हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – “ लालची दूधवाला ” यह एक Bed Time Story है। अगर आपको Hindi Kahani, Moral Story in Hindi या Best Stories in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Laalachi Doodh wala | Greedy Milkman | Hindi Kahani| Moral Stories in Hindi | Bed Time Story | Hindi Stories
लालची दूधवाला
मलकपुर नामक राज्य में राजा करण सिंह राज्य करते थे। वे एक बहुत ही कुशल और प्रजा प्रिय शासक थे। प्रजा के दुख तकलीफों को दूर करना और उनकी सेवा करना ही राजा का एकमात्र लक्ष्य था।
उनके राज्य में कभी भी कोई लड़ाई – झगड़ा या चोरी जैसी घटना नहीं होती थी। अगर कभी होती भी तो राजा करण सिंह स्वयं ही उसका समाधान करते थे।
उसी राज्य में शांतिनगर नाम का एक छोटा सा गांव था। उस गांव के लोगों का मुख्य काम खेती-बड़ी करना और पशुपालन था। गांव में दूध, मक्खन और घी की कई डेरिया थी।
मोहन नाम का एक व्यक्ति भी उसी गांव में रहता था और दूध की डेयरी चलाता था। उसकी डेयरी में दूध, मक्खन, घी इत्यादि रहता था।
गांव में मोहन की डेयरी सबसे मशहूर थी; क्योंकि उसमें कभी भी कोई मिलावट या शिकायत जैसी समस्या नहीं आती थी। सभी लोग मोहन की डेयरी से ही दूध, मक्खन और घी लेना पसंद करते थे।
ग्राहक – अरे मोहन भाई ! जरा 2 किलो दूध और 1 किलो मक्खन देना।
दूसरा ग्राहक – मोहन भाई… मुझे भी 1 किलो दूध और आधा किलो घी दे देना। जल्दी करना, मुझे घर भी जल्दी जाना है।
मोहन – अच्छा भाई 2 मनट रुको, मैं जल्दी जल्दी दे देता हूं।
इसी तरह सुबह से लेकर शाम तक मोहन की डेयरी पर ग्राहकों की भीड़ लगी रहती थी।
उसी गांव में रमन नाम का एक व्यक्ति रहता था। उसने यह अनुभव किया कि शहर में बिकने वाला ब्रेड, केक और पास्ता अब गांव के लोग भी खाना पसंद करते हैं। रमन ने इसका लाभ उठाते हुए उसी गांव में एक बेकरी खोल दी।
रमन भी अपने काम के प्रति ईमानदार और सरल स्वभाव का था। धीरे-धीरे ग्राहक रमन की बेकरी पर भी आने लगे और सामान खरीदने लगे। गांव में रमन की बेकरी को लेकर चर्चा होने लगी।
दो दोस्त आपस में बात करते हुए बोले – अरे भाई ! तुम्हें पता है गांव में एक नई बेकरी खुली है ? सुना है वहां पर ब्रेड, केक और पास्ता जैसा खाने का सामान मिलता है।
पहला दोस्त – हां ! सही कहा। मैं सोच रहा हूं… आज शाम कुछ ब्रेड की पैकेट ले जाऊं।
इस तरह दिन-व-दिन रमन की दुकान पर ग्राहक बढ़ने लगे और उसकी बेकरी भी काफी चलने लगी।
1 दिन शाम को मोहन रमन की बेकरी के सामने से गुजर रहा था। उसने सोचा चलो मैं भी कुछ पैकेट ब्रेड ले लेता हूं। मोहन रमन की बेकरी के पास गया और उससे बोला – भाई… जरा 10 पैकेट ब्रेड के निकाल दो।
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रमन 10 पैकेट ब्रेड निकालकर मोहन को दे देता है और मोहन उसे लेकर घर आता है। वह अपनी पत्नी से कहता है – देखो… आज मैं 10 पैकेट ब्रेड के लेकर आया हूं।
हमारी दुकान पर ग्राहकों की काफी भीड़ रहती है। मैं इन पैकेटों को अपने डेयरी पर रखूगा। अगर ग्राहक इसे खरीदते हैं तो कल से मैं और भी ज्यादा ब्रेड की पैकेट खरीद लूंगा।
अगली सुबह मोहन इन पैकेटों को लेकर अपनी डेयरी पर जाता है और उन्हें सामने रख देता है। ग्राहक आना शुरू होते हैं। वह दूध, मक्खन और घी के साथ कुछ पैकेट ब्रेड के भी ले जाते हैं और देखते ही देखते दसों ब्रेड की पैकेट साफ हो जाती है।
यह देखकर मोहन कहता है – अरे वाह ! ब्रेड की पैकेट तो बहुत जल्दी बिक गई। कल से मैं और ज्यादा पैकेट लेकर आऊंगा।
जब वह डेयरी बंद करके घर लौट रहा था तो उसने रमन से कहा – अरे भाई ! 20 पैकेट ब्रेड के निकाल दो।
यह सुनकर रमन ने पूछा – अरे भाई ! तुम रोजाना इतने ब्रेड की पैकेटों का क्या करते हो ? आखिर तुम क्या काम करते हो ?
