यक्षिणी – Horror Story in Hindi | Best Horror Story in Hindi

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हेलो दोस्तो, कहानी की इस नई Series में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है ” यक्षिणी “। यह एक Horror Story है। कहानी को पूरा अंत तक जरूर पढ़ें। तो चलिए शुरू करते हैं….
यक्षिणी - Horror Story in Hindi | Best Horror Story in Hindi

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 यक्षिणी (भाग – 1) 

एक साथ चार गोली भेजे में उतारने के बाद वह उससे बोला ,” अब बोलता क्यों नहीं हरामजादे…. तूने माल कहां छुपा रखा है ? “

” तभी उसका दोस्त बोला अरे यार…. ये साला तो मर गया। यह तूने क्या कर दिया, गुस्से – गुस्से में उसे मार डाला ‍; अब पुलिस आती होगी। “

” चल भाग, ‌ जल्दी चल अब यहां से अगर पुलिस ने हमें यहां इस लाश और कट्टे के साथ देख लिया तो फिर हमें कोई माई का लाल नहीं बचा सकता।”

” दोनों जल्दी से बाइक स्टार्ट कर और तेजी से बाइक भगाकर दुर्जन चाचा के यहां पहुंचते हैं।” वे दोनों दरवाजा खटखटाते हुए दुर्जन चाचा को आवाज लगाते हैं, ” चाचा…. ओ दुर्जन चाचा…. जल्दी दरवाजा खोलो हम दोनों मुसीबत में हैं।”

चाचा ,” क्या हुआ…. क्यों इतना जोर से दरवाजा पीट रहे हो ? ” चाचा ने जैसे ही दरवाजा खोला ; दोनों नहीं चलती से घर में अंदर प्रवेश किया और दुर्जन चाचा को भी अंदर आने के लिए कहा।”

चाचा , ” तुम दोनों इतना घबराए हुए क्यों हो ?… क्या फिर से कोई कांड करके आए हो ? “

” अरे ! नहीं चाचा… हम लोग कोई नया कांड नहीं करके आए है। वह तो चाची जी के हाथ की चाय पीने का मन हुआ तो दोनों चले आए।”



” झूठ मत बोलो ! मैं तुम्हारी नस नस से परिचित हूं… तुम दोनों केवल चाय पीने के लिए यहां नहीं आ सकते…. और वो भी रात के इस वक्त…। और तुम दरवाजा खटखटाते हुए यह क्यों बोल रहे थे कि तुम दोनों मुसीबत में हो ?”

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इतने में चाची चाय की ट्रे लेकर आ गई। ” लो बच्चो… गरमा गरम चाय पियो ; तुम लोग इनकी बातों पर मत जाओ यह तो बेवजह किसी पर भी शक करने लगते हैं। अरे बच्चे हैं और आज तो संडे भी है , चले आए चाय पी ली और क्या ? “

चाचा ,” रात के 12:00 बजे चाय पीने…. वाह ! शायद तुम इन्हें जानती नहीं हो। ये दोनों जरूर कुछ ना कुछ करके आए हैं।”

” अब रहने भी दो तुम अपनी तहकीकात…. बच्चे हैं जब मन होगा चाय पीने चले आएंगे और वैसे भी रात को चाय पीना मना है क्या ? ” चाची ने दोनों की तरफदारी लेते हुए कहा।

चाय का नाम सुनकर दोनों ने राहत की सांस ली और किसी तरह से उन्होंने अपनी घबराहट को छुपा लिया। चाचा जी उनकी हरकत को पहचान ना ले इसलिए उन्होंने जल्दी-जल्दी चाय पी और स्टेशन के लिए निकल गए।

दोनों वहां से जितना जल्दी हो सके भागकर ; रतलाम जाना चाहते थे क्योंकि वहां उनका एक दोस्त मनोहर रहता था। उन्हें लगा इस शहर से दूर रतलाम जाने के बाद वे दोनों काफी सुरक्षित होंगे क्योंकि इन्होंने जिसका खून किया था वह भी एक खूंखार गुंडा था।

स्टेशन पहुंचकर दोनों ने रतलाम जाने वाली ट्रेन, दुरंतो की टिक ली और वेटिंग रूम में चले गए क्योंकि उस समय 12:00 बज रहे थे। वेटिंग रूम में तीन चार लोग पहले से मौजूद थे और वह भी ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। 

वे दोनों भी उनके पास जाकर खाली सीट पर बैठ गए। कुछ देर बाद एक और नया यात्री आता है और इन दोनों के पास बैठ जाता है। उसने अपने मुंह में गुटका भरा हुआ है और एक जली हुई सिगरेट भी ठूंस रखी थी। 

थोड़ी देर बाद गुटका खत्म होने और सिगरेट पीने के बाद उसने उन दोनों से पूछा,” आपको कौन सी ट्रेन पकड़नी है ? भाई साहब….”

” दुरंतो एक्सप्रेस “

” ओ अच्छा….. वह वाली ट्रेन। वह ट्रेन तो आज बहुत लेट है, सुना है कुछ उपद्रवियों ने रेलवे ट्रैक उखाड़ दी है इसलिए जब तक ट्रैक ठीक नहीं होगा, ट्रेन नहीं आ पाएगी। अभी – अभी मैंने स्टेशन मास्टर से पूछा था।”



थोड़ी देर बाद उस आदमी ने पास वाले खाली सीट पर एक चादर बिछाई और मोबाइल में अलार्म सेट करके लेट गया। लगभग 10 मिनट में ही वह जोर-जोर से खर्राटे भरने लगा।

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उन दोनों में से एक ने कहा,” लो भाई, ये साहब तो सो गए… लगता है हमें भी यही लेट कर अपनी पीठ सीधी कर लेनी चाहिए क्योंकि सुबह तक यहां न तो कोई ट्रेन है और ना ही कोई दूसरा साधन।”

” सही कह रहा है तू…. अब इंतजार के अलावा हमारे पास कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है।” दूसरे ने जवाब दिया।

दोनों वही बिना चादर बिछाए लेट गए। दोनों की आंखों से नींद कोसों दूर थी। केवल वे दोनों इधर-उधर करवटें बदल रहे थे।

लगभग आधे घंटे के बाद एक नव युवती वेटिंग रूम में प्रवेश करती है। उसके बाल कमर तक लम्बे थे , आंखें गहरी काली काली और बड़ी-बड़ी थी। उसका सौंदर्य एक अप्सरा के समानता है। 

वेटिंग रूम में आते ही उसने उन दोनों का तिरछी नजर से मुआयना किया। उसे वे दोनों काफी आकर्षक लगे। उसने उन दोनों के पास आते हुए कहा,” आप लोग कहां जा रहे हो ?” 

नव युवती को अपने पास आते हुए देख वे दोनों बैठ गए और एक साथ बोले ,” रतलाम “।
युवती ने उन दोनों से पूछा ,” क्या मैं यहां बैठ सकती हूं ? “

दोनों ने झट से जवाब दिया,” हां… जी बिल्कुल बैठिए आप यहां।”

और इसी के साथ इस कहानी का यह अध्याय समाप्त होता है। आगे क्या हुआ…. जानने के लिए अगला भाग जरूर पढ़ें।

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