हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” रहस्यमय कुआं ” यह एक Rahasyamay Kahani है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Achhi Achhi Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Rahashyamay Kuan | Hindi Kahaniya| Moral Story In Hindi | Hindi Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories
एक छोटा सा गांव था। बरसात ना होने से गांव के इकलौते कुएं में पानी बहुत कम रह गया था। इस कारण कुएं से पानी भरने में बहुत मेहनत करनी पड़ती थी।
भीखू की मां,” लल्ला घर में पीने का पानी बिल्कुल नहीं है, जाकर कुएं से भरकर ला। “
भीखू,” क्या कहा ? पीने का पानी बिल्कुल नहीं है ? “
भीखू की मां,” हाँ, आज मेरे हाथ में दर्द हो रहा है इसलिए मैंने पानी नहीं भरा है तो तू जा कर ले आ। “
भीखू,” मैं क्या इस काम के लिए बना हूं ? “
भीखू की मां,” तो किस काम के लिए बना है ? “
भीखू,” मैं तो कोई बड़ा काम करने के लिए बना हूं। “
भीखू की मां,” कौन सा बड़ा काम ? “
भीखू,” वही तो सोचता रहता हूँ। “
भीखू की मां,” ऐसा कर… पहले पानी लेकर आ फिर सोचते रहना। “
भीखू,” क्या माँ तुम भी… हर दूसरे दिन तुम हाथों में दर्द का बहाना बनाकर मुझसे पानी भरवाती हो ? “
भीखू की मां,” हाँ तो पूरा दिन खाली बैठकर तू करता क्या है ? सुन… अगर नहीं लाएगा पानी तो तुझे पीने के लिए पानी नहीं मिलेगा। मैं अपने लिए राधा के घर से ले आउंगी, तू प्यासा रहना। “
भीखू,” अच्छा ठीक है ठीक है, जाता हूँ… जाता हूँ। “
भीखू मटका लेकर पानी भरने के लिए कुएं के पास जाकर उसमें झांकता है। कुएं में बहुत कम पानी बचा हुआ था।
भीखू,” बारिश न होने से कुएं में पानी बहुत कम बचा है। पानी खींचने में बहुत मेहनत लगेगी। ये बारिश भी ना..।
इस बार बारिश ने दुखी कर दिया। कुआं एकदम सूखा पड़ा है। कुएं बाबा, कृपया आराम से पानी दे दो। “
कहकर उसने कुएं पर लगी घिरनी की रस्सी को पकड़कर उससे बंधी बाल्टी कुएं में डाली और धीरे धीरे रस्सी छोड़ने लगा।
भीखू,” बाल्टी इतनी हल्की क्यों है ? “
भीखू ने झांककर देखा तो बाल्टी पानी तक नहीं पहुंची थी।
भीखू,” अरे बाप रे ! पानी तो बहुत गहराई में है। अब तो रस्सी भी कितनी भारी हो गयी है ? “
वो रस्सी को और नीचे करने लगा। जैसे ही उसमें पानी भरा, भीख ने रस्सी को ऊपर खींचा। पर उसे खींचते हुए वो खुद ही हिलने लगा।
भीखू,” पानी इतना नीचे है कि रस्सी खींची भी नहीं जा रही, पूरी ताकत लगा रहा हूँ फिर भी। “
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उसने ज़ोर लगाया तो रस्सी टूट गई और बाल्टी सहित कुएं में गिर गई। खिंचाव के कारण भीकू जमीन पर गिर गया।
भीखू,” हाय ! मेरे हाथ में कहीं छाले ना पड़ जाएं ? अरे रे ! ये… ये क्या हुआ ? बाल्टी तो कुएं में गिर गयी। अब मैं पानी किससे भरूं ?
