लालची सुनार | Lalchi Sunar | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales

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हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” लालची सुनार ” यह एक Hindi Fairy Tales है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Story in Hindi या Bedtime Stories पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
लालची सुनार | Lalchi Sunar | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales

Lalchi Sunar | Hindi Kahaniya | Moral Stories | Bed Time Story | Hindi Kahani | Hindi Fairy Tales

 लालची सुनार 

रामपुर नामक गांव में सुंदरी अपने परिवार के साथ रहती थी। उसके परिवार में उसका पति चंदन, बेटा अंकित और बेटी प्रिया है। 
सुंदरी और चंदन दोनों बहुत गरीब थे। ये दोनों अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए खेत में काम करते हैं। 
चंदन,” मुझे लगता है कि अब प्रिया की पढ़ाई को रोकना पड़ेगा। क्योंकि अब दोनों का कॉलेज जाने का समय आ गया है। “
सुंदरी,” पूरे गांव में किसी के बच्चे भी पढ़े लिखे नहीं हैं। सिर्फ हमने ही बच्चों को पढ़ाया है। लेकिन अब बीच में पढ़ाई से रोकना ठीक नहीं है। “
चंदन,” तुमको ये लगता है कि मैं अपने बच्चों को पढ़ाना नहीं चाहता हूं ? अरे ! ऐसा नहीं है भाई, मैं भी चाहता हूँ कि मेरे बच्चे पढ़े लिखे हो और बड़े आदमी बनें। 
लेकिन मजबूरी के सामने बच्चों की पढ़ाई लिखाई हार रही है। “
सुंदरी,” हमारी मजबूरी के लिए सिर्फ प्रिया को ही क्यों झेलना है? “
चंदन,” अब मेरी हिम्मत जवाब दे रही है। अंकित को बढ़ाते हैं और प्रिया की शादी कर देंगे और क्या..? “
सुंदरी,” ठीक है, जैसा आपको ठीक लगे। “
चंदन अपनी बेटी को भी आगे पढ़ाना चाहता था लेकिन ऐसा नहीं कर पाया क्योंकि उसकी गरीबी उसे रोक रही थी। 
गांव का सुनार धनीराम अपनी दुकान पर बैठा था कि तभी उसके पास अंकित अपने दोस्त अमित के साथ आया। 
धनीराम,” आओ आओ… ये धनीराम तुम्हारी सेवा में बैठा है। तुम अभी छोटे हो, अभी से क्या खरीदने आए हो ? “
अंकित,” चाचा खरीदने नहीं बल्कि बेचने आये हैं। “
धनीराम (मन में),” आज फिर से दो मुर्गे मेरे जाल में फसने आये हैं। वाह ! अब मज़ा आएगा। और धनीराम इसीलिए ही तो यहाँ बैठा है ताकि ऐसे मुर्गे काट सके। “
अंकित,” क्या हुआ चाचा, आप इतना मुस्कुरा क्यों रहे है ? “
धनीराम,” क्या कहा ? अरे ! हां हां, मैं बेचने से ज्यादा खरीदने में विश्वास रखता हूँ इसलिए मैं बहुत ज्यादा खरीदता हूँ। बताओ क्या लाये हो ? “
अंकित,” मेरे पास एक सोने की चेन है। मैं इसे बेचने आया हूँ। “
धनीराम,” चेन..? ये कहां से लाये हो ? “
अंकित,” आप सवाल बहुत पूछते हैं ? अब जल्दी से मुझे इसके पैसे दो। ये मुझे मेरी माँ ने दी है। “
धनीराम,” ठीक है, मैं इसे अभी तोल नहीं सकता। ऐसा करते हैं कि पास के किसी कांटे पर चलते हैं, वहाँ इसका वजन पता चल जायेगा और मैं तुमको पैसे दे दूंगा। “
अंकित,” ठीक है। आप कुछ भी करो लेकिन मुझे जल्दी से माँ के लिए दवाई लेनी है और एक साड़ी भी खरीदनी है। “
धनीराम,” रुको भैया, कोई लोहा बेचने नहीं आए हो। तुम यहाँ सोना बेच रहे हो तो तनिक समय तो लगेगा ना। 
अगर गलत तुल गया तो कहते फिरोगे की हमने ये कर दिया, हमने वो कर दिया या तुमने बेमानी कर ली। “
सुनार दोनों को भारी सामान तौलने वाले कांटे के पास लेकर गया। 
धनीराम,” मैं इसको अब तोल देता हूँ। “

