हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” लालची दुकानदार ” यह एक Gaon Ki Kahani है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Best Stories in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Lalachi Dukandar | Hindi Kahaniya | Moral Stories in Hindi | Bed Time Story | Hindi Stories
लालची दुकानदार
एक बार की बात है, भवनपुर नाम का एक गांव था। यह गांव शहर से काफी दूर था। इसलिए गांव के लोग शहर बहुत ही कम जाया करते थे। गांव के लोग काफी कम पढ़े लिखे और भोले भाले थे। इसलिए वह बहुत जल्द किसी पर भी भरोसा कर लेते थे।
हर 5 साल बाद गांव में एक मेला आयोजित किया जाता था। यह मेला गांव के एक बड़े से मैदान में आयोजित होता था। मेला गांव के बाजार के ठीक बगल में था। इसलिए गांव के लोग बाजार करने के साथ-साथ मेला देख कर घर लौट जाते थे।
मेले में बंसी नाम का एक आदमी दुकान के सामने खड़े होकर लाउड स्पीकर पर बोलता है,” सुनो, सुनो, सुनो… सभी लोग सुनो… शहर का महंगा और ब्रांडेड माल सस्ते में, बिल्कुल सस्ते में।
आओ और अपनी पसंद का सामान सस्ते में लेकर जाओ। ” बंसी दोबारा से यही आवाज लगाता है।
इसके बाद बंसी का मालिक धनीराम अपना सूटकेस खोलता है और उसमें से परफ्यूम, साबुन, तेल, शैंपू और भी बहुत कुछ निकाल कर सामने वाली टेबल पर रख देता है।
लोग दुकान के बाहर से इधर उधर जा रहे थे। बंसी की आवाज सुनकर वो दुकान की तरफ आते हैं और पूछते हैं,” भाई ! यह सब क्या है ? “
बंसी उन्हें बताता है कि यह सब तुम्हारी रोज काम आने वाली चीज है और यह सभी सामान शहर से मंगवाया गया है। शहर से अगर इन चीजों को लोगे तो बहुत ज्यादा पैसे देने होंगे लेकिन हम यहां आपको यह सभी बहुत ही कम दाम में दे रहे हैं।
तभी उन गांव वालों में से एक स्त्री एक परफ्यूम की बोतल उठाती है और बंसी से पूछती है,” यह कितने का दिया है ? “
बंसी बोलता है,” यह परफ्यूम है। शहर में अगर इसे लेने जाओगे तो ₹1000 से कम नहीं लगेंगे। लेकिन मैं इसे तुम्हें केवल ₹500 में दे दूंगा। पता है यही परफ्यूम हीरो – हीरोइन भी लगाते हैं।
स्त्री बोलती है,” हां… क्या सही में ? यही परफ्यूम लगाते हैं वो सब ? “
बंसी कहता है,” अरे ! हां हां… यही सब चीजें इस्तेमाल करते हैं। हमने यहां सब चीजें ब्रांडेड रखी हुई है। “
गांव का दूसरा आदमी उनमें से एक शैंपू उठाता है और उसका दाम पूछता है।
बंसी कहता है,” यह वैसे तो ₹4000 में शहर में मिलता है लेकिन मैं तुम्हें मात्र ₹500 में दे दूंगा। अब देख क्या रहे हो, पैसे निकालो। “
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गांव के लोग काफी भोले थे। इसलिए उसने ₹500 दे दिए और शैंपू लेकर चला गया।
देखते ही देखते बंसी ने सारा सामान बेच दिया। अब धनीराम बैठकर पैसे गिनता है। पैसे देखकर वो काफी खुश हो जाता है और अगले दिन के लिए एक नई तरकीब सोचता है।
अगले दिन धनीराम और बंसी दोनों फिर से दुकान पर आते हैं और इस बार बंसी लाउडस्पीकर पर बोलता है,” सुनो, सुनो, सुनो… टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन जैसा कीमती और ब्रांडेड सामान मात्र ₹2000 में। आओ और महंगा सामान सस्ते में लेकर जाओ।