कुएँ बाबा, ये ठीक नहीं किया… बिल्कुल ठीक नहीं किया। आपने मुझे सताया है तो अब आपको इसकी सजा मिलेगी।
मैं भी अभी आपको कैद करता हूँ। आप मेरे कैदी हो। जब तक मैं आपको सजा नहीं देता, आप अपनी जगह से हिल भी नहीं सकते। “
ये कहकर वो पनघट पर अपना मटका लेकर वहीं बैठ गया।
थोड़ी देर बाद एक आदमी कुएं से पानी भरने के लिए आया।
और उसने देखा कि कुएं से पानी भरने के लिए ना तो घिरनी पर रस्सी है और ना ही बाल्टी।
आदमी,” भीखू भाई ! ये कुएं की घिरनी पर ना तो रस्सी बंधी है और ना ही वो बाल्टी है। आखिर रस्सी कहां गयी ? “
भीखू,” कुएं बाबा खा गए। “
आदमी,” क्या… कुएं बाबा खा गए ? अच्छा ठीक है, मैं दूसरी रस्सी और बाल्टी लेकर आता हूँ। “
थोड़ी देर बाद वो बाल्टी से बंधी हुई रस्सी लाकर घिरनी से बांध देता है। पर जैसे ही वो पानी भरने लगा, भीखू ज़ोर से चिल्लाया।
भीखू,” भाई, तुम पानी नहीं भर सकते… हाँ। “
आदमी,” क्यों..? क्यों नहीं भर सकता भैया ? “
भीखू,” क्योंकि कुएं बाबा मेरे कैदी हैं। जब तक इनकी सजा पूरी नहीं हो जाती, मेरी अनुमति के बिना कोई भी इस कुएं से पानी नहीं भर सकता। “
आदमी,” अरे ! कैसी अजीब बातें कर रहे हो भीखू ? लगता है तुम चढ़ाकर आये हो ? “
भीखू,” चढ़ाकर नहीं चलकर आया हूँ। “
आदमी,” अब चाहे जैसे भी आये हो, मुझे क्या भैया ? ये कुआं तुम्हारी जायदाद नहीं है इसलिए चुप बैठो। तुम मुझे नहीं रोक सकते। “
भीखू,” मैंने इस कुएं को कैद किया है समझे..? तुम्हें चाहे अजीब लगे या कुछ भी लगे, बस तुम इससे पानी नहीं भर सकते। चलो… चलो जाओ यहाँ से। “
आदमी,” मैं अभी तुम्हें मज़ा चखाता हूँ। तुम यहीं रुकना, भागना मत। “
भीखू,” हाँ जाओ, कर लो जो करना है। “
वो आदमी गांव में जाकर ये बात बताता है।
आदमी,” अरे ! तुम लोग चलो मेरे साथ। वो भीखू कुएं से पानी भरने नहीं दे रहा है। “
वो गांव वालों को साथ लेकर कुएं पर आता है। उनमें से एक आदमी कुएं से पानी भरने लगता है।
भीखू,” ओ भाई ओ ! तुम इस कुएं से पानी नहीं भर सकते समझे..? ”
आदमी,” क्यों..? क्यों नहीं भर सकता ? ये पूरे गांव का कुआं है। तुम्हारे अकेले की जागीर नहीं है। “
भीखू,” मैंने कब कहा कि मेरी जागीर है ? पर इन कुएं बाबा को मैंने कैद किया है। ये मेरे कैदी हैं।
और जब तक इनकी सजा पूरी नहीं हो जाती, कोई इस कुएं से मेरी अनुमति के बिना पानी नहीं ले सकता। “
बूढ़ा,” अरे भीखू ! ये कैसे हो सकता है ? और तुम इसको कैद कैसे कर सकते हो ? “
भीखू,” देखो भाई, बात तो बहुत सीधी सी है। मैं कुएं से पानी लेने आया था और मैंने बाबा से प्रार्थना की थी कि मुझे आसानी से पानी दे दो। और बाबा ने मेरी नहीं सुनी।
एक तो मैंने इतनी मेहनत से बाल्टी पानी तक पहुंचाई। देखो पानी कितना नीचे है देखो। तुम खुद ही देख लो।
मेरे हाथों में छाले भी पड़ गए बाल्टी खींचते खींचते। रस्सी टूटकर कुएं में गिर गयी। अब तुम ही बताओ मेरी सारी मेहनत बेकार हुई कि नहीं ? “
आदमी,” अरे ! ये तो किसी के भी साथ हो सकता है। इसमें सजा वाली बात कैसे आ गयी ? “
भीखू,” अगर कोई तुम्हारे बीज चुरा ले या तुम्हारे खेतों को नुकसान पहुंचाये तो तुम क्या उसे छोड़ देते हो ? सजा देते हो कि नहीं..?
