मौत की लोरी | Mout Ki Lori | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – मौत की लोरी। यह एक Horror Story है। तो अगर आपको भी Daravani Kahaniya, Bhutiya Kahani या Horror Stories in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
मौत की लोरी | Mout Ki Lori | Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

Mout Ki Lori| Horror Story | Bhutiya Kahani | Chudail Ki Kahani | Horror Stories in Hindi

 मौत की लोरी 

छोटा बच्चा (लोरी गाते हुए),” माई… रे माई ! मैं तेरा राज़ दुलारा। माई… रे माई ! मैं तेरा तुला। तू ने मुझे पैसा, तू ने मुझे पिला। माई… रे माई ! मैं तेरा राज़ दुलारा। “
गांव के लोग लोरी की आवाज सुनकर डरे हुए हैं और जबरदस्ती अपने बच्चों को सुलाने की कोशिश कर रहे हैं। 
बच्चे के पैरों के निशान जिस भी घर के सामने से गुजरते उस घर का दरवाजा अपने आप खुल जाता है। 
ध्रुव,” मां… माँ मुझे जाने दो ना। वो मुझे बुला रहा है। उसके पास बहुत सारे खिलौने भी है, माँ। माँ, मुझे जाने दो ना मां। “
ध्रुव के पापा,” नहीं ध्रुव, तुम कहीं पर भी नहीं जाओगे। ज़िद्द मत करो, बाहर बहुत खतरा है। “
ध्रुव की मां,” देखो, तुम्हारी बहन भी तो चुपचाप से हमारे साथ बैठी हुई है। “
इतना कहकर जब ध्रुव की माँ ने अपनी बेटी रिया की ओर नजर दौड़ाई तो वहाँ पर कोई नहीं था। 
जिसे देखकर ध्रुव के माँ पापा एकदम चौंक गए। उनकी आंखें फटी की फटी रह गयीं। ।
पापा,” रिया कहां गयी ? अभी तो यहीं थी। “
मां ,” मुझे नहीं पता, मुझे मेरी बेटी वापस चाहिए। रिया… रिया कहाँ हो तुम रिया ? “
रिया को आवाज लगाते हुए माँ, पापा और ध्रुव सब दरवाजे पर आकर खड़े हो गए। 
उन्होंने जब आसपास नजर घुमाई तो देखा कि गांव के चार बच्चे एक लाइन में एक छोटे बच्चे के पीछे चल रहे हैं और सब के सब वही लोरी गा रहे हैं।
माँ जब अपनी बेटी रिया को मौत के मुंह में जाते हुए देखती है तो फूट फूटकर रोते हुए बिखर जाती है और पापा भी अपनी बेटी रिया को हमेशा के लिए जाते हुए देख दुख के मारे टूट जाते हैं। पर ध्रुव को अभी कुछ समझ में नहीं आया था। 
ध्रुव,” पापा, रिया कहाँ चली गयी ? “
पापा,” बेटा, रिया हमें छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए चली गई है। वह वापस नहीं आने वाली है। “
ध्रुव,” पर पापा वो अपने दोस्तों के साथ जंगल ही तो गयी है ना ? चलो ना पापा उसे लेकर आते हैं। 
वो मेरी छोटी बहन है। हम उसे ऐसे खूंखार जंगल में अकेला नहीं छोड़ सकते हैं। “
तभी गांव का मुखिया ध्रुव के पास आता है। 
मुखिया,” अरे बेटा ध्रुव ! तुम तो बहुत समझदार और अच्छे बच्चे हो ना ? तो फिर ज़िद क्यों करते हो‌ ? अपने माता पिता की बात मान लो। “
ध्रुव,” तो क्या अब हम भी बाकियों की तरह गांव छोड़कर चले जाएंगे ? “
मां,” ध्रुव, मुखिया जी बिल्कुल सही कह रहे हैं। हम ये गांव छोड़कर जाने वाले हैं और अब मैं तुम्हारी एक नहीं सुनूंगी। “
सबके मना करने पर ध्रुव गुस्सा हो गया और अपनी बहन की फोटो पर से हार उतारकर फेंक फोटो को लेकर घर के अंदर चला गया।
ध्रुव का ये गुस्सा देख मुखिया उसे समझाने के लिए घर के अंदर चला गया। 
मुखिया,” अरे बेटा ! तुम जिद क्यों करते हो ? शायद तुम्हें इस बात का कोई अंदाजा नहीं है लेकिन अगर तुम इस गांव को छोड़कर चले जाओगे, सिर्फ तभी तुम सुरक्षित रहोगे वरना वो बच्चा तुम्हें भी तुम्हारे माता पिता से अलग कर देगा। “
ध्रुव,” आखिर वो बच्चा है कौन ? और ऐसा क्या है उसकी लोरी में कि गांव के सारे बच्चे उसकी तरफ खिंचे चले जाते हैं ? ऐसा क्या है उस बच्चे की आवाज में ? “
मुखिया,” ध्रुव वह कोई और नहीं बल्कि मेरा बेटा विजय है जोकि आज से 12 साल पहले मर गया था।
यह कहते हुए मुखिया 12 साल पहले फिर उस काली रात को जीने लगा। 

