मंदिर में चोरी | Hindi Kahani | Moral Stories in Hindi | Bed Time Story | Hindi Stories

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “ मन्दिर में चोरी ” यह एक Bed Time Story है। अगर आपको Hindi Kahani, Moral Story in Hindi या Best Stories in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
मंदिर में चोरी | Hindi Kahani | Moral Stories in Hindi | Bed Time Story | Hindi Stories

Mandir Me Chori | Hindi Kahani| Moral Stories in Hindi | Bed Time Story | Hindi Stories

 मंदिर में चोरी 

शुभनगर नामक गांव में अर्जुन नाम का एक लड़का रहता था। अर्जुन बहुत ही आलसी था। दिन भर सोना और भूख लगने पर खाना खाना बस यही उसका काम था। इसके अलावा उसे कुछ भी नहीं आता था।
उसके माता – पिता उसकी इस आदत से बहुत ज्यादा परेशान थे। एक दिन अर्जुन के पिता अर्जुन की मम्मी से बोले – सुनो भाग्यवान ! मैं राशन वाली दुकान पर जा रहा हूं। राशन का सभी सामान खरीद कर और पैसे देकर मैं अपने काम पर निकल जाऊंगा। 
इस आलसी को भिजवाकर सामान मंगवा लेना। वैसे मुझे इस आलसी से कोई उम्मीद तो नहीं है लेकिन हां किसी भी तरह से सामान जरूर मंगवा लेना।
अर्जुन की मम्मी कहती है – ठीक है… ठीक है। मैं इसे भेज दूंगी। आप काम पर जा सकते हो।
चलो तो फिर मैं चलता हूं। यह कहकर अर्जुन के पिता काम पर निकल जाता है।
अर्जुन की मम्मी अर्जुन को उठाते हुए बोलती है – अर्जुन… अर्जुन, अब क्या इसी तरह सोता रहेगा ? देख दिन निकल आया है।
अर्जुन – क्या है ? क्यों उठा रहे हो मुझे ? मुझे नींद आ रही है। मुझे थोड़ा देर और सोने दो। मुझे बार-बार परेशान मत करो।
अच्छा और सोने दूं। समय पता है क्या हो रहा है ? 11:00 बज चुके हैं। तेरे पापा काम पर भी जा चुके हैं। चल अब उठ जा।
अर्जुन आनाकानी करते हुए सोता रहता है और कुछ भी जवाब नहीं देता है।
कितना आलसी लड़का है ? पता नहीं आगे का जीवन इसका कैसा होगा ?
मजबूरन अब अर्जुन की मां ही राशन वाली दुकान पर राशन के लिए चली जाती है। जब अर्जुन के पिता को इस बात का पता चलता है कि राशन लेने अर्जुन नहीं बल्कि उसकी मां गई थी तो वह बहुत गुस्सा होते हैं ।
और कहते हैं – शर्म नहीं आती… जवान लड़का होकर भी काम नहीं करता और दिन भर सोता रहता है। भूख लगे तो खाना खाकर फिर सो जाता है। पता नहीं तेरा जीवन में क्या होगा ?

