हेलो दोस्तो ! कहानी की इस नई Series में आप सभी का स्वागत है। आज की इस कहानी का नाम है – सौतन का साया। यह एक Chudail Ki Kahani है। तो अगर आपको भी Darawani Kahaniya, Bhutiya Kahani या Horror Story पढ़ने का शौक है तो इस कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
Sautan Ka Saya| Horror Story | Bhutiya Kahani | Dayan Ki Kahani | Haunted Stories in Hindi
सौतन का साया
सलोनी एक सामाजिक कार्यकर्ता थी। उसकी शादी कानपुर में हुई थी। लेकिन शादी के 3 महीने बाद ही सलोनी का तलाक हो गया और अब वो वापस अपने माता पिता के साथ पुणे में रहती है।
लेकिन बात सिर्फ इतनी ही नहीं थी। लव मैरिज वो भी दुसरे धर्म में… न जाने कितनी मुसीबतों से लड़ कर सलोनी ने अपने प्यार को पाया था।
सलोनी और उसका पति अहम दोनों ने 5 साल के रिश्ते को बड़ी मुश्किल से शादी का नाम दिया था। दोनों के बीच में प्यार बहुत था।
फिर ऐसा क्या हुआ कि उनकी शादी 3 महीने भी नहीं टिकी। दरअसल शादी के बाद जब मैं पहली बार अपने ससुराल गई थी तो सब कुछ अच्छा था।
अहम के घर वालों ने मुझे खुले दिल से अपनाया था। लेकिन वो कहते हैं न… जिंदगी के पुराने राज अगर दफन ही रहे तो ही अच्छा होता है।
क्योंकि अगर वो आज पर भारी पड़ गए तो हमारी जिंदगी को हमेशा हमेशा के लिए बर्बाद भी कर देते हैं। वैसे मैं अहम को बहुत अच्छी तरह से जानती थी।
5 साल के रिलेशनशिप में बिताया गया एक एक लम्हा हम दोनों को याद था। इन फैक्ट शादी के लिए मुझे अहम ने ही प्रपोज किया था जिसे मैं ना नहीं कह पाई।
हम दोनों को लगा था शादी के बाद हम दोनों एक दूसरे की जिंदगी को खूबसूरत और रंगीन बना देंगे। लेकिन शादी के बाद सब कुछ ऐसे बदला जैसे कोई भयानक सपना।
सुहागरात से ही अहम कुछ बदले बदले से लग रहे थे। मैं सज धच पूरा श्रंगार किये सेज पर अहम का इंतज़ार कर रही थी।
पर वो आधी रात तक नहीं आय। रात के 3 बज ने को हो रहे थे कि तभी किसी ने मेरे कमरे का दरवाजा खटाया।
मुझे पता था कि अहम ही होंगे। मैंने भी गुस्से में दरवाजा खोल उन पर बरसने ही वाली थी कि मैंने जो देखा उसे देख मेरे बदन का सारा खून जम सा गया।
अहम की शेरवानी पूरी तरह से खून से भीगी हुई थी। उनके जिस्म से किसी लाश के सड़ने की बदबू आ रही थी।
उनकी आँखें लाल और मुँह के आस पास कच्चे मांस के टुकड़े लगे थे।
सलोनी,” तुम तो नॉनवेज नहीं खाते थे। ये सब क्या है ? “
मैंने पूछा ही था कि अहम ने मुझे इतनी जोर से धक्का दिया कि मैं दीवार के कोने में जा गिरी। अहम का ये बरताव मेरी समझ के पार था।
मैं करती भी क्या ? अपनी सुहाग वाली रात को कमरे के कोने में बैठकर मैं रात भर रोती रही। कभी कभी तो ऐसा लगता है जैसे हम लोगों की लव मैरेज नहीं, बल्कि अरेंज मैरेज हुई है।
क्यूँकि शादी के कुछ दिनों बाद ही अहम बहुत गुस्सा करने लगे थे। अक्सर मुझसे बात करते समय उनकी आवाज भारी हो जाती।
ऐसा लगता है जैसे कोई और उनके अन्दर है और मुझ से बात कर रहा है। कभी तो अचानक ही नींद में उठकर बड़बड़ाने लगते थे।
सलोनी,” अहम तुम अब मुझे परेशान करने लगे हो। कभी कभी तो ऐसा लगता है जैसे मैं तुम्हें जानती ही नहीं हूँ। और बात बात पर इतना गुस्सा कब से करने लगे ? “
अहम,” तो मैं गुस्सा करने लगा हूँ ? ज़रा तुम अपने आप को देखो… शादी क्या कर ली, तुम तो सर पर ही बैठ गई हो।
