लालची दुकानदार | Hindi Kahaniya | Moral Story | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” लालची दुकानदार ” यह एक Moral Story है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Achhi Achhi Kahaniya पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
लालची दुकानदार | Hindi Kahaniya | Moral Story | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales

Lalachi Dukandar | Hindi Kahaniya| Moral Story | Bed Time Story | Hindi Stories | Hindi Fairy Tales

 लालची दुकानदार 

दयाल नगर नाम के गांव में मनीराम नाम के एक बनिए की बहुत बड़ी राशन की दुकान थी। उसकी दुकान पर जरूरत का सभी सामान मिलता था। सभी गांव वाले मनीराम की दुकान से ही सामान खरीदा करते थे। 
मनीराम की दुकान खरीददारों से भरी रहती थी और उसे काफी मुनाफा भी होता था। मनीराम बहुत ही लालची दुकानदार था। 
वह लोगों को हमेशा तोल से कम सामान ही देता था और पैसे पूरे लेता था। एक दिन बंसी मनीराम की दुकान से कुछ सामान लेने आया।
बंसी,” भैया, मुझे 5 किलो आटा और 1 किलो चावल दे दो। “
मनीराम,” हां, हां आराम से बैठो… अभी देता हूं। “
मनीराम अपने नौकर रामू को आवाज देता है।
मनीराम,” अरे ओ रामू ! जल्दी से 5 किलो आटा और 1 किलो चावल चावल दे। “
रामू,” जी मालिका, अभी लाया। “
जैसे ही रामू आटा तोलता है तो मनीराम वहां जाकर एक पलड़े में चुंबक लगा देता है।
रामू,” अरे मालिक ! यह क्या कर रहे हैं ? ऐसे तो सामान तोल में कम होगा। “
मनीराम,” अरे ! तो क्या मैं अपनी दुकान लुटा दूं ? जैसा कह रहा हूं वैसा कर। तू अभी नया नया आया है, यह सब काम सीखने में थोड़ा समय लगेगा। “
रामू मालिक के सामने चुप हो जाता है और सामान तोलकर बंसी को दे देता है। 
वंशी जैसे ही एक हाथ में आटा उठाता है उसे भार में थोड़ा कम लगता है। 
बंसी,” मनीराम भैया, ठीक से तोला है ना। मुझे आटा आज थोड़ा कम लग रहा है। मैं हमेशा 5 किलो आटा ही लेकर आता हूं। मुझे उठाने से ही पता चल जाता है। मुझे यह 5 किलो से कम लग रहा है। “
बंसी की बात सुनकर मनीराम गुस्से में आ जाता है और कहता है,” सुनो भैया, सामान बिल्कुल सही तोलकर दिया है। अगर तुम्हें कुछ शक हो रहा है तो भाई कहीं और से ले लो हां। हमारे पास बेकार की बहस के लिए टाइम नहीं है। “
बंसी,” मनीराम भैया, आप तो जानते ही हैं गांव में आपकी राशन की दुकान के अलावा कोई और दुकान नहीं है। तो हम सामान लेने और कहां जाएंगे ? 
अगर हम इस तरह थोड़ा थोड़ा सामान लेने दूसरे गांव में जाएंगे तो उसका भाड़ा भी बहुत खर्च हो जाएगा। “
मनीराम,” हां तो ठीक है, मैंने कब रोका है। लेकिन मेरे काम पर शक मत करो हां…। “
इस तरह मनीराम गांव वालों को कम तोल पर सामान देता था और दाल, चावल और चने में कंकड़ – पत्थरों की मिलावट भी करता था। 
गांव वाले मजबूर थे; क्योंकि गांव में केवल राशन की एक ही दुकान थी। इसलिए सभी को मजबूरी में वही से सामान लेना होता था। 
मनीराम इस तरह बेईमानी करके खूब पैसे वाला बन गया था। उसे इस बात की कोई चिंता नहीं थी कि कितनी मुश्किल से गांव वाले अपने घर का राशन लेने उसके पास आते थे और उन्हें कम तौल का और मिलावटी सामान मिल पाता है ? गांव वाले मनीराम से परेशान होकर गांव के ही पुलिस थाने में रिपोर्ट लिखाने जाते हैं।
एक बूढ़ा व्यक्ति,” साहब, हम आपके पास मनीराम बनिए की शिकायत करने के लिए आये है। गांव में उसके अकेले की दुकान होने के कारण वह इस बात का बहुत फायदा उठाता है और सभी लोगों को मिलावटी और घटिया सामान देता है। 
इसके अलावा सामान तोलने में भी गड़बड़ी करता है। साहब आप उसके खिलाफ रिपोर्ट लिखिए। “