तुम लोग तो मार मारके उसका दम ही निकाल देते हो। अब कुएँ बाबा ने मेरी मेहनत मिट्टी में मिला दी तो मैंने उन्हें कैद कर लिया है… हाँ। “
दूसरा आदमी,” अरे भीखू ! कैसी पागलो वाली बात करते हो भाई ? दिमाग घूम गया है क्या तुम्हारा ? “
भीखू,” जो समझना है समझो। चलो चलो… अभी तुम सब निकलो यहाँ से और कोई भी मेरी अनुमति के बिना पूरे 2 दिन तक इसमें से पानी निकालने की कोशिश भी मत करना। मैं यहाँ 24 घंटे पहरेदारी के लिए बैठा हूँ। “
सभी आदमी वहाँ से चले जाते हैं। गांव जाकर वह सभी भीखू की शिकायत एक पहलवान से कर देते हैं।
पहलवान,” अरे ! मैं देखता हूँ कैसे पानी नहीं भरने देता ? “
पहलवान सीधा कुएं पर पहुंचता है और बाल्टी से पानी भरने लगता है।
भीखू,” पूरे गांव को पता है पर क्या तुम नहीं जानते कि मेरी अनुमति के बिना इस कुएं में से 2 दिन तक कोई पानी नहीं भर सकता ? “
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पहलवान,” अब तुम्हारी सजा तुम जानो। तुम्हारे चक्कर में क्या कोई 2 दिन तक पानी नहीं भरेगा ? हम क्या बिन पानी के रहेंगे बे ?
तेरा दिमाग घूम गया क्या ? ये कुआं पूरे गांव का है और मुझे तेरी अनुमति की कोई जरूरत नहीं है, समझा..? “
भीखू,” खबरदार जो तुमने पानी लेने की कोशिश भी की तो। “
पहलवान,” अच्छा… देखूं तो तुम क्या कर सकते हो भाई ? “
वो भीखू के सामने अपनी लाठी लेकर खड़ा हो गया। भीखू थोड़ा डर गया। बाहुबली पानी खींचने लगा तो भीखू ने उसका हाथ पकड़ा। “
पहलवान,” चल हट। “
दोनों में हाथापाई हो गई।
उसने भीखू को कुएं में धकेल दिया और वहाँ से भाग गया।
भीखू,” बचाओ… बचाओ। कोई तो सुनो। बचाओ… बचाओ। “
भीखू बाहर निकलने के लिए ऊपर की तरफ हाथ पैर मारने लगा। अचानक उसका हाथ कुएं की दीवार पर अटक गया।
उसने देखा कि दीवार पर थोड़ी थोड़ी दूरी पर लोहे के तीन हत्थे लगे थे। भीखू ने उसे पकड़ लिया। उसे पकड़कर वो थोड़ा ऊपर आया।
उसने देखा कि दीवार पर एक छोटा सा दरवाजा है जिस पर छोटी सी कुण्डी लगी थी।
भीखू,” अरे कुएं के अंदर ये दरवाजा कहाँ से आया ? शायद कुएं में पानी भरा रहता था इसलिए ये कभी दिखाई नहीं दिया। “
भीखू ने थोड़ा ऊँचा उठ कर दोनों हाथों से दरवाज़ा खोला।
भीखू,” ये तो सुरंगनुमा रास्ता है। जब तक कोई बचाने नहीं आता, मुझे इसमें रहना होगा। “
भीखू उसमें घुसकर घुटनों के बल अंदर चलने लगा।
भीखू,” ये सुरंग तो बहुत लंबी लग रही है। यहाँ इसे किसने और क्यों बनाया होगा ? ज़रा आगे चलकर देखूं तो, ये है क्या ? “
सुरंग काफी लंबी थी। रास्ते में उसे मोतियों की एक माला मिली।
उसने वो उठाकर अपने पास रख ली। वो चलता जा रहा था कि उसे ऊपर की ओर जाती कुछ सीढ़ियां दिखीं।
भीखू,” अरे ! ये क्या..? सीढ़ियां…। “
तभी उसे एक बंद दरवाजे पर लगा ताला दिखा।
भीखू,” लो जी… यहाँ दरवाजा भी है। पर इस पर तो ताला लगा है। इसकी चाबी…? “
पास ही दीवार पर एक चाबी टंगी थी। उसने चाबी लेकर दरवाज़ा खोला। वो अंदर गया। उसकी आँखे वो दृश्य देखकर खुली की खुली रह गईं। वहाँ बहुत बड़ा खजाना और कई सांप थे जिन्हें देखकर वो घबराया।
भीखू,” हे भगवान ! इतना धन तो मैंने आज तक न देखा, न सुना। कहीं ये कोई छलावा तो नहीं ? ये इतने सारे सांप कहीं मार न डालें ?