दिमाग खोलकर सुन लो, मुझे ये रोज की चिकचिक पसंद नहीं है। अगर ज्यादा परेशान किया तो अभी तलाक दे दूंगा तुझे, समझी न ? “
इतना कहकर अहम चले गये। इस तरह की लड़ाई झगड़े सुबह शाम का नाटक हो गया था।
डर के मारे मैं तो कुछ कहती भी नहीं थी। तो भी अहम खामखां मुझ पर गुस्सा करके चले जाते। हालात इतने बिगड़ चुके थे कि हम दोनों शादी के बाद एक बिस्तर पर कभी नहीं सोये।
फिर एक रात प्यास के कारण जब मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि अहम की आँखें मुझे ही देख रही हैं। उनका चेहरा इंसान और आधा किसी चुड़ैल का था।
उनकी आँखें पूरी तरह से लाल थीं, जैसे मेरे खून की प्यासी हों। अहम का शरीर पूरी तरह से हवा में देख मेरे जिस्म का रोंग रोंग सिहर उठा।
पर मेरे पलक झपकते ही फिर सब कुछ पहले जैसा ही हो गया। मुझे अक्सर ऐसा लगता जैसे कोई औरत मेरे सीने पर बैठी मेरा सीना चीर रही हो।
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मैं चलते चलते गिर जाती जैसे किसी ने मुझे जोर से धक्का दिया हो। खाना बनाते समय कभी मेरा हाथ जल जाता तो कभी मेरी साड़ी का पल्लू।
बहुत अजीबों गरीब सी चीजें मेरे साथ होने लगी थी।श, जो मेरे समझ से बिल्कुल परे थी। पर माँ बाप को मैं हमेशा यही बोलती हूँ कि मैं बहुत खुश हूँ।
यहाँ सब लोग मुझसे बहुत प्यार करते है। माँ पापा भी मेरे झूठ को सच मानकर खुश हो जाते और सबसे ज्यादा हैरानी तो मुझे इस बात से थी कि मेरी सास ये सब देखकर भी चुप रही थी।
फिर एक दिन मैंने अपनी सास से पूछ ही लिया।
सलोनी ,” माँ, आपके बेटे का घर बसने से पहले ही टूटने वाला है और एक आप हैं कि चुप्पी साधे सब कुछ देखती रहती हैं।
अगर ऐसा ही रहा तो मैं यह सब ज्यादा दिन तक बर्दाश्त नहीं करने वाली हूँ। मैं वापस अपने घर चली जाऊंगी और फिर कभी वापस नहीं आउंगी। “
मेरी सास को पता था कि मैं किस दर्द से गुजर रही हूँ। इसलिए उन्होंने मुझे कागज थमाते हुए कहा।
सास,” बेटा, इस कागज में जो भी लिखा है उसे अहम के सोने के बाद आहिस्ता से उसके कान में पढना, तुम्हें अपने आप सच का पता चल जाएगा। “
इतना कहकर मेरी सास मेरे पास से चली गयी। मुझे अब अहम के सोने का इंतजार था।
फिर से रोज की तरह लड़ने झगड़ने के बाद अहम सो गए। आधी रात का पहर हो चुका था। मैंने 12 बार अहम को जगाने की कोशिश की पर वो नहीं जागे।
तब बहुत हिम्मत कर मैंने सासु मां का दिया हुआ वो कागज निकाला और उसे आहिस्ता से अहम के कानों में पढ़ना शुरू कर दिया।
सलोनी (कागज पढ़ते हुए),” सरीन, देख मैं आ गया… तेरा शौहर आ गया तुझे लेने के लिए। चल जल्दी से तैयार हो जा, निकाह पढ़ने जाना है। “
वह अभी कागज पर लिखा पढ़ ही रही थी कि इतने में अहम का शरीर उडने लगा। उनके हाव भाव पूरी तरह से बदल चुके थे।
जो बदन पहले सुडौल और हस्ट पुष्ट हुआ करता था, उसमें एक नजाकत उतर आई थी। फुखलाइयों का मोन, कमर की लचक, वो चाल अहम पूरी तरह से बदल चुका था।
मैं बस एक टक चुप चाप अपने पाति अहम को देख रही थी। सच कहूं तो मेरा शरीर डर के मारे ठंडा पड़ गया था।
मुझे डर लग रहा था मेरे पति के चारों तरफ एक अजीब सा काला साया है और एक बार फिर से अहम के जिस्म से लाश के सड़ने की बदबू आने लगी थी।
अहम मेरे बगल से उठकर सीधा आईने के सामने बैठ गए और अगले ही पल अपने चेहरे पर मेकअप और हाथों में मेहंदी लगाने लगे थे।
