हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “ रंगीली भाभी ” यह एक Saas Bahu Ki Kahani है। अगर आपको Hindi Kahani, Saas Bahu Story या Bedtime Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Rangili Bhabhi | Saas Bahu | Moral Stories | Saas Bahu Ki Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories
रंगीली भाभी
आज होली थी। बाहर सभी लोग होली के रंग में डूबे हुए थे। कोई किसी को रंग लगा रहा था तो कोई गुलाल।
कोई किसी पर रंगों भरी पिचकारी मार रहा था तो कोई कीचड़ में लिपटा हुआ कुछ अलग ही नजर आ रहा था।
लेकिन सभी की जबान पर एक ही बात थी… होली है भाई होली है, बुरा न मानो होली है।
लेकिन बाहर के इतने शानदार रंगों से अनजान दीपेंद्र अपने कमरे में बैठा मोबाइल में गेम खेल रहा था। तभी उसकी आँखों पर किसी ने पीछे से अपना हाथ रखा।
दीपेंद्र,” कौन ? “
माला,” अरे ! पहचानिए, पहचानिए। “
दीपेंद्र,” माला… माला भाभी। “
माला,” अरे वाह देवर जी ! आप तो तुरंत पहचान गए। “
माला ने अपना हाथ दीपेंद्र की आँखों से हटाया और जैसे ही उसने अपना माथा हटाया तो उसने देखा कि उसके सामने ना सिर्फ माला भाभी ही नहीं बल्कि दिव्या और रंजना भाभी भी हैं।
दिव्या और रंजना भाभी के हाथों में ढेर सारा रंग था। दीपेंद्र कुछ समझ पाता उसके पहले ही उन लोगों ने उसके चेहरे पर रंग लगाना शुरू कर दिया।
तीनों भाभियां,” होली है, होली… आज तो हम आपको ऐसे रंगेंगे, ऐसे रंगेंगे कि रंग छुड़ाने में आपको कम से कम 10 दिन लगेंगे, हाँ।”
ये कह कर उन लोगों ने फिर से दीपेंद्र को रंग लगाना शुरू कर दिया। इस बीच माला भाभी ने बाल्टी में रंगों को घोला और दीपेंद्र की ओर देखते हुए कहा।
माला,” देवर जी, तैयार हैं ना… रंगों भरी बाल्टी में डुबकी लगाने के लिए ? “
ये कहकर माला बाल्टी के रंगों को एक पिचकारी में भरकर दीपेंद्र पर डालने लगी।
दीपेंद्र,” अरे… अरे ! हो गया भाभी, अब कितना रंग लगाएंगी ? “
माला,” अरे ! ऐसे कैसे हो गया ? भाभी और देवर की होली भी भला इतनी जल्दी खत्म होती है क्या ? “
ये कहकर उन तीनों ने दीपेंद्र को पकड़ा और उसे बाहर ले जाने लगी।
दीपेंद्र,” अरे ! कहाँ ले जा रही हैं मुझे आप लोग ? “
दिव्या,” आप भी ना, सवाल बहुत पूछते है। चलिए ना जहाँ ले जा रहे हैं। “
उसके बाद तीनों भाभी दीपेंद्र को एक रंग के भरे टब के पास ले गई। दीपेंद्र ने जब रंगों से लबालब भरे उस टब को देखा तो बोल पड़ा।
दीपेंद्र,” ओ तेरी ! अभी और भी रंग बाकी है ? “
दीपेंद्र की बात अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि दिव्या भाभी ने उसे ज़ोर का धक्का मारा और वो उस टब में जा गिरा।
उसके बाद सारी भाभियां ज़ोर ज़ोर से खिलखिलाकर हंसने लगी और उससे कहने लगी।
रंजना,” क्यों देवर जी, आ रहा है भाभियों के साथ होली खेलने का मज़ा ? “
दीपेंद्र,” आ तो रहा है लेकिन ऐसा लग रहा है कि होली एक तरफा हो रही है। “
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माला,” अरे ऐसा क्यों ? “
दीपेंद्र,” क्योंकि अभी मैंने कहा लगाया आप लोगों को रंग ? अरे जैसे आप लोगो ने मुझे रंगों से भर दिया, मुझे भी तो आपको रंगों से भरना है। “
ये कहकर वो टब से बाहर निकला और तीनों भाभियों को टब में धकेलने लगा। “
दिव्या,” अरे यार ! ये देवर जी क्या कर रहे हैं ? “
तीनों भाभियां,” अरे ! छोड़ दो मेरा हाथ। अरे देवर जी ! छोड़िए ना। “
दीपेंद्र,” अच्छा, जब आपकी बारी आई तो कह रही हैं छोड़िये छोड़िये। अरे ! कैसे छोड़ दें आपको ? “