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धनीराम ने चैन को एक पलड़े में रखा और दूसरी तरफ वजन भी नहीं था फिर भी दोनों पलड़े बराबर हो गए। धनीराम ने अजीब सा मुँह बना लिया। 
अंकित,” क्या हुआ ? “
धनीराम,” ये सोने की चेन नहीं है। “
अंकित,” आप ध्यान से देखिए, ये सोने की ही है। अब इसके अंदर कोई वजन नहीं बचा है। इसका अर्थ यह है कि अब यह समाप्त हो गई है। “
अंकित,” सोना भी समाप्त होता है ? “
धनीराम,” हाँ, जो भी चीज़ बनी है उसको खत्म तो होना ही है। लेकिन तुम अपना दिल छोटा मत करो, मैं तुम्हें ₹100 दे देता हूँ। वैसे ये मेरे किसी काम की नहीं है। “
अंकित,” हम पढ़ाई लिखाई करते हैं लेकिन हमने कभी नहीं पढ़ा कि सोने का वजन कम हो जाता है। “
धनीराम,” तुम किताबें पढ़ते हो लेकिन ये हमारा खानदानी काम है। इसलिए हमने सोने के साथ जिंदगी को भी पढ़ा है और तुमको अपने अनुभव से बता रहा हूँ। “
अंकित,” ठीक है। “
धनीराम (मन में),” इसका मतलब मेरे पांसे सीधे पड़ गए। बेचारे मेरे काबू में आ ही गए। “
धनीराम ने ₹25,000 का माल ₹100 में खरीद लिया। अंकित और अमित दोनों दुखी मन से घर चले गए लेकिन अंकित इस बारे में बहुत ज्यादा सोच रहा था। 
अंकित,” पिताजी, वो सोने की चेन जो सुनार को बेचने के लिए दी थी, उसका तो सोना खत्म हो गया है। सुनार ने उसके ये ₹100 दिए हैं। “
चंदन,” क्या..? वो बेइमान धनीराम, पूरी सोने की चेन ठग गया ? इससे सारे गांव वाले परेशान हैं। “
अंकित,” चलिए पिताजी, पुलिस को बुलाते हैं। उन्हें सब बता देंगे। “
चंदन,” नहीं बेटा, इससे पहले कई लोगों ने शिकायत की लेकिन बिना सबूत के कोई फायदा नहीं। वो बेईमान धनीराम बच निकलता है। “
अंकित (मन में),” इसको कभी ना कभी तो सबक सिखाऊंगा। “
अगले दिन सुबह को अंकित के पिता ने उससे कहा। 
चंदन,” अंकित, मैं आज तुम्हारा दाखिला शहर के किसी कॉलेज में करा देता हूँ। “
अंकित,” पापा लेकिन इतने पैसे कहाँ से आएँगे ? “
चंदन,” तुम्हारी माँ ने अपने सारे गहने धनीराम के पास गिरवी रख दिए है। जब तुम पढ़ाई कर लोगे या हमारे पास पैसे हो जाएंगे, हम वो वापस लाकर प्रिया की शादी करा देंगे। “
अंकित,” लेकिन पापा वो बेईमान हैं और आपने माँ के गहने…। “
सुंदरी,” बेटा, कोई और चारा नहीं था। तुम पढ़ाई पर ध्यान देना। इसके अलावा तुम्हें कुछ भी नहीं सोचना है। “
अंकित,” ठीक है मां, लेकिन मैं ये कहना चाहता हूँ कि प्रिया को कॉलेज ना सही तो कम से कम घर से पढ़ने दीजिये। “
सुंदरी,” ठीक है बेटा, जैसा तुम्हें ठीक लगे। “
अंकित शहर में पढ़ने चला गया और उसने प्रिया का प्राइवेट दाखिला करा दिया। जब भी अंकित घर आता, प्रिया के लिए किताबें और पत्रिकाएं लेकर आता। प्रिया की तैयारी भी सही चल रही थी। 
कुछ साल बाद…
चंदन और सुंदरी खेत में काम कर रहे थे। 
चंदन,” हमारे पास कुछ पैसे आ गए हैं। अब हमें धनीराम से गहने छुड़ा लेने चाहिए। “
सुंदरी,” हां, हम आज ही धनीराम के पास चलते हैं क्योंकि कुछ दिनों में प्रिया की शादी है। “
चंदन,” हां। “

