हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” रहस्यमय द्वीप ” यह एक Gaon Ki Kahani है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Jaadui Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Rahasyamay Dweep | Hindi Kahaniya| Moral Stories in Hindi | Bed Time Story | Gaon Ki Kahani
रहस्यमय द्वीप
एक गांव में रोहन और सोहन नाम के दो नवयुवक रहा करते थे। परस्पर उनके संबंध ना तो एक दोस्त की तरह और ना ही एक दुश्मन की तरह थे।
एक बार रोहन की बकरी बीमार पड़ जाती है तो वह बिना कुछ कहे सीधा सरपंच के पास जाता है। सरपंच से शिकायत करता है कि सोहन ने मेरी बकरी को घास में कुछ खिला दिया है जिसकी वजह से वह बीमार पड़ गई है।
सरपंच सोहन को बुलाता है और उसके सामने यह बात रखता है। यह सुनकर सोहन कहता है,” नहीं सरपंच जी, मैंने इसकी बकरी को कुछ भी नहीं खिलाया। “
सरपंच,” यह तुम दोनों क्या कहे जा रहे हो कि बकरी बीमार हो गई ? भला यह भी कोई समस्या है। तुम मेरा समय बर्बाद कर रहे हो। मेरा समय बर्बाद करने के बदले में तुम्हें मेरे लिए 2 किलो बादाम और 1 किलो काजू लेकर आना होगा। नहीं तो तुम्हें सजा दी जाएगी। “
ऐसा सुनकर रोहन और सोहन सर झुकाकर वहां से चले जाते हैं। रास्ते में सोहन रोहन को चिढ़ाते हुए कहता है,” अरे मूर्ख इंसान… देख लिया ना सरपंच का स्वार्थ, उसने अपने लिए 2 किलो बादाम और 1 किलो काजू मंगवाने के लिए तुम्हें फंसा दिया और साथ में मुझे भी। “
रोहन,” तुमने मेरी बकरी को कुछ खिलाकर उसे बीमार कर दिया और अब सफाई दे रहे हो। “
सोहन,” अरे मैंने तुम्हारी बकरी को कुछ भी नहीं खिलाया लेकिन तुम तो मेरी बात पर यकीन करोगे नहीं। “
इस तरह की झगड़ालू बातचीत के बाद रोहन और सोहन अपने-अपने घर निकल जाते हैं। लगभग 1 महीने तक वे दोनों आपस में बात चीत भी बंद रखते हैं।
फिर कुछ दिन बाद सोहन अपने कांटे के साथ मछली पकड़ने के लिए निकलता है। ठीक उसी समय रोहन भी कांटे के साथ मछली पकड़ने के लिए जा रहा होता है। दोनों रास्ते पर एक साथ मिल जाते हैं।
रोहन कहता है,” क्यों सोहन, यह कांटा लेकर कहां जा रहे हो ? “
सोहन गुस्से से जवाब देता है,” यह कांटा घर में अकेला था इसलिए मैं इसे भी साथ ले आया। कैसी बात करते हो ? कांटा लेकर आया हूं तो अवश्य ही मछली पकड़ने ही आया होऊंगा। “
रोहन,” तुम और मछली…. तुमसे तो यह काम बिल्कुल भी नहीं होगा। जाओ और कुछ और काम कर लो। “
सोहन,” अच्छा तो तुम मुझे चुनौती दे रहे हो। चलो तो फिर देखते हैं कौन ज्यादा मछली पकड़ता है ? “
यह कहकर दोनों समुद्र की तरफ निकल जाते हैं। दोनों अपने कांटे को तैयार करते हैं और समुद्र में फेंक देते हैं। देखते ही देखते सोहन काफी मछलियां पकड़ लेता है लेकिन रोहन के कांटे में एक भी मछली नहीं फंसती।
यह देखकर रोहन कहता है,” यह क्या ? अभी तक मेरे कांटे में एक भी मछली नहीं फंसी और इसने तो काफी सारी मछलियां पकड़ ली हैं। इस तरह तो मैं मुकाबला हार जाऊंगा। “
तभी उसकी नजर समुद्र के दूसरी तरफ पड़ती है जहां पर खतरे का बोर्ड लगा हुआ होता है। दरअसल वहां पर मछलियां तो काफी उछल रही थी लेकिन कहा जाता है कि वहां जो भी मछलियां पकड़ता है वह जिंदा वापस नहीं लौटता।