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अब ऐसा नहीं चलेगा। कल से तुम्हें मेरे साथ काम पर चलना होगा। अगर नहीं गए तो खाना पीना और खर्चा सब कुछ बंद कर दिया जाएगा।
पिता की ऐसी बातें सुनकर अर्जुन को भी गुस्सा आ जाता है और वह कहता है – नहीं चाहिए मुझे तुम्हारा खाना और खर्चा। 
अपना खाना और खर्चा अपने पास रखो। और वैसे भी यहां मेरी नींद पूरी नहीं होती। दिनभर ताना ही सुनता रहता हूं। भगवान ने मेरे लिए कोई ना कोई उपाय जरूर सोच रखा होगा।
अर्जुन उसी समय विस्तर से उठता है और घर छोड़कर जाने लगता है। अर्जुन की मां उसके पीछे-पीछे उसे रोकने के लिए जाती है।
अर्जुन बेटा कहां जा रहे हो ? सुनो तो सही, तुम्हारे पापा तुम्हारे भले के लिए ही कह रहे थे।
अर्जुन बिना कोई जवाब दिए वहां से निकल जाता है।
अर्जुन की मां वापस घर लौटती है और अर्जुन के पिता से कहती है – सुनो जी ! आपने यह बहुत गलत किया। हमारा बेटा इतना आलसी है कि उसे कोई काम भी नहीं आता। अब पता नहीं वह कहां कहां भटकेगा ?
देखो मैंने यह सब इसके आलस्य को दूर करने के लिए और कुछ करने के लिए कहा था। मुझे नहीं पता था कि यह इतना डीठ और आलसी है कि घर ही छोड़ कर चला जाएगा।
इधर अर्जुन चलते-चलते दूसरे गांव में पहुंच जाता है। शाम होने वाली होती है और अर्जुन को बहुत तेज भूख लग रही होती है। उसे सामने एक मंदिर दिखाई देता है जहां पर काफी लोग पहले से मौजूद थे। 
वह मंदिर में जाता है और मंदिर की सीढ़ियों पर बैठ जाता है। मंदिर में आने वाले भक्त थोड़ा थोड़ा प्रसाद करके सभी को दे रहे थे। अर्जुन ने भी प्रसाद लिया और उसे खा लिया। इससे उसकी भूख शांत हो गई। 
अब रात हो गई थी तो अर्जुन वही मंदिर पर ही सो गया। जब मंदिर के द्वार बंद करने का समय हुआ तो पुजारी जी बाहर आए और उन्होंने देखा कि अर्जुन वही सो रहा है। 
पुजारी जी ने अपने चेले से कहा – देखो यह लड़का कौन है और यहां क्यों सो रहा है ? उठा कर लाओ इसे।
रामू जाता है और उस लड़के को पुजारी जी के पास चलने के लिए कहता है। अर्जुन पुजारी जी के पास जाता है। 

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पुजारी जी सवाल करते हुए कहते हैं – बेटा तुम कौन हो और यहां क्यों सो रहे हो ? क्या तुम्हारा घर बार नहीं है ?
इस बात पर अर्जुन मन ही मन सोचता है कि अगर मैंने ‘ हां ‘ कह दिया तो पुजारी जी मुझे यहां से भगा देंगे और मेरे खाने-पीने की व्यवस्था भी नहीं रह गई। क्यों ना मैं इनसे झूठ ही बोल दूं ? 
अर्जुन कहता है – इस दुनिया में मेरा कोई नहीं है। इसलिए मैं भगवान की शरण में आया हूं।
अर्जुन की चुपड़ी चुपड़ी बातें सुनकर पुजारी जी कहते हैं – कोई बात नहीं बेटा… जिसका कोई नहीं होता उसका भगवान होता है। तुम यहां जब तक रहना चाहो रह सकते हो और रामू के साथ काम में हाथ बटा सकते हो।
अर्जुन किसी तरह उस मंदिर में रुकना चाहता था इसलिए उसने हां में जवाब दिया। अगली सुबह रामू मंदिर की सफाई कर रहा था लेकिन अर्जुन मंदिर में सो रहा था। जब खाना बनाने का समय आया तो अर्जुन तो सो रहा था लेकिन रामू खाना बना रहा था। 
कुछ दिनों तक ऐसे ही चलता रहा लेकिन जब खाना खाने का समय आता तो सबसे पहले अर्जुन खाना खाने बैठ जाता। अर्जुन की इस हरकत को रामू कई दिनों से बर्दाश्त कर रहा था। 
एक दिन वह पुजारी जी के पास गया और उसने कहा – पुजारी जी आपने जो नया लडका मंदिर में रखा है वह मंदिर के किसी भी काम में हाथ नहीं बढ़ाता। ना ही साफ-सफाई और ना ही खाना बनाना, सब मैं ही करता हूं और वह बस सोता रहता है। 
और जब खाना खाने का समय आता है तो सबसे पहले खाना खाने बैठ जाता है। अगर आप उसे समझा देंगे तो अच्छा रहेगा; क्योंकि जब मैं अकेला था तब मुझे कोई समस्या नहीं थी लेकिन अभी यह भी है लेकिन फिर भी कोई काम में हाथ नहीं बटाता।
पुजारी जी अर्जुन के पास जाते हैं और अर्जुन उस समय सो रहा होता है। पुजारी जी उसे उठाते हुए बोलते हैं – बेटा ! मैंने तुम्हें मंदिर में रहने की अनुमति इसलिए दी है ताकि तुम रामू के साथ उसके काम में हाथ बंटा सको। 
वह अकेला ही मंदिर की सफाई करता है, खाना बनाता है लेकिन तुम सोते रहते हो। तुम देखने में हष्ट पुष्ट और जवान हो। 
पुजारी जी की बात सुनकर अर्जुन को गुस्सा आता है और वह मन ही मन सोचता है – मंदिर में इस मूर्ति पर काफी सारे गहने हैं। क्यों ना मैं इन्हें चुरा लूं ? इससे मैं काफी दिनों तक आराम की जिंदगी बिता सकता हूं और वैसे भी इस मूर्ति पर इन गहनों का क्या काम ?
यह सोचकर वह मंदिर से बाहर निकल जाता है लेकिन रात को पुजारी और रामू के सोने के बाद वह मंदिर में आता है। और मूर्ति के सभी गहने एक पोटली में बांधकर जाने लगता है। 
कुछ दूर जाने के बाद ठीक उसके सामने पुजारी, रामू और गांव के कुछ लोग इकट्ठा होकर अर्जुन का इंतजार कर रहे होते हैं। अर्जुन जैसे ही उन्हें देखता है वह पूरी तरह घबरा जाता है।
वह कहता है – पुजारी जी मैं तो इन गहनों को साफ करने के लिए ले जा रहा था। गहने काफी गंदे हो चुके थे। मैंने कोई चोरी नहीं की है।