पूरा श्रंगार कर जब मैंने उनको देखा तो वो बेहद खूबसूरत लड़की में बदल गए थे।
सलोनी,” अहम, आपको क्या हो गया ? क्यूँ कर रहे हो तुम ऐसा ? अहम बात करो मुझसे। मैं आपकी पत्नी सलोनी बोल रही हूँ। अहम तुम मुझे सुन भी रहे हो ? “
मेरे इतना बोलने पर भी अहम ने एक बार भी मुझे पलटकर नहीं देखा। पर जैसे ही मैंने उन्हें छूना चाहा तो अहम ने मुझे एक फूंक से दीवार के कोने में पटक दिया।
अहम,” दूर हट जा मेरे अहम से… खबरदार अगर इन्हें छूने की कोशिश भी की तो। ये मेरे शौहर हैं। मेरी उनसे सगाई हुई है।
तुझे मैंने इतना तडपाया फिर भी तुझे अकल नहीं आई है। याद रख… अगर तूने भी मुझे मेरे अहमत से जुदा करने की कोशिश करी तो मैं अहम के अब्बू की तरह तुझे भी अहम के हाथों ऊपर पहुँचा दूंगी। “
मैं तभी समझ गई थी ये मेरा अहम हो ही नहीं सकता। जो अहम मेरे ऊपर जान छिड़कते थे, वो मुझसे इतनी नफरत कर ही नहीं सकते।
मैं अहम से कुछ पूछती इससे पहले ही मैंने देखा कि आईने में एक बेहद डरावनी और खूंखार से चेहरे का अक्स दिखाई दे रहा था, जो देखने में किसी चुड़ैल का था। जिससे अहम अपनी जान की भीख मांग रहे थे।
अहम,” जरीन, तुम मुझे छोड़ क्यो नहीं देती। तुम मेरा बचपन का प्यार थी, माना मैंने तुम से सगाई की थी पर अब तुम दूसरी दुनिया में जा चुकी हो।
मैं भी अब किसी और को अपना चुका हूँ, अपनी जिंदगी बना चुका हूँ। मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ता हूँ जरीन, प्लीज मुझे आजाद कर दो, मैं अपनी सलोनी से बहुत प्यार करता हूँ। “
अहम की आँखों में आंसू थे। वो अभी भी मुझे ही चाहते थे, अपना मानते थे और उनके जिस्म पर किसी और का साया था जिसका नाम जरीन था। “
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सलोनी,” कौन थी ये जरीन और क्या नाता था उसका मेरे पति अहम के साथ ? “
मैं अभी इसके बारे में सोच ही रही थी कि तभी मेरी सासू माँ भी अपने हाथों में एक ताबीज़ लिए मुझे संभालने मेरे पास चली आईं।
सास,” देखा बेटा, मेरे बेटे को चुडैल ने किस तरह सालों से अपने कब्जे में कर रखा है।
एक बार हमने बहुत हिम्मत कर इस जरीन से अपने बेटे को छुड़वाने की कोशिश करी थी और इस चक्कर में जरीन ने अहम के अब्बू को खा लिया।
सबसे हैरत की बात ये है कि अहम को आज तक कभी पता नहीं चला कि उस पर किसी चुड़ैल का साया है, जो अहम को किसी का नहीं होने देता। “
सलोनी,” पर माँ… क्या कोई रास्ता नहीं है जिससे अहम को आजाद किया जा सके ? “
मेरे इस सवाल पर माँ ने सोचते हुए कहा।
सास,” बेटा, एक रास्ता है और वो जिंदगी भर की सजा बन जायेगा तेरे लिए। “
सलोनी,” कैसा रास्ता माँ और कौन सी सजा की बात कर ही हो आप ? मुझे साफ साफ बताइए, आखिर मुझे करना क्या होगा ? “
उसके बाद माँ ने जो कहा उसे सुन मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। उन्होंने कहा कि अगर मुझे चुड़ैल से मुक्ति दिलानी है तो मुझे उस जरीन को हमेशा हमेशा के लिए अपनाना होगा।
उसकी आत्मा को अपने शरीर में संजोकर रखना होगा। लेकिन उसके बाद में कभी भी अहम से नहीं मिल पाऊंगी।
मुझे अहम को हमेशा हमेशा के लिए भूलना होगा वरना जरीन अहम को देखते ही मुझ पर हावी हो जाएगी और शायद फिर जरीन अहम को मार भी सकती है।
इसका मतलब साफ था कि मेरे हाथों ही मेरे प्यार, मेरे अहमत की मौत। खुदा ने मेरे सामने कैसी परिस्थिति खड़ी कर दी थी ?