उसके बाद दीपेंद्र सभी को उस टब में डाल देता है और खुद भी टब में प्रवेश कर जाता है।
दीपेंद्र,” हाँ भाभी, अब ना होगी देवर और रंगीली भाभियों की जबरदस्त होली। “
टब में चारो के चारो होली की खुमारी में डूबे हुए थे। दीपेंद्र कभी माला भाभी को रंग लगाता तो कभी रंजना भाभी को। कभी तीनों भाभियाँ उसके चेहरे को फिर से रंग देती।
दीपेंद्र,” क्यों रंगीली भाभियो, ये वाली होली कैसी है ? “
तीनों भाभियां,” मस्त है। होली का मतलब ही यही है कि सब सही गलत को भुलाकर गले मिला जाए और मस्ती के रंगों में डूबा जाए। “
यह कहकर तीनों भाभियों ने दीपेंद्र को गले से लगा लिया। दीपेंद्र ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इस मोहल्ले में आने के बाद उसकी पहली होली इतनी शानदार और यादगार होगी। छह महीने पहले ही तो वो इस मोहल्ले में रहने आया था।
एक दिन जब वो अपनी बालकनी में खड़ा था तभी उसकी नजर सबसे पहली बार माला भाभी पर गई थी।
माला भाभी उस समय अपनी बालकनी में खड़ी अपने बालों को सुखा रही थी। माला भाभी की खूबसूरती देखकर वो बार बार उसे निहार रहा था।
दीपेंद्र,” वाउ ! कितनी सुन्दर है ये ? क्या तीखे नैन नक्श है इसके ? इसके लंबे घने काले बाल कितने प्यारे लग रहे हैं ? “
तभी माला भाभी की नजर दीपेंद्र पर गई। दीपेंद्र और माला दोनों की नज़रें मिलीं। दीपेंद्र बिल्कुल झेंप गया।
तभी माला भाभी ने उसकी और मुस्कुराते हुए देखा और अपनी एक आंख दबा दी। माला भाभी की इस हरकत पर दीपेंद्र के दिल की धड़कन बढ़ गई और वो मन ही मन सोचने लगा।
मस्त है।,” अरे वाह ! इतनी जल्दी ग्रीन सिग्नल मिल गया मुझे। क्या किस्मत है मेरी ?”
उसके बाद तो उन दोनों का नैन मटक्का हर दिन शुरू हो गया। कभी दीपेंद्र अपनी बालकनी में खड़ा उसका इंतजार करता तो कभी माला अपनी बालकनी में उसका इंतजार करती हुई मिलती।
उन दोनों ने इशारों इशारों में बातें करके एक दूसरे का फ़ोन नंबर भी ले लिया था। अब वे घंटों बातें भी करने लगे थे।
माला,” अरे यार ! फ़ोन रख भी दीजिये देवर जी, कितनी बातें करेंगे ? “
दीपेंद्र,” क्या करूँ भाभी, आपसे बातें करके जी नहीं भरता ? “
माला,” वो तो ठीक है लेकिन कुछ बातें कल के लिए भी रहने दीजिये, मेरे प्यारे देवर जी। क्योंकि मेरे पति का फ़ोन आने वाला है। “
यह कहकर माला भाभी ने फ़ोन रख दिया। लेकिन इस बीच दीपेंद्र के साथ एक और घटना घटी।
एक दिन दीपेंद्र बहुत देर से माला का इंतजार कर रहा था लेकिन माला बालकनी में नहीं आयी।
दीपेंद्र,” क्या बात है ? बहुत बहुत देर हो गयी, माला भाभी बाहर नहीं आई। फ़ोन करू क्या मैं उन्हें ? “
दीपेंद्र बेसब्री से माला का इंतजार कर रहा था। तभी उसकी नजर माला की बालकनी में एक और खूबसूरत औरत पर गयी।
पहले तो दीपेंद्र को लगा कि वो माला ही है लेकिन फिर जब उसने गौर से देखा तो उसे पता चला।
दीपेंद्र,” अरे ! ये कौन हैं ? पहले तो कभी माला भाभी के यहाँ नहीं देखा। “
माला, रंजना और दिव्या एक ही बिल्डिंग में रहते थे। तीनों में बहुत ही ज्यादा बनती थी।
इसका सबसे बड़ा कारण था कि वह तीनों की तीनों बहुत ही खुले विचारों की थी। माला ने जब अपने दोस्तों से दीपेंद्र का जिक्र किया तो तीनों उसके बारे में चर्चा करने लगे।
दिव्या,” सच में यार, बहुत ही हैंडसम है वो। “
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रंजना,” अच्छा..? पर यार ये तो गलत बात है ना, पिछले एक महीने से तू ज़िन्दगी के मज़े ले रही है और हमें अब बता रही है। “
माला,” बता तो दिया ना, छिपाया तो नहीं। “
दिव्या,” अरे ! हमसे क्या छुपाओगी रानी, हम तो दीवार के आर पार भी देख लेते हैं ? “