मोहन – अरे भाई ! इसी गांव में मैं डेयरी का काम करता हूं। मेरी देयरी पर लोग दूध, घी और मक्खन खरीदने के लिए आते हैं। गांव में मशहूर डेयरी है मेरी।
रमन – अच्छा… बहुत अच्छा है। सुनकर बहुत अच्छा लगा। यह लो 20 ब्रेड की पैकेट। और हां… मेरी बेकरी पर भी काफी ग्राहक मक्खन की मांग करते हैं तो तुम एक काम करना… क्यों ना तुम अपनी ही दुकान से यहां मक्खन भिजवा दिया करना ? इससे तुम्हारा भी काम होता रहेगा और मेरा भी।
मोहन – अच्छा ठीक है। कल से मैं तुम्हारे लिए मक्खन ले आया करूंगा और यहां से ब्रेड ले जाया करूंगा।
अब कुछ दिन ऐसा ही चलता रहा। मोहन हर रोज 1 किलो मक्खन रमन को देता और वहां से कुछ ब्रेड की पैकेट अपने लिए खरीद लेता।
एक दिन रमन अपनी बेकरी पर बैठकर कुछ सोच रहा था तभी अचानक उसकी नजर मोहन के लाए मक्खन पर गई। उसने सोचा – अरे भाई ! मैं इससे कब से मक्खन खरीद रहा हूं ?
मैंने तो कभी इसका वजन ही नहीं किया। वह अपने नौकर से कहता है – जरा इस मक्खन को मशीन पर तो रखना।
रमन का नौकर मक्खन को मशीन पर रखता है तो रमन देखता है कि मक्खन का वजन 900 ग्राम ही है। यह देखकर रमन कहता है – अरे ! देखो तो यह तो केवल 900 ग्राम ही है।
हम कब से इससे मक्खन खरीद रहे हैं और हर रोज हमें 100 ग्राम का नुकसान झेलना पड़ रहा है। इसका मतलब अब तक तो इसने काफी नुकसान हमें पहले से ही कर दिया है।
वह तुरंत उठता है और राजा करण सिंह के पास जाकर मोहन की शिकायत करता है। यह सुनकर राजा आश्चर्य में पड़ जाते हैं; क्योंकि अभी तक मोहन की कोई भी शिकायत उन तक नहीं गई थी। आज यह पहली बार था।
रमन ने अपनी बात को और पक्का करने के लिए सामने रखी मशीन पर मोहन के लाए मक्खन को रख दिया। सभा के सभी लोग यह देखकर आश्चर्य में पड़ गए कि मक्खन का वजन केवल 900 ग्राम ही है जबकि 1 किलो की पैकेट का दाम उनसे लिया जा रहा है।
राजा ने मोहन को बुलवाने का आदेश दिया। कुछ समय बाद मोहन और रमन दोनों राजा के सामने हाजिर हुए। राजा ने कहा – देखो मोहन… आज तक मेरे पास तुम्हारे नाम से कोई भी शिकायत नहीं आई है लेकिन आज मैं यह सुनकर हैरान हूं कि तुम रमन के साथ बेईमानी कर रहे हो।
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उससे 1 किलो ब्रेड का पैकेट लेकर बदले में मक्खन 900 ग्राम वजन में ही दे रहे हो। राजा की बात को अच्छे से समझाने के लिए उसके एक सैनिक ने ब्रेड की पैकेट को मशीन पर रखा और मोहन को दिखाया।
मोहन यह देखकर बोला – महाराज की जय हो। महाराज… अगर मक्खन का वजन 900 ग्राम है तो इसमें भी रमन की ही गलती है।
मोहन की इस बात को सुनकर राजा और सभा में बैठे सभी लोग हैरान हो गए और सोचने लगे कि गलती तो मोहन की है लेकिन वह रमन के ऊपर सारा आरोप थोप रहा है।
कुछ समय बाद राजा ने कहा – मोहन… गलती तुम्हारी है और तुम कह रहे हो कि सारी गलती रमन की है। कैसे..??