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मुकाबले में जीतने के लिए रोहन इस बात की फिक्र नहीं करता और तुरंत उस जगह पर चला जाता है। वह अपना कांटा फेकता है तो उसके कांटे में काफी वजन हो जाता है।
यह देखकर रोहन कहता है,” लगता है कोई बड़ी मछली हाथ लगी है। ”
रोहन से अपना कांटा संभाला नहीं जा रहा था। यह देख सोहन भी उसके पास जाता है और उसका कांटा पकड़ लेता है।
थोड़ी देर बाद सोहन कहता है,” भाई रोहन… लगता है कांटा किसी गलत जगह फंसा है, कांटे को छोड़ दो। “
मुकाबले में जीतने के मन से रोहन कहता है,” तुम तो यह कहोगे ही। अगर मैंने कांटा छोड़ दिया तो मैं मुकाबले में हार जाऊंगा। “
इतने में तेजी के खिंचाव के कारण रोहन और सोहन दोनों समुद्र में गिर जाते हैं और बीच समुद्र की ओर खींचकर ले जाए जाने लगते हैं।
सोहन घबराते हुए कहता है,” भाई रोहन देख, मुझे यह सब बिल्कुल भी ठीक नहीं लग रहा। कांटे को छोड़ और वापस चल। “
तभी एक चमचमाती रोशनी उन दोनों के आंखों पर पड़ती है तो वह कुछ समय के लिए आंखें बंद कर लेते हैं। उसके बाद वे देखते हैं कि उनके आगे आगे एक सोने की मछली चल रही है जो बीच समुद्र की ओर लगातार बढ़ रही है। उनका कांटा उसी मछली में फंसा हुआ है और वह भी समुद्र के बीच जा रहे हैं।
यह देख रोहन के मन में लालच आ जाता है और सोहन से कहता है,” देख भाई सोने की मछली है। आज तो हमारे भाग्य खुल गए। अगर हमने इसे पकड़ लिया तो जीवन भर हम बैठकर एक सुखी जीवन व्यतीत कर सकते हैं। ”
सोहन अभी भी घबराया हुआ था और वह लगातार रोहन को वापस लौटने के लिए कह रहा था। इतने में एक और तेज रोशनी हुई और वह दोनों बेहोश हो गए। कुछ समय बाद रोहन की आंख खुली तो उन्होंने देखा कि वह सोने की जमीन पर सोए हुए।
उस जगह पर हर एक चीज सोने की बनी हुई थी। पेड़ – पौधे, पर्वत, पहाड़, जानवर सब कुछ सोने का था। यह देखकर रोहन खुश हो जाता है और सोहन को उठाता है। सोहन जब उठता है तो वह भी हैरानी से दंग रह जाता है। उसे समझ आने लगता है कि यह कोई मायाजाल है जो
उन लोगों को फंसा रहा है।
सोहन कहता है,” भाई मुझे यहां बिल्कुल भी सुरक्षित महसूस नहीं हो रहा है। चलो किसी तरह वापस चलते हैं। “
रोहन कहता है,” क्या बात कर रहे हो भाई ? जाते-जाते यहां से थोड़ा बहुत सोना लेकर चलते हैं। इसके बाद हमें कोई और काम नहीं करना पड़ेगा और हम बैठकर अपना सुखी जीवन जी सकते हैं। “
यह कहते हुए रोहन एक पेड़ पर चढ़ जाता है और उसके सोने के पत्तों को तोड़ने लगता है। लेकिन तभी सामने से एक बोना सैनिक हाथ में सोने की तलवार लिए हुए उन दोनों की तरफ बढ़ता है। वह बौना सैनिक रोहन और सोहन के पास आकर अपनी उंगली को दोनों की तरफ घुमाते हुए पीछे आने को कहता है।
थोड़ा आगे चलने के बाद वह पीछे मुड़ता है तो वे दोनों उसे देख रहे थे। यह देखकर वह गुस्से से अपनी तलवार को उन दोनों की ओर करता है और अपने पीछे आने का इशारा करता है। इस बार रोहन और सोहन डर जाते हैं और पीछे पीछे चलने लगते हैं।
