड़ी चलाओ ना। ये सब अंधविश्वास है‌। हम सब ये नहीं मानते। “
ड्राइवर,” भैया, आज तक इस भूतिया हवेली में कोई एक रात नहीं गुजार पाया। बड़े बड़े लोग आए और बड़े बड़े दावे किये और फिर हार मानकर चले गए। “
मयंक,” अरे ! हम पढ़े लिखे लोग हैं, अमेरिका से आए हैं। हम इन सब बातों को नहीं मानते। ये सब अंधविश्वास है। 
अगर हमें सचमुच भूत प्रेत देखने को मिल जाये तो इन छुट्टियों का मज़ा आ जायेगा… क्यों राजेश ? “
राजेश,” क्या हुआ बिरजू ? “
मयंक ,” अरे ! ये गाडी के आगे इतने सारे फुल कैसे पड़े हैं ? लगता है किसी ने हमारा स्वागत करने के लिए रखे हैं ? “
ड्राइवर,” यहाँ रुकना खतरे से खाली नहीं भैया। मैंने अभी अभी किसी को यहाँ से जाते हुए देखा है। ये सब हवेली की चुड़ैलों का काम है। “
राजेश,” अरे ! तुम गांव वाले भी कमा लो। खुद ही सब कुछ करके शर्मिंदा हो जाते हो। मैं सब जानता हूँ। 
गांव वालों ने ये फूल बिछाए होंगे। लेकिन अब अपना नाम बताना नहीं चाहते। “
ड्राइवर,” राजेश भैया, मैं झूठ नहीं बोल रहा। जब आप हवेली में एक रात बिता लेंगे तो आपकी सोच भी बदल जाएगी। “
मयंक,” यार बिरजू तुम पहले घर पहुँच जाओ, बाद में देखेंगे। अभी तो बहुत ज़ोर से भूख लगी है। मेरे पेट में तो हाथी, चूहे, भूत, प्रेत सब दौड़ रहे हैं। “
कुछ ही देर में दोनों दोस्त घर पहुँच जाते हैं और आराम से सो जाते है। अगले दिन जब वह गांव घूमने जाते है तो फिर गांव वाले उन्हें हवेली के पास जाने से मना करते हैं। 
आखिरकार गांव वालों की सोच को बदलने के लिए राजेश और मयंक उस हवेली में एक रात बिताने का फैसला करते हैं। 
जमींदार,” ये मैं क्या सुन रहा हूँ राजेश, तुम हवेली में जाना चाहते हो ? अरे ! तुम्हारा दिमाग तो ठीक है ? मैं तुम्हें कभी इसकी आज्ञा नहीं दूंगा। “
राजेश ,” पिताजी, हम अमेरिका से पढ़कर आए हैं। हम ऐसे अंधविश्वासों को नहीं मानते। वैसे भी वो हवेली बहुत पुरानी है। हम उसे हेरिटेज होटेल बनाना चाहते हैं। करोड़ों की प्रॉपर्टी है। “
मयंक,” अरे चाचा जी ! हो सकता है इस हवेली में कुछ लोगों ने कब्जा करने के लिए इस तरह की अफवाहें उड़ाई हों ? हम हमेशा के लिए इन सब का समाधान कर देंगे। “
जमींदार,” ठीक है, अगर तुम लोग नहीं मानते तो जाओ। लेकिन अपने साथ दो गार्ड, बंदूक और सुरक्षा का सारा सामान साथ ले जाओ। “
गार्ड,” आप लोग सो जाइये, हम सब बाहर ही बैठे हुए हैं और कोई भी बात हो तो तुरंत आवाज़ दे दीजियेगा। “
सोते समय… 
मयंक,” राजेश उठ यार ये सब क्या हो रहा है ? “
राजेश,” अबे… अबे ये पलंग हवा में कैसे उड़ रहा है ? ये गाने की आवाजें भी आ रही है। 
ये खुशबू… ये तो कमल के फूल की खुशबू है लेकिन इस पुरानी हवेली में कमल का फूल कहाँ से आया ? इतनी मीठी आवाज़ तो सिर्फ परियों की हो सकती है, भूत और राक्षस की नहीं। या फिर हम लोगों को डराने के लिए किया जा रहा है ? “
मयंक,” क्या तुमने वही देखा जो मैं देख रहा हूँ ? “
राजेश,” हाँ यार, ये तो सचमुच भूतिया है। “
मयंक,” नहीं, हम यूं विश्वास नहीं कर सकते। मुझे तो लगता है कि ये कोई ऐसा बंदा है जिसे इस टाइप के हॉरर इफेक्ट के बारे में बहुत कुछ पता है। चलो हवेली की लाइब्रेरी में चलते हैं, कुछ तो मिलेगा। “
राजेश (किताब उठाते हुए),” ये किताब दूसरी दुनिया की परियों की है जो कभी कभी उस दुनिया से इस दुनिया में घूमने आया करतीं हैं। 
150 साल पहले ये हवेली उन्हीं परियों का अतिथिगृह हुआ करता था जहाँ पर वे अपना समय बिताने आया करती थीं। “

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मयंक,” अतिथिगृह क्या होता है ? “
राजेश,” गेस्ट हाउस। “
मयंक,” यानी कि हम लोग एक परियों के गेस्ट हाउस में हैं। वाह भाई ! ये तो कमाल हो गया। “
राजेश,” मेरा ख्याल है, हमें बिना आवाज किए चुपचाप देखना चाहिए कि असलियत क्या है ? क्योंकि अभी तक हमें परियां नजर नहीं आयी हैं। “
इसके बाद वो परियों का इंतजार करने लगते हैं। तभी अचानक उनके सामने जादुई संगीत बजने लगता है और बहुत सारी परियाँ सामने प्रकट हो जाती है। 