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12 साल पहले की काली रात…
मुखिया की पत्नी,” ओ में हीम क्लीम चामुंडायै विच्चे। मां, मुझे अमर बना दे। माँ, मेरी आहूति स्वीकार कर। 
आज ये मेरा बेटा तेरी भूख मिटाने के लिए अपनी जान की कुर्बानी दे रहा है। माँ, मेरी आहूति स्वीकार कर माँ। “
मुखिया,” अरे ! कैसी माँ हैं तू जो अपने ही बेटे की बलि चढ़ाने पर तुली है ? तू मां नहीं बल्कि एक डायन है डायन जिसे सिर्फ बलि देना आता है। 
तुझ में ममता और प्यार का एक कण भी नहीं है। तू माँ कहलाने के लायक ही नहीं है, प्रिया। “
मुखिया की पत्नी,” तुमने बिल्कुल सही कहा मैं मां नहीं डायन हूं डायन जो अपने जन्मे बच्चों की कुर्बानी देकर अमर हो जाएगी। जिसे रोकने वाला कोई नहीं है। “
मुखिया,” मत कर प्रिया। तेरी गोद में जो बच्चा है वो सिर्फ तेरा नहीं है, मेरा भी है। मैं तेरे आगे हाथ जोड़ता हूँ, मेरे बेटे विजय का छोड़ दे। “
मुखिया अभी बोल ही रहा है। तभी आसमान में जोर से बिजली चमकी और अगले पल ही तेज बारिश होने लगी। बारिश की बूंदों से हवन की अग्नि और तेज हो गयी। 
मुखिया की पत्नी (लोरी गाते हुए),” तू मेरा राज दुलारा, तू मेरी आंखों का तारा। तुझे मैंने पाला, तुझे मैंने पूछा और तुझे मैंने… मारा। “
इतना कहकर प्रिया ने एक झटके में खंजर से विजय का सर धड़ से अलग कर दिया और विजय का सर सीधे आग में जा गिरा। 
कुछ देर बाद आग से विजय की आत्मा निकली और अपनी माँ के अंदर समाने ही वाली थी की मुखिया ने उसी खंजर से अपनी पत्नी प्रिया का सर काट डाला और उसका सर भी उसी अग्नि में जलकर राख हो गया।
ध्रुव,” तो क्या आपने अपनी पत्नी को मार डाला ? “
मुखिया,” हां, मैंने अपनी पत्नी को मार डाला। वैसे भी वो मेरी पत्नी नहीं, एक डायन बन चुकी थी जिससे बस उसकी शक्तियों का मिलना ही बाकी था। “
ध्रुव,” तो फिर आपके बेटे विजय का क्या हुआ ? “
मुखिया,” वो मरने के बाद भी अपनी माँ से प्यार करता रहा। इसीलिए आज भी अपनी माँ की शक्तियों को वापस दिलाने के लिए बच्चों को अपने वश में करता है और आहूति के लिए अपनी माँ के पास ले जाता है। “
ध्रुव,” वश में करके..? पर उसके पास शक्तियां कहाँ से आयी ? “
मुखिया,” विजय की बलि के बाद उसकी आत्मा बहुत शक्तिशाली हो गयी थी और अगर विजय की शक्तिशाली आत्मा अपनी माँ प्रिया में समा जाती तो सारी शक्तियां उसकी माँ को ही मिल जाती लेकिन मैंने पहले ही उसे मार दिया था। “
ध्रुव,” तो क्या आपका बेटा विजय ऐसे ही गांव के बच्चों को लोरी सुनाकर अपनी माँ प्रिया के लिए आहुतियाँ इकट्ठा करता रहेगा क्या ? “
मुखिया,” नहीं, एक रास्ता है पर वो बहुत खतरनाक है। “
ध्रुव,” कैसा रास्ता, मुझे बताईये ? मैं नहीं चाहता कि आपकी पत्नी ने जो आपके बेटे विजय के साथ किया वो गांव के किसी और बच्चे के साथ हो। “
