हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – ” सास चली स्कूल ” यह एक Saas Bahu Ki Kahani है। अगर आपको Hindi Kahaniya, Moral Kahaniyan या Bedtime Stories in Hindi पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Saas Chali School | Saas Bahu | Moral Stories | Saas Bahu Ki Kahani | Bed Time Story | Hindi Stories
अनुपमा अपने इकलौते बेटे उदय के साथ चंडीगढ़ शहर में रहती थी। उदय एक बड़ी कंपनी में नौकरी करता था जहाँ उसे सौम्या नाम की लड़की से प्यार हो जाता है और वो दोनों शादी कर लेते हैं।
सौम्या अनुपमा की इकलौती बहू है और वो बहुत पढ़ी लिखी लड़की है। जबकि अनुपमा के लिए सब कुछ काला क्षर भैंस बराबर है।
लेकिन फिर भी अनुपमा एक बहुत अच्छी सास है जो अपनी बहू का हर कदम पर साथ देती थी। उदय और सौम्या की शादी को भी कुछ महीने ही हुए थे जिस कारण घर के सारे हिसाब किताब उदय ही करता था।
एक बार उदय को किसी मीटिंग के सिलसिले में शहर से बाहर जाना पड़ता है तो वो घर के हिसाब किताब की जिम्मेदारी सौम्या को दे जाता है।
उसके जाने के बाद सारा हिसाब किताब सौम्या ही देखती है। शादी के 3 महीने बीत जाने के बाद भी सौम्या को इस बात की भनक तक नहीं थी कि उसकी सास अनुपमा को जरा भी पढना लिखना नहीं आता है और न ही कभी उदय ने सौम्या से इस बारे में जिक्र छेड़ा।
एक बार जब सौम्या को घर का राशन पानी लेने बाजार जाना होता है तो वो अपनी सास से कहती है।
सौम्या,” माँ जी मैं राशन लेने जा रही हूँ। अगर पीछे से दूध वाले भैया अपना हिसाब लेने आये तो आप उन्हें तिजोरी से 2 हजार रुपए दे देना है। “
अनुपमा,” हाँ बहू, तुम निश्चिंत होकर जाओ। मैं दूध वाले का हिसाब कर दूंगी। “
अनुपमा इस उम्मीद में अपनी बहू की बात मान जाती है कि उसने अलमारी में गिनकर ही पैसे रखे होंगे जिन्हें वो निकालकर दूध वाले को दे देगी।
थोड़ी देर बाद सौम्या बाजार चली जाती है। उसके जाने के कुछ देर बाद उनके घर की घंटी बजती है।
दूधवाला,” राम राम मेम साहब, मेरे पिछले महीने का हिसाब दे दो मेम साहब। “
अनुपमा,” हाँ हाँ यहीं रुको, मैं अभी लेकर आती हूँ। “
अनुपमा दूध के पैसे लेने कमरे में जाती है और जैसे ही तिजोरी खोलती है तो उसमे बहुत सारे पैसे रखे होते हैं।
अनुपमा,” अब मुझे कैसे पता चलेगा कि हज़ार रूपए कितने होते है। शायद बहू ने दूध के पूरे पैसे ही रखे है। एक काम करती हूँ, यह नोट की गड्डी दूध वाले को दे देती हूं।
जितना भी हिसाब होगा वो अपने आप देख लेगा। अनुपमा 2 हजार से ज्यादा पैसे ले जाकर उसको दे देती है और कहती है।
अनुपमा,” अरे राम लाल ! ये ले और एक बार मुझे यह पैसे गिनकर बता दे। अगर ज्यादा हो तो मुझे लौटा दे और कम हो तो वो भी मुझे बता दे। “
राम लाल ये बात भली भांति समझ जाता है कि अनुपमा एक अनपढ औरत है और उसे पैसों का बिल्कुल भी ज्ञान नहीं है। इस बात का फायदा उठाकर वो कहता है।
दूधवाला,” माँ जी, पैसे पूरे हैं। मेरे इतने ही पैसे थे और हाँ बहूरानी से कह देना, आज तक का मेरा पूरा हिसाब हो गया है। “
इतना कहकर रामलाल वहाँ से चला जाता है। कुछ देर बाद सौम्या बाजार से आती है और अपनी सास से कहती है।
सौम्या,” सौरी मां जी, मुझे बाजार से लौटने में देर हो गई। आज बाजार में भीड़ इतनी थी कि क्या कहूँ ?
अच्छा माँ जी, क्या दूध वाले भैया अपना हिसाब ले गए ? आपने उनका हिसाब कर दिया ? आपको कोई परेशानी तो नहीं हुई न ? “
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अनुपमा,” नहीं नहीं बेटा, मुझे कोई परेशानी नहीं हुई और हाँ मैंने दूधवाले का हिसाब कर दिया है। वो कह रहा था कि उसका अब तक का सारा हिसाब हो गया।
फिर भी तुम एक बार तिजोरी देख लेना कि कहीं पैसे कम तो नहीं हुए। “
इसके बाद सौम्या आकर अपने कमरे में जाती है और तिजोरी खोलकर देखती है तो वहाँ पैसे कम होते हैं। वो आकर अनुपमा से पूछती है।
सौम्या,” माँ जी, आपने पैसे किसी और काम में भी खर्च किए है क्या ? वहाँ से पैसे जरा ज्यादा निकले हैं।
बुरा मत मानिएगा, मैं तो बस इसलिए पूछ रही हूँ कि आपने कहीं पैसे ज्यादा तो नहीं दे दिए ? क्यूंकि तिजोरी में पैसे हजार रूपए से ज्यादा निकाले हैं।
अगर आपने किसी काम में खर्च किए हैं तो कोई बात नहीं, यह पैसा है। “
सौम्या की बात सुनकर अनुपमा सोचती है।
अनुपमा,” हे राम ! कहीं मैंने दूध वाले को पैसे ज्यादा तो नहीं दे दिए ? फिर वो घबराते हुए अपनी बहू सौम्या से कहती है।
अनुपमा,” सच कहूँ बहू तो मुझे पैसे गिनने नहीं आते और न ही मैं पढ़ी लिखी हूँ। मेरे लिए तो सब कुछ काला अक्षर भैंस बराबर है।
मुझे लगा कि तुमने दूध के पैसे गिनकर रखे होंगे, सो मैंने उठाकर उसको दे दिए। लेकिन मुझे क्या पता था कि वो रामलाल मुझसे दगा कर जाएगा ?