परी,” मैं हुस्न परी हूँ। हमारे घर में आपका स्वागत है मानव मित्रों। हमें खुशी हुई कि तुम हमारे यहाँ आये। “
मयंक,” आप तीनों तो कितनी अच्छी हो, तो आप लोगों से लोग डरते क्यों हैं ? “
परी,” इसका जवाब तो वही दे सकते हैं। क्या तुम दोनों को भूख लगी ? “
मयंक,” हाँ, भूख तो लगी है। जो खाना लाये थे वो तो कब का खा चुके हैं हम दोनों ? “
हुस्न परी,” क्या तुम हमारी मदद करोगे इस हवेली की सफाई करने में ? “
राजेश,” हां… क्यों नहीं ? “
वह सब हवेली को चमकाना शुरू कर देते हैं। आवाज़ सुन जब गार्ड (धीरज और मुन्ना) अंदर आता है तो उसे मयंक और राजेश उड़ते हुए दिखाई देते हैं पर परियाँ नहीं दिखाई देतीं। 
वो डरकर उन्हें छोड़कर वहाँ से भाग जाते हैं और जमींदार के पास पहुंचते हैं। 
गार्ड,” जमींदार साहब, गजब हो गया। लगता है राजेश भैया और उनके दोस्त को भूतों ने अपने कब्जे में कर लिया। वो दोनों हवा में उड़ रहे थे। “
जमींदारनी,” हे भगवान ! अब क्या होगा ? मेरे बच्चों को प्रेतों ने अपने कब्जे में लिया है। 
भूतो ने नहीं चुड़ैलों ने किया है क्योंकि वहाँ से लड़कियों की आवाजें आ रही थी। वो गाना भी गा रही थी। हमने पायलों की आवाज भी सुनी। “
सभी गांव वाले बुरे तरीके से डर जाते हैं। मयंक और राजेश अगले दिन जैसे ही सूरज उगता है, उन दोनों पारियों को अलविदा कहते हैं। 
हुस्न परी,” हम पर विश्वास करने के लिए धन्यवाद राजेश और मयंक। लेकिन गांव वाले हम पर भरोसा नहीं करते। 
इस हवेली से हमारी यादें जुड़ी हैं इसलिए जब भी मन करता है तो कुछ वक्त बिताने हम यहाँ आ जाते हैं। “
मयंक,” लेकिन भीखू पर हमला तो सुबह हुआ था। “
हुस्न परी,” मैं यही बताना चाहती हूँ, भीखू पर हमला हमने नहीं किया। हम तो सिर्फ गांव वालों को शहर से भागकर आए हुए तस्करों से बचाने की कोशिश कर रहे थे, जो सुबह के समय इस हवेली में छुपे रहते हैं और रात को तस्करी के लिए निकल जाते हैं। “
परियां राजेश और मयंक को बताती हैं। 
परी,” उस दिन जिस दिन भीखू पहाड़ी से गिरकर मर गया, उस दिन परी उसकी रक्षा कर रही थी लेकिन सिर्फ भीखू को ही दिखाई दे रही थी। 
जब तस्करों ने भीखू को हवेली की तरफ आते हुए देखा तो उन्होंने उसे पीछे से धक्का दे दिया ताकि उनका रहस्य किसी और को ना पता चल जाए। “
मयंक,” तो क्या तस्कर आपको नहीं देख सकते ? “
तीसरी पारी,” नहीं, हमें सिर्फ वही देख सकता है जिसके आगे हम अपने आप को खुद दिखाना चाहें। 
हमने गांव वालों को तस्करों के बारे में बताने की काफी कोशिश की। लेकिन डरपोक गांव वाले हवेली में नहीं आए। “
राजेश,” आपको परेशान होने की कोई जरूरत नहीं। आपने हमारे गांव की रक्षा के लिए इतने सालों तक हमारा साथ दिया। 
आप की सच्चाई हम सभी गांव वालों को बताएंगे और हम सभी गांव वालों के साथ अगले हफ्ते दीपावली मनाने यहाँ आएँगे। “
राजेश और मयंक सारी कहानी सबको बताते हैं। पुलिस को तस्करों की सूचना दे दी जाती है। पुलिस छापेमारी करती है और सभी तस्करों को गिरफ्तार कर लेती है। 
इन्स्पेक्टर,” रे ! आज़ तुम सब लोग हत्थे चढ़े हो। अब देखो इन्स्पेक्टर टोंडे तुम लोगों के साथ क्या करता है ? सबकी नाक में दम करके रखा था। “
राजेश,” थानेदार साहब धन्यवाद वक्त से आने के लिए। आप इन सबको कड़ी से कड़ी सजा दिलवाईयेगा इन्होंने भीखू की हत्या भी की है। “
इन्स्पेक्टर,” अरे! चलो रे ले चलो इन सबको गाड़ी में भरके। “
इन्स्पेक्टर,” आप सब गांव वालों को अब इस हवेली से डरने की कोई जरूरत नहीं है। कुछ नहीं होता ये भूत प्रेत। समझदार बनो तुम सब राजेश और मयंक की तरह। “

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गांव वालों को राजेश की बात पर भरोसा होने लगता है। दिवाली के दिन सभी गांव वाले हवेली की तरफ चल देते हैं। परियों ने पूरी हवेली को दीपों से सजाया होता है। 
हवा में आतिशबाजी होने लगती है। परियां सबके सामने प्रकट हो जाती है। 
परियों को देखकर सभी बहुत खुश होते हैं और उनके साथ मिलकर दिवाली मनाते हैं। इसके बाद सभी हँसी खुशी से गांव में रहने लगते हैं।
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