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वह एक महल के सामने जाकर खड़े हो जाते हैं और वह बोना सैनिक महल के बड़े दरवाजे को खोलता है। तभी एक शैतान मछली नुमा भेष में बाहर आता है और कहता है,” इस स्वर्ण देश में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। अब आपके साथ एक खेल खेला जाएगा। यहां आपके सामने दो दरवाजे हैं, एक सोने का है और दूसरा लकड़ी का। आप जिस रास्ते को चाहो चुन सकते हो। “
यह बात सुनकर सोहन को थोड़ा अजीब लगता है और वह तुरंत लकड़ी के दरवाजे को चुनने का निर्णय करता है। लेकिन रोहन के मन में लालच होता है और वह सोने के दरवाजे को चुनता है। शैतान उन दोनों को दरवाजे की ओर जाने को कहता है और वह दोनों अपने अपने दरवाजे में प्रवेश कर जाते हैं।
रोहन जब सोने के दरवाजे से प्रवेश करता है तो सामने राजगद्दी पर मछली की आकृति में एक स्त्री बैठी हुई थी जिसका सिर एक औरत की तरह था।
वह कहती है,” लो एक और नया शिकार आ गया। ” उसके पास 5-6 बौने सैनिक थे जिनके हाथों में सोने की तलवारें थी।
शिकार को देखते ही सभी बौने सैनिक अपनी तलवार जमीन पर पटकने लगते हैं और शोर मचाने लगते हैं। लेकिन तभी सिंहासन पर बैठी मछलीनुमा स्त्री उन सभी को शांत करती है। और रोहन से कहती है,” तुम बहुत लालची हो।
इस सोने के चक्कर में तुमने अपने प्राण संकट में डाल लिए। लकड़ी का दरवाजा सीधा और सरल तुम्हें तुम्हारी मंजिल तक पहुंचा सकता था लेकिन तुमने उसे नहीं चुना। तुम्हारा दोस्त तो एक सुरक्षित स्थान पर पहुंच भी चुका होगा। “
इतने में बौने सैनिक रोहन को मारने के लिए दौड़ते हैं लेकिन रोहन उस स्त्री की पूंछ पकड़कर अपने प्राणों की भीख मांगने लगता है। लेकिन स्त्री अपनी पूंछ से रोहन को एक जोरदार टक्कर देती है और रोहन नीचे जमीन पर जा गिरता है। अब रोहन के पास भागकर जान बचाने का ही एकमात्र रास्ता था। वह अपनी जान बचाने के लिए भागने लगता है।
दूसरी तरफ सोहन सुरक्षित उसी समुद्र के किनारे पर पहुंच जाता है जहां पर वे मछलियां पकड़ने के लिए आए थे। लेकिन रोहन को मुसीबत में फंसा हुआ देखकर और उसकी चीखती हुई आवाजें सुनकर वह घबरा जाता है।
और उसे बचाने के रास्ते ढूंढने लगता है। लेकिन तभी समुद्र की दूसरी तरफ से एक बड़ा सा बाज उड़ता हुआ आता है और सोहन के नजदीक आकर खड़ा हो जाता है।
बाज कहता है,” मैं पक्षीराजन हूं। तुमने मुझे दिल से मदद के लिए पुकारा है तो मैं तुम्हारी मदद अवश्य करूंगा। बताओ क्या मुसीबत है ? “
सोहन एक-एक करके सारी घटना पक्षीराजन को बताता है और मदद के लिए कहता है।
पक्षीराजन कहता है,” कोई बात नहीं मैं तुम्हारी मदद अवश्य करूंगा। तुम मेरे पीठ पर बैठ जाओ। “
सोहन पक्षीराजन की पीठ पर बैठकर उसी जगह पहुंच जाते हैं जहां से रोहन की चीखती हुई आवाजें आ रही थी।
वे दोनों सोहन के पास उतरते हैं और जल्दी से सोहन और रोहन दोनों पक्षीराजन पर बैठकर उड़ जाते हैं। और पक्षीराजन उन दोनों को समुद्र के उसी किनारे पर छोड़ देता है।
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रोहन और सोहन दोनों पक्षीराजन को धन्यवाद देते हैं और पक्षीराजन को उड़ कर जाता हुआ देखते हैं। इसके बाद रोहन सोहन से माफी मांगता है और अपने लालच पर शर्मिंदा होता है। वे दोनों आपस में गले मिलते हैं और अच्छे दोस्त बन जाते हैं।
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