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सुंदरी,” धनीराम बहुत बेईमान आदमी है। अब उसकी बेईमानी के किस्तें सब तरफ मशहूर है। मुझे तो बहुत चिंता हो रही है।
कहीं वो हमारे गहने बदलकर नकली ना देदे ? क्योंकि गांव के बहुत लोगों के साथ वो ऐसा कर चुका है। “
चंदन,” तुम बेवजह ही इतना परेशान हो रही हो। वो हमारे साथ ऐसा नहीं करेगा। “
दोनों पति पत्नी अपना सारा काम खत्म करके धनीराम के पास। “
धनीराम,” आइए आइए… और बताइए आज क्या बेचने आये हो ? “
चंदन,” धनीराम, मैंने तुम्हारे यहाँ अपनी पत्नी के गहने गिरवी रखे थे, मैं वही लेने आया हूँ। “
धनीराम (मन में),” ऐसा तो पहली बार हुआ है कि कोई अपना सामान वापस लेने आया है। “
चंदन,” क्या हुआ..? तुम भूल गए क्या, मैं भीख हूँ ? “
धनीराम,” नहीं नहीं, मैं तुम्हें कैसे भूल सकता हूँ। लेकिन मुझे गहने याद नहीं है कि तुमने कौन कौन से गहने गिरवी रखे थे ? “
सुंदरी,” गहने दिखा दो, मैं अपने गहने पहचान लूंगी। “
धनीराम,” मेरे पास कोई गहने नहीं है। मैं ऐसे कैसे किसी और के गहने तुम्हें दे सकता हूँ। 
और हाँ, इतने वर्षों में बहुत ज्यादा ब्याज हो गया होगा जो तुम चुका नहीं पाओगे। चलो यहाँ से, जाओ। “
चंदन,” धनीराम, तुम्हारे पास पैसे की कोई कमी नहीं है। लेकिन मैं एक गरीब पिता हूँ और तुम्हारे आगे हाथ जोड़ता हूँ, मेरी बेटी की शादी है। तुम मुझे गहने वापस कर दो। “
धनीराम,” चलो यहाँ से जाओ, मेरे पास कोई गहना नहीं है। एक बार कह दिया, समझ नहीं आता क्या..? “
चंदन,” मैं गरीब बाप हूँ। मुझे अपनी बेटी की शादी करनी है। “
धनीराम,” हां हां, जाओ जाओ… मेरी बेटी की भी शादी है। “
धनीराम ने चंदन और सुंदरी को बिना गहने दिए हुए ही भगा दिया। पूरा गांव धनीराम से परेशान था। उसने सभी लोगों के साथ धोखा किया था। 
चंदन,” अब हम अपनी बिटिया की शादी कैसे करेंगे ? कुछ समझ नहीं आ रहा। इस बेईमान सेठ को हम गरीबों को लूटकर क्या सुकून मिलता है ? “
सुंदरी,” आप परेशान मत होइए, भगवान सब ठीक करेंगे। हमारा सही समय भी आएगा और इस सेठ को सबक भी मिलेगा। “
धनीराम अपनी बेटी के विवाह से एक दिन पहले सारे गांव को दावत पर बुलाता है। सभी लोग अमीरों की शादी देखने और अच्छा खाना खाने जाते है। 
सब कुछ अच्छे से चल रहा था लेकिन तभी वहाँ तीन गाड़ियां आकर रुकी। सभी हैरान हो गए। 
धनीराम,” कौन आया है… कौन है ? “
सामने कुछ पुलिस वाले और अधिकारी थे जिसमें अंकित भी था। 
धनीराम,” अरे अंकित बेटा ! तुम इतनी सारी पुलिस के साथ क्यों आये हो ? तुमने ऐसा कौन सा गुनाह किया है जो पुलिस वाले तुमको पकड़ रहे हैं ? “
अंकित,” धनीराम, अपनी जुबान संभालकर बात कर और मुझे साहब कहकर बोल क्योंकि मैं एक आयकर विभाग अधिकारी हूँ। “
धनीराम,” क्या..? तुम ये सब…? “
अंकित,” तूने मेरे बाप के साथ साथ ना जाने कितनों को ठगा है ? मैं आज तेरा हिसाब करने आया हूँ। “
धनीराम,” देखिये साहब, मेरी बेटी की शादी है। अभी ऐसा मत कीजिये। “
अंकित,” मैं तुमसे कोई निजी दुश्मनी नहीं निकल रहा हूँ बल्कि कानून के बारे में तुमसे बात कर रहा हूँ। आज तुम्हारे सारे काले चिट्ठों का हिसाब होगा। “
धनीराम,” मुझे माफ़ कर दीजिये। मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ता हूँ। मैं तुम्हारे पैर पड़ता हूँ। मैं कुछ नहीं करूँगा और सभी का धन वापस कर दूंगा। “
कोई भी उसकी बात नहीं सुनता। सभी टीम के सदस्यों ने धनीराम के घर और दुकान पर छापा मारा जिसमें बहुत सारा अवैध धन पाया गया। गांव वालों का धन उन्हें लौटा दिया गया। 
अंकित ने धनीराम की बेटी की शादी कराई और फिर अपनी बहन की शादी भी धूमधाम से करा दी। धनीराम को सबक मिल चुका था। 

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ये तो आपने सुना ही होगा कि जैसा हम दूसरों के साथ करते हैं वैसा ही हमें मिलता है। 
और सबसे जरूरी बात… शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि कलम की ताकत से अन्याय को हराया जा सकता है।
इस कहानी से आपने क्या सीखा ? नीचे Comment में हमें जरूर बताएं।

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