अब मुझे अपने ही प्यार के लिए उससे दूर जाना था। वो भी इतना कि कभी उसका चेहरा भी नहीं देखा था।
वो प्यार जो मेरे लिए मेरा सब कुछ था, जिसके लिए मैं अपना सब कुछ छोड़ कर आई थी, वो भी मेरे पास आने के लिए जरीन के आगे गिड़गिड़ा रहा था।
वो अपनी जान तक देने को तैयार था। तो क्या मैं उसके भले के लिए उससे दूर नहीं जा सकती थी ? सच कहूँ तो मैंने उसी वक्त अपना मन बना लिया था कि मैं अहम को उस चुड़ैल से आजाद करके रहूंगी। मेरे पूछने पर माँ ने बस इतना कहा।
सास,” बेटा, तुझे जरीन की कब्र पर जाकर अपने बाल, अपने कपड़े और नाखून का टुकड़ा उसी कब्र पर गिराना होगा।
तो ही जरीन की आत्मा अहम का शरीर छोड़ तुम्हारे शरीर में आएगी। डर मत, मैं तुम्हारे साथ रहूंगी।
पर याद रखना बेटी, ये रास्ता उतना भी आसान नहीं होने वाला है। पर वादा कर बेटी फिर कभी तू अहम को अपना चेहरा नहीं दिखाएगी। “
सलोनी,” माँ, मैं अहम से बेंतेहा प्यार करती हूँ और मैं वादा करती हूँ कि फिर कभी मैं अहम को अपना चेहरा नहीं दिखाऊंगी। “
वादा कर हम दोनों कबरिस्तान की ओर चल दिए। कुछ देर बाद ही माँ और मैं ज़रीन की कब्र के आगे खड़े थे।
मैंने अभी कब्र की मिट्टी को छुआ ही था कि तेज हवाएं चलने लगी और उस कब्र से निकला काला साया मेरे जिस्म को चीरने लगा था।
मेरे पीछे मेरी सासू माँ हाथ में ताबीज़ लिए मेरी हिफाजत के लिए खड़ी थीं। और उस काले साये ने मेरी सासू माँ को भी नहीं छोड़ा।
वो एक झटके से आती और मां के जिस्म से मांस नोचकर ले जाती। मां दर्द में चीखने लगी।
सास,” बेटी सलोनी, तुम हिम्मत मत हारना,। मैं हमेशा तुम्हारे साथ ही रहूँगी, बस अपना काम करती रहो। हमें किसी भी तरह अहम को जरीन की आत्मा से मुक्त दिलानी है। “
मैं समझ गयी थी कि जो साया हमारे इर्द-गिर्द मंडरा रहा है, हमें लहुलुहान कर रहा था वो कोई और नहीं बल्कि जरीन का ही साया था। पर माँ की बातें सुन मेरी हिम्मत और बढ़ गयी थी।
मैंने तेजी से कब्र में गड्ढा करना शुरू कर दिया। मैंने कब्र में अभी अपना कटा हुआ बाल डाला ही था कि इतनी देर में देखा कि जरीन का काला साया मां के जिस्म से निकालता हुआ माँ के टुकड़े टुकड़े कर गया था और उनके जिस्म के टुकड़े मेरे ऊपर ही आ गए थे, जिसे देख मैं डर के मारे कांपने लगी थी।
तभी मुझे महसूस हुआ कि किसी ने मेरे बाल पकड़े हुए हैं। लेकिन इससे पहले कि मैं कुछ और कर पाती, जरीन के काले साये ने मुझे बालों से पकड़कर हवा में उठा लिया था।
मैं हवा में ही दर्द के मारे छटपटाने लगी थी। मेरे ठीक नीचे जरीन की कब्र थी तो मैंने बिना एक पल गंवाए अपनी जेब से कपड़े और नाखून का टुकड़ा निकाला और जरीन की कब्र के ऊपर गिरा दिया।
नाखून और कपड़े के टुकड़े कब्र पर गिरते ही वो साया चीखने लगा। पर इससे पहले मैं जमीन पर गिरती, जरीन मुझमें समा चुकी थी जिसने मुझे एक खरोंच तक नहीं लगने दी।
जैसा कि माँ से वादा किया था, मैंने उस रात के बाद फिर कभी अहम का चेहरा नहीं देखा। मैं कबरिस्तान से सीधे अपने घर आ गई थी।
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अहम मेरे घर आते, मेरे माँ पापा से मुझसे मिलने के लिए गिड़गिड़ाते, एक तरह से भीख मांगते, चिल्ला चिल्ला कर पूछते कि आखिर मैंने उन्हें क्यूँ छोड़ दिया ?
क्या कमी रह गई थी उनके प्यार में ? उन्होंने मुझसे मिलने के लिए लाखों जतन किए पर एक बार भी मैंने उन्हें अपना चेहरा नहीं दिखाया।
आज मेरी शादी को 12 साल हो चुके है और मैं आज भी अहम से बहुत प्यार करती हूँ।
बस अपने पाति की सलामती के लिए मैं अपनी सौतन को अपने अन्दर लिए घूमती हूँ, उसे कभी बाहर नहीं आने देती। आखिर वो मेरी सौतन जो ठहरी।
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