मोहन – महाराज… जब मैं सुबह रमन को मक्खन देने जाता हूं तो उससे पहले मैं उस मक्खन का वजन ब्रेड की पैकेट के वजन के बराबर करता हूं और उसके बाद उस मक्खन को रमन को देकर आता हूं। अगर मक्खन का वजन 900 ग्राम है तो ब्रेड का वजन भी 900 ग्राम ही होगा।
यह सुनकर राजा असमंजस में पड़ गए कि आखिर इस मामले को कैसे सुलझाएं ? मामला काफी पेचीदा होता जा रहा था। कुछ समय बाद राजा ने रमन से कहा – तुम एक काम करो, तुम जो ताजा ब्रेड का पैकेट बनाते हो उसे लेकर आओ।
राजा के ऐसा कहने पर रमन अपनी बेकरी पर जाता है और वहां से ताजी ब्रेड का पैकेट लेकर आता है। सिपाही उस ब्रेड की पैकेट को लेकर मशीन पर रखता है और उसका वजन चेक किया जाता है। इस ताजी वाली ब्रेड का पैकेट का वजन पूरा 1 किलो है।
यह देखकर राजा और बाकी लोग कहते हैं कि यह कैसे हो सकता है ? राजा मोहन और रमन दोनों को घर जाने के लिए कहता है और अगले दिन वापस आने के लिए कहता है।
इस समय वह ताजी वाली ब्रेड की पैकेट को अपने पास ही रखने के लिए कह देता है। शाम को राजा और मंत्री दोनों मिलकर इस बात पर विचार करते हैं।
राजा कहते हैं – मंत्री जी… ऐसा कैसे हो सकता है ? 1 किलो ब्रेड का पैकेट 900 ग्राम में कैसे बदल जाता है ?
तभी राजा के मन में एक विचार आता है कि हो सकता है ताजा ब्रेड कुछ समय बाद अपना आकार और भार बदल देता हो। इस बात को परखने के लिए उन्होंने मंत्री जी से कहा – मंत्री जी… इस ब्रेड की पैकेट को रात भर रखा रहने दो। सुबह होते ही हम इसका वजन देखेंगे।
सुबह होती है। मोहन और रमन दोनों सभा में उपस्थित होते हैं। राजा मंत्री जी से कहते हैं – मंत्री जी… ब्रेड की पैकेट को लेकर आईए।
मंत्री जी जाते हैं और ब्रेड की पैकेट को मशीन पर रखते हैं। अब सच्चाई सभी के सामने थी। 1 किलो ब्रेड वाली पैकेट अब 900 ग्राम में बदल चुकी थी।
अब राजा कहते हैं – देखो… इसमें रमन की कोई गलती नहीं है। और देखा जाए तो मोहन की भी गलती नहीं है। जब रमन ताजी ब्रेड की पैकेट का वजन करता है तो वह 1 किलो का ही वजन करता है।
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लेकिन जब मोहन रात भर उसे अपने घर रखता है और सुबह होने के बाद उसका वजन करके बदले में मक्खन के बराबर करता है तो वह 900 ग्राम के बराबर हो जाता है।
राजा की समझाई हुई बात अब रमन और मोहन दोनों को समझ आ चुकी थी। इसके बाद राजा मोहन से कहते हैं – देखो मोहन… आगे से जब भी तुम किसी चीज का वजन करो तो उसे किसी चीज से नहीं बल्कि मशीन की असली वजन से ही तौलना। मोहन राजा की बात का हां में जवाब देता है।
और दोनों अपने अपने काम पर लौट जाते हैं। राजा द्वारा इस समस्या को सुलझाने का यह अंदाज सभा के सभी लोगों को काफी पसंद आया। वह राजा की खूब तारीफ करने लगे। सच में कितने पेचीदे मामले को राजा ने बड़ी ही समझदारी से सुलझा दिया।
अब मोहन भी जब भी किसी चीज को तोलता तो वह उसका सही से वजन करता ना कि किसी चीज से। अब रमन और मोहन दोनों मिलकर अपना काम आगे बढ़ाने का सोचते हैं और मिलकर काम करते हैं।
गांव में उनकी दोस्ती की खूब तारीफ होती है और सभी उन्हीं दोनों से सामान खरीदते हैं।
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