दीपेन्द्र रंजना को देखकर खयालों में खोया हुआ था तभी बालकनी में माला और दिव्या भी आ गयी।
उसके बाद वो तीनो दीपेंद्र को देखकर मुस्कुराने लगी और उसे इशारों से मिलने के लिए बुलाया।
दीपेंद्र जब पहली बार उनसे मिला और उन तीनों ने उसे जब ये बताया कि वे सभी उसे बहुत पसंद करती है तो दीपेंद्र के मन में में लड्डू फूटने लगे। वो मन ही मन सोचने लगा।
दीपेंद्र,” वाह ! इसे कहते है किस्मत का धनी होना। एक साथ तीन तीन रंगीली भाभियों का प्यार। वाउ दीपेंद्र ! क्या किस्मत पाई है ? “
माला, रंजना और दिव्या के पति बाहर जॉब करते थे। वो साल में कुछ दिनों के लिए अपने घर आते और फिर वापस लौट जाते।
उन्हें अपनी पत्नियों पर बहुत भरोसा था लेकिन वो उनके भरोसे को तार तार कर रही थी।
बहरहाल दीपेंद्र तीनों रंगीली भाभियों के साथ होली का आनंद ले रहा था। तभी वहाँ वो हुआ जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी।
माला, रंजना और दिव्या भाभी के पति वहाँ पहुंचे और उन्होंने अपनी पत्नियों को इस बेशरमी में दीपेंद्र के साथ देखा तो उन सभी का पारा सातवें आसमान पर जा पहुंचा।
माला का पति,” ये सब क्या है ? क्या है ये सब ? “
माला,” जी, वो… वो हम लोग होली खेल रहे हैं। पर आप लोग कब आये ? आपने तो कहा था कि छुट्टी नहीं मिल रही।
है। “
माला का पति,” छुट्टी मिल गई और इस छुट्टी ने ही तुम लोगों की पोल खोल दी। अरे इस तरह से कौन होली खेलता है ?
हम लोग बाहर तुम्हारी खुशियों के लिए इतनी मेहनत करते हैं और बदले में तुम लोग हमें ये दे रही हो। “
रंजना और दिव्या के पति भी अपनी पत्नी पर काफी आग बबूला हो रहे थे।
रंजना और दिव्या के पति,” हम लोग भी तुम से दूर रहते हैं। अगर हम लोग वहाँ ये सब कर रहे होते तो तुम्हे कैसा लगता है ?
पति पत्नी का रिश्ता प्रेम और विश्वास का है। उसे इस तरह कौन आग लगाता है ? “
दीपेंद्र जो अब तक मस्ती में डूबा हुआ था, उसके दिल की धड़कन अब बहुत तेज़ हो गई थी।
उसे लग रहा था कि उन तीनों के पति उसकी जबरदस्त पिटाई करने वाले हैं। वो भागने की ताक में था कि तभी माला के पति ने कहा।
माला का पति,” देखो, तुम लोग हमारे साथ खुश नहीं हो तो हम तुम्हें छोड़ देते हैं।
तुम इस लड़के के साथ रहने के लिए आजाद हो। तुम लोग चाहो तो इसके साथ हमेशा के लिए रह सकती हो, हाँ। “
उनकी बातों को सुनकर दीपेंद्र ने कहा।
दीपेंद्र,” अरे ये क्या बात हुई ? मौज मस्ती तक तो ठीक है लेकिन साथ कौन रहेगा और वो भी इनके ?
जो अपने पतियों की सगी नहीं हुई, वो मेरी क्या होंगी ? मुझे नहीं रहना इनके साथ। “
दीपेंद्र की बातों को सुनकर तीनों को बहुत ही अजीब लगा। उन्हें खुद से घृणा होने लगी।
उन्हें अपने किए पर बहुत पश्चाताप भी हो रहा था। उन्हें पहली बार एहसास हुआ कि उन्होंने कितनी बड़ी गलती की है।
पश्चाताप के आंसू उनकी आँखों में दिखाई देने लगे थे।
माला,” हमें माफ़ कर दीजिये। हम गलत राह पर चल निकले थे। दुनिया में सबसे बड़ा पाप किसी के विश्वास को तोड़ना है।
हमने आपका विश्वास तोड़ा है। हमें माफ़ कर दीजिए, माफ़ कर दीजिए हमें। ऐसी गलती फिर नहीं होगी। “
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तीनों के पतियों ने उन्हें माफ़ कर दिया और वहीं पास में रखे रंगों को उन्हें लगाते हुए कहा।
तीनों के पति,” होली है। “
होली के त्योहार के दिन तीनों भाइयों ने अपने जीवन से विश्वासघात का रंग निकाल दिया और प्रेम और विश्वास के रंग से अपना जीवन भर लिया।
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