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इंस्पेक्टर भी थोड़ा बेईमान किस्म का आदमी था। 
वह कहता है,” अरे ! इस तरह किसी और के खिलाफ रिपोर्ट कैसे लिख सकते हूं ? क्या तुम्हारे पास उसके खिलाफ कोई पक्का सबूत है ? “
बूढ़ा व्यक्ति,” सबूत तो नहीं है हमारे पास साहब लेकिन वह बेईमानी तो कर रहा है ना… और ऊपर से अकड़ता भी है। “
इस्पेक्टर,” तो क्या मैं तुम्हारे कहने से ही उसे गिरफ्तार कर लूं ? बिना सबूत के कोई काम नहीं होता। चलो जाओ यहां से।”
इस तरह इंस्पेक्टर गांव वालों को वहां से भगा देता है और मनीराम के खिलाफ कोई रिपोर्ट नहीं लिखता। इससे गांव वाले निराश होकर वहां से लौट जाते हैं।
कुछ दिन बीत जाने के बाद इंस्पेक्टर की बीवी मनीराम की दुकान से कुछ राशन का सामान लेने के लिए जाती है। मनीराम की दुकान के राशन में मिलावट होने के कारण इंस्पेक्टर की बेटी की तबीयत अचानक से खराब हो जाती है।
स्पेक्टर की बीवी अपने पति से फोन करते हुए बोली,” सुनिए जी… हमारी बेटी, मीनू की तबीयत बहुत खराब हो गई है। उसे लगातार उल्टियां हो रही है। हमें इसे तुरंत अस्पताल ले जाना होगा। आप जल्दी से गाड़ी लेकर घर आ जाइए। “
इंस्पेक्टर जल्दी से घर पहुंचता है और अपनी बेटी और बीवी के साथ अस्पताल जाता है।
अस्पताल में डॉक्टर ने उसे बताया,” देखिए आपकी बेटी को फ़ूड पोइज़निंग हुई है। उसने कुछ गलत खा लिया है जिसके कारण उसकी तबीयत खराब हो गई। “
इंस्पेक्टर की पत्नी,” कल मैंने मनीराम की दुकान से कुछ राशन का सामान और मसाले मंगवाए थे। उन्हीं से खाना बनाने के बाद वो खाना खाकर मीनू की तबीयत अचानक से खराब हो गई। “
इंस्पेक्टर,” तुम सही कह रही हो। इस मनीराम की दुकान का सभी सामान मिलावटी है। गांव वालों ने इसके बारे में मुझे शिकायत भी की थी लेकिन उस समय मैंने इस पर कोई भी एक्शन नहीं लिया जिसका हर्जाना आज मुझे भुगतना पड़ा।
यदि मैं गांव वालों के कहने पर उसी समय उसके खिलाफ रिपोर्ट लिख लेता तो आज यह दिन हमें देखना नहीं पड़ता। खैर कोई बात नहीं अब मैं इस मनीराम को नहीं छोडूंगा। “
उसी गांव में रमन नाम का एक व्यक्ति रहता था जो वहां के विद्यालय में शिक्षक था। रमन पढ़ा लिखा व्यक्ति था इसीलिए इंस्पेक्टर ने रमन को मनीराम के खिलाफ रिपोर्ट करने को कहा।
इंस्पेक्टर,” रमन भाई… मैं चाहता हूं तुम गांव वालों के साथ मिलकर इस बनिए, मनीराम के खिलाफ रिपोर्ट करो। वह सामान में मिलावट करता है और तोल में भी कम सामान देता है। 
उसका सामान खाकर मेरी बेटी बहुत तेज बीमार भी पड़ गई। मैं चाहता हूं तुम गांव वालों के साथ मिलकर उसके खिलाफ सबूत इकट्ठा करो। तभी मैं उसे रंगे हाथों पकड़ सकता हूं। “
रमन,” इंस्पेक्टर साहब… यह तो मेरे लिए बड़ी सौभाग्य की बात होगी जो मैं इस समाज के काम आ सकूं। मैं इसके खिलाफ थाने में रिपोर्ट लिखने के लिए उसके खिलाफ सबूत लेकर आऊंगा। “
गांव के लोगों ने भी रमन को बताया,” भैया, आप तो पढ़े-लिखे हैं। आप ही समस्या का कोई हल निकाले। गांव में राशन की केवल एक ही दुकान है जो कि मनीराम की है। 
मनीराम बहुत ही लालची और बेईमान किस्म का आदमी है। साहब हम गांव वाले बड़ी मुश्किल से अपने घरों का खर्च चलाते हैं। यदि हमें कम तोल का और मिलावटी सामान मिलेगा तो हम लोग कहां जाएंगे ? “
रमन,” यह तो बहुत गलत बात है। मनीराम गांव में एक राशन की दुकान होने का बहुत फायदा उठा रहा है। इसका हल तो निकालना ही पड़ेगा। चलो सोचता हूं कुछ…। “
अगले दिन रमन अकेले ही मनीराम की दुकान पर गया और उससे कुछ सामान खरीदने का नाटक करने लगा।
मनीराम,” अरे, अरे मास्टर जी ! आज आप हमारी दुकान पर कैसे आए  ? आप तो अपना सामान शहर से मंगवाते हैं ना। “
रमन,” हां… इस बार मैं सामान नहीं ला पाया। शहर जाने का मौका नहीं मिला। इसलिए जरूरत का सामान लेने आया हूं। “
मनीराम,” हां, हां हुकुम कीजिए मास्टर जी… क्या-क्या चाहिए ? “
रमन,” मुझे 5 किलो आटा, 2 किलो चावल और सभी तरह की एक-एक किलो दाल दे दो। “