यह आवाजें सुनकर गांव के सभी लोग दुकान पर इकट्ठा हो जाते हैं और अपनी अपनी पसंद की चीजों का दाम पूछने लगते हैं।
उनमें से एक आदमी पूछता है,” भाई टीवी कितने का दिया है ? “
बंसी बोलता है,” बाजार में यह टीवी तुम्हें 25000 में मिलता है लेकिन मैं तुम्हें मात्र 2000 में दे दूंगा। यहां टीवी, फ्रिज, कंप्यूटर और वॉशिंग मशीन जैसी चीजें मात्र 2,000 में आपको मिल जाएंगी।
यह सब सुनकर गांव के लोग कहते हैं,” लेकिन यह सब चीजें जो तुम बेच रहे हो वह सब तुम्हारी दुकान में बिल्कुल भी दिखाई नहीं दे रही है। “
इस पर धनीराम बोलता है,” यह बहुत ही महंगा सामान है और गोदाम से मंगवाया जाता है। अगर यह पहले से रखा रहेगा तो खराब भी हो सकता है। इसलिए जब ग्राहक आर्डर करते हैं उसके बाद ही हम उनका सामान उनके लिए मंगवाते हैं। “
गांव के लोग धनीराम की बात से सहमत हो जाते हैं और कहते हैं,” अच्छा… सही है। “
अब गांव के लोग अपनी पसंद की चीजों का दाम पूछते हैं और चीजों को आर्डर करते हैं।
उनमें से एक आदमी कहता है,” भाई ! सुना है, कंप्यूटर काफी महंगा आता है शहर में। मुझे एक कंप्यूटर लेना है क्या मुझे कंप्यूटर मिल जायेगा ? “
बंसी,” हां, हां भाई ! कंप्यूटर भी मिल जाएगा और शहर की कीमतों से बहुत ही कम में। मात्र ₹2000 में आपको एक बढ़िया कंप्यूटर दिला दूंगा। “
आदमी,” अच्छा… सही है। “
अगला आदमी कहता है,” मुझे एक फ्रीज चाहिए। एक अच्छा सा फ्रीज मुझे मिल पाएगा या नहीं ? “
बंसी कहता है,” हां, हां मिल जाएगा एक अच्छा फ्रिज वो भी मात्र ₹2000 में। “
यह सुनकर आदमी खुश हो जाता है।
पास ही खड़ा धनीराम कहता है,” अरे भाई ! वॉशिंग मशीन भी आपको केवल 2000 में ही मिल जाएगी। इसे भी लेकर जाओ और अपनी भाग्यवान को खुश कर दो।
और वैसे भी तुम बैलों जैसे आदमियों के कपड़े धो धोकर तो तुम्हारी बीवियों की हालत खराब हो जाती होगी। “
इस पर गांव के कुछ लोग कहते हैं,” हां, हां सही कहा भाई तुमने। “
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धनीराम कहता है,” वॉशिंग मशीन लेकर जाओ और अपनी पत्नी को गिफ्ट कर दो। और फिर देखो महीने भर तुम्हें छप्पन भोग कराएंगी।
यह सुनकर गांव के सभी लोग जोर जोर से हंसने लगते हैं।
इसके बाद गांव के सभी लोग अपनी पसंद का आर्डर करते हैं और अपनी चीजों के बदले ₹2000 धनीराम को देते जाते हैं।
धनीराम उनके नाम और उनकी पसंद की हुई चीजों का लेखा-जोखा अपने रजिस्टर में लिख लेता है।
धनीराम,” अच्छा भाइयों ! मैंने तुम्हारे द्वारा आर्डर की हुई चीजों को अपने रजिस्टर पर लिख लिया है। अब दो दिन बाद आना और अपनी अपनी चीजों को लेकर जाना। ठीक है ना…। “
गांव के लोग कुछ देर तक आपस में बात करते हैं और अपने घर वापस लौट जाते हैं।
2 दिन बाद जब गांव के लोग वापस उसी दुकान पर लौट कर आते हैं और अपने सामान की मांग करते हैं तो बंसी कहता है,” अरे भाई ! सामान तो अभी नहीं आया है। “
गांव के लोग कहते हैं,” नहीं आया है मतलब ? तुमने तो कहा था कि 2 दिन बाद तुम सब अपना सामान ले जाना। अब क्या हुआ ? “
इस पर धनीराम कहता है,” अरे भाई इन दिनों पेट्रोल का दाम काफी महंगा हो गया है और हमारा गोदाम शहर में है। शहर का सामान ट्रक के जरिए यहां तक आता है।
पेट्रोल की कीमत बढ़ने के कारण कल का काम बंद रखा गया था इसलिए आज ट्रक में सामान लेकर यहां के लिए रवाना हुए हैं। कुछ समय और लग सकता है।
और हां… अब तुम सबको ₹200 और देने होंगे क्योंकि पेट्रोल की कीमतें बढ़ गई हैं।
इस पर बंसी कहता है,” हां, हां ! सही कहा आपने… ट्रक का ऊपर का खर्च तो सभी को चुकाना ही होगा। “
इसके बाद सभी लोग उदास मन से धनीराम को ₹200 दे दे कर फिर से गांव लौट जाते हैं।
धनीराम उन पैसों को फिर से गिनता है और दोनों हंसकर वहां से चले जाते हैं।
अगले दिन गांव के सभी लोग फिर से उसी दुकान पर पहुंचते हैं। लेकिन दुकान पर ताला लगा हुआ होता है। गांव के सभी लोग यह देखकर उदास हो जाते हैं और पास में ही दूसरे दुकानदार से उसके बारे में पूछते हैं।
,” अरे भाई ! यह बंसी और धनीराम कहां चले गए हैं ? दुकान पर तो ताला लगा हुआ है। “
दुकानदार कहता है,” सुबह से ही यह दुकान बंद है और बंसी और धनीराम जाते-जाते मुझसे कह कर गए थे कि वह लोग 2 दिन के लिए कहीं बाहर जा रहे हैं। “
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यह सुनकर गांव के लोग कहते हैं,” अच्छा हुआ 2 दिन के लिए गए हैं। मुझे तो लगा कि उन्होंने हमें ठग लिया और हमारे पैसे लेकर भाग गए। “
2 दिन बाद गांव के सभी लोग फिर से उसी जगह पर आते हैं और उसी दुकानदार से पूछते हैं।
दुकानदार कहता है,” नहीं भाई ! अभी तक कोई नहीं आया है। तुम एक काम करो समिति में जाकर उनकी शिकायत करो। शायद हो सकता है वहां से तुम्हें इनके बारे में कोई सुराग मिल जाए। “
गांव के सभी लोग समिति के पास जाते हैं और मुखिया से इसके बारे में बात करते हैं।
समिति का मुखिया कहता है,” यह दुकान तो समिति की है। उन दोनों ने इस दुकान को कुछ समय के लिए किराए पर लिया था। “
गांव के लोग,” लेकिन मुखिया जी ! इन दोनों ने तो हमें काफी महंगा महंगा माल कम कीमत में देने का वादा किया था और हमसे बदले में ₹2000 भी ले लिए हैं। “
समिति का मुखिया कहता है,” अच्छा तो इसने तुम्हें भी मूर्ख बना दिया है। गांव के कुछ और लोग भी इनकी शिकायत कर रहे हैं।
अच्छा जाते जाते उन्होंने मुझे एक कागज दिया था जिस पर उन्होंने अपना पता भी लिखा था। एक काम करो तुम में से कुछ लोग वहां जाओ। हो सकता है तुम्हें वो दोनों वहां मिल जाए। “
इसके बाद मुखिया के द्वारा दिया हुआ पता लेकर गांव के 2 लोग उस पते को ढूंढने के लिए निकल जाते हैं। रास्ते में उन्हें एक आदमी मिलता है।
वह लोग उस आदमी को पता दिखाते हुए कहते हैं,” भाई साहब ! यह जगह कहां पर है ? “
वह आदमी पते को देखते हुए कहता है,” थोड़ा और आगे चलो। वहां पर एक बड़ा सा मैदान मिलेगा वहीं पर यह जगह आपको मिल जाएगी। “
वह दोनों लोग आगे बढ़ना शुरू कर देते हैं। आगे जाकर उन्हें मैदान में एक बड़ी सी झोपड़ी दिखाई देती है जिस पर कोई भी दरवाजा नहीं होता है।
यह देखकर उनमें से एक व्यक्ति बैठ जाता है और अपने सिर पर हाथ रखकर कहता है,” अरे भाई ! इन दोनों ने तो हमें लूट लिया और हमारा पैसा लेकर भाग गए। “
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