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इस पर पुजारी कहते हैं – अगर तुम चोर नहीं हो तो इन गहनों को पोटली में क्यों बांधकर ले जा रहे हो ? अपनी सफाई देना बंद करो। अगर मैंने कह दिया तो गांव के यह लोग तुम्हें यही पीट पीटकर मार डालेंगे। 
और मैंने पुलिस को भी बुलाया है। अच्छा हुआ रामू ने मुझे ठीक समय पर बता दिया और गांव के कुछ लोगों को भी ले आया। वरना आज तो बहुत बड़ा अनर्थ हो जाता।
तभी पुलिस वहां पहुंच जाती है और अर्जुन को गिरफ्तार कर लेती है। वह अर्जुन को जेल लेजाकर बहुत पिटाई करती है। 
जेल का सिपाही अर्जुन से कहता है – देखो… अगर इस दुनिया में तुम्हारा कोई है, माता-पिता या घर बार तो उन्हें खबर भिजवा दो वरना तुम यहां इसी तरह पिटते रहोगे।
अर्जुन के मन में अब कोई भी विचार काम नहीं कर रहा होता है। वह अपने माता-पिता का पता उन्हें बता देता है और उनके लिए संदेशा भिजवा देता है। 
जैसे ही अर्जुन के माता-पिता को यह पता चलता है कि अर्जुन को पुलिस ने पकड़ लिया है वे वैसे ही दबे पांव पुलिस स्टेशन पहुंचते हैं और उसकी जमानत कराते हैं।
उसके बाद अर्जुन और उसके माता-पिता घर लौट आते हैं। अर्जुन अपनी इस हरकत पर काफी शर्मिंदा होता है। और वह अपने माता-पिता से कहता है – मां – बाबा आज मुझे पता नहीं क्यों बहुत ही शर्म महसूस हो रही है ? 
आप हमेशा कहते रहते थे ‘आलस्य का कोई फायदा नहीं है। इससे हम डूबते चले जाते हैं। हमें काम करना चाहिए ताकि हम अपने आने वाले समय में अच्छा जीवन व्यतीत कर सकें।’ अगर मैंने आपकी इस बात को पहले माना होता तो आज मुझे यह दिन देखने को नहीं मिलता। मुझे माफ कर दीजिए।
उसके बाद अर्जुन के पिता कहते हैं – जो हुआ उसे भूल जाओ और अब इस आलसीपन में बिल्कुल मत रहना। अगर अच्छा जीवन जीना है तो उसके लिए काम ही करना होता है।
अगले दिन से अर्जुन अपने पिता के साथ काम में हाथ बटाता है और खूब मेहनत करता है। अब उनके परिवार में पहले जैसा कोई आलसी नहीं है। सभी मन लगाकर काम करते हैं और खूब अच्छे से जीवन व्यतीत करते हैं।
इस कहानी से आपने क्या सीखा ? नीचे Comment में हमें जरूर बताएं।

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