मैंने तो उस पर कितना भरोसा किया था ? पता नहीं आज मुझ अनपढ़ के कारण तुम्हारा कितना नुकसान हो गया होगा ? “
सौम्या,” माँ जी, आप क्यों परेशान हो रही हैं ? पैसे दूध वाले को ही तो दिये हैं, कोई बात नहीं अगले महीने के हिसाब में लगा दूंगी।
लेकिन माँ जी एक बात बताइए, अगर आपको पढ़ना नहीं आता तो आप ये बात मुझसे कह देते। उदय ने मुझे ये हिसाब किताब दिया तो मैं बिलकुल नहीं चाहती थी कि हिसाब किताब मुझे मिले।
मैंने जब उदय से कहा तो उन्होंने कहा कि हिसाब किताब तुम संभालना। फिर मैं मना नहीं कर पायी और न ही मुझे यह पता था कि आपको पढना नहीं आता। “
अब सौम्या के मन में यह इच्छा जाग जाती है कि वो अपनी सास को पढ़ना लिखना सिखाएगी। इसलिए वो ऑनलाइन ऐसे स्कूलों को ढूंढने में लग जाती है जहाँ उनकी उम्र की महिलाओं को पढाया जाता है।
कुछ दिनों तक तलाश करने के बाद सौम्या को ऐसा 1
एक स्कूल मिल भी जाता है।
सौम्या,” उदय, मैने ऑनलाइन एक ऐसा स्कूल ढूंढा है जहाँ माँ जी की उम्र की औरतों को पढ़ाया लिखाया जाता है। मैं चाहती हूँ कि माँ जी भी स्कूल में जाएं और पढ़ना सीखें। “
उदय,” तुम्हारा विचार तो बहुत अच्छा है सौम्या। लेकिन क्या माँ इसके लिए तैयार होगीं ? “
सौम्या,” मैं कुछ नहीं जानती उदय, आप किसी भी तरह माँ जी को मना लो। “
उदय अपनी माँ से बात करके उन्हें स्कूल जाने के लिए मना लेता है। फिर वो दोनों जाकर अनुपमा का एडमिशन करवा देते हैं। अगले दिन उदय अनुपमा को स्कूल छोड़ आता है।
कुछ दिन स्कूल में पढ़ने लिखने के बाद अब अनुपमा को पढ़ना लिखना आ जाता है। फिर एक दिन दूधवाला अपना हिसाब लेने आता है तो सौम्या अपनी सास को आवाज लगाकर कहती है।
सौम्या ,” माँ जी, जरा एक बार दूधवाले का हिसाब कर देना। मैं रसोई में कुछ काम कर रही हूँ। “
अनुपमा ,” ठीक है बहु, तुम अपना काम निपटा लो तब तक मैं इस दूधवाले को निपटाकर आती हूँ। “
फिर अनुपमा पैसे लेकर जाती है और दूधवाले से कहती है।
अनुपमा,” रामलाल, तुमने मुझसे अनपढ़ समझकर पैसे ठगे थे ? तुमने ये मेरे साथ अच्छा नहीं किया।
तुम्हारी ईमानदारी पर मैंने कभी शक नहीं किया। वो तो भला हो मेरी बहू का जिसने मुझे सच सच बता दिया।
मैं तो खामखां तुम्हें ईमानदार समझ रही थी। आज के बाद अगर कभी किसी हिसाब में गड़बड़ हुई तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। “
रामलाल को अपनी गलती का अहसास हो जाता है और वो अनुपमा से हाथ जोड़कर माफी मांगते हुए कहता है।
दूधवाला,” मुझे माफ़ कर दीजिये, मैम साहब। इतने नोट देखकर में लालच में आ गया था, इसलिए झूठ बोल दिया। आगे से ऐसी गलती नहीं होगी। “
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अनुपमा आँखों में आंसू लिए रसोई में आती है और अपनी बहू से कहती है।
अनुपमा,” सौम्या बहू, आज सिर्फ तुम्हारे कारण मुझ में इतनी हिम्मत आई जो मैं ये हिसाब कर पाई। आज मुझे पढाई की अहमियत समझ आ गई।
बहू, पढाई करके जो आत्मविश्वास और समाज में इज्जत मिलती है, उसका भी अपना ही मजा है। तू मेरी बहू नहीं, बेटी है बेटी। भगवान तुझ जैसी बहू हर किसी को दे। “
सौम्या,” माँ जी, ये सब आपकी मेहनत का ही नतीजा है जो आपने समाज की परवाह किए बिना अपनी पढाई जारी रखी। मुझे गर्व है कि आप मेरी सास हैं। “
दोनों सास बहू आँखों में खुशी के आंसू लिए एक दुसरे को गले लगा लेती हैं।
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