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मनीराम,” आप 5 मिनट बैठिए साहब, मैं अभी सब सामान तुलवा देता हूं। “
रमन ने देखा कि नौकर हर सामान को 200 से 300 ग्राम कम ही तो तोल रहा था। रमन छुपकर तराजू के नीचे भी नजर मारता हैं तो उसे वह चुम्बक भी दिखाई दी।
जिससे उसे सारी बात समझ आ गई कि किस तरह मनीराम लोगों को उल्लू बनाता है और उनसे कम सामान के ज्यादा पैसे वसूलता हैं ? 
वापस आने के बाद रमन काफी देर तक सोच विचार करता रहा। आखिर में उसके दिमाग में एक तरकीब आई। रमन अपने एक छात्र, सोहन को बुलाता है और इसे समझाता है।
रमन सोहन से कहता है,” देखो बेटा सोहन, मुझे तुमसे एक काम है। तुम तो जानते हो मनीराम गांव का एक ही बनिया है। वह किस तरह तोल में कम सामान लेकर लोगों को देता है ? हमें बस उसे सबक सिखाना है। “
सोहन,” जी मास्टर जी… आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। इसके लिए हमें क्या करना होगा ? “
रमन,” देखो परसों हम दोनों मनीराम की दुकान से कुछ सामान लेने के बहाने जाएंगे। मैं उससे सामान ले रहा होऊंगा तब तुम उससे बात करना और मेरे मोबाइल में सामान तोलने की एक वीडियो बना लेना। 
ध्यान रहे… उस वीडियो में यह साफ नजर आना चाहिए कि वह किस तरह तोल में सामान कम करने के लिए चुंबक का इस्तेमाल करता है ? “
रमन सोहन को सब कुछ अच्छे तरीके से समझा देता है। 2 दिन बाद रमन और सोहन दोनों मनीराम की दुकान पर गए। 
मनीराम,” अरे मास्टर जी ! कहिए कोई सामान कम पड़ गया क्या ? “
रमन,” जी… मेरे घर में कुछ मेहमान आ गए हैं, यही कुछ दो-चार दिनों के लिए। इसलिए मैंने सोचा कुछ राशन और ले आऊं। “
मनीराम,” हां, हां यह तो बिल्कुल सही बात है। मेहमानों के सामने खाने पीने की कोई कमी नहीं होनी चाहिए। बताइए क्या-क्या सामान चाहिए ? “
रमन मनीराम को अपनी बातों में उलझा लेता है और सोहन चुपचाप सामान तोलने वाले नौकर का एक वीडियो बना लेता है। सारा सामान लेकर रमन और सोहन घर वापस आ जाते हैं।
रमन गांव के एक सरकारी अफसर को लिखित में एक शिकायत देता है जिसमें मनीराम के खिलाफ उसके सारी बातों का खुलासा था। 
फिर रमन इंस्पेक्टर को बताता है,” देखिए मोबाइल में मनीराम की यह वीडियो, इसमें साफ नजर आ रहा है कि मनीराम का नौकर तराजू में चुम्बक लगाकर कम सामान तोल रहा है। अब तो आपके पास मनीराम के खिलाफ पक्का सबूत है। “
इंस्पेक्टर,” यह तो आपने बहुत अच्छा किया। हमें तो सरकार ने इसी काम के लिए रखा है। यदि कोई भी मिलावटी सामान या फिर तोल में कम सामान बेचे तो हम उसे पकड़ें और सबक सिखाएं। 
मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई जो मैंने गांव वालों की बात नहीं सुनी। इसलिए वह लोग मनीराम जैसे लोगों के हाथों बेवकूफ बनते रहे। आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। मैं कल ही मनीराम की दुकान पर जाऊंगा। “
रमन,” जी… धन्यवाद। “
अगले ही दिन इंस्पेक्टर मनीराम की दुकान पर रेड मारने के लिए गया।
इंस्पेक्टर (हवलदारों से) हां भाई… सारी दुकान की अच्छे से तलाशी लो और देखो क्या-क्या मिलावटी है ? इसका तराजू भी चेक करो। “
मनीराम,” अरे, अरे साहब ! हुआ क्या है बताओ तो सही ? जरा इधर अकेले में बात करते हैं ना। “
इंस्पेक्टर,” अच्छा मुझे तुम रिश्वत देने की कोशिश कर रहे हो। चलो इसके खिलाफ भी शिकायत दर्ज कर लूंगा। “
मनीराम,” नहीं, नहीं साहब… वह तो यूं ही मुंह से निकल गया, गलती हो गई -2। मेरी दुकान में एकदम बढ़िया सामान है। “