ये जगह इतनी अजीब क्यों है ? कहीं कोई भूतों का अड्डा तो नहीं ? मैं यहाँ क्यों आ गया ? कही मैं मर तो नहीं गया ? “
उसने खुद का सिर पकड़कर घुमाया।
भीखू,” अरे रे ! जिंदा हूँ। पर मैं यहाँ कहां आ गया ? जय हनुमान ज्ञान गुणसागर जय कपीस तिहु लोक उजागर। “
गाते हुए उसने दरवाजा बंद करके ताला लगाया और चाबी फेंककर वापस कुएं की ओर भाग गया।
बाहर आकर लोहे के हत्थे पर लटककर उसने सुरंग के दूसरे छोर का दरवाजा बंद किया और जोर से चिल्लाने लगा।
भीखू,” बचाओ… बचाओ। “
तभी ऊपर एक आदमी कुएं में झांका।
आदमी,” अरे भीखू ! कुएं में कैसे गिर गए ? “
भीखू,” बचा लो भैया, बचा लो। “
वह आदमी और आदमियों को मदद के लिए बुलाने लगा।
आदमी,” अरे ! भीखू कुएं में गिर गया। अरे ! भीखू कुएं में गिर गया रे। “
उसकी आवाज सुनकर दो आदमी और आ गए और तीनों ने रस्सी फेंकी।
आदमी,” भैया घबराओ नहीं, थोड़ी हिम्मत रखो। ठीक है ? “
उन्होंने भीखू को कुएं में से निकाल लिया।
आदमी,” भीखू, तुम कुएं में कैसे गिर गए भैया ? यह तो अच्छा हुआ कि कुएं में पानी ना के बराबर है वरना आज तो तुम्हारा राम नाम सत्य हो जाता… हैं भैया। “
भीखू,” चलो गांव में मैं सब बताता हूँ। “
इसके बाद भीखू सभी आदमियों के साथ गांव में पहुंचता है। गांव की सभी लोग इकट्ठा होते हैं। भीखू मुखिया से उसे पहलवान की शिकायत करते हुए कहता है।
भीखू,” इसने मुझे कुएं में गिरा दिया था। यह मुझे कुएं में धकेलकर भाग गया। ये चाहता था मैं मर जाऊं। मेरे प्राण निकल जाएं। “
मुखिया,” क्या तुमने इसे धक्का दिया था ? “
पहलवान,” अरे ! मैंने ना दिया, ये खुद ही गिर गया था। “
मुखिया,” खुद ही गिर गया का क्या मतलब भई ? ये तुम्हारे सामने गिरा तो तुम्हें सबको बताना चाहिए था।
इसे बचाने की बजाय तू वहाँ से गायब हो गया। अगर आज भीखू मर जाता है तो ? “
पहलवान,” मुखिया जी, इंसान जैसा करता है वैसा ही भरता है।
इस भीखू को इसके किये का फल मिला है। “
मुखिया,” माना कि भीखू गलत है लेकिन तुमने तो उससे भी बड़ी गलती की है। हमें एक दूसरे की परेशानी में साथ रहना है नाकि झगड़ना है। “
भीखू,” मैं सबसे माफी मांगता हूँ। मैंने गुस्से में तुम लोगों को कुएं का पानी नहीं लेने दिया। “
पहलवान,” मुझे भी माफ़ कर दे भीखू। “
इसके बाद सभी लोग अपने-अपने घर चले जाते हैं। रात को भीखू ने माँ को मोतियों की माला दी।
भीखू की मां,” ये इतनी कीमती माला तू कहाँ से ले आया ? “
भीखू,” तुम्हें क्या..? रख लो माँ, तुम पर अच्छी लगेगी। “
भीखू की मां,” ना ना… पहले बता कहाँ से लाया ? आज कल वैसे भी तू बहुत उल्टी हरकतें कर रहा है। तूने चोरी तो नहीं की ? “
भीखू,” ना ना चोरी नहीं की। “
भीखू ने माँ को कुएं में सुरंग वाली सारी बात बता दी। माँ भीखू को सुबह मुखिया के पास ले गयी। कुछ लोगों ने आकर भीखू को साथ लेकर पूरी छानबीन की।
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मुखिया,” वाह भीखू ! तुमने तो बहुत बढ़िया काम किया है। वो सुरंग वाला रास्ता पुराने किले तक जाता है।
ये खजाने तक जाने का एक खुफिया रास्ता है जिसे आज तक कोई नहीं ढूंढ सका पर तुमने ढूंढ निकाला। इसके लिए तुम इनाम के हकदार हो। “
भीखू,” धन्यवाद मुखिया जी ! “
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