मुखिया,” ठीक है ध्रुव, अगर तुम यही चाहते हो तो मेरी बात ध्यान से सुनो। 
मुखिया धुव्र को सारी योजना समझा देता है।
अगली रात फिर से विजय का भूत वही लोरी गाते हुए गांव के रास्ते गुजर रहा होता है।
ध्रुव अपनी कानों में रुई डाल लेता है ताकि विजय की लोरी का असर उसके ऊपर ना हो और वह भी बच्चों के साथ विजय के पीछे पीछे चलने लगता है।
कुछ देर बाद विजय बाकी बच्चों के साथ उसी जगह पहुंच जाता है जहां वह बच्चों की आहुति दिया करता था।
विजय की मां,” मेरा राज दुलारा… मेरी आंखों का नूर… मेरी आंखों का तारा। तुझे मैंने पोसा, तुझे मैंने पाला… मेरा राज दुलारा। “
विजय भी सारे बच्चों को अपनी माँ के पास आहुति के लिए खड़ा करके आग में विलीन हो गया और वश में किए गए बच्चे भी एक लाइन में खड़े हो गए। वो प्रिया की गोद में जाने के लिए बेताब थे। 
प्रिया,” आओ बच्चों आओ, तुम्हारी मां तुम्हें बुला रही है। आ जाओ… अपनी माँ से कैसा डर ? “
प्रिया के बुलवाने पर एक बच्चा पिया की गोद में जाकर बैठ गया। प्रिया ने भी उस बच्चे के साथ वही किया जो उसने विजय के साथ किया था। उसका गला काटा और उसके सर को हवन कुंड में डाल दिया। 
इस बीच मौके का फायदा उठाकर ध्रुव लाइन में खड़ा हो गया और प्रिया के बुलाने पर वो उसकी गोद में जा बैठा। 
प्रिया,” ओम हीम क्लीम चामुंडायै विच्चे। माँ, मुझे अमर बना दे। माँ, मेरी आहुति स्वीकार कर।
आज ये मेरा बेटा तेरी भूख मिटाने के लिए जान की कुर्बानी दे रहा है। मां, मेरी आहुति स्वीकार कर माँ। “
प्रिया के बोलते हुए आग की लपटें और तेज़ी से जलने लगी। इशारा समझकर प्रिया ने खंजर उठाया ही था कि फिर उसे अचंभा हुआ क्योंकि खंजर अपनी जगह पर नहीं था। 
प्रिया का सीधा शक गोद में रखे बच्चे पर गया। इससे पहले की प्रिया कुछ कर पाती ध्रुव ने उसी के खंजर से उसी का गला काट दिया। 
प्रिया का सर सीधा हवन कुंड की अग्नि में जा गिरा और अब तक जितने भी बच्चों की बलि दी गई थी, उन सब बच्चों की आत्माएं हवा में चारों तरफ फैल गईं जिसे ध्रुव भी देखकर दंग रह गया। 
उसके बाद ध्रुव सही सलामत घर वापस आ जाता है।
ध्रुव,” माँ, अब तो सब सही हो गया है फिर पापा हम सबको शहर जाने के लिए क्यों बोल रहे हैं ? “
मां,” बेटा, तुम्हारा ऐडमिशन शहर के स्कूल में हो गया है इसलिए अब हम सब ये शहर छोड़कर जा रहे हैं। चल अब जल्दी से जा और तैयार हो जा। ” 

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इतना कहकर मां आयने के सामने से चली जाती है। 
कुछ देर बाद ध्रुव उसी आईने के सामने आकर खड़ा हो जाता है और चिल्ला चिल्ला कर कहने लगता है।
ध्रुव,” माई… रे माई ! मैं तेरा राज दुलारा। तूने मुझे पाला, तूने मुझे पोसा। माई… रे माई ! मैं तेरा राज दुलारा। “
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