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इंस्पेक्टर,” हां, हां वह तो अभी पता चल ही जाएगा। “
पुलिसकर्मी,” साहब जी यहां तो सब सामान मिलावटी है। चावल, दाल, आटा और तराजू के नीचे चुंबक भी चिपकाया हुआ है। “
इंस्पेक्टर,” सभी मिलावटी सामान का सैंपल ले लो। “
पुलिसकर्मी सभी मिलावटी सामान का सैंपल ले लेता है और मनीराम की दुकान को कुछ समय के लिए सील कर देता है।
मनीराम,” अरे यह यह क्या कर रहे हैं साहब ? हमने कोई भी बेईमानी नहीं की है। किसी ने आपको गलत शिकायत की है। “
इंस्पेक्टर,” तुम गांव वालों को तो बेवकूफ बना सकते हो पर हमें नहीं। मेरे पास तुम्हारे खिलाफ पक्का सबूत है और यह मिलावटी सामान भी ना तुम्हारी इस दुकान से ही मिला है। अब जेल में चक्की पीसोगे तभी अकल ठिकाने आएगी। “
इंस्पेक्टर (पुलिसकर्मियों से),” ले चलो इसे। “
सरकारी अफसर उसकी दुकान पर ताला लगाकर वहां से चले गए और पुलिस मनीराम को अपने साथ जेल ले गई। 
रमन ने गांव वालों के साथ मिलकर गांव के एक ईमानदार व्यक्ति की राशन की दुकान खुलवाई जिससे उसके परिवार का भी खर्च चलता रहे और गांव वालों को भी कोई समस्या ना हो।
सभी गांव वालों ने रमन का शुक्रिया अदा किया और उसकी समझदारी और साहस की खूब प्रशंसा की।
मनीराम को उसकी बेईमानी की सजा जेल में मिल रही थी और इधर गांव वाले खुशी-खुशी अपना जीवन जीने लगे।
इस कहानी से आपने क्या सीखा ? नीचे Comment में हमें